जनवरी का महीना खत्म होने को है और वार्षिक संगीतमाला 2014 का ये सफ़र जा पहुँचा है ग्यारहवीं पायदान पर। गीतमाला के पिछले गीत में तो अमावस्या की काली चादर ओढ़ हमारा ये 'चाँद' अपने घर होने वाली सेंध को बचा गया था पर आज के इस गीत में देखिए ना विरह का दंश झेलते दो प्रेमियों की झोली में चाँदनी बरसा कर एक दूसरे से मिलने की चाहत को और तीव्रता प्रदान कर रहा है।
इश्क़ की भी अपनी पेचीदगियाँ है साहब। जब इसका नशा चढ़ता है तो इसके सामने मद के सारे प्याले फेल। पर ये खुमारी जब दो लोगों की छोटी छोटी गलतियों और गलतफहमियों का शिकार हो जाए तो उसे एक दूसरे के प्रति अविश्वास व क्रोध में बदलने में देर नहीं लगती। प्रेम तो वहीं रहता है पर उसके सामने अहम की दीवारें खड़ी हो जाती हैं जिसे तोड़ना कई बार बेहद मुश्किल लगने लगता है।
चेतन भगत की किताब पर बनी फिल्म 2 States का ये गीत नायक नायिका के बीच बनी ऐसी ही परिस्थिति के बाद आता है जब अलग रह कर वे अपने एकाकी जीवन की पीड़ा महसूस कर रहे होते हैं। अमिताभ भट्टाचार्य ने इस गीत के साथ पहली बार इस साल की संगीतमाला में अपना कदम रखा है। अपने प्रियतम की जुदाई की तुलना जिस तरह उन्होंने आग रहित सूरज व बिना राग की कोयल से की है वो गीत के मुखड़े में चार चाँद लगा देती है। विरह वेदना को स्वर देते देते उनकी शब्द रचना सूफ़ियत का रंग ले उठती है जब वे कहते हैं जिस्म ये क्या है खोखली सीपी...रूह दा मोती है तू । अभी ये सुन कर आप मन से वाह वाह कर ही रहे होते हैं कि अगली पंक्ति मेरे सारे बिखरे सुरों से, गीत पिरोती है तू आपको फिर से लाजवाब कर जाती है।
इस गीत को संगीतबद्ध किया है शंकर अहसान लॉय ने। 2 States और कुछ हद तक 'किल दिल' का संगीत छोड़ दें तो इस तिकड़ी के लिए ये साल अपेक्षाकृत फीका रहा है। पर इस गीत में गिटार की प्रमुखता में किया गया उनका संगीत संयोजन ध्यान खींचता है। उनके दिए संगीत का सबसे खूबसुरत पहलू मुझे अकार्डियन का वो 20 सेकेन्ड का मधुर टुकड़ा लगता है जिसे आप गाने में 1 मिनट 40 सेकेन्ड के बाद सुन सकते हैं।
इस युगल गीत को आवाज़ दी है मोहन कानन और यशिता शर्मा ने। अगर आप रॉक बैंड अग्नि को सुनते हों तो मोहन कानन आपके लिए अपरिचित नाम नहीं होगा क्यूँकि वो इस बैंड के मुख्य गायक हैं। जहाँ तक यशिता की बात है तो सा रे गा मा पा 2009 में वो प्रथम रनर्स अप रह चुकी हैं। इन दो अपेक्षाकृत नयी आवाज़ों का मिश्रण गाने को एक ताजगी सा प्रदान करता है।
तो आइए सुनते हैं इस गीत को जो अँधेरे में डूबे दिलों को चाँदनी की एक नर्म रोशनी देता हुआ प्रतीत होता है..
तुझ बिन सूरज में आग नहीं रे
तुझ बिन कोयल में राग नहीं रे
चाँदनिया तो बरसे
फिर क्यूँ मेरे हाथ अँधेरे लगदे ने
हाँ तुझ बिन फागुन में फाग नहीं रे
हाँ तुझ बिन जागे भी जाग नहीं रे
तेरे बिना ओ माहिया
दिन दरिया, रैन जज़ीरे लगदे ने
अधूरी अधूरी अधूरी कहानी, अधूरा अलविदा
यूँ ही यूँ ही रह ना जाए अधूरे सदा
अधूरी है कहानी, अधूरा अलविदा
ओ चाँदनिया तो बरसे
फिर क्यूँ मेरे हाथ अँधेरे लगदे ने
केदी तेरी नाराज़गी,गल सुन लै राज़ की
जिस्म ये क्या है खोखली सीपी
रूह दा मोती है तू
गरज़ हो जितनी तेरी, बदले में जिंदड़ी मेरी
मेरे सारे बिखरे सुरों से, गीत पिरोती है तू
ओ माहिया तेरे सितम, तेरे करम
दोनों लुटेरे लगदे ने
तुझ बिन सूरज में आग नहीं रे ... लगदे ने
अधूरी .... सदा
ना ना ना…
फिर क्यूँ मेरे हाथ अधेरे लगदे ने
तेरे बिना, ओ माहिया
दिन दरिया, रैन जज़ीरे लगदे ने
वार्षिक संगीतमाला 2014 में अब तक
- 11.चाँदनिया तो बरसे फिर क्यूँ मेरे हाथ अँधेरे लगदे ने..
- 12. ये बावला सा सपना
- 13. गुलों मे रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले.
- 14. मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला..
- 15. तेरी गलियाँ, गलियाँ तेरी गलियाँ
- 16. अर्जियाँ दे रहा है दिल आओ..
- 17. कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर ..
- 18. पलकें ना भिगोना, ना उदास होना...नानी माँ
- 19. चार कदम बस चार कदम, चल दो ना साथ मेरे
- 20. सोने दो .. ख़्वाब बोने दो
- 21. सूहा साहा
- 22. सुनो ना संगमरमर
- 23. दिलदारा
- 24. पैर अनाड़ी ढूँढे कुल्हाड़ी
- 25. नैना नूँ पता है, नैना दी ख़ता है
- दावत ए इश्क़ वो ग्यारह रूमानी गीत जो अंतिम पच्चीस में स्थान बनाने से ज़रा से चूके