शनिवार, जनवरी 26, 2008

वार्षिक संगीतमाला २००७ : पायदान १४- चंदा रे, चंदा रे धीरे से मुसका..हौले से हौले से पलकों में छुप जा

तो सज्जनों गणतंत्र दिवस के इस पावन दिन पर जॉज संगीत से बाहर निकलते हैं और चलते हैं विशुद्ध मेलोडी की दुनिया में ! और यहाँ शान से खड़ा है १४ वीं पायदान का ये गीत जो उस गीत-संगीतकार जोड़ी का है जिसकी एक रचना रतिया अँधियारी रतिया..२००४ में मेरी वार्षिक गीतमाला का सरताज गीत बनी थी। इसे गाया है एक नई गायिका ने, जो पहली बार इस गीतमाला में दाखिल हो रही हैं। पर उनकी बात थोड़े देर में..।

चंदा यानि चाँद को संबोधित इस छोटे से गीत के मुख्य सितारे हैं इसके संगीतकार शान्तनु मोइत्रा । जैसे ही आप इस गीत के मुखड़े को सुनते हैं, मन अज़ीब सी शांति से तर जाता है और इसकी सुरीली पंक्तियों को गुनगुनाने के लोभ से अपने आपको मैं अलग नहीं रख पाता। 'परिणिता' के उस सरताज गीत और इस गीत में एक समानता तो जरूर है। और वो है पार्श्व में रह-रह कर बजते घुंघरुओं की झनझनाहट। गौर करने की बात है कि पीछे से हल्के हल्के बजता संगीत आपका ध्यान गीत के बोलों पर जमाए रखता है। बीच-बीच में आती बाँसुरी और तबले की संगत भी मन को आनंदित करती चलती है। तो आइए इस गीत के बोलों से पहले रूबरू हो लें

चंदा रे, चंदा रे धीरे से मुसका
हौले से हौले से
पलकों में छुप जा
हौले से हौले से... छन छन छन छन छन छन खन छना
बादल के झूले पे...खन खन खन खन खन खन खन खना
हौले से हौले से,बादल के झूले पे
मुसका
चंदा रे, चंदा .......छुप जा

अरे लुक्का छिपी खेले चंदा तारों के संग
कौन थामे डोरी, तू है किसकी पतंग
चंदा ओ रे चंदा तेरा कैसा गुरूर
हँस दे जरा सा बरसा दे तू नूर

चंदा रे, चंदा रे धीरे से मुसका
हौले से हौले से
पलकों में छुप जा




इस गीत के बोल लिखे हैं स्वानंद किरकिरे ने जो मेरी गीतमाला में हर साल ऊपर की पायदानों में अपना दखल अवश्य रखते हैं। स्वानंद की बात इस गीतमाला में आगे भी होगी पर अगर आपने गीत सुनना शुरु कर दिया है तो आपका ध्यान हवा के झोंके सी ताज़ी इस नई आवाज़ पर अवश्य गया होगा।


इसे गाया है पुणे में जन्मी ३५ वर्षीय हमसिका अय्यर ने जो गोरेगाँव, मुंबई निवासी हैं और १९९५ में सा रे गा मा... पे हिस्सा भी ले चुकी हैं। हमसिका के पिता संगीतज्ञ हैं और बांसुरी बजाते हैं। इस गीत को सुनने के कई घंटे बाद भी उनकी स्पष्ट गायिकी दिलो दिमाग में गूंजती रहती है। आशा है हमसिका आगे भी अपने गायन से संगीतप्रेमियों का दिल जीतती रहेंगी। तो आइए सुनें एकलव्य दि रॉयल गार्ड जो इस साल भारत की ओर से आस्कर पुरस्कारों के लिए आधिकारिक तौर पर नामांकित फिल्म है, के इस गीत को



इस संगीतमाला के पिछले गीत

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11 टिप्पणियाँ:

पारुल "पुखराज" on जनवरी 26, 2008 ने कहा…

madhur geet sunvaaney ka shukriyaa..manish ji

mamta on जनवरी 26, 2008 ने कहा…

वाकई इस गीत को सुनकर आश्चर्य भी होता है की इस तरह का संगीत आज के जमाने मे भी लोग बनाते है।

सागर नाहर on जनवरी 26, 2008 ने कहा…

शान्तनु मोईत्रा ने परिणिता में भी कमाल बताया था और इस गाने में .. वाह लाजवाब गीत।
गायिका और संगीतकार दोनों ने कमाल किया है।
धन्यवाद मनीष जी!

अमिताभ मीत on जनवरी 26, 2008 ने कहा…

वाह मनीष भाई. मस्त कर दिया आप ने. क्या बात है ...

Sajeev on जनवरी 27, 2008 ने कहा…

क्या बात है इस बार बहुत विस्तार से हर गाने को टटोला जा रहा है, आपने २५ से शुरू किया, अब तक मैं नही जुड़ पाया था पर आज पूरी लिस्ट देख ली है, अच्छे गाने चुने हैं, दीवानगी दीवानगी श्याद मशहूर है इसलिए लिस्ट में है, या आपको वाकई पसंद है, सईद कादरी को श्याद थोडी और तारीफ मिलनी चाहिए थी, इतने गानों में हिमेश को नदारद देखना अजीब लगा, नमस्ते london का संगीत जोरदार है

Anita kumar on जनवरी 27, 2008 ने कहा…

बहुत ही मधुर गीत है, हमें तो वैसे परिणीता के सभी गीत बहुत पसंद है। लेकिन जिस तरह आप गाने की सब डिटेलस की खोज बीन करते है वो उस गाने को और यादगार बना देता है, हम तो अक्सर पिक्चर का नाम भी भूल जाते हैं।
आज कल जो गीत हमारे जहन में धर किए बैठा है वो है 'हम तो ऐसे है भैया' अगर आप को भी पसंद आया हो तो सुनवायें, हमें उस गाने में छुपा ठसके वाला एटीटूड बहुत भाया।

Manish Kumar on जनवरी 27, 2008 ने कहा…

पारुल, ममता जी, मीत और सागर भाई गीत पसंद करने का शुक्रिया !
ममता जी ऍसे गीत बनते तो हैं पर उनकी संख्या कम है। ऍसे गीतों को सामंन्यतः नहीं सुन पाने का कारण यह भी कि ये जिन फिल्मों में रहते हैं वो ज्यादा चल नहीं पाती हैं और गीत संगीतकार की मेहनत बेकार चली जाती है

Manish Kumar on जनवरी 27, 2008 ने कहा…

सजीव पिछली बार जब दिल्ली में मिले थे तो आपसे कहा था कि ये गीतमाला मेरे चिट्ठे का सालाना हिस्सा है। रोमन चिट्ठे पर ये सिलसिला २००४ के गीतों से और हिंदी पर २००६ के गीतों से हर साल इसी अंदाज में जनवरी फरवरी में चलता है। अब चलिए आपके प्रश्नों का सिलसिलेवार उत्तर देता चलूँ।

१. गीतमाला की शुरुआत के गीत यानि २५ से २१ वाले गीत (Deewangi included...) को मैंने किसी हद तक enjoy किया है पर वो मेरे पसंदीदा गीतों की श्रेणी में नहीं आते इसलिए मैंने उन पर मनभावन गीत का टैग नहीं लगाया। वैसे लिस्ट में कोई भी गीत मशहूर होने से नहीं बल्कि मेरी पसंद की वज़ह से ही है। हाँ ये जरूर है कि मैं गीत के बोलों को मैं अपेक्षाकृत ज्यादा महत्त्व देता हूँ।


२. हीमेश रेशमिया को बतौर गायक मैं कुछ खास पसंद नहीं करता इसलिए वो आपको मेरी गीतमाला से नदारद ही दिखेंगे।

३. नमस्ते लंदन का संगीत अच्छा है और उसका एक गीत मेरी लिस्ट के शुरुआती दस गीतों में है।

४. सईद कादरी की बात से याद आया कि पिछले साल की गीतमाला में उनकी तारीफ पढ़ते हुए ही यूनुस भाई मेरे चिट्ठे पर पहुँचे थै। सो निश्चिंत रहें कादरी साहब की लेखन शैली का मैं भी प्रशंसक हूँ।:) मुस्तफ़ा ज़ाहिद के गीतों के बोल originally पाक में लिखे गए थे इसलिए कादरी साहब को वहाँ मैंने ज्यादा तवोज्जह नहीं दी थी।

शुक्रिया कि एक उदीयमान गीतकार की राय पढ़ने को मिली। आगे भी तुम्हारे विचार जानने की उत्सुकता रहेगी।

Manish Kumar on जनवरी 27, 2008 ने कहा…

अनीता जी इस पोस्ट मैं मैंने जिक्र किया है ना कि स्वानंद किरकिरे के गीतों की चर्चा आगे भी होती रहेगी। जो गीत आपके ज़ेहन में है वो भी स्वानंद जी का ही है और हमारी लिस्ट में भी हैं। उसका नंबर आते ही वो इस चिट्ठे पर बजाया जाएगा।

Unknown on जनवरी 28, 2008 ने कहा…

मनीष -पता नहीं क्यों ये गाना सुन के लगता है कि पुराने इक्के / तांगे के पीछे बैठ कर चल रहे हैं - स्वानंद किरकिरे के "लागा चुनरी में दाग" वाले गाने भी बहुत अच्छे हैं - " हमतो ऐसे हैं भईया" खासकर -rgds- मनीष

Urvashi on मार्च 05, 2008 ने कहा…

Hmm... I don't care for this song too much...

 

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