
बुधवार, जुलाई 16, 2025
वार्षिक संगीतमाला 2024 :Top 25 ओ सजनी रे..



शनिवार, मार्च 01, 2025
वार्षिक संगीतमाला 2024 : #25 रात अकेली थी तो बात निकल गई



शनिवार, मई 25, 2024
वार्षिक संगीतमाला 2023 : मुश्किलें हल हैं तुम्हीं से या तुम्हीं हो मुश्किलें... तुम क्या मिले


वार्षिक संगीतमाला में 2023 के पच्चीस बेहतरीन गीतों की शृंखला अब अपने अंतिम चरण में आ पहुंची है। आज जिस गीत के बारे में मैं आपसे चर्चा करने जा रहा हूं उसकी रूपरेखा एक विशुद्ध मुंबईया फिल्मी गीत सरीखी है। यहां हसीन वादियां हैं, खूबसूरत परिधानों में परी सी दिखती नायिका है और साथ में एक छैल छबीला नायक जो हवा के झोंकों के बीच बहती सुरीली धुन और मन को छूते शब्दों में अपने प्रेम का इज़हार कर रहे हैं। हालांकि वास्तव में नायक वहां है नहीं पर नायिका उसकी उपस्थिति महसूस कर रही है। यथार्थ से परे होकर भी भारतीय दर्शक गीतों में इस larger than life image को दिल से पसंद करते हैं क्यूंकि ऐसे गीतों की परंपरा हिन्दी सिनेमा में शुरू से रही है या यूं कह लें कि ये बॉलीवुड की विशिष्टता है जिसे हम सबने अपनी थाती बनाकर अपने दिल में बसा लिया है।
ये गीत है फिल्म रॉकी और रानी की प्रेम कहानी से। पिछले साल के अंत में आई ये फिल्म हिट तो हुई ही थी, इसके गाने भी खूब पसंद किए गए थे। वे कमलेया और वाट झुमका से तो आप परिचित होंगे ही। आज के गीत, तुम क्या मिले जो इस फिल्म का मेरा सबसे पसंदीदा गीत है, को मैंने पिछले साल खूब सुना था और अब तक सुन रहा हूं। मुझे यकीन है कि अगर आपने ये गीत अब तक नहीं सुना तो इसे सुन कर आप अवश्य इसकी मधुरता के कायल हो जाएंगे।
अक्सर गीतों के मुखड़ों के पहले कई संगीतकार पियानो का बेहद प्यार इस्तेमाल करते हैं। तुम क्या मिले की शुरुआत भी इसी वाद्य यंत्र से होती है। जब जब इस गीत को सुनना शुरु करता हूँ पियानो की ये धुन मुझे अलग ही दुनिया में ले जाती है। वो जो प्रेम की मीठी सी कसक होती है न वही कुछ है हिमांशु पारिख के बजाए मन को तरंगित करते इस टुकड़े में । मन इस स्वरलहरी में हिलोरे ले ही रहा होता है कि अमिताभ भट्टाचार्य के शब्द समय के उस छोर पे मुझे ले जाते हैं जब ऐसी ही भावनाएँ दिल में घर बनाया करती थीं।
हम ना रहे हम, तुम क्या मिले
जैसे मेरे दिल में खिले
फागुन के मौसम, तुम क्या मिले
तुम क्या मिले, तुम क्या मिले
तुम क्या मिले, तुम क्या मिले
दर्ज हुई हैं शायरी में, जिनकी हैं प्रेम कहानियाँ
हम ज़माने की निगाहों में कभी गुमनाम थे
अपने चर्चे कर रही हैं अब शहर की महफ़िलें
उनके जवाबों के जैसे मिले
झरने ठंडे पानी के हों रवानी में, ऊँचे पहाड़ों से बह के
ठहरे तालाबों से जैसे मिले
- वो तेरे मेरे इश्क़ का
- तुम क्या मिले
- पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
- कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
- आ जा रे आ बरखा रे
- बोलो भी बोलो ना
- रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
- नौका डूबी रे
- मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
- कल रात आया मेरे घर एक चोर
- वे कमलेया
- उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
- पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
- कुछ देर के लिए रह जाओ ना
- आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
- बाबूजी भोले भाले
- तू है तो मुझे और क्या चाहिए
- कैसी कहानी ज़िंदगी?
- तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
- ओ माही ओ माही
- ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
- मैं परवाना तेरा नाम बताना
- चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
- दिल झूम झूम जाए
- कि रब्बा जाणदा

शनिवार, अप्रैल 27, 2024
वार्षिक संगीतमाला 2023: : वे कमलेया, वे कमलेया मेरे नादान दिल


दो नैनों के पेचीदा सौ गलियारे
इन में खो कर तू मिलता है कहाँ
तुझको अम्बर से पिंजरे ज्यादा प्यारे
उड़ जा कहने से सुनता भी तू है कहाँ
गल सुन ले आ गल सुन ले आ
वे कमलेया मेरे नादान दिल
जा करना है तो प्यार कर
ज़िद पूरी फिर इक बार कर
कमलेया वे कमलेया
मनमर्ज़ी कर के देख ले
बदले में सब कुछ हार कर
कमलेया वे कमलेया
इश्क़ है ये तेरा या तेरी गलती है
गर सवाब है तो क्यों सज़ा मिलती है
वैसे रस्ते तू चुनता है कहाँ.
मर्ज़ी तेरी जी भर ले आ वे कमलेया मेरे नादान दिल...
- वो तेरे मेरे इश्क़ का
- तुम क्या मिले
- पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
- कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
- आ जा रे आ बरखा रे
- बोलो भी बोलो ना
- रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
- नौका डूबी रे
- मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
- कल रात आया मेरे घर एक चोर
- वे कमलेया
- उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
- पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
- कुछ देर के लिए रह जाओ ना
- आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
- बाबूजी भोले भाले
- तू है तो मुझे और क्या चाहिए
- कैसी कहानी ज़िंदगी?
- तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
- ओ माही ओ माही
- ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
- मैं परवाना तेरा नाम बताना
- चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
- दिल झूम झूम जाए
- कि रब्बा जाणदा

मंगलवार, अप्रैल 02, 2024
वार्षिक संगीतमाला 2023 : तू है तो मुझे, फिर और क्या चाहिए


वार्षिक संगीतमाला में शामिल आज का ये गीत शायद ही आपने न सुना हो क्योंकि पिछले साल एफएम रेडियो पर खूब बजा और यू ट्यूब पर भी करोड़ों लोगों की पसंद बना। दरअसल हर फिल्म में एक ऐसा गीत रखने की कोशिश होती है कि जो फिल्म रिलीज़ के पहले ही इतनी लोकप्रियता अर्जित कर ले कि लोग उसे पर्दे पर देखने के लिए सिनेमाघरों में खिंचे चले जाएं।
संगीतमाला की इस पायदान पर के संगीतकार हैं सचिन जिगर। सचिन यानि सचिन संघवी और जिगर यानि जिगर सरैया की ये जोड़ी फिल्म जगत में ये पिछले डेढ़ दशक से सक्रिय हैं। पहले संगीतकार राजेश रोशन और फिर प्रीतम के लिए काम करने के बाद हिंदी फिल्म संगीत में इन्होंने स्वतंत्र रूप से काम करना शुरु किया।
शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लिये हुए सचिन के मन में संगीतकार बनने का ख्वाब ए आर रहमान ने पैदा किया। सचिन रोज़ा में रहमान के संगीत संयोजन से इस क़दर प्रभावित हुए कि उन्होंने ठान लिया कि मुझे भी यही काम करना है। अपने मित्र अमित त्रिवेदी के ज़रिए उनकी मुलाकात ज़िगर से हुई। दो गुजरातियों का ये मेल एक नई जोड़ी का अस्तित्व ले बैठा।
सचिन जिगर की जोड़ी को विश्वास था कि ज़रा हटके ज़रा बचके फिल्म के लिए बनाई उनकी इस धुन और अमिताभ भट्टाचार्य के लिखे बोलों में ये बात है, बस वो एक ऐसा गायक लेना चाहते थे जो इस धुन और बोलों को अपनी गायिकी से जनता के हृदय में ले जा सके।
अब इस काम के लिए अरिजीत सिंह से बेहतर गायक कौन हो सकता था? वैसे भी सचिन जिगर की इस गुजराती संगीतकार जोड़ी का अरिजीत से पुराना राब्ता रहा है। अरिजीत ने अपने शुरुआती दौर में जब प्रीतम के लिए सहायक की भूमिका निभाई थी तब सचिन जिगर वहां अरेंजर हुआ करते थे।
सचिन जिगर ने संगीतकार के साथ गायक की भी भूमिका कई बार निभाई है पर जब जिक्र अरिजीत का होता है तो वो हमेशा उनकी प्रतिभा और विनम्रता की प्रशंसा करते नहीं थकते। उनका कहना है कि अरिजीत अपनी आवाज़ की बनावट में परिवर्तन करना जानते हैं। उनसे आप किसी तरह के भी गाने गवा सकते हैं। कंपोजर तो हैं ही। और इतना सब होते हुए भी वे व्यवहार में उतनी ही सहजता के साथ सबसे पेश आते हैं। इसीलिए उनके साथ काम करना किसी भी संगीतकार के लिए यादगार पल होता है। उनके हिसाब से तू है तो मुझे और क्या चाहिए में अरिजीत की गायिकी खिल के बाहर आई है।
अमिताभ का लिखा मुखड़ा सचिन जिगर की धुन के साथ जल्द ही जुबां पर चढ़ता है। मुखड़े के अलावा मुझे इस गीत की सबसे प्यारी पंक्ति ज़ख्मों को मेरे मरहम की जगह बस तेरा छुआ चाहिए लगती है।
वाद्य यंत्रों में सचिन जिगर ने बांसुरी और गिटार का प्रमुखता से किया है पर गीत की जान सचिन जिगर की धुन और अरिजीत की गायिकी ही है।
दुनिया भी दे दे अगर तो, किसे दुनिया चाहिए
तू है तो मुझे, फिर और क्या चाहिए
तू है तो मुझे, फिर और क्या चाहिए
किसी की ना मदद, ना दुआ चाहिए
तू है तो मुझे फिर और क्या चाहिए
सौ बार जनम लूं तो भी
तू ही हमदम हर दफा चाहिए
- वो तेरे मेरे इश्क़ का
- तुम क्या मिले
- पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
- कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
- आ जा रे आ बरखा रे
- बोलो भी बोलो ना
- रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
- नौका डूबी रे
- मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
- कल रात आया मेरे घर एक चोर
- वे कमलेया
- उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
- पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
- कुछ देर के लिए रह जाओ ना
- आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
- बाबूजी भोले भाले
- तू है तो मुझे और क्या चाहिए
- कैसी कहानी ज़िंदगी?
- तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
- ओ माही ओ माही
- ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
- मैं परवाना तेरा नाम बताना
- चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
- दिल झूम झूम जाए
- कि रब्बा जाणदा

शुक्रवार, मार्च 29, 2024
वार्षिक संगीतमाला 2023 : आजा रे, आ, बरखा रे, कब से नहीं देखा रे..


एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमाला के 25 शानदार गीतों की इस शृंखला में अब आपको दस गीत ही सुनवाने बचे हैं। इन गीतों में ज्यादातर मेरे बेहद प्रिय रहे हैं। आज जो गीत मैं आपको सुनवाने जा रहा हूँ वो एक गैर फिल्मी गीत है जिसमें अरिजीत सिंह ने बतौर संगीतकार की भूमिका निभाई है। एक समय प्रीतम के सहायक रहे अरिजीत ने तीन साल पहले पगलेट के संगीत के लिए भी खासी वाहवाही लूटी थी। यहाँ भी वो अपने संगीत से श्रोताओं का दिल जीतने में सफल रहे हैं।
मानसून के मौसम में पिछले साल जुलाई में रिलीज़ हुए इस गीत को लिखा था इरशाद कामिल साहब ने। इरशाद कामिल के लिए बरखा के बोलों को लिखना अतीत की यादों में भींगने जैसा था। बारिश बहुत लोगों के लिए एक मौसम से बढ़कर है। ये अपने साथ हममें से कितनों के मन में भावनाओं का ज्वार लेकर आती है। इरशाद ने कोशिश की इस गीत के द्वारा वे इन जज़्बातों को शब्द दे सकें।
बड़ी कोमल शब्द रचना है इरशाद की इस गीत में। कुछ पंक्तियाँ तो बस मन को यूँ ही सहलाती हुई निकल जाती हैं जैसे कि झोंका हवा का पुकारे, ग़म को बहा ले जा रे.. या फिर आजा रे, आ, बरखा रे, मीठे तू कर दिन खारे। सच में बरखा सिर्फ एक गीत नहीं है बल्कि एक कैफ़ियत है जिसमें प्रेम, विरह और आख़िरकार मिलन के भाव बारिश की बूँदो में बहते चले आते हैं।
इस फिल्म का वडियो शूट बंगाल में हुआ। इस गीत का वीडियो देखते हुए मुझे परवीन शाकिर की वो नज़म याद आ गयी..बारिश में क्या तन्हा भीगना लड़कीउसे बुला जिसकी चाहत मेंतेरा तन-मन भीगा हैप्यार की बारिश से बढ़कर क्या बारिश होगीऔर जब उस बारिश के बादहिज्र की पहली धूप खुलेगीतुझ पर रंग के इस्म खुलेंगेअरिजीत सिंह ने बरखा से जुड़े इस गीत में कुछ बेहद मधुर स्वरलहरियाँ सृजित की हैं। गिटार पर आदित्य शंकर का बजाया टुकड़ा जो मुखड़े के बाद और अंतरों के बीच बजता है मुझे बेहद मधुर लगा। गिटार के अलावा निर्मल्य डे की बजाई बाँसुरी भी कानों में रस घोलती है। साथ में कहीं कहीं पियानो की टुनटुनाहट भी सुनाई दे जाती है और फिर सोने पर सुहागा के तौर पर अरिजीत का एक प्यारा आलाप तो है ही।आजा रे, आ, बरखा रे, कब से नहीं देखा रे
पानी की छाँव में, बूँदों के पाँव में बाँधे तू झाँझरें
हो, आजा रे, आ, बरखा रे, कब से नहीं देखा रे
झोंका हवा का पुकारे, ग़म को बहा ले जा रे
बहा के ले जाना दुख बीते कल के
गहरे-हल्के, पुराना धो जाना
आजा रे, आ, बरखा रे, मीठे तू कर दिन खारे
तेरी नज़र को उतारे, कब से नहीं देखा रे
आजा, बरखा
बोलो, क्या बोलूँ, मैं ना तो क्या तू?
तू ना हो तो, मैं क्या बोलूँ? तू है तो मैं हूँ
आजा रे, आ, बरखा रे, कब से नहीं देखा रे
कब से नहीं देखा रे, आजा रे, आ, बरखा रे
पानी की छाँव में, बूँदों के पाँव में
हो, आजा रे, आ, बरखा रे
झोंका हवा का पुकारे, ग़म को बहा ले जा रे
गायिकी की दृष्टि से सुनिधि के लिए पिछला साल बेहतरीन रहा। हालांकि इस गाने के एक हिस्से को मैंने श्रेया और जैन की आवाज़ में सुना तो वो मुझे बारिश की सोंधी बूँदों की तरह ही मन को और शीतल कर गया।
सुनिधि के अपने इस गीत के बारे में कहना था कि हमने कोशिश की है बारिश को समर्पित एक गीत रचने की जो उस मौसम के साथ मन में उमड़ती घुमड़ती भावनाओं को भी व्यक्त कर जाता है। तो आइए सुनते हैं इस गीत को उनकी आवाज़ में।
- वो तेरे मेरे इश्क़ का
- तुम क्या मिले
- पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
- कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
- आ जा रे आ बरखा रे
- बोलो भी बोलो ना
- रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
- नौका डूबी रे
- मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
- कल रात आया मेरे घर एक चोर
- वे कमलेया
- उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
- पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
- कुछ देर के लिए रह जाओ ना
- आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
- बाबूजी भोले भाले
- तू है तो मुझे और क्या चाहिए
- कैसी कहानी ज़िंदगी?
- तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
- ओ माही ओ माही
- ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
- मैं परवाना तेरा नाम बताना
- चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
- दिल झूम झूम जाए
- कि रब्बा जाणदा

सोमवार, मार्च 18, 2024
वार्षिक संगीतमाला 2023 : आधा तेरा इश्क़, आधा मेरा .. ऐसे हो पूरा चंद्रमा..


ना तेरे संग लागे, बांधे जो पीपल पे धागे
ये सुरमे के धारे, बहते है नज़रे बचा के
बदरंग में सतरंगा है ये इश्क़ रे
जोगी मैं और गंगा है ये इश्क़ रे
माथे से लगा लूँ हाथ, छू के मैं पैर तेरे
हो रख लूँ मैं तन पे ज़ख्म, बना सारे बैर तेरे
रुकणा नी तू, हुण रुसना नी मैं
तेरा नी रहा, ना खुद दा वी मैं
दुनिया तू है मेरी
पर न आना अब न आना
मैं नीं आना शहर तेरे
जो फेरे संग लागे, रखते वो हमको जला के
वो वादे झूठे वादे, ले जा तू कसमें लगा के
रग रग में मलंगा है ये इश्क़ रे
क्यू लहू में ही रंगा है ये इश्क़ रे
हो बदरंग में..
तू मेरी सारी यादें, पानी में आज बहा दे
ये तेरी भीगी आँखें, रख लू लबों से लगा के
मैं समंदर, परिंदा है ये इश्क रे
मन मातम और जिंदा है ये इश्क़ रे
हो बदरंग में ...
- वो तेरे मेरे इश्क़ का
- तुम क्या मिले
- पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
- कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
- आ जा रे आ बरखा रे
- बोलो भी बोलो ना
- रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
- नौका डूबी रे
- मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
- कल रात आया मेरे घर एक चोर
- वे कमलेया
- उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
- पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
- कुछ देर के लिए रह जाओ ना
- आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
- बाबूजी भोले भाले
- तू है तो मुझे और क्या चाहिए
- कैसी कहानी ज़िंदगी?
- तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
- ओ माही ओ माही
- ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
- मैं परवाना तेरा नाम बताना
- चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
- दिल झूम झूम जाए
- कि रब्बा जाणदा

शनिवार, फ़रवरी 10, 2024
वार्षिक संगीतमाला 2023 दिल झूम झूम जाए


2023 के बेहतरीन गीतों की इस वार्षिक संगीतमाला में अगला गीत है एक sequel से जो कि अंत अंत में आकर इस गीतमाला में शामिल हुआ है। ये गीत है फिल्म गदर 2 का।
आज से दो दशक पहले जब फिल्म गदर रिलीज़ हुई थी तो फिल्म के साथ-साथ उसके संगीत में भी काफी धमाल किया था। उड़ जा काले कावां कह लीजिए या फिर मैं निकला गड्डी लेकर तो जबरदस्त हिट हुए ही थे, साथ ही साथ मुसाफ़िर जाने वाले और आन मिलो सजना ने तो दिल ही को छू लिया था। इस फिल्म के लिए उदित नारायण की गायकी को आज तक सराहा जाता है।
इसकी पुनरावृत्ति गदर दो में होनी तो मुश्किल ही थी फिर भी संगीतकार मिथुन ने एक ईमानदार कोशिश जरूर की। फिल्म के दो गीत तो पुरानी फिल्म से ही ले लिए गए पर दो-तीन गीत और जोड़े गए और उनमें एक गीत ऐसा जरूर रहा जिसका मुखड़ा गुनगुनाना मुझे अच्छा लगता है। ये गीत है दिल झूम झूम जाए और इसके बोल लिखे हैं सईद क़ादरी साहब ने जो कि बतौर गीतकार तीन दशकों से सक्रिय हैं और मिथुन की संगीतबद्ध फिल्मों में अक्सर नज़र आते हैं।
गीत का मुखड़ा कुछ यूं है
बहुत खूबसूरत हो आप सर से पांव तक
दिल झूम झूम, दिल झूम झूम, दिल झूम झूम जाए
तुम्हें हूर हूर, तुम्हें हूर हूर, हां, हूर सा ये पाए
दिल झूम झूम, दिल झूम झूम, दिल झूमता ही जाए
अब अगर गीत रूमानी तबीयत का हो तो आज की तारीख़ में लगभग हर संगीतकार अरिजीत पर सबसे ज्यादा विश्वास रखते हैं । इसमें तो कोई शक ही नहीं कि अरिजीत अच्छी धुनों को अपनी गायिकी से और कर्णप्रिय बना देते हैं। अब देखिए ये गीत आपको झुमा पता है या नहीं
- वो तेरे मेरे इश्क़ का
- तुम क्या मिले
- पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
- कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
- आ जा रे आ बरखा रे
- बोलो भी बोलो ना
- रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
- नौका डूबी रे
- मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
- कल रात आया मेरे घर एक चोर
- वे कमलेया
- उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
- पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
- कुछ देर के लिए रह जाओ ना
- आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
- बाबूजी भोले भाले
- तू है तो मुझे और क्या चाहिए
- कैसी कहानी ज़िंदगी?
- तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
- ओ माही ओ माही
- ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
- मैं परवाना तेरा नाम बताना
- चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
- दिल झूम झूम जाए
- कि रब्बा जाणदा

शुक्रवार, जनवरी 26, 2024
वार्षिक संगीतमाला 2023 : ओ माही ओ माही तेरी वफ़ा पर हक़ हुआ मेरा


वार्षिक संगीतमाला की अगली कड़ी में आज एक गीत फिल्म डंकी से। ये फिल्म तो लोगों ने उतनी पसंद नहीं की, हां पर इसके एक दो गाने यू ट्यूब पर खूब बजे, इंस्टा की रीलों पर छा गए। अब इसका सबसे ज्यादा श्रेय तो मैं संगीतकार प्रीतम को देना चाहता हूं।
प्रीतम एक ऐसे संगीतकार हैं जिनकी मेलोडी पर जबरदस्त पकड़ है। वो ये बखूबी समझते हैं कि श्रोताओं को कैसी सिग्नेचर धुन, कैसे इंटरल्यूड्स पसंद आयेंगे। ज्यादातर वे इरशाद कामिल और अमिताभ भट्टाचार्य के साथ अपने गीत रचते हैं जो उनकी बनाई धुनों के साथ न्याय करने में सक्षम हैं।
तो डंकी फिल्म का जो गीत मेरे पसंदीदा गीतों की सूची में आया है वो है ओ माही ओ माही। मुखड़े के पहले के बीस सेकेंड में ही प्रीतम अपनी आरंभिक धुन से ध्यान खींच लेते हैं।
माही शब्द को केंद्र में ले के दर्जनों गीत बन होंगे पर मजाल है कि श्रोता आज तक इससे ऊबे हों। इस गीत की तो ओ माही के दुहराव वाली पंक्ति ही लोगों के मन में रच बस गई है। दरअसल आज भी युवा अपने प्रेम का इज़हार करने के लिए ऐसे फिल्मी गीतों का सहारा लेते हैं जिसके बोल प्यारे पर सहज हों और जिसका संगीत कर्णप्रिय हो।
वार्षिक संगीतमाला का ये गीत किस पायदान पर अंततः आएगा उसका खुलासा तो बाद में होगा पर इतना तो तय है कि सुरीले गीतों की इस साल की फेरहिस्त में अरिजीत सिंह का नाम बार बार आएगा।
तो अगर आपने इरशाद कामिल का लिखा ये गीत न सुना हो तो सुन लीजिए।
