गुरुवार, फ़रवरी 19, 2009

वार्षिक संगीतमाला 2008 :पायदान संख्या 7 - आइए डूबें श्रेया और राहत के साथ मेलोडी की दुनिया में !

वार्षिक संगीतमाला की सातवीं पॉयदान पर भी मेलोडी उसी तरह बह रही है जैसी पिछली पॉयदान पर थी अंतर सिर्फ इतना कि पिछली सीढ़ी पर जहाँ रूप कुमार राठौड़ सुरों की गंगा बहा रहे थे वहीं आज की इस पॉयदान पर कोकिल कंठी श्रेया घोषाल विराजमान है।
सा रे गा मा जैसे म्यूजिकल टैलंट हंट (Musical Talent Hunt) की उपज श्रेया को गाने का पहला मौका संजय लीला भंसाली ने देवदास में दिया था और उसके बाद इस प्रतिभाशाली गायिका ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा है। सिंह इज किंग के इस युगल गीत में श्रेया का साथ दिया हैं जनाब राहत फतेह अली खाँ साहब ने। श्रेया की मीठी रूमानी आवाज़ के पार्श्व से जब राहत जी की बुलंद आवाज़ उभरती है तो इन दोनों आवाजों का संगम एक समां बाँध देता है जिसकी तासीर घंटों ज़ेहन में विद्यमान रहती है।

प्रीतम यूँ तो धुनों की चोरी के लिए बदनाम हैं पर हर साल वो कुछ ऍसी जबरदस्त धुनें भी देते हैं जिससे आश्चर्य होता है कि इतने प्रतिभाशाली होने के बावज़ूद धुन बनाने के लिए बारहा इन्हें inspired क्यूँ होना पड़ता है ? इस गीत के बोल लिखे हैं मयूर सूरी ने जो एक नवोदित गीतकार के साथ साथ संवाद लेखन का भी काम करते हैं। मयूर और प्रीतम की जोड़ी ने इससे पहले भी फिल्म प्यार के साइड एफेक्ट्स में एक कमाल का गीत जाने क्या चाहे मन बावरा... दिया था जो मुझे प्रीतम की सबसे दिलअजीज़ रचना लगती है।
तो आइए डालें इस गीत के बोलों पर एक नज़र और सुनें ये प्रेम से ओतप्रोत ये गीत...



दिल खो गया, हो गया किसी का...
अब रास्ता मिल गया खुशी का...
आँखों में है ख्वाब सा किसी का...
अब रास्ता मिल गया खुशी का...
रिश्ता नया रब्बा, दिल छू रहा है
खींचे मुझे कोई डोर तेरी ओर
तेरी ओर, तेरी ओर, तेरी ओर हाय रब्बा
तेरी ओर, तेरी ओर, तेरी ओर...
तेरी ओर, तेरी ओर, तेरी ओर हाय रब्बा
तेरी ओर, तेरी ओर, तेरी ओर ....

खुलती फिजाएँ खुलती घटाएँ ...
सर पे नया है आसमां .......
चारों दिशाएँ , हँसके बुलाएँ ...
वो सब हुये हैं मेहरबा......

हमें तो यही रब्बा , कसम से पता है
दिल पे नहीं कोई जोर, कोई जोर...
तेरी ओर,.......

इक हीर थी और, था एक रांझा ....
कह्ते हैं मेरे गाँव में ...
सच्चा हो दिल तो सौ मुश्किलें हो....
झुकता नसीबा पाँव में .....
आँचल तेरा रब्बा फलक़ बन गया है
अब इसका नहीं कोई ओर कोई छोर
तेरी ओर..................दिल खो.....

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8 टिप्पणियाँ:

शोभा on फ़रवरी 19, 2009 ने कहा…

इतने भावपूर्ण गीत और श्रेया की मधुर आवाज़ में सुनवाने के लिए आभार।

Archana Chaoji on फ़रवरी 19, 2009 ने कहा…

manish ji mai bhi rachana ki tarah pidit hu ,par yaha nai hu to laga tha aisa hi hota hoga.
waise gaano ke liye bahut dhanyawad.
ek baat aur "jindagi yado ka karwa hai-------- bahut khub mera safar bhi inhi gito ke sahare katata hai.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` on फ़रवरी 19, 2009 ने कहा…

आपकी पसँद के गीत सुनकर मन प्रसन्न हो गया है मनीष भाई ~~~
ये शृँखला बढिया चल रही है !
स्नेह सहित
- लावण्या

Abhishek Ojha on फ़रवरी 20, 2009 ने कहा…

खनकती आवाज में एक बढ़िया गीत.

कंचन सिंह चौहान on फ़रवरी 20, 2009 ने कहा…

बहुत ही सुरीला गीत है ये....!

Urvashi on फ़रवरी 24, 2009 ने कहा…

One of the best songs of 2008!
BTW, the audio clip is for 'Tujhe mein rab dikhta hai'...

Manish Kumar on फ़रवरी 27, 2009 ने कहा…

अर्चना जी आपकी और रचना जी की समस्या समझ नहीं आ रही क्यूँकि बाकी लोगों से पूछ कर देखा था। अब एक ही उपाय है कि आप एक समय में एक particular post ही देखें।

Manish Kumar on फ़रवरी 27, 2009 ने कहा…

उर्वशी आडियो की गलती की ओर ध्यान दिलाने का शुक्रिया। उसे दुरुस्त कर दिया है।

 

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