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बुधवार, जुलाई 16, 2025

वार्षिक संगीतमाला 2024 :Top 25 ओ सजनी रे..

कुछ व्यक्तिगत कारणों से इस संगीतमाला पर एक लंबा ब्रेक लग गया था। आप सबको मैं 18 वीं पायदान के गीत वल्लो वल्लो पर छोड़ गया था। तो आज बारी है संगीतमाला की अगली सीढ़ी पर बैठे गीत की चर्चा करने की। ये गीत है ओ सजनी रे... जिसे पिछले साल लोगों द्वारा खूब पसंद किया गया। आपको याद होगा कि गत साल आई फिल्मों में लापता लेडीज़ ने खासी धूम मचाई थी। मुझे भी ये फिल्म औसत से बेहतर ही लगी थी। कलाकारों का अभिनय जानदार था और बतौर दीपक, स्पर्श श्रीवास्तव का काम तो मुझे खासा प्रभावित कर गया था। फिल्म की सफलता में इसके संगीत की भी अहम भागीदारी थी। 


इस फिल्म का संगीत निर्देशन किया था राम संपत ने। आमिर के साथ राम की सोहबत तलाश और सत्यमेव जयते के ज़माने की है। राम संपत इस गठजोड़ के बारे में अपने साक्षात्कारों में एक वाकया सुनाते हैं। जब उन्हें इस प्रोजेक्ट में लिया गया तो दुर्भाग्यवश मलेरिया के शिकार होकर वे अस्पताल में भर्ती हो गए। आमिर दुविधा में थे कि उन्हें रखें या नहीं। उन्होंने राम को फोन किया कि क्या आप इस प्रोजेक्ट को कर पाएँगे और तब राम ने उत्तर दिया कि I was born to do this project। फिर क्या था आमिर ने कहा कि अगर ऐसा है तो ये प्रोजेक्ट आप ही करेंगे। अस्पताल में रहते हुए ही राम संपत ने इस टीवी शो में प्रयुक्त गीत ओ री चिरैया की धुन तैयार की जो आज तक उसी चाव से सुनी जाती है।


राम संपत को हमेशा से ये मुगालता रहा है कि उन्हें अक्सर धीर गंभीर विषयों वाली फिल्मों को करने के मौके मिले। एक दो गीतों को छोड़ दें तो उनकी झोली में इतने दशकों के करियर में कोई रोमांटिक गीत शायद ही आया हो। इसीलिए जब ओ सजनी रे बनाने की बारी आई तो उन्होंने सोचा कि इसे बेहतर रूप कैसे दिया जाए। आख़िर दीपक का फूल से शादी के तुरंत बाद बिछड़ने के प्रसंग पर ही पूरी कहानी आधारित थी। दीपक के हृदय में फूल के यूँ गुम हो जाने की पीड़ा इस गाने में झलकानी थी। इस गीत के लिए सबसे बड़ा जोखिम लिया उन्होंने इंस्टाग्राम पर खड़ी बोली और ब्रज में लिखने वाले प्रशांत पांडे का गीतकार के रूप में चुनाव कर के जिनसे वो गीत के प्रीमियर के वक़्त पहली बार मिले। प्रशांत के इस गीत के लिए लिखे सहज बोल लोगों को बहुत जमे। मुझे इस गीत की वो पंक्ति सबसेअच्छी लगी जिसमें उन्होंने लिखा....कैसे घनेरे बदरा घिरे...तेरी कमी की बारिश लिए 🙂। वैसे पूरा गीत कुछ यूं है।

ओ सजनी रे
कैसे कटे दिन रात
कैसे हो तुझसे बात
तेरी याद सतावे रे
ओ सजनी रे...तेरी याद तेरी याद सतावे रे
कैसे घनेरे बदरा घिरे
तेरी कमी की बारिश के लिए
सैलाब जो मेरे सीने में है
कोई बताये ये कैसे थमे
तेरे बिना अब कैसे जियें
ओ सजनी रे...तेरी याद तेरी याद सतावे रे

गाँव की पृष्ठभूमि में बनी इस पटकथा के लिए विशुद्ध देशी या लोकसंगीत के बजाए राम संपत और निर्माता किरण राव ने देशी के साथ पश्चिमी वाद्य यंत्रों का इस्तेमाल कर गीत को एक ताज़ी शक़्ल देने की कोशिश की गई जो आज के दौर के नायक नायिका के अनुरूप लगे। मूलतः गिटार पर आधारित इस धुन में कोरा, उदू और गोनी जैसे विदेशी वाद्य यंत्रों का भी इस्तेमाल हुआ है।

सबसे पहले ये गीत राम संपत ने अपनी आवाज़ में रिकार्ड किया था और आमिर ने उसे OK भी कर दिया था पर राम ये गीत अरिजीत से गवाना चाहते थे। जब दो तीन हफ्तों के बाद अरिजीत ने रिकार्डिग भेजी तो राम ये देख के चकित हो गए कि अरिजीत ने उसी गीत को दस अलग अलग तरह से गाया था। 

अगर आप सोच रहे हों कि ये कैसे संभव है तो उनके कुछ वर्सन के नाम सुन लीजिए ...ये किरण मैम की ब्रीफिंग के हिसाब से, ये आमिर सर के सुझाव पर , ये आपके जैसा, ये स्माइल के और ये बिना स्माइल के....😁। 

राम संपत कहते हैं गायिकी के प्रति अरिजीत की ये प्रतिबद्धता उन्हें वो मुकाम दिला पाई है जिसके वो सच्चे हक़दार हैं। खैर राम ने जो वर्सन चुना वो बेहद सराहा गया तो एक बार और आप भी सुन लीजिए ये पूरा गीत


शनिवार, मार्च 01, 2025

वार्षिक संगीतमाला 2024 : #25 रात अकेली थी तो बात निकल गई

प्रीतम एक प्रतिभाशाली संगीतकार हैं । अपने संगीत को माँजने में अक्सर बड़ी मेहनत करते हैं। उनके बारे में मशहूर है कि गीत रिलीज़ होने के एक दिन पहले तक वो अपने संगीत संयोजन में परिवर्तन करते रहते हैं। उनके सहायक के रूप में कई नए चेहरे आए जो बाद में ख़ुद एक संगीतकार बन गए और कुछ गायक। उनमें एक हमारे अरिजीत सिंह भी हैं जिन्हें आज का युवा अपने सिर आँखों पर बिठाकर रखता है।

पर 2024 में यही प्रीतम कुछ खास कमाल नहीं दिखा सके। उनके जो कुछ गीत थोड़े बजे भी उनकी धुनों में मुझे एक दोहराव सा प्रतीत हुआ। साल 2024 की शुरुआत में उनकी एक फिल्म आई थी मेरी क्रिसमस। इस थ्रिलर के निर्देशक थे श्रीराम राघवन। प्रीतम ने इन्हीं के साथ 2012 में भी एक फिल्म की थी जिसका नाम था Agent Vinod। इस फिल्म का एक गीत था राब्ता। वार्षिक संगीतमाला की 25 वीं पायदान पर मैंने जिस गीत को रखा है वो मुझे राब्ता की याद दिला देता है। क्यूँ दिला देता है वो इस गीत को सुन कर देखियेगा। बहरहाल अरिजीत और अंतरा मित्रा की जोड़ी के साथ वरुण के बोलों ने इस गीत को इतना कर्णप्रिय जरूर बना दिया है कि वो इस संगीतमाला का हिस्सा बन पाए।

 

प्रीतम ज्यादातर अमिताभ भट्टाचार्य और इरशाद कामिल जैसे गीतकारों के साथ काम करते रहे हैं पर इस बार उन्होने इस फिल्म के लिए अपनी जोड़ी बनाई वरुण ग्रोवर के साथ। वरुण ग्रोवर ने बातचीत के अंदाज़ में कुछ प्यारे से बोल लिखे हैं..

रात अकेली थी तो बात निकल गई
तन्हा शहर में वो तन्हा सी मिल गई
मैंने उससे पूछा, "हम पहले भी मिले हैं कहीं क्या?"
फिर?

उसकी नज़र झुकी, चाल बदल गई
ज़रा सा क़रीब आई, और सँभल गई
हौले से जो बोली, मेरी जान बहल गई, हाँ
क्या बोली?

हाँ, हम मिले हैं १००-१०० दफ़ा
मैं धूल हूँ, तू कारवाँ
इक-दूसरे में हम यूँ लापता
मैं धूल हूँ, तू कारवाँ

क्या आपने इस फिल्म के बाकी गाने सुने हैं? इस फिल्म का एक और गीत है मेरी इस संगीतमाला में। उसे बाद में सुनवाता हूँ । फिलहाल इसे सुन लीजिए।



शनिवार, मई 25, 2024

वार्षिक संगीतमाला 2023 : मुश्किलें हल हैं तुम्हीं से या तुम्हीं हो मुश्किलें... तुम क्या मिले

वार्षिक संगीतमाला में 2023 के पच्चीस बेहतरीन गीतों की शृंखला अब अपने अंतिम चरण में आ पहुंची है। आज जिस गीत के बारे में मैं आपसे चर्चा करने जा रहा हूं उसकी रूपरेखा एक विशुद्ध मुंबईया फिल्मी गीत सरीखी है। यहां हसीन वादियां हैं, खूबसूरत परिधानों में परी सी दिखती नायिका है और साथ में एक छैल छबीला नायक जो हवा के झोंकों के बीच बहती सुरीली धुन और मन को छूते शब्दों में अपने प्रेम का इज़हार कर रहे हैं। हालांकि वास्तव में नायक वहां है नहीं पर नायिका उसकी उपस्थिति महसूस कर रही है। यथार्थ से परे होकर भी भारतीय दर्शक गीतों में इस larger than life image को दिल से पसंद करते हैं क्यूंकि ऐसे गीतों की परंपरा हिन्दी सिनेमा में शुरू से रही है या यूं कह लें कि ये बॉलीवुड की विशिष्टता है जिसे हम सबने अपनी थाती बनाकर अपने दिल में बसा लिया है। 

ये गीत है फिल्म रॉकी और रानी की प्रेम कहानी से। पिछले साल के अंत में आई ये फिल्म हिट तो हुई ही थी, इसके गाने भी खूब पसंद किए गए थे। वे कमलेया और वाट झुमका से तो आप परिचित होंगे ही। आज के गीत, तुम क्या मिले जो इस फिल्म का मेरा सबसे पसंदीदा गीत है, को मैंने पिछले साल खूब सुना था और अब तक सुन रहा हूं। मुझे यकीन है कि अगर आपने ये गीत अब तक नहीं सुना तो इसे सुन कर आप अवश्य इसकी मधुरता के कायल हो जाएंगे।

अक्सर गीतों के मुखड़ों के पहले कई संगीतकार पियानो का बेहद प्यार इस्तेमाल करते हैं। तुम क्या मिले की शुरुआत भी इसी वाद्य यंत्र से होती है। जब जब इस गीत को सुनना शुरु करता हूँ पियानो की ये धुन मुझे अलग ही दुनिया में ले जाती है। वो जो प्रेम की मीठी सी कसक होती है न वही कुछ है हिमांशु पारिख के बजाए मन को तरंगित करते इस टुकड़े में । मन इस स्वरलहरी में हिलोरे ले ही रहा होता है कि अमिताभ भट्टाचार्य के शब्द समय के उस छोर पे मुझे ले जाते हैं जब ऐसी ही भावनाएँ दिल में घर बनाया करती थीं।


भला किसको अपनी ज़िंदगी में किसी ऐसे शख़्स से मिलने का इंतज़ार नहीं होता जो उसकी बेरंगी शामों को रंगीन बना दे। फीके लम्हों में नमकीनियाँ भर दे। और जब दिल की ये मुराद पूरी हो जाती है तो यही चाहत बेचैनी और मुसीबत का सबब भी बन जाती है और इसीलिए अमिताभ ने गीत के मुखड़े में लिखते हैं

बेरंगे थे दिन, बेरंगी शामें
आई हैं तुम से रंगीनियाँ
फीके थे लम्हे जीने में सारे
आई हैं तुम से नमकीनियाँ

बे-इरादा रास्तों की बन गए हो मंज़िलें
मुश्किलें हल हैं तुम्हीं से या तुम्हीं हो मुश्किलें?

पियानो की मिठास अब भी इन शब्दों के पीछे बरक़रार रहती है। अरिजीत के मोहक स्वर में तुम क्या मिले की पंच लाइन आते आते ढोलक, तबले के साथ साथ तार वाद्य और ट्रम्पेट अपनी संगत से गीत का मूड खुशनुमा कर देते हैं और फिर फ़िज़ा में तैर जाती है श्रेया की दिलकश आवाज़। अंतरों के बीच श्रेया का आलाप रस की फुहार जैसा प्रतीत होता है। प्रीतम मेलोडी के बादशाह है। श्रोताओं के कानों में कब कैसा रस घोलना है वो बखूबी जानते हैं। अरिजीत, श्रेया और अमिताभ उनके संगीत संयोजन को गायिकी और बोल से ऐसे उभारते हैं कि मन रूमानी हो ही जाता है। गीत का अंत तरार वाद्यों के साथ बजते ट्रम्पेट के उत्कर्ष से होता है।

तुम क्या मिले, तुम क्या मिले
हम ना रहे हम, तुम क्या मिले
जैसे मेरे दिल में खिले
फागुन के मौसम, तुम क्या मिले
तुम क्या मिले, तुम क्या मिले
तुम क्या मिले, तुम क्या मिले

कोरे काग़ज़ों की ही तरह हैं इश्क़ बिना जवानियाँ
दर्ज हुई हैं शायरी में, जिनकी हैं प्रेम कहानियाँ
हम ज़माने की निगाहों में कभी गुमनाम थे
अपने चर्चे कर रही हैं अब शहर की महफ़िलें
तुम क्या मिले,....

हम थे रोज़मर्रा के, एक तरह के कितने सवालों में उलझे
उनके जवाबों के जैसे मिले
झरने ठंडे पानी के हों रवानी में, ऊँचे पहाड़ों से बह के
ठहरे तालाबों से जैसे मिले
तुम क्या मिले....

गीत के बारे में इतना कुछ कहने के बाद इसके फिल्मांकन की बात ना करूँ तो कुछ चीजें अधूरी रह जाएँगी। करण जौहर ने जब इस गीत का फिल्मांकन किया तो उनके मन में यश चोपड़ा की फिल्मों के गीत उमड़ घुमड़ रहे थे। 

इस गीत में गुलमर्ग, पहलगाम और श्रीनगर के शूट किए दृश्य इतने शानदार हैं कि उन्हें देख मन बर्फ की वादियों में तुरंत लोट पोट करने का करता है। अमिताभ एक जगह लिखते हैं झरने ठंडे पानी के हों रवानी में, ऊँचे पहाड़ों से बह के ..ठहरे तालाबों से जैसे मिले...तुम क्या मिले.... और कैमरा पहाड़ से गिरती बलखाती नदी का एरियल शॉट ले रहा होता है। 

प्राकृति खूबसूरती के साथ साथ आलिया बर्फ की सफेद चादर के परिदृश्य में अपनी रंग बिरंगी शिफॉन की साड़ियों से दर्शकों का मन मोह जाती हैं। इस गीत के बाद उन साड़ियों का ऐसा क्रेज हुआ कि वे कुल्फी साड़ियों के नाम से बाजार में बिकने भी लगीं। आलिया के व्यावसायिक कौशल की तारीफ़ करनी होगी कि प्रेगनेंसी के चार महीने बाद ही पूरी तरह फिट हो कर इस गीत के लिए कश्मीर के ठंडे मौसम में अपने आप को तैयार किया।

आइए देखें ये पूरा गीत जो है रॉकी और रानी की प्रेम कहानी का।




वार्षिक संगीतमाला 2023 में मेरी पसंद के पच्चीस गीत
  1. वो तेरे मेरे इश्क़ का
  2. तुम क्या मिले
  3. पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
  4. कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
  5. आ जा रे आ बरखा रे
  6. बोलो भी बोलो ना
  7. रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
  8. नौका डूबी रे
  9. मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
  10. कल रात आया मेरे घर एक चोर
  11. वे कमलेया
  12. उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
  13. पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
  14. कुछ देर के लिए रह जाओ ना
  15. आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
  16. बाबूजी भोले भाले
  17. तू है तो मुझे और क्या चाहिए
  18. कैसी कहानी ज़िंदगी?
  19. तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
  20. ओ माही ओ माही
  21. ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
  22. मैं परवाना तेरा नाम बताना
  23. चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
  24. दिल झूम झूम जाए
  25. कि रब्बा जाणदा

    शनिवार, अप्रैल 27, 2024

    वार्षिक संगीतमाला 2023: : वे कमलेया, वे कमलेया मेरे नादान दिल

    वार्षिक संगीतमाला में अब सिर्फ पाँच गीतों से आपका परिचय कराना रह गया है और उनमें से आज का गीत है फिल्म रॉकी और रानी की प्रेम कहानी से। गीत का मुखड़ा शुरु होता है वे कमलेया.. से।  हिंदी फिल्म के गानों ने पिछले एक दो दशकों में आम जन को हिंदी से ज्यादा पंजाबी शब्दों से खासा रूबरू कराया है भले ही पंजाबी चरित्र फिल्म में हों या ना हों। वैसे यहाँ वो मसला नहीं है और बात रॉकी रंधावा के पागल  दिल की हो रही है। दरअसल कमलेया शब्द कमली से निकला है जिसका शाब्दिक अर्थ है पागल या जुनूनी।  

     

    पिछले साल आई फिल्मों में रॉकी और रानी की प्रेम कहानी की सफलता का बहुत बड़ा श्रेय इसके संगीत को जाता है। फिल्म का संगीत रचने के पहले निर्माता करण जौहर ने दो हिदायतें दी थीं प्रीतम को। पहली ये कि गाने लंबे यानी कम से कम दो अंतरों के होने चाहिए और दूसरी कि गीतों में नब्बे के दशक की छाप होनी चाहिए। हालांकि फिल्म के संपादन में अक्सर गाने की लंबाई पर कैंची चलती है। इस फिल्म में भी यही हुआ पर उसके पहले पूरा एलबम इतना कामयाब हो चुका था कि मेरे जैसे दर्शक तो फिल्म के गाने सुनते सुनते इसे देखने पहुँच गए। अंतरों के बीच कोरस का इस्तेमाल तो पहले भी होता था और प्रीतम ने उसी खांचे को यहाँ भी फिट करने की कोशिश की है। 

    जहाँ फिल्म की कथा में भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा हो तो कोई गीत तभी दिल को छूता है जब उसके शब्द के साथ आप अपने को जोड़ पाएँ।  प्रेम या विरह गीतों के साथ ये सहूलियत है कि आप उन्हें फिल्म से इतर भी सुनें तो वो उतना ही असर छोड़ते हैं क्यूँकि ये ऐसे जज़्बात है जिन्हें शायद ही किसी ने महसूस नहीं किया होगा। अमिताभ प्रेमी के बेचैन दिल की दास्तान की कितनी प्यारी शुरुवात करते हुए लिखते हैं ....दो नैनों के पेचीदा सौ गलियारे इन में खो कर तू मिलता है कहाँ?......तुझको अम्बर से पिंजरे ज्यादा प्यारे उड़ जा कहने से सुनता भी तू है कहाँ ? अमिताभ की लेखनी का कमाल दूसरे अंतरे में भी बना रहता है। प्रेम में डूबे दिल के लिए कितना सही लिखा उन्होंने..... जिनपे चल के मंजिल मिलनी आसान हो, वैसे रस्ते तू चुनता है कहाँ.?... कसती है दुनिया कस ले फ़िक़रे , ताने उँगली पे आखिर गिनता भी तू है कहाँ ?

    प्रीतम की मेलोडी पर बेहतरीन पकड़ है। उनकी फिल्मों में बोल लिखने का काम ज्यादातर या तो अमिताभ के पास होता है या फिर इरशाद कामिल के पास  दोनों ही कमाल के गीतकार हैं। रही बात अरिजीत की तो वो हमेशा संगीतकार की अपेक्षा से बढ़कर कर काम करते हैं। प्रीतम, अमिताभ और अरिजीत के मन के तार कहीं और भी जा के मिलते हैं। अरिजीत और अमिताभ ने अपने कैरियर के आरंभिक दौर में प्रीतम के सहायक का काम किया था। संघर्ष के उन दिनों में इस बंगाली जोड़ी को निर्माता निर्देशकों तक पहुँचाने में प्रीतम की अहम भूमिका थी। इतना समय साथ बिताने की वज़ह से उनके बीच की आपसी समझ पुख्ता हुई है। यही वज़ह है कि ये तिकड़ी जहाँ भी एक साथ होती है कुछ अच्छा बन के ही निकलता है।

    वे कमलेया वे कमलेया, वे कमलेया मेरे नादान दिल 
    दो नैनों के पेचीदा सौ गलियारे 
    इन में खो कर तू मिलता है कहाँ 
    तुझको अम्बर से पिंजरे ज्यादा प्यारे 
    उड़ जा कहने से सुनता भी तू है कहाँ 
    गल सुन ले आ गल सुन ले आ 
    वे कमलेया मेरे नादान दिल 

    जा करना है तो प्यार कर 
    ज़िद पूरी फिर इक बार कर 
    कमलेया वे कमलेया 
    मनमर्ज़ी कर के देख ले 
    बदले में सब कुछ हार कर
    कमलेया वे कमलेया 

    तुझपे खुद से ज्यादा यार की चलती है 
    इश्क़ है ये तेरा या तेरी गलती है 
    गर सवाब है तो क्यों सज़ा मिलती है

    जिनपे चल के मंजिल मिलनी आसान हो 
    वैसे रस्ते तू चुनता है कहाँ. 
    कसती  है दुनिया कस ले फिकरे ताने 
    उँगली पे आखिर गिनता भी तू है कहाँ 
    मर्ज़ी तेरी जी भर ले आ वे कमलेया मेरे नादान दिल...

    अरिजीत के साथ गीत का एक छोटा सा हिस्सा श्रेया ने भी गाया है। एक साल बीत गया पर अभी भी ये गीत लोगों की जुबां पे है। तो आइए सुनें इस गीत को एक बार फिर 



    वार्षिक संगीतमाला 2023 में मेरी पसंद के पच्चीस गीत
    1. वो तेरे मेरे इश्क़ का
    2. तुम क्या मिले
    3. पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
    4. कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
    5. आ जा रे आ बरखा रे
    6. बोलो भी बोलो ना
    7. रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
    8. नौका डूबी रे
    9. मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
    10. कल रात आया मेरे घर एक चोर
    11. वे कमलेया
    12. उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
    13. पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
    14. कुछ देर के लिए रह जाओ ना
    15. आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
    16. बाबूजी भोले भाले
    17. तू है तो मुझे और क्या चाहिए
    18. कैसी कहानी ज़िंदगी?
    19. तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
    20. ओ माही ओ माही
    21. ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
    22. मैं परवाना तेरा नाम बताना
    23. चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
    24. दिल झूम झूम जाए
    25. कि रब्बा जाणदा

      मंगलवार, अप्रैल 02, 2024

      वार्षिक संगीतमाला 2023 : तू है तो मुझे, फिर और क्या चाहिए

      वार्षिक संगीतमाला में शामिल आज का ये गीत शायद ही आपने न सुना हो क्योंकि पिछले साल एफएम रेडियो पर खूब बजा और यू ट्यूब पर भी करोड़ों लोगों की पसंद बना। दरअसल हर फिल्म में एक ऐसा गीत रखने की कोशिश होती है कि जो फिल्म रिलीज़ के पहले ही इतनी लोकप्रियता अर्जित कर ले कि लोग उसे पर्दे पर देखने के लिए सिनेमाघरों में खिंचे चले जाएं।

      संगीतमाला की इस पायदान पर के संगीतकार हैं सचिन जिगर। सचिन यानि सचिन संघवी और जिगर यानि जिगर सरैया की ये जोड़ी  फिल्म जगत में ये पिछले डेढ़ दशक से सक्रिय हैं। पहले संगीतकार  राजेश रोशन और फिर प्रीतम के लिए काम करने के बाद हिंदी फिल्म संगीत में इन्होंने स्वतंत्र रूप से काम करना शुरु किया।

      शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लिये हुए सचिन के मन में संगीतकार बनने का ख्वाब ए आर रहमान ने पैदा किया। सचिन रोज़ा में रहमान के संगीत संयोजन से इस क़दर प्रभावित हुए कि उन्होंने ठान लिया कि मुझे भी यही काम करना है। अपने मित्र अमित त्रिवेदी के ज़रिए उनकी मुलाकात ज़िगर से हुई। दो गुजरातियों का ये मेल  एक नई जोड़ी का अस्तित्व ले बैठा। 


      सचिन जिगर की जोड़ी को विश्वास था कि ज़रा हटके ज़रा बचके फिल्म के लिए बनाई उनकी इस धुन और अमिताभ भट्टाचार्य के लिखे बोलों में ये बात है, बस वो एक ऐसा गायक लेना चाहते थे जो इस धुन और बोलों को अपनी गायिकी से जनता के हृदय में ले जा सके।

      अब इस काम के लिए अरिजीत सिंह से बेहतर गायक कौन हो सकता था? वैसे भी सचिन जिगर की इस गुजराती संगीतकार जोड़ी का अरिजीत से पुराना राब्ता रहा है। अरिजीत ने अपने शुरुआती दौर में जब प्रीतम के लिए सहायक की भूमिका निभाई थी तब सचिन जिगर वहां अरेंजर हुआ करते थे। 

      सचिन जिगर ने संगीतकार के साथ गायक की भी भूमिका कई बार निभाई है पर जब जिक्र अरिजीत का होता है तो वो हमेशा उनकी प्रतिभा और विनम्रता की प्रशंसा करते नहीं थकते। उनका कहना है कि अरिजीत अपनी आवाज़ की बनावट में परिवर्तन करना जानते हैं। उनसे आप किसी तरह के भी गाने गवा सकते हैं। कंपोजर तो हैं ही। और इतना सब होते हुए भी वे व्यवहार में उतनी ही सहजता के साथ सबसे पेश आते हैं। इसीलिए उनके साथ काम करना किसी भी संगीतकार के लिए यादगार पल होता है। उनके हिसाब से तू है तो मुझे और क्या चाहिए में  अरिजीत की गायिकी खिल के बाहर आई है।

      अमिताभ का लिखा मुखड़ा सचिन जिगर की धुन के साथ जल्द ही जुबां पर चढ़ता है। मुखड़े के अलावा मुझे इस गीत की सबसे प्यारी पंक्ति  ज़ख्मों को मेरे मरहम की जगह बस तेरा छुआ चाहिए लगती है।

      वाद्य यंत्रों में सचिन जिगर ने बांसुरी और गिटार का प्रमुखता से किया है पर गीत की जान सचिन जिगर की धुन और अरिजीत की गायिकी ही है।

      बदले तेरे माही, ला के जो कोई सारी
      दुनिया भी दे दे अगर तो, किसे दुनिया चाहिए
      तू है तो मुझे, फिर और क्या चाहिए
      तू है तो मुझे, फिर और क्या चाहिए
      किसी की ना मदद, ना दुआ चाहिए
      तू है तो मुझे फिर और क्या चाहिए
      सौ बार जनम लूं तो भी 
      तू ही हमदम हर दफा चाहिए


      वार्षिक संगीतमाला 2023 में मेरी पसंद के पच्चीस गीत
      1. वो तेरे मेरे इश्क़ का
      2. तुम क्या मिले
      3. पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
      4. कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
      5. आ जा रे आ बरखा रे
      6. बोलो भी बोलो ना
      7. रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
      8. नौका डूबी रे
      9. मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
      10. कल रात आया मेरे घर एक चोर
      11. वे कमलेया
      12. उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
      13. पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
      14. कुछ देर के लिए रह जाओ ना
      15. आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
      16. बाबूजी भोले भाले
      17. तू है तो मुझे और क्या चाहिए
      18. कैसी कहानी ज़िंदगी?
      19. तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
      20. ओ माही ओ माही
      21. ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
      22. मैं परवाना तेरा नाम बताना
      23. चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
      24. दिल झूम झूम जाए
      25. कि रब्बा जाणदा

        शुक्रवार, मार्च 29, 2024

        वार्षिक संगीतमाला 2023 : आजा रे, आ, बरखा रे, कब से नहीं देखा रे..

        एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमाला के 25 शानदार गीतों की इस शृंखला में अब आपको दस गीत ही सुनवाने बचे हैं। इन गीतों में ज्यादातर मेरे बेहद प्रिय रहे हैं। आज जो गीत मैं आपको सुनवाने जा रहा हूँ वो एक गैर फिल्मी गीत है जिसमें अरिजीत सिंह ने बतौर संगीतकार की भूमिका निभाई है। एक समय प्रीतम के सहायक रहे अरिजीत ने तीन साल पहले पगलेट के संगीत के लिए भी खासी वाहवाही लूटी थी। यहाँ भी वो अपने संगीत से श्रोताओं का दिल जीतने में सफल रहे हैं।

        मानसून के मौसम में पिछले साल जुलाई में रिलीज़ हुए इस गीत को लिखा था इरशाद कामिल साहब ने। इरशाद कामिल के लिए बरखा के बोलों को लिखना अतीत की यादों में भींगने जैसा था। बारिश बहुत लोगों के लिए एक मौसम से बढ़कर है। ये अपने साथ हममें से कितनों के मन में भावनाओं का ज्वार लेकर आती है। इरशाद ने कोशिश की इस गीत के द्वारा वे इन जज़्बातों को शब्द दे सकें। 
        बड़ी कोमल शब्द रचना है इरशाद की इस गीत में। कुछ पंक्तियाँ तो बस मन को यूँ ही सहलाती हुई निकल जाती हैं जैसे कि झोंका हवा का पुकारे, ग़म को बहा ले जा रे.. या फिर आजा रे, आ, बरखा रे, मीठे तू कर दिन खारे। सच में बरखा सिर्फ एक गीत नहीं है बल्कि एक कैफ़ियत है जिसमें प्रेम, विरह और आख़िरकार मिलन के भाव बारिश की बूँदो में बहते चले आते हैं।
        इस फिल्म का वडियो शूट बंगाल में हुआ। इस गीत का वीडियो देखते हुए मुझे परवीन शाकिर की वो नज़म याद आ गयी..

        बारिश में क्या तन्हा भीगना लड़की
        उसे बुला जिसकी चाहत में
        तेरा तन-मन भीगा है
        प्यार की बारिश से बढ़कर क्या बारिश होगी
        और जब उस बारिश के बाद
        हिज्र की पहली धूप खुलेगी
        तुझ पर रंग के इस्म खुलेंगे
        अरिजीत सिंह ने बरखा से जुड़े इस गीत में कुछ बेहद मधुर स्वरलहरियाँ सृजित की हैं। गिटार पर आदित्य शंकर का बजाया टुकड़ा जो मुखड़े के बाद और अंतरों के बीच बजता है मुझे बेहद मधुर लगा। गिटार के अलावा निर्मल्य डे की बजाई बाँसुरी भी कानों में रस घोलती है। साथ में कहीं कहीं पियानो की टुनटुनाहट भी सुनाई दे जाती है और फिर सोने पर सुहागा के तौर पर अरिजीत का एक प्यारा आलाप तो है ही
        आजा रे, आ, बरखा रे, कब से नहीं देखा रे
        झोंका हवा का पुकारे, ग़म को बहा ले जा रे
        पानी की छाँव में, बूँदों के पाँव में बाँधे तू झाँझरें
        हो, आजा रे, आ, बरखा रे, कब से नहीं देखा रे
        झोंका हवा का पुकारे, ग़म को बहा ले जा रे

        बहा के ले जाना दुख बीते कल के
        गहरे-हल्के, पुराना धो जाना
        आजा रे, आ, बरखा रे, मीठे तू कर दिन खारे
        तेरी नज़र को उतारे, कब से नहीं देखा रे

        आजा, बरखा
        बोलो, क्या बोलूँ, मैं ना तो क्या तू?
        तू ना हो तो, मैं क्या बोलूँ? तू है तो मैं हूँ

        आजा रे, आ, बरखा रे, कब से नहीं देखा रे
        कब से नहीं देखा रे, आजा रे, आ, बरखा रे
        पानी की छाँव में, बूँदों के पाँव में
        हो, आजा रे, आ, बरखा रे
        झोंका हवा का पुकारे, ग़म को बहा ले जा रे

        गायिकी की दृष्टि से सुनिधि के लिए पिछला साल बेहतरीन रहा। हालांकि इस गाने के एक हिस्से को मैंने श्रेया और जैन की आवाज़ में सुना तो वो मुझे बारिश की सोंधी बूँदों की तरह ही मन को और शीतल कर गया।
        सुनिधि के अपने इस गीत के बारे में कहना था कि हमने कोशिश की है बारिश को समर्पित एक गीत रचने की जो उस मौसम के साथ मन में उमड़ती घुमड़ती भावनाओं को भी व्यक्त कर जाता है। तो आइए सुनते हैं इस गीत को उनकी आवाज़ में।


        वार्षिक संगीतमाला 2023 में मेरी पसंद के पच्चीस गीत
        1. वो तेरे मेरे इश्क़ का
        2. तुम क्या मिले
        3. पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
        4. कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
        5. आ जा रे आ बरखा रे
        6. बोलो भी बोलो ना
        7. रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
        8. नौका डूबी रे
        9. मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
        10. कल रात आया मेरे घर एक चोर
        11. वे कमलेया
        12. उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
        13. पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
        14. कुछ देर के लिए रह जाओ ना
        15. आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
        16. बाबूजी भोले भाले
        17. तू है तो मुझे और क्या चाहिए
        18. कैसी कहानी ज़िंदगी?
        19. तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
        20. ओ माही ओ माही
        21. ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
        22. मैं परवाना तेरा नाम बताना
        23. चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
        24. दिल झूम झूम जाए
        25. कि रब्बा जाणदा

          सोमवार, मार्च 18, 2024

          वार्षिक संगीतमाला 2023 : आधा तेरा इश्क़, आधा मेरा .. ऐसे हो पूरा चंद्रमा..

          2023 के 25 शानदार गीतों की इस वार्षिक संगीतमाला का सफ़र आधे से ज़्यादा पूरा हो चुका है और काफी अंतराल के बाद आज की इस पायदान पर एक बार फिर गूँजेगी अरिजीत सिंह की आवाज़। पर इस गीत से जुड़ी रोचक बात ये है कि जब पहली बार इस गीत का मुखड़ा लिखा और गाया गया तो अरिजीत वहाँ परिदृश्य में थे ही नहीं।


          इस गीत का संगीत देने वाले श्रेयस पुराणिक अपने गीतों को अक्सर सिद्धार्थ गरिमा की जोड़ी से लिखवाते रहे हैं। उनके इस साथ की वज़ह हैं संजय लीला भंसाली जिनकी फिल्मों में इस तिकड़ी ने साथ साथ काम किया है।

          महाराष्ट के नागपुर से छत्तीसगढ़ के अंदरुनी इलाकों में अपना आरंभिक जीवन बिताने वाले श्रेयस मुंबई में सुरेश वाडकर से संगीत विद्यालय में अपना हुनर तराशने आए थे। संगीत साधना करते हुए उन्हें संजय लीला भंसाली का सहायक बनने का मौका मिला। बाजीराव मस्तानी की गणेश आरती उनके द्वारा ही कम्पोज़ की गयी थी। मूलतः गायक का सपना लिए हुए श्रेयस के संगीतकार बनने का ये पहला कदम था। श्रेयस आजकल ओटीटी के साथ साथ स्वतंत्र संगीत के जरिए भी अपनी धुनें श्रोताओं तक पहुंचा रहे हैं।



          जब उन्होंने सिद्धार्थ गरिमा के साथ मिलकर इस गीत का मुखड़ा बनाया तो ये जरूर महसूस किया कि इसे किसी बड़ी फिल्म के लिए रख लेना चाहिए। ख़ैर वो बात आई गयी हो गयी। फिर दीवाली की एक पार्टी में पहुँचे श्रेयस ने वहां जमी जमाई महफ़िल के बीच इस गीत को यूं ही गाना शुरु कर दिया। उसी पार्टी में एनिमल के निर्देशक संदीप वांगा भी मौज़ूद थे। उन्होंने गीत सुना और सुनकर इतने प्रभावित हुए कि फिर गिटार के साथ कई बार और सुना। वे गीत की तारीफ़ करते  हुए चले गए। 

          कुछ दिनों बाद उनके कार्यालय से वो फोन आ ही गया जिसकी श्रेयस बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे थे। उनकी हामी भरने के बाद ही गीत का बाकी हिस्सा फिल्म की परिस्थिति को देख के लिखा गया।

          एनिमल के इस गीत में कमाल के बोल लिखे हैं सिद्धार्थ और गरिमा ने। मुखड़ा ही देखिए कितना प्यारा है जो करवाचौथ की फिल्म की परिस्थिति में एकदम फिट बैठता है... आधा तेरा इश्क़, आधा मेरा .. ऐसे हो पूरा चंद्रमा...तारा तेरा इक तारा मेरा, बाकी अँधेरा आसमां..। नायक नायिका की सहज प्रेम कथा तो ये है नहीं। उसके कुछ बदरंग पहलू भी हैं जिनके रहते हुए भी कभी कभी सतरंगे इश्क़ की फुलझड़ियाँ निकलती रहती हैं और इसे विरोधाभास को शब्द देती हुए गीतकार जोड़ी लिखती है..बदरंग में सतरंगा है ये इश्क़ रे.. जोगी मैं और गंगा है ये इश्क़ रे।

          पर नायक नायिका के इस जटिल रिश्ते को उनकी लिखी इस पंक्ति में बखूबी समझा जा सकता है मैं समंदर, परिंदा है ये इश्क़ रे....मन मातम और जिंदा है ये इश्क़ रे

          पहले इसे श्रेयस ने ख़ुद गाया था पर फिल्म का हिस्सा बनते ही ये गीत अरिजीत का हो गया। श्रेयस ख़ुद मानते हैं कि अरिजीत उसे जिस स्तर पर ले गए वो शायद ही वहाँ ले जा पाते।

          आधा तेरा इश्क़, आधा मेरा .. ऐसे हो पूरा चंद्रमा
          हो तारा तेरा इक तारा मेरा, बाकी अँधेरा आसमां
          ना तेरे संग लागे, बांधे जो पीपल पे धागे
          ये सुरमे के धारे, बहते है नज़रे बचा के
          बदरंग में सतरंगा है ये इश्क़ रे
          जोगी मैं और गंगा है ये इश्क़ रे

          माथे से लगा लूँ हाथ, छू के मैं पैर तेरे
          हो रख लूँ मैं तन पे ज़ख्म, बना सारे बैर तेरे
          रुकणा नी तू, हुण रुसना नी मैं
          तेरा नी रहा, ना खुद दा वी मैं
          दुनिया तू है मेरी
          पर न आना अब न आना
          मैं नीं आना शहर तेरे

          जो फेरे संग लागे, रखते वो हमको जला के
          वो वादे झूठे वादे, ले जा तू कसमें लगा के
          रग रग में मलंगा है ये इश्क़ रे
          क्यू लहू में ही रंगा है ये इश्क़ रे
          हो बदरंग में.. 

          तू मेरी सारी यादें, पानी में आज बहा दे
          ये तेरी भीगी आँखें, रख लू लबों से लगा के
          मैं समंदर, परिंदा है ये इश्क रे
          मन मातम और जिंदा है ये इश्क़ रे
          हो बदरंग में ...

          तो आइए सुनते हैं गिटार आधारित इस शब्द प्रधान धुन को अरिजीत की आवाज़ में


          वार्षिक संगीतमाला 2023 में मेरी पसंद के पच्चीस गीत
          1. वो तेरे मेरे इश्क़ का
          2. तुम क्या मिले
          3. पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
          4. कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
          5. आ जा रे आ बरखा रे
          6. बोलो भी बोलो ना
          7. रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
          8. नौका डूबी रे
          9. मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
          10. कल रात आया मेरे घर एक चोर
          11. वे कमलेया
          12. उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
          13. पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
          14. कुछ देर के लिए रह जाओ ना
          15. आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
          16. बाबूजी भोले भाले
          17. तू है तो मुझे और क्या चाहिए
          18. कैसी कहानी ज़िंदगी?
          19. तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
          20. ओ माही ओ माही
          21. ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
          22. मैं परवाना तेरा नाम बताना
          23. चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
          24. दिल झूम झूम जाए
          25. कि रब्बा जाणदा

            शनिवार, फ़रवरी 10, 2024

            वार्षिक संगीतमाला 2023 दिल झूम झूम जाए

            2023 के बेहतरीन गीतों की इस वार्षिक संगीतमाला में अगला गीत है एक sequel से जो कि अंत अंत में आकर इस गीतमाला में शामिल हुआ है। ये गीत है फिल्म गदर 2 का।


            आज से दो  दशक पहले जब फिल्म गदर रिलीज़ हुई थी तो फिल्म के साथ-साथ उसके संगीत में भी काफी धमाल किया था। उड़ जा काले कावां कह लीजिए या फिर मैं निकला गड्डी लेकर तो जबरदस्त हिट हुए ही थे, साथ ही साथ मुसाफ़िर जाने वाले और आन मिलो सजना ने तो दिल ही को छू लिया था। इस फिल्म के लिए उदित नारायण की गायकी को आज तक सराहा जाता है।

            इसकी पुनरावृत्ति गदर दो में होनी तो मुश्किल ही थी फिर भी संगीतकार मिथुन ने एक ईमानदार कोशिश जरूर की। फिल्म के दो गीत तो  पुरानी फिल्म से ही ले लिए गए पर दो-तीन गीत और जोड़े गए और उनमें एक गीत ऐसा जरूर रहा जिसका मुखड़ा गुनगुनाना मुझे अच्छा लगता है। ये गीत है दिल झूम झूम जाए और इसके बोल लिखे हैं सईद क़ादरी साहब ने जो कि बतौर गीतकार तीन दशकों से सक्रिय हैं और मिथुन की संगीतबद्ध फिल्मों में अक्सर नज़र आते हैं। 

            गीत का मुखड़ा कुछ यूं है

            ये शोख़ ये शरारत, ये नफ़ासत नज़ाकत
            बहुत खूबसूरत हो आप सर से पांव तक
            दिल झूम झूम, दिल झूम झूम, दिल झूम झूम जाए
            तुम्हें हूर हूर, तुम्हें हूर हूर, हां, हूर सा ये पाए
            दिल झूम झूम, दिल झूम झूम, दिल झूमता ही जाए

            अब अगर गीत रूमानी तबीयत का हो तो आज की तारीख़ में लगभग हर संगीतकार अरिजीत पर सबसे ज्यादा विश्वास  रखते हैं । इसमें तो कोई शक ही नहीं कि अरिजीत अच्छी धुनों को अपनी गायिकी से और कर्णप्रिय बना देते हैं। अब देखिए ये गीत आपको झुमा पता है या नहीं 


            वार्षिक संगीतमाला 2023 में मेरी पसंद के पच्चीस गीत
            1. वो तेरे मेरे इश्क़ का
            2. तुम क्या मिले
            3. पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
            4. कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
            5. आ जा रे आ बरखा रे
            6. बोलो भी बोलो ना
            7. रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
            8. नौका डूबी रे
            9. मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
            10. कल रात आया मेरे घर एक चोर
            11. वे कमलेया
            12. उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
            13. पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
            14. कुछ देर के लिए रह जाओ ना
            15. आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
            16. बाबूजी भोले भाले
            17. तू है तो मुझे और क्या चाहिए
            18. कैसी कहानी ज़िंदगी?
            19. तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
            20. ओ माही ओ माही
            21. ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
            22. मैं परवाना तेरा नाम बताना
            23. चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
            24. दिल झूम झूम जाए
            25. कि रब्बा जाणदा

              शुक्रवार, जनवरी 26, 2024

              वार्षिक संगीतमाला 2023 : ओ माही ओ माही तेरी वफ़ा पर हक़ हुआ मेरा

              वार्षिक संगीतमाला की अगली कड़ी में आज एक गीत फिल्म डंकी से। ये फिल्म तो लोगों ने उतनी पसंद नहीं की, हां पर इसके एक दो गाने यू ट्यूब पर खूब बजे, इंस्टा की रीलों पर छा गए। अब इसका सबसे ज्यादा श्रेय तो मैं संगीतकार प्रीतम को देना चाहता हूं।

              प्रीतम एक ऐसे संगीतकार हैं जिनकी मेलोडी पर जबरदस्त पकड़ है। वो ये बखूबी समझते हैं कि श्रोताओं को कैसी सिग्नेचर धुन, कैसे इंटरल्यूड्स पसंद आयेंगे। ज्यादातर वे इरशाद कामिल और अमिताभ भट्टाचार्य के साथ अपने गीत रचते हैं जो उनकी बनाई धुनों के साथ न्याय करने में सक्षम हैं।


              तो डंकी फिल्म का जो गीत मेरे पसंदीदा गीतों की सूची में आया है वो है ओ माही ओ माही। मुखड़े के पहले के बीस सेकेंड में ही प्रीतम अपनी आरंभिक धुन से ध्यान खींच लेते हैं।

              माही शब्द को केंद्र में ले के दर्जनों गीत बन होंगे पर मजाल है कि श्रोता आज तक इससे ऊबे हों। इस गीत की तो ओ माही के दुहराव वाली पंक्ति ही लोगों के मन में रच बस गई है। दरअसल आज भी युवा अपने प्रेम का इज़हार करने के लिए ऐसे फिल्मी गीतों का सहारा लेते हैं जिसके बोल प्यारे पर सहज हों और जिसका संगीत कर्णप्रिय हो।

              वार्षिक संगीतमाला का ये गीत किस पायदान पर अंततः आएगा उसका खुलासा तो बाद में होगा पर इतना तो तय है कि सुरीले गीतों की इस साल की फेरहिस्त में अरिजीत सिंह का नाम बार बार आएगा।

              तो अगर आपने इरशाद कामिल का लिखा ये गीत न सुना हो तो सुन लीजिए।

              यारा तेरी कहानी में, हो जिकर मेरा
              कहीं तेरी खामोशी में, हो फिकर मेरा
              रुख तेरा जिधर का हो हो उधर मेरा
              तेरी बाहों तलक ही है ये सफ़र मेरा
              ओ माही ओ माही..ओ माही ओ माही
              तेरी वफ़ा पर हक़ हुआ मेरा
              ओ माही ओ माही...ओ माही ओ माही
              लो मैं क़यामत तक हुआ तेरा..

              बातों को बहने दो बाहों में रहने दो 
              हैं सुकून इनमें 
              रास्ते हो बेगाने, झूठे वो अफसाने 
              तू न हो जिनमें 
              हो थोड़ी उमर है प्यार ज़्यादा मेरा 
              कैसे बताएं ये सारा तेरा होगा 
              मैंने मुझे है तुझको सौंपना 
              राहों पे बाहों पे राहों पनाहों पे आहों पे बाहों पे 
              साहों सलाहों पे मेरे इश्क़ पे हुआ हक़ तेरा
              ओ माही ओ माही...ओ माही ओ माही
              लो मैं क़यामत तक हुआ तेरा..

               

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              सुवर्णलता
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              Bakul Katha
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              English, August: An Indian Story
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              Mitro Marjani
              Jharokhe
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