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शुक्रवार, जनवरी 06, 2012

वार्षिक संगीतमाला 2011 - पॉयदान संख्या 22 : आईना देखा तो मेरा चेहरा बदल गया..

वार्षिक संगीतमाला की 22 वीं पॉयदान पर पिछली सीढ़ी की तरह ना तो ख्वाबों की उड़ान है और ना ही आशाओं का सूरज। यहाँ तो उदासी का आलम ही चारों ओर बिखरा पड़ा है। निराशा और हताशा के बादल छाए हैं और इन्हीं के बीच गूँज रहा है राहत फतेह अली खाँ का स्वर। ये गीत है फिल्प 'खाप' का। पिछले साल खाप पंचायत और उसकी रुढ़िवादी परंपराओं के किस्से टीवी और अख़बारों की सुर्खियों में रहे थे। कितने प्रेमी युगलों की जिंदगियाँ ऐसी पंचायतों के अमानवीय फैसलों से बदल गयीं। गीतकार पंछी जालोनवी का लिखा ये नग्मा ऐसे ही टूटे दिलों का दर्द बयाँ करता है।

इस गीत का सबसे सशक्त पहलू है राहत की गायिकी और पंछी जालोनवी के शब्द। राहत और उनकी गायिकी से तो आप सब पहले भी इस चिट्ठे पर कई बार रूबरू हो चुके हैं। आइए जानते हैं पंक्षी जालोनवी उर्फ सैयद अथर हसन के बारे में। ये नाम आपको नया भले लगे पर चंबल के बीहड़ों से सटे कस्बे जालोन से जुड़े इस गीतकार को फिल्म इंडस्ट्री में मकबूलियत 2005 में आई फिल्म 'दस' से ही मिल गई थी। पर इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहेंगे कि साहित्य और शायरी में रुचि रखने वाले लेखक को फिल्म उद्योग 'दस बहाने...' और 'दीदार दे...' जैसे आइटम नंबरों से जानने लगा। 

जब पंछी से मैंने इस बदलाव के बारे में पूछा तो वो कहने लगे कि समझ नहीं आता कि मैं फिल्म इंडस्ट्री में आकर बिगड़ गया या आज के मापदंडों के हिसाब से पहले से बिगड़ा हुआ था। अपनी इस छवि से निकलने की ज़द्दोज़हद पंछी करते रहे हैं क्यूंकि उन्हें अपनी शायरी पे भरोसा है..ज़रा उनकी इन पंक्तियों को देखें

बोल कड़वे हो तो जुबाँ में रख
ऐसे तीरों को तू कमान में रख
पर तो काटे हैं वक़्त ने 'पंछी'
कुछ भरोसा मगर उड़ान में रख

इस साल पंछी के लिखे रा वन के गीत काफी चर्चित हुए हैं। रा वन में उनका लिखा नग्मा बहे नैना , भरे मोरे नैना के बोल तो वाकई काबिलेतारीफ़ हैं पर मेरी संगीतमाला में स्थान बना पाया फिल्म 'खाप' का ये गीत। जालोनवी की शायरी के रंग राहत की आवाज़ से और निखर जाते हें जब राहत गाते हैं
बादल मेरी ज़मीन पे आकर यूँ थम गए
आई ज़रा जो धूप तो साया बदल गया

या फिर

उलझी रही सवालों में जीने की हर खुशी
जब बुझ गए दीये तो मिली है रोशनी
आँखों में नींद आई तो सपना बदल गया

नायक के दिल की उदासी इन बिंबों से और जीवंत हो उठती है। हालांकि गायिकी और बोल की तुलना में अनुज कप्पो का संगीत उतना दमदार नहीं लगता। खासकर खूबसूरत अंतरों के बीच के इंटरल्यूड्स और बेहतर हो सकते थे। तो आइए सुनें फिल्म खाप का ये गीत..



आईना देखा तो मेरा चेहरा बदल गया
देखते ही देखते क्या क्या बदल गया
बादल मेरी ज़मीन पे आकर यूँ थम गए
आई ज़रा जो धूप तो साया बदल गया

उलझी रही सवालों में जीने की हर खुशी
जब बुझ गए दीये तो मिली है रोशनी
आँखों में नींद आई तो सपना बदल गया
देखते ही देखते क्या क्या बदल गया

आईना देखा तो मेरा चेहरा बदल गया

क़ैद किये थे ख़्वाब किसी ने नींद किसी ने हारी
हार गयी है हार कहीं पर जीत कहीं पर हारी
तरह तरह से खूब वक़्त भी भेष बदल के आया
मिली मुझे ना धूप आज की मिला ना कल का साया

मंज़िल करीब आई तो रस्ता बदल गया
देखते ही देखते क्या क्या बदल गया
आईना देखा तो मेरा चेहरा बदल गया
 

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