शुक्रवार, जनवरी 08, 2010

वार्षिक संगीतमाला 2009 - पायदान संख्या 24 - कहाँ से आई ये मसककली ?

वार्षिक संगीत माला की 24 वीं पायदान पर स्वागत कीजिए मोहित चौहान, ए आर रहमान और प्रसून जोशी की तिकड़ी का। इस तिकड़ी का ही कमाल है कि मसककली के माध्यम से इन्होंने कबूतर जैसे पालतू पक्षी की ओर हम सबका ध्यान फिर से आकर्षित कर दिया।:)

वैसे पुरानी दिल्ली की छतों पर तो नहीं पर कानपुर के अपने ननिहाल वाले घर में कबूतरों को पालने और पड़ोसियों के कबूतर को अपनी मंडली में तरह तरह की आवाज़े निकालकर आकर्षित करने के जुगाड़ को करीब से देखा है। इतना ही नहीं शाम के वक़्त उन्हीं आवाजों के सहारे झरोखों से मसककलियों को भी निकलते देख बचपन में मैं हैरान रह जाता और सोचता क्या ये गुर मामा हमें भी सिखाएँगे।

आप भी सोच रहे होंगे कि गीत के बारे में कुछ बातें ना कर ये मैं क्या कबूतरों की कहानी ले कर बैठ गया। अब क्या करें पहली बार जब टीवी के पर्दे पर मसकली को सलोनी सोनम कपूर के ऊपर फुदकते देखा तो मन कबूतर कबूतरी की जोड़ी पर अटक गया और गीत के बोल उनके पीछे भटक गए। गीत सुनते समय मुझे ये लगा था कि पहले अंतरे में मनमानी मनमानी कहते कहते मोहित की आवाज़ वैसे ही अटक गई है जैसे पुराने रिकार्ड प्लेयरों की अटकती थी।

वो तो भला हो कलर्स (Colors) वालों का जिन्होंने दिसंबर के महिने में जब ये फिल्म दिखाई तो फिर इस गीत को गौर से सुनने का मौका मिला। ये भी समझ आया कि प्रसून कबूतर के साथ कम और नायिका रूपी कबूतरी से ज्यादा बातें कर रहे हैं इस गीत के माध्यम से। प्रसून की विशेषता है कि उनका हिन्दी भाषा ज्ञान आज के गीतकारों से कहीं ज्यादा समृद्ध है। इसलिए वो जब प्यारे किंतु सहज हिंदी शब्दों का चयन अपने गीतों में करते हैं तो गीत निखर उठता है। पर कहीं कहीं मीटर से बाहर जाने की वज़ह से गीत को निभाने में जो कठिनाई आई है उसे मोहित चौहान ने चुनौती के रूप में लेकर एक बेहतरीन प्रयास किया है।

वैसे आप ये जरूर जानने को उत्सुक होंगे कि ये मसककली शब्द आया कहाँ से । इस गीत की उत्पत्ति के बारे में प्रसून ने 'मिड डे' को दिए अपने एक साक्षात्कार में बताया था

'मसककली' शब्द का निर्माण तो अनायास ही हो गया। रहमान अपनी एक धुन कंप्यूटर पर बजा रहे थे कि उनके मुँह से ये शब्द निकला। मैंने पूछा ये क्या है तो वो मुस्कुरा दिए। पर वो शब्द मेरे दिमाग में इस तरह रच बस गया कि मैंने उसे अपने गीत में इस्तेमाल करने की सोची और इसीलिए कबूतर का नाम भी मसककली रखा गया़।

और तो और एक मजेदार तथ्य ये भी है कि प्रसून के इस गीत ने लका प्रजाति के कबूतरों के दाम दिल्ली के बाजारों में आठ गुना तक बढ़ा दिए और लोग विदेशी कबूतरों से ज्यादा इसे ही लेने के पीछे पड़े रहे।

तो मोहित चाहौन की गायिकी और रहमान की धुन की बदौलत से ये गीत जा पहुँचा है मेरी इस गीतमाला की 24 वीं पायदान पर। तो इस गीत को सुनिए देखिए कहीं मसककली की तरह आपका मन हिलोरें हिलोरें लेते लेते फुर्र फुर्र करने के लिए मचल ना उठे।




ऐ मसककली मसककली, थोड़ा मटककली मटककली
ऐ मसकली मसा मसा कली, थोड़ा मटककली मटककली

ज़रा पंख झटक गई धूल अटक
और लचक मचक के दूर भटक
उड़ डगर डगर कस्बे कूचे नुक्कड़ बस्ती
तड़ी से मुड़ अदा से उड़
कर ले पूरी दिल की तमन्ना, हवा से जुड़ अदा से उड़
पुर्र भुर्र भुर्र फुर्र, तू है हीरा पन्ना रे
मसककली मसककली, थोड़ा मटककली मटककली


घर तेरा सलोनी, बादल की कॉलोनी
दिखा दे ठेंगा इन सबको जो उड़ना ना जाने
उड़ियो ना डरियो कर मनमानी मनमानी मनमानी
बढ़ियो ना मुड़ियो कर नादानी
अब ठान ले , मुस्कान ले, कह सन ननननन हवा
बस ठान ले तू जान ले,कह सन ननननन हवा

ऐ मसककली मसककली, थोड़ा मटककली मटककली
ऐ मसकली मसा मसा कली, थोड़ा मटककली मटककली

तुझे क्या गम तेरा रिश्ता, गगन की बाँसुरी से है
पवन की गुफ़्तगू से है, सूरज की रोशनी से है

उड़ियो ना डरियो कर मनमानी मनमानी मनमानी
बढ़ियो ना मुड़ियो कर नादानी

ऐ मसकली मसकली, उड़ मटककली मटककली
ऐ मसकली मसा मसा कली, उड़ मटकली मटकली
अब ठान ले , मुस्कान ले, कह सन ननननन हवा
बस ठान ले तू जान ले,कह सन ननननन हवा


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12 टिप्पणियाँ:

सागर on जनवरी 08, 2010 ने कहा…

Behtareen...

सागर on जनवरी 08, 2010 ने कहा…

and interesting also.

Priyank Jain on जनवरी 08, 2010 ने कहा…

masakali----mast
good song

गौतम राजऋषि on जनवरी 08, 2010 ने कहा…

एक और मजेदार लिरिक वाला गीत...कितनी बार इस गीत को सुना होगा लेकिन आज पहली बार सारे शब्द इतने स्पष्ट उच्चरित कर पा रहा हूँ।

शुक्रिया मनीष जी

राज भाटिय़ा on जनवरी 08, 2010 ने कहा…

बहुत सुंदर जानकारी

सुशील छौक्कर on जनवरी 09, 2010 ने कहा…

मनीष जी ये गाना मेरी बेटी को बहुत पसंद है। बस मसकली मसकली बोलती फिरती है। और पता नही कितनी बार फरमाईश करती है एक दिन में। वैसे गाने के बोल पूरे आज ही पता चले। वैसे मुझे गेंदा फूल वाला गाना बहुत बहुत ..... पसंद है।

Abhishek Ojha on जनवरी 10, 2010 ने कहा…

बहुत अच्छा गीत है पर इस फिल्म का गेंदा फूल मुझे भी ज्यादा पसंद है.

Manish Kumar on जनवरी 10, 2010 ने कहा…

अभिषेक जी सुशील भाई आपकी तरह मुझे भी गेंदा फूल पसंद है। ज़ाहिर है उसका नंबर आने में अभी वक़्त है।:)

Alapana on जनवरी 10, 2010 ने कहा…

One of my fav songs in 2009. Mohit is a wonderful singer.

कंचन सिंह चौहान on जनवरी 11, 2010 ने कहा…

इस गीत की भी धुन कर्णप्रिय है और ना चाहते हुए भी ये होंठों पर आने वाला गीत है। इस गीत को आप अकेले में डूब कर (I mean मैं) सीरियसली नही गा सकते मगर खाना बनाते समय, बाईक चलाते समय ये गाना यूँ ही ज़ुबान पर आ जाने वाले गीतों में है।

मगर साथ ही ये गीत गाने में बहुत टफ भी है...! मोहित जी ने इस गीत को जो अंदाज़ दिया है वो काबिल ए तारीफ है।

Manish Kumar on जनवरी 16, 2010 ने कहा…

कंचन बिल्कुल सहमत हूँ आपके आकलन से !

Unknown on दिसंबर 05, 2010 ने कहा…

Wow bhut badhiya aaklan kiya hai aapne.......take care Manish Bhai.

 

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