मैं रात का प्राणी हूँ और आप में से बहुतेरे और भी होंगे। मैंने सुबह उगते सूरज की लाली तो बिरले ही देखी है पर रात्रि की बेला में चाँद तारों के साम्राज्य को बिना किसी उद्देश्य के घंटों अपलक निहारा है। इसलिए जब कोई गीत रात की बातें करता हे तो उसमें खयालात दिल पर पुरज़ोर असर करते हैं।
तो आज हो जाए इक रात्रि गीत वो भी ऍसी रात जब चाँद अपनी स्निग्ध चाँदनी के प्रकाश से सारी धरती को प्रकाशमान कर रहा हो। इस उजाले में जब दूर तक दिखती पंगडंडियों में किसी के आने की आस हो और दिल में हल्का हल्का प्यार का सुरूर हो तो कौन सा गीत गाना चाहेंगे आप यही ना..
चाँदनी रातें ..चाँदनी रातें ..सब जग सोए, हम जागें
तारों से करे बातें, चाँदनी रातें ..चाँदनी रातें ..
इस गीत में एक मीठी सी शिकायत है पर जब आप इसे गाते हैं तो सीधे सहज पर मन को छूने वाले शब्दों की मस्ती में डूब जाते हैं। सबसे पहले इस गीत को गाया था सुर की मलिका नूरजहाँ ने ! रिकार्डिंग पुरानी है इसलिए आवाज़ की गुणवत्ता वैसी नहीं है। नूरज़हाँ शुरुआत एक क़ता से करती हैं और फिर शुरु होता है ये प्यारा सा नग्मा
इक हूक सी दिल में उठती है।
इक दर्द सा दिल में होता है।
हम रातों को उठ कर रोते हैं
जब सारा आलम सोता है
चाँदनी रातें ..चाँदनी रातें ..
सब जग सोए, हम जागें
तारों से करे बातें
चाँदनी रातें ..चाँदनी रातें ..
तकते तकते टूटी जाए आस पिया ना आए रे, तकते तकते
शाम सवेरे, दर्द अनोखे उठे जिया घबराए रे, शाम सवेरे
रातों ने मेरी नींद लूट ली, दिन के चैन चुराए
दुखिया आँखें ढ़ूँढ रही है, कहे प्यार की बातें
चाँदनी रातें ..चाँदनी रातें ..
पिछली रात में हम उठ उठ के चुपके चुपके रोए रे, पिछली रात में
सुख की नींद में गीत हमारे देश पराए सोए रे सुख की नींद में
दिल की धड़कनें तुझे पुकारें आ जा बालम आई बहारें
बैठ के तनहाई में कर लें सुख दुख की दो बातें
चाँदनी रातें ..चाँदनी रातें ..
पर इस गीत को सबसे पहले मैंने शमसा कँवल की आवाज़ में सुना था जो आज के युवाओं मे भी ख़ासा लोकप्रिय है। ये गीत पार्टनर्स इन राइम का हिस्सा था जहाँ इसके संगीत को पुनः संयोजित किया था हरदीप और प्रेम की जोड़ी ने। शमसा कँवल ने भी इस गीत को उतनी ही खूबसरती से गाया है। फ़र्क सिर्फ इतना है कि संगीत संयोजन थोड़ा लाउड होने की वज़ह से कभी उनकी आवाज, पार्श्व संगीत में दब सी जाती है।
तो आइए सुनें समसा कँवल की आवाज़ में ये नग्मा
