मंगलवार, फ़रवरी 03, 2009

वार्षिक संगीतमाला 2008 - पायदान संख्या 12 : जिंदगी जिंदगी क्या कमी रह गई, आँख की कोर में, क्यूँ नमी रह गई ?

वार्षिक संगीतमाला की बारहवीं पॉयदान पर गीत वो जिसे गाया एक केमिकल इंजीनियर ने, धुन बनाई रहमान ने और गीत के बोल लिखे गुलज़ार ने। फिल्म का नाम तो आप पहचान ही गए होंगे जी हाँ युवराज । रही बात गायक की तो ये कोई नए नवेले गायक नहीं। सबसे पहले मैं इनकी आवाज़ का क़ायल हुआ था फिल्म दिल चाहता है के गीत कैसी है ये रुत की जिसमें.. से । फिर लगान के गीत मितवा में उदित नारायण का इन्होंने बखूबी साथ दिया था। इसके आलावा सपने और Earth 1947 के गीतों को ये अपनी आवाज़ दे चुके हैं।


ये हैं श्रीनिवास ! कनार्टक संगीत में दक्ष इस गायक को अपने सपने को पूरा करने में दस साल लग गए। तो क्या था इनका सपना? श्रीनिवास का सपना था इलयराजा के संगीत निर्देशन में गाना गाना। पर इनका शौक जब तक अंजाम तक पहुँचता तब तक रोज़ी रोटी का ज़रिया भी तो ढूँढना था। सो टेक्सटाइल उद्योग में नौकरी कर ली पर संगीत से अपना नाता नहीं तोड़ा। और बदकिस्मती ये कि जब पहली बार इलइराजा ने गाने का मौका देना चाहा तो गले में संक्रमण के चलते वो मौका गवाँ बैठे। पर जहाँ प्रतिभा हो वहाँ मौके तो मिलेंगे ही । श्रीनिवास ने अपने अगले मौके का भरपूर उपयोग किया और तमिल फिल्म उद्योग की जानी पहचानी आवाज़ बन बैठे।

ए आर रहमान की खासियत है कि वो नए प्रतिभावान चेहरों को हिंदी फिल्म जगत में मौके देते रहते हैं। आपको याद होगा कि फिल्म गुरु में तेरे बिना तेरे बिना बेसुवादी रतियाँ में उन्होंने चिन्मयी को मौका दिया था और इस साल जावेद अली, राशिद अली और इस गीत में श्रीनिवास को अपना हुनर दिखाने का उन्होंने मौका दिया है।

जब भी युवराज का ये गीत सुनता हूँ तो श्रीनिवास की आवाज़ की खनक और स्पष्टता सीधे दिल में उतर जाती है। तो आइए सुनें एकाकीपन के लमहों को बयाँ करता ये उदास नग्मा



जिंदगी जिंदगी क्या कमी रह गई
आँख की कोर में, क्यूँ नमी रह गई
तू कहाँ खो गई..........
तू कहाँ खो गई, कोई आया नहीं
दोपहर हो गई, कोई आया नहीं
जिंदगी जिंदगी...

दिन आए दिन जाए,
सदियाँ भी गिन आए, सदियाँ रे....
तनहाई लिपटी है
लिपटी है साँसों की रस्सियाँ रे
तेरे बिना बड़ी प्यासी हैं
तेरे बिना हैं प्यासी रे
नैनों की दो सखियाँ रे
तनहा रे.. मैं तनहा रे
जिंदगी जिंदगी क्या कमी रह गई....

सुबह का कोहरा है
शाम की धूल है तनहाई
रात भी ज़र्द है
दर्द ही दर्द है रुसवाई
कैसे कटें साँसें उलझी हैं
रातें बड़ी झुलसी झुलसी हैं
नैना कोरी सदियाँ रे, तनहा रे
जिंदगी जिंदगी क्या कमी रह गई....



और ये है इस गीत का वीडिओ यू ट्यूब पर

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4 टिप्पणियाँ:

Udan Tashtari on फ़रवरी 03, 2009 ने कहा…

श्रीनिवास केमिकल इंजीनियर है, यह आज ज्ञात हुआ. आभार. गीत मस्त है.

Abhishek Ojha on फ़रवरी 03, 2009 ने कहा…

युवराज के गाने तो बहुत पसंद है और ये गाना भी. हमने तो ये कभी ध्यान ही नहीं दिया था की किसने गाया है :-)

याज्ञवल्‍क्‍य on फ़रवरी 04, 2009 ने कहा…

शानदार मजा आ गया।

Urvashi on फ़रवरी 05, 2009 ने कहा…

This is a lovely song! The movie was really bad, but all the songs are good! It's very rare (especially for me) to like each and every song in a movie! All the songs in Yuvraaj are definitely good!

 

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