शनिवार, फ़रवरी 18, 2017

वार्षिक संगीतमाला 2016 पायदान # 9 : जो सांझे ख्वाब देखते थे नैना.. बिछड़ के आज रो दिए हैं यूँ ... Naina

आँख , नैन, नैना ना जाने अब तक कितने फिल्मी गीतों के मुखड़े का हिस्सा बनें होंगे। हाल फिलहाल में  फिल्म जय हो का तेरे नैना मार ही डालेंगे, दबंग 2 का  तेरे नैना दगाबाज़ रे और दबंग का तेरे मस्त मस्त दो नैन , खूबसूरत का नैना नू  पता है को आप नहीं भूले होंगे। पुराने गीतों की बात करें तो सबसे पहले उमराव जान का गीत इन आँखो् की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं से लेकर ये नयन डरे डरे तक फिल्मी मुखड़ों में इस शब्द और पर्यायों के इस्तेमाल की रिवायत चली आ रही है।



पर पिछले साल की सबसे सफल फिल्म दंगल के एक गीत में नैना शब्द का इस्तेमाल आठ अलग अलग भावों को व्यक्त करने में हुआ है। अगर बोलों की गुणवत्ता की बात करूँ तो अमिताभ भट्टाचार्य का लिखा ये नग्मा साल के सबसे अच्छे लिखे हुए गीतों में से एक होगा। इस दर्द से भरे मधुर गीत को आवाज़ दी है अरिजीत सिंह ने और इसे संगीतबद्ध किया है प्रीतम ने।

पिता और पुत्री के बीच खेल की तकनीक से लेकर रहन सहन और अनुशासन के तौर तरीकों से उपजे तनाव को अमिताभ अपनी लेखनी से इस गीत में जीवंत करते नज़र आते हैं। ये गीत उस पिता और बेटी की कहानी कहता है जो एक सा ख़्वाब दिल में पाले हुए एक लक्ष्य की ओर साथ साथ बढ़ते हैं, मेहनत कर पसीना बहाते हैं पर  मंजिल के पास आ कर दो अलग रास्तों पर चल पड़ते हैं। ऐसी हालत में पिता की पीड़ा अरिजीत अपनी आवाज़ में यू समाहित कर लेते हैं कि उन्हें सुन कर वो हर अभिभावक को अपनी सी लगने लगती है।

प्रीतम का संगीत संयोजन एक बार फिर गिटार के इर्द गिर्द घूमता है। गीत के शब्द इतने दमदार हैं कि प्रीतम ने वाद्यों का स्तर न्यूनतम रखा है। इंटरल्यूड्स व गीत के अंतरों में डफली, गिटार के साथ एकार्डियन का प्रयोग भी भला लगता है। अरिजीत सिंह इस संगीतमाला में तीसरी बार दाखिल हो रहे हैं और आगे भी होते रहेंगे। कहना ना होगा कि ये साल उनके व अमिताभ भट्टाचार्य के लिए बेहतरीन सालों में से एक रहा है। तो चलिए सुनते हैं ये गीत जिसे शायद आपने फिल्म देखते हुए उतना ध्यान नहीं दिया हो...

झूठा जग रैन बसेरा, साँचा दर्द मेरा
मृग-तृष्णा सा मोह पिया, नाता मेरा तेरा

नैना.. जो सांझे ख्वाब देखते थे
नैना.. बिछड़ के आज रो दिए हैं यूँ
नैना.. जो मिलके रात जागते थे
नैना.. सहर में पलकें मीचते हैं यूँ


जुदा हुए कदम, जिन्होंने ली थी ये कसम
मिलके चलेंगे हर दम, अब बाँटते हैं ये ग़म
भीगे नैना.. जो खिड़कियों से झाँकते थे
नैना.. घुटन में बंद हो गए
हैं यूँ

साँस हैरान है, मन परेशान है
हो रही सी क्यूँ रुआँसा ये मेरी जान है
क्यूँ निराशा से है, आस हारी हुई
क्यूँ सवालों का उठा सा, दिल में तूफ़ान है
नैना.. थे आसमान के सितारे
नैना.. ग्रहण में आज टूटते हैं यूँ
नैना.. कभी जो धूप सेंकते थे
नैना.. ठहर के छाँव ढूँढते हैं यूँ


जुदा हुए कदम, जिन्होंने ली थी ये कसम
मिलके चलेंगे हर दम, अब बाँटते हैं ये ग़म
नैना.. जो सांझे ख्वाब देखते थे
नैना.. बिछड़ के आज रो दिए हैं यूँ


वार्षिक संगीतमाला  2016 में अब तक 
10. आवभगत में मुस्कानें, फुर्सत की मीठी तानें ... Dugg Duggi Dugg
11.  ऐ ज़िंदगी गले लगा ले Aye Zindagi
12. क्यूँ फुदक फुदक के धड़कनों की चल रही गिलहरियाँ   Gileheriyaan
13. कारी कारी रैना सारी सौ अँधेरे क्यूँ लाई,  Kaari Kaari
14. मासूम सा Masoom Saa
15. तेरे संग यारा  Tere Sang Yaaran
16.फिर कभी  Phir Kabhie
17 चंद रोज़ और मेरी जान ...Chand Roz
18. ले चला दिल कहाँ, दिल कहाँ... ले चला  Le Chala
19. हक़ है मुझे जीने का  Haq Hai
20. इक नदी थी Ek Nadi Thi



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8 टिप्पणियाँ:

रंजन कुमार शाही on फ़रवरी 18, 2017 ने कहा…

अरिजीत के साँस लेने का तरीका खटकता है।

Manish Kumar on फ़रवरी 18, 2017 ने कहा…

रंजन हाँ गीत की आख़िर में खासकर ऐसा महसूस होता है पर गीत की भावनाओं में गर डूब जाएँ तो ये कमी शायद ही खलती है।

Smita Jaichandran on फ़रवरी 18, 2017 ने कहा…

Another beautiful number from the album!!

Manish Kumar on फ़रवरी 18, 2017 ने कहा…

Absolutely Smita !

Manish Kaushal on फ़रवरी 20, 2017 ने कहा…

लगता है अरिजीत सिंह और अमिताभ भट्टाचार्य इस बार गीतमाला में छाये हुए है..बहुत सुन्दर गीत..

Manish Kumar on फ़रवरी 20, 2017 ने कहा…

हाँ और आगे भी छाए रहेंगे..खासकर अमिताभ !

Pratima Sharan on फ़रवरी 20, 2017 ने कहा…

Beautiful song.. Loved it.

Manish Kumar on फ़रवरी 20, 2017 ने कहा…

Nice to know Pratima that u liked it too :)

 

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