बुधवार, फ़रवरी 07, 2007

7 वीं पायदान : अजनबी शहर है, अजनबी शाम है...

सातवीं पायदान पर का गीत मुझे क्यूँ प्रिय है मुझे पता नहीं ! पर इतना जानता हूँ कि जैसे ही इसका मुखड़ा कानों में गूंजता है मन डूब सा जाता है एक अलग अहसास से... जिसे शब्दों में बाँधना मेरे लिए इस वक्त कठिन हो रहा है ।

सोनू निगम ने बड़ी खूबसूरती से गाया है इस गीत को खासकर शुरु की पंक्तियाँ में जब वो ऊपर की ओर अपनी सुरीली तान को खींचते हैं । और इसे अपनी मधुर धुन से संवारा है पहली बार इस गीतमाला में दाखिला ले रहे अनु मलिक ने । गीत के बीच में उन्होंने एक यूरोपीय नृत्य धुन का इस्तेमाल भी किया है ।

और इस तरह की पंक्तियाँ तो इस गीतमाला पर छाये गीतकार की तो खासियत ही हैं

बात है ये इक रात की, आप बादलों पे लेटे थे..
...सर्दी लग रही थी आपको,पतली चाँदनी लपेटे थे
और शाल में ख्वाब के सुलाया था

तो इस गुल को गुलशन करते गुलजार का फिल्म जानेमन के लिए लिखा गीत कुछ यूँ है ।
अजनबी शहर है, अजनबी शाम है
जिंदगीऽऽ अजनबीऽऽऽऽ, क्या तेराऽऽऽ नाम है ?
अजीब है ये जिंदगी ये जिंदगी अजीब है
ये मिलती है बिछड़ती है, बिछड़ के फिर से मिलती है
अजनबी शहर है, अजनबी शाम है

आप के बगैर भी हमें, मीठी लगें उदासियाँ
क्या, ये आपका, आपका कमाल है
शायद आपको खबर नहीं ,
हिल रही है पाँव की जमीं
क्या, ये आपका, आपका ख्याल है
अजनबीऽऽऽऽ शहर मेंऽऽ जिंदगी मिल गई
अजीब है ये जिंदगी, ये जिंदगी अजीब है
मैं समझा था करीब है, ये औरों का नसीब है

अजनबी शहर है, अजनबी शाम है
बात है ये इक रात की, आप बादलों पे लेटे थे
हुं वो याद है आपने बुलाया था
सर्दी लग रही थी आपको,पतली चाँदनी लपेटे थे
और शाल में ख्वाब के सुलाया था
अजनबी ही सही, सांस में सिल गई
अजीब है ये जिंदगी ये जिंदगी अजीब है
मेरी नहीं ये जिंदगी रकीब का नसीब है ।


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5 टिप्पणियाँ:

अफ़लातून on फ़रवरी 08, 2007 ने कहा…

धन्यवाद,मनीषजी।सुना भी,फिर इसी कड़ी पर आ कर सुनूँगा।आप किस गीतमाला की बात कर रहे हैं ,पता नहीं।

Manish Kumar on फ़रवरी 08, 2007 ने कहा…

अफलातून जी
नमस्कार
दरअसल मैं पिछले साल के अपने २५ पसंदीदा गीतों की गीतमाला पेश कर रहा हूँ । यानि २५ वीं सीढ़ी से चढ़ते चढ़ते ७ वें पायदान यानी नंबर के गीत तक पहुँचा हूँ । आज आपको ये गीत सुनाई दे रहा है पर अगली पायदान के साथ वो बदल जाएगा ।

Udan Tashtari on फ़रवरी 08, 2007 ने कहा…

अच्छा है. चलो, अफलातून जी जान गये गीतमाला खत्म होने के पहले मतलब आपकी पापुलरटी जबरदस्त बढ़ रही है, छा गये आप तो!!! बधाईयां. अब मिठाई बांटो.

surjit singh on फ़रवरी 10, 2007 ने कहा…

A very good music site.But I am unable to listen to other songs except title song: Agnabi hai Zindgi:. Pl tell me.My good wishes.

Manish Kumar on फ़रवरी 11, 2007 ने कहा…

सुरजीत भाई मेरे चिट्ठे पर आपका स्वागत है । गीत आपको वही सुनाई देगा जिसके बारे में latest post लिखी गई है । बाकी हर पोस्ट के साथ नीचे उस गीत की लिंक दी गई है । आप उसपे क्लिक कर के उस गीत के web page पर पहु्चेगे जहां से आप online music का आनंद उठा सकते हैं ।

 

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