गीत शब्दों से बनते हैं। गीतकार की भावनाओं को संगीत और आवाज के माध्यम से संगीतकार और गायक श्रोता के दिल में उतारते हैं। पर कई बार मेरे साथ ऍसा भी हुआ है जब गीत और संगीत दोनों पार्श्व में चले गए हों और रह गई हो तो सिर्फ एक आवाज़।
दर्द में डूबती सी आवाज़...
दिल में उतरती सी आवाज़...
रोंगटे खड़ी करती आवाज़...
पिछले दिनों NDTV IMAGINE के शो जुनूँ कुछ कर दिखाने का में मुझे कुछ ऍसी ही एक आवाज को सुनने का मौका मिला ...गायक थे फैसलाबाद , पाकिस्तान से आए अली अब्बास । अली अब्बास इस कार्यक्रम में 'सूफी के सुलतान' टीम के सदस्य हैं। अली अब्बास ने संगीत की तालीम नज़ाकत अली, हसन सिद्दिकी और इज़ाक क़ैसर से ली है। इस कार्यक्रम में गाए उनके जिस गीत की बात मैं कर रहा हूँ वो एक पंजाबी गीत है जिसे मूल रूप से पाकिस्तानी गायक मीकाल हसन साहब ने अपने एलबम 'समपूरन' में गाया था। मैंने इस गीत को सुनने के बाद मीकाल साहब का गाया हुआ वर्सन भी सुना पर उसमें वो बात नहीं दिखी जो इस युवा कलाकार की गायिकी (और वो भी Live Performance) में नज़र आई।
इस गीत पर गौर करें तो पाएँगे कि ये प्रेम में विकल नायिका की अपने दूर जाते प्रेमी को वापस बुलाने की करुण पुकार है। अली अब्बास ने जब इस गीत को गाया तो ऍसा लगा कि ये सारा दर्द मैं खुद महसूस कर पा रहा हूँ। मुखड़े में सुर के उतार चढ़ाव तो इस खूबसूरती से लगाए गए हैं कि एक बार सुन कर ही मन वाह वाह कर उठता है।
साजण प्रीत, लगा के..........
दू..र दे..श मत जात
दू......र दे.....श मत जात
बसो हमा..री नगरी..
मोहे सुंदर मुख दिखलात
कदि आ मिल सांवल यार वे
ओ कदि आ मिल साँवल यार वे
मेरे रूं रूं चीख पुकार वे..(२)
कदि आ......चीख पुकार वे
कदि आ मिल साँवल यार वे...(२)
मेरी जिंदड़ी होई उदास वे
मेरा सांवल आस ना पास वे
मेरी जिंदड़ी होई उदास वे
मेरा सांवल आस ना पास वे
मुझे मिले ना चार कहार वे
मुझे... मिले ना चार कहा..र वे
कदि आ मिल साँवल यार वे...(२)
तुझ हरजाई की बाहों में
और प्यार परीत* की राहों में (* प्रीत)
तुझ हरजाई की बाहों में
और प्यार परीत की राहों में
मैं तो बैठी सब कुछ हार वे...(२)
कदि आ मिल साँवल यार वे...(२)
मेरे रूं रूं** चीख पुकार वे
(यहाँ 'रूं रूं', 'रोम रोम'को कहा गया है)
पंजाबी का बेहद अल्प ज्ञान रखता हूँ और इस गीत के लफ्ज़ सुन के यहाँ लिखे हैं। अगर कोई गलती दिखे तो बताने की कृपा कीजिएगा।
तो कैसा लगा ये गीत आपको ? अगले कुछ दिनों में एक और बेहतरीन कलाकार से मिलाने का मेरा वादा है जिसके गीतों में आप मिट्टी की सोंधी खशबू जरूर महसूस करेंगे...
दर्द में डूबती सी आवाज़...
दिल में उतरती सी आवाज़...
रोंगटे खड़ी करती आवाज़...

इस गीत पर गौर करें तो पाएँगे कि ये प्रेम में विकल नायिका की अपने दूर जाते प्रेमी को वापस बुलाने की करुण पुकार है। अली अब्बास ने जब इस गीत को गाया तो ऍसा लगा कि ये सारा दर्द मैं खुद महसूस कर पा रहा हूँ। मुखड़े में सुर के उतार चढ़ाव तो इस खूबसूरती से लगाए गए हैं कि एक बार सुन कर ही मन वाह वाह कर उठता है।
साजण प्रीत, लगा के..........
दू..र दे..श मत जात
दू......र दे.....श मत जात
बसो हमा..री नगरी..
मोहे सुंदर मुख दिखलात
कदि आ मिल सांवल यार वे
ओ कदि आ मिल साँवल यार वे
मेरे रूं रूं चीख पुकार वे..(२)
कदि आ......चीख पुकार वे
कदि आ मिल साँवल यार वे...(२)
मेरी जिंदड़ी होई उदास वे
मेरा सांवल आस ना पास वे
मेरी जिंदड़ी होई उदास वे
मेरा सांवल आस ना पास वे
मुझे मिले ना चार कहार वे
मुझे... मिले ना चार कहा..र वे
कदि आ मिल साँवल यार वे...(२)
तुझ हरजाई की बाहों में
और प्यार परीत* की राहों में (* प्रीत)
तुझ हरजाई की बाहों में
और प्यार परीत की राहों में
मैं तो बैठी सब कुछ हार वे...(२)
कदि आ मिल साँवल यार वे...(२)
मेरे रूं रूं** चीख पुकार वे
(यहाँ 'रूं रूं', 'रोम रोम'को कहा गया है)
पंजाबी का बेहद अल्प ज्ञान रखता हूँ और इस गीत के लफ्ज़ सुन के यहाँ लिखे हैं। अगर कोई गलती दिखे तो बताने की कृपा कीजिएगा।
इस गीत को यू ट्यूब पर भी देखा जा सकता है
तो कैसा लगा ये गीत आपको ? अगले कुछ दिनों में एक और बेहतरीन कलाकार से मिलाने का मेरा वादा है जिसके गीतों में आप मिट्टी की सोंधी खशबू जरूर महसूस करेंगे...
