मंगलवार, नवंबर 04, 2025

आख़िर हमारी महिला क्रिकेट टीम ने जीत ही लिया विश्व कप 2025!

ये क्रिकेट विश्व कप भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए perfect नहीं था। बड़े उतार चढ़ाव का सामना किया इस टीम ने। शुरुआती मैच में कमजोर विपक्ष के सामने आपके स्टार खिलाड़ी नहीं चले पर मध्यक्रम ने आपको बचा लिया। फिर आई बारी प्रतियोगिता की तीन बड़ी टीमों  ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका की और हमारी टीम ने हर मैच में काफी समय तक मजबूत स्थिति में रहने के बाद भी लगातार तीनों मैच गंवा दिया।

भारतीय महिला टीम के साथ जीती हुई परिस्थितियों मैं मैच गंवाने का सिलसिला नया नहीं है। यूं तो इस टीम ने इससे पहले 2005 और फिर 2017 में फाइनल में प्रवेश किया पर जिस तरह ये टीम 2017 में इंग्लैंड के खिलाफ मैच हारी उसने मेरा इस टीम पर विश्वास डगमगा दिया था। भारत को तब जीत के लिए सात ओवरों में मात्र 38 रन बनाने थे और उसके सात विकेट गिरने बाकी थे, पर इस टीम ने अपने सातों विकेट मात्र 28 रन और बनाकर लुटा दिए और भारत केवल 9 रनों से वो जीता हुआ मैच हार गया।

इस प्रतियोगिता में भी इस टीम में वही खामियां नज़र आ रही थीं जो सालों से इस टीम को हुनरमंद टीम से चैंपियन टीम बनने से रोक रही थीं। खराब क्षेत्ररक्षण, विकटों के बीच रंग भागने के लिए धीमी दौड़, बीच और आखिर के ओवरों में लचर गेंदबाजी, तीस ओवर से ज्यादा बैटिंग करने पर फिटनेस से जूझते बल्लेबाज।

फिर भी हमारी टीम ने विश्व कप जीत लिया क्योंकि जब जब हम करो या मरो वाली स्थिति में पहुंचे किसी न किसी ने अपना शानदार खेल दिखा कर मामला संभाल लिया। श्रीलंका के खिलाफ अमनजोत कौर, न्यूजीलैंड के खिलाफ  स्मृति मंधाना और प्रतिका रावल की सलामी जोड़ी, सेमीफाइनल में जेमिमा, हरमनप्रीत के साथ ऋचा घोष और दीप्ति शर्मा और फिर फाइनल में में शेफाली वर्मा और दीप्ति शर्मा का किरदार यादगार रहा। अभी साल भर के अंदर टीम में शामिल हुई श्री चरनी ने भी अपनी धारदार स्पिन गेंदबाजी से कई जमती हुई साझेदारियां तोड़ीं।

फाइनल में भी अहम मौकों पर दोनों टीमों ने कैच छोड़े पर ज़मीनी क्षेत्ररक्षण में सभी ने जी जान लगा दी। पूरी टीम गेंद की दिशा में अपने शरीर को झोंकती नज़र आई। भारतीय बैटिंग तो कल मैंने पूरी देखी पर उसके बाद जब जब टीवी खोलता कुछ न कुछ ऐसा होता कि टीवी बंद करना पड़ता। और मजे की बात ये कि बंद करने के बाद ही कोई नया विकेट गिर जाता और फिर से आशा बंध जाती। राधा यादव द्वारा लगातार दो छक्के पिटवाने के बाद तो लगा कि अब तो प्रार्थना के अलावा कोई चारा नहीं है। पर जैसे ही अमनजोत ने दक्षिण अफ्रीकी कप्तान के छूटे हुए कैच को अपने तीसरे प्रयास में पकड़ा तो जान में जान आई कि हां अब बिना किसी तनाव के टीवी खोल के देखा जा सकता है।

जितना आनंद आखिरी विकेट को देखते हुए आया उससे कहीं अधिक जीत के बाद वर्तमान और भूतपूर्व खिलाड़ियों के भावनात्मक उद्गार को देख कर। सेमीफाइनल में जेमिमा का सबके सामने अपने anxiety attacks के बारे में खुल कर बोलना, हरमन का कोच की डांट के बारे में उनकी नकल उतारते हुए बताना, फाइनल में जीत के बाद हरमन का कोच अमोल मजूमदार का पैर छूना, प्रतिका रावल का व्हील चेयर पर बैठकर  जीत के जश्न में शामिल होना, झूलन का हरमन और स्मृति के साथ गले लगा कर रोना इस विश्व कप के कुछ ऐसे पल थे जो मुझे हमेशा याद रहेंगे। इसमें कोई शक नहीं कि हमारी महिला क्रिकेट टीम एक ऐसे परिवार की तरह है जिसका हर सदस्य एक दूसरे का ख्याल रखता है और एक दूसरे की उपलब्धि को जश्न की तरह मनाता है। इस टीम ने विश्व कप का सपना देखा, अपनी क्षमताओं पर यकीन किया और जब जरूरत पड़ी तो अपना उत्कृष्ट खेल दिखा कर विश्व कप जीतने के सपने को हक़ीक़त में बदल दिया।

निश्चय ही ये जीत सारे पूर्ववर्ती और आज के खिलाड़ियों के लिए एक ऐसा लम्हा है जिसे वो जीवन में शायद ही भूल पाएं। महिला क्रिकेट को निश्चय ही ये परिणाम नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा क्योंकि अभी भी हमारी टीम में सुधार की असीम संभावनाएं है। ऐसे भी अगर जीत का स्वाद एक बार लग जाए तो वो जल्दी नहीं छूटता।

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4 टिप्पणियाँ:

Rajeev Kumar Gupta on नवंबर 05, 2025 ने कहा…

Fabulous

Manish Kumar on नवंबर 05, 2025 ने कहा…

Thanks

Archna Singh on नवंबर 07, 2025 ने कहा…

So proud.

Manish Kumar on नवंबर 07, 2025 ने कहा…

Absolutely.

 

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