खबरी आए पत्रकारी झोले और अपनी खूबसूरत सी फ्रेंच कट दाढ़ी ले कर। अब बात पे ध्यान दें या दाढ़ी पर इसी पशोपेश में है :)। (चित्र अमित गुप्ता के सौजन्य से) बीच में दिख रहे हैं सजीव सारथी
तीन घंटे की चर्चा के बाद कमरे से बाहर का रास्ता लिया गया । मैथिली और अरुण तब तक जा चुके थे।
कॉफी और भाई लोग....
शैलेश और अमित के चेहरे की खुशी का राज क्या है ?
लो जी चर्चा कर-कर के बिलकुल पका दिया, अब जाकर आने वाला है कुछ असली माल !
जब भी तकनीक या पकवानों की बात हो अमित के चेहरे की चमक देखने लायक होती थी । अब यही् देखिए प्लेट खाली कर देने के बाद भी भोजन में कितने तल्लीन दिख रहे हैं हमारे अमित भाई :)
और लीजिए अपने को कैसे छोड़ दें। पूरे साल की बतकूचन छः घंटे में टिका दी । देखिए अमित की लेंस का कमाल ...कैसे मुँह फाड़ रहे हैं ;)
कुन्नूर : धुंध से उठती धुन
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आज से करीब दो सौ साल पहले कुन्नूर में इंसानों की कोई बस्ती नहीं थी। अंग्रेज
सेना के कुछ अधिकारी वहां 1834 के करीब पहुंचे। चंद कोठियां भी बनी, वहां तक
पहु...
5 माह पहले
12 टिप्पणियाँ:
अंतिम तस्वीर मस्त है.
अच्छी रही चित्र प्रदर्शनी. :)
अरे, पांचवी तस्वीर आपने कब चोरी छिपे ले डाली!! ;)
नोट: ध्यान दिया जाए, मेरी प्लेट खाली नहीं हुई थी!! ;)
हमे तो बस ये बताओ की हमारे हिस्से की काफ़ी और माल ( खाना ) किसने गटका (खाया).हमे वसूलना है
वाह! बढ़िया तस्वीरें हैं। आपने तो सबकी पोल खोल दी। :)
बहुत अच्छे रहे फोटो:)
ये बढिया रहा !
तस्वीरें बोलती हैं!
bahut ache pictures..:)
wow - this sounds wonderful :)
the last picture is smashing! too good...
चित्र पसंद करने के लिए आप सब का शुक्रिया। अमित ने जो अंतिम चित्र खींचा है वो ये दर्शाता हे कि वो एक बेहद कुशल फोटोग्राफर हैं और कैमरे के विविध कोणों के प्रयोग से चित्र में प्रभाव उत्पन्न करने की क्षमता रखते हैं। आशा है अगली मीट में भी वो अपना जौहर दिखलाएँगे।
WOW,...amazing! acchi lagi ye vritaant aur haan pictures to bahut hee khub splly moonh fadte huye hahaha
cheers
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