शुक्रवार, जनवरी 01, 2010

चेतन भगत पर की गई अशोभनीय टिप्पणी पर आमिर खान को खुला ख़त !

आमिर जी,
आपके जीवन मूल्यों, आपकी अदाकारी, एक इंसान के रूप से आपकी सोच का हमेशा से क़ायल रहा हूँ। पर आज चेतन भगत के वक्तव्य को 'पब्लिसिटी स्टंट' कह आपने अपनी छवि इस देश के प्रबुद्ध वर्ग में धूमिल की है। आप लोगों ने इतनी मेहनत से एक लाजवाब फिल्म बनाई। सच मानिए फिल्म देखने के बाद हम सब बहुत खुश थे पर एक बात सभी सोच रहे थे कि यूँ तो स्क्रिप्ट में काफी बदलाव किया गया है फिर भी इसका प्रेरणा स्रोत फाइव प्वाइंट समवन (Five Point Someone) ही है। हम लोग तो ये समझ रहे थे कि चेतन को विश्वास में लेकर ही आप लोगों ने ही ये फिल्म प्रदर्शित की होगी। पर आज मीडिया चैनलों में इस विषय पर खबरें देखीं तो दिल उद्वेलित हो उठा।

मैंने किताब भी पढ़ी है और आपकी फिल्म भी देखी है। ये मेरा मानना है कि अगर फाइव प्वायंट समवन (Five Point Someone) नहीं लिखी गई होती तो थ्री इडियट्स (Three Idiots) की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। चेतन की किताब की मूल भावना और विषय को लेकर ही ये फिल्म लिखी गई। यहाँ तक कि इसके किरदारों का स्वभाव और चरित्र और कुछ प्रसंग भी फिल्म में लिए गए। इसमें कोई शक नहीं कि इसकी स्क्रिप्ट में यथासंभव बदलाव कर फिल्मी जामा पहनाने का काम पटकथा लेखक ने किया है। उनकी ओर से डाले हुए इनपुट ने फिल्म को और सशक्त बनाने में खासा योगदान दिया है। पर इसका मतलब ये नहीं कि चेतन भगत के योगदान का फिल्म में कोई जिक्र ही ना हो। अगर फिल्म के निर्माता निर्देशक फिल्म के शुरु होने पर चेतन की किताब का जिक्र क्रेडिट के साथ कर देते तो उससे पटकथा लेखकों का कद छोटा नहीं हो जाता।

एक मेकेनिकल इंजीनियर होने के नाते जिसने हॉस्टल लाइफ और कॉलेज में पढ़ाई के तरीकों को करीब से देखा है हम चेतन भगत के आभारी रहे हैं जिन्होंने इस विषय को सबसे पहले चुन कर इतने सलीके से एक उपन्यास की शक्ल दी। आज भारत के लाखों लोग ये किताब पढ़ चुके और इससे उतना ही आनंद उठा चुके हैं जितना आपकी फिल्म से। ये किताब भारत के युवाओं में खासी लोकप्रिय है। और आप कहते हैं कि चेतन ने इस विषय में अपनी आवाज़ पब्लिसिटी स्टंट के लिए उठाई।

जैसा कि आपके पूर्व के साक्षात्कारों से जान चुका हूँ कि आपने ये किताब नहीं पढ़ी। फिर बिना किताब पढ़े और चेतन के आरोप की विश्वसनीयता को जाँचे परखे आपने ऐसा वक्तव्य कैसे दे दिया? आप जैसे विनम्र और तार्किक सोच रखने वाले व्यक्ति को ये शोभा नहीं देता। आपके इस कृत्य से मेरे दिल को गहरी ठेस पहुँची है इसलिए अपना विरोध यहाँ दर्ज कर रहा हूँ। आशा है आप अपने एक प्रशंसक की भावनाओं को समझेंगे और इस मुद्दे पर ठंडे दिमाग से विचार कर वो करेंगे जिसके लिए आपका दिल गवाही दे सके।

मनीष कुमार
सेल, राँची
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36 टिप्पणियाँ:

अफ़लातून on जनवरी 01, 2010 ने कहा…

नैतिकता के सन्दर्भ में आमिर ख़ान से बहुत उम्मीद मत रखिए, मनीषजी ।

L.Goswami on जनवरी 01, 2010 ने कहा…

सहमत.

विनोद कुमार पांडेय on जनवरी 01, 2010 ने कहा…

बिल्कुल सच बात आमिर ख़ान जी को एक बार किताब पढ़नी चाहिए उसके बाद कोई टिप्पणी देते मौलिक कहानी तो चेतन भगत जी की ही है...तो ज़रूर इस बात का श्रेय उन्हे मिलना चाहिए...बढ़िया प्रसंग.. मनीष जी धन्यवाद!!

राज भाटिय़ा on जनवरी 01, 2010 ने कहा…

आप के लेख से सहमत है जी

Kulwant Happy on जनवरी 01, 2010 ने कहा…

मैं आपसे सहमत हूँ। पूरी तरह सहमत हूँ।

सर्वोत्तम ब्लॉगर्स 2009 पुरस्कार

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर on जनवरी 01, 2010 ने कहा…

नये वर्ष की शुभकामनाओं सहित

आपसे अपेक्षा है कि आप हिन्दी के प्रति अपना मोह नहीं त्यागेंगे और ब्लाग संसार में नित सार्थक लेखन के प्रति सचेत रहेंगे।

अपने ब्लाग लेखन को विस्तार देने के साथ-साथ नये लोगों को भी ब्लाग लेखन के प्रति जागरूक कर हिन्दी सेवा में अपना योगदान दें।

आपका लेखन हम सभी को और सार्थकता प्रदान करे, इसी आशा के साथ

डा0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर

जय-जय बुन्देलखण्ड

अजय कुमार झा on जनवरी 01, 2010 ने कहा…

अफ़लातून जी ने तो सारी बात का निचोड ही एक पंक्ति में कह दिया , अच्छा किया जो आपने लिखा

इस नए साल पर आपको, आपके परिवार एवं ब्लोग परिवार के हर सदस्य को बहुत बहुत बधाई और शभकामनाएं । इश्वर करे इस वर्ष सबके सारे सपने पूरे हों और हमारा हिंदी ब्लोग जगत नई ऊंचाईयों को छुए ॥

विवेक रस्तोगी on जनवरी 01, 2010 ने कहा…

सब चोर हैं, ईमानदार केवल वो है जिसे चोरी करने का मौका न मिला हो।

चेतन भगत बनाम आमिर खान on जनवरी 01, 2010 ने कहा…

स्टार न्यूज़ पर दिखाई यह खबर अगर सही है तो जोशी साहब कुछ घबराए हढ़बढ़ाए से नज़र आ रहें हैं भाई अजिताभ जी देखिये चेतन भगत तो सिर्फ कह रहें हैं कि वे आहत हुए हैं ? कोई घायल हो उसे नोटिस भेजने की बात करना अजीबो गरीब सा लग रहा है.चेतन जी को गुरुदत्त की फिल्म "प्यासा" याद रखनी ही होगी मायानगरी में सब कुछ संभव है चेतन भगत साहब यहाँ सब कुछ सहना होता है कलम को / सुर को / फन को माया नगरी पर हुनर मंद का हुक्म चलता है ?

अर्कजेश on जनवरी 02, 2010 ने कहा…

आपकी बात से सहमत हैं । चेतन की फाइव प्‍वाइंट समवन के बगैर फिल्‍म की कल्‍पना नहीं की जा सकती थी ।
आमिर के प्रशंसक होते हुए भी यह कहना पड रहा है कि उनका बयान पक्षपातपूर्ण है ।

वाजिब क्रेडिट न मिलने पर चेतन का आहत होना स्‍वाभाविक है । जब आमिर ने किताब नहीं पढी तो वे इसके बाबत कैसे बयान दे सकते हैं ।

RAJ SINH on जनवरी 02, 2010 ने कहा…

चोरी और सीनाजोरी बोलीवुड का पुराना दस्तूर है . मूर्खता और बेशर्मी भी लपेटे .मुझे कोई ताज्जुब नहीं हुआ .
आपसे असहमत होने का सवाल ही नहीं है .

उन्मुक्त on जनवरी 02, 2010 ने कहा…

अरे, क्या यह फिल्म चेतन भगत की पुस्तक पर नहीं बनायी गयी है?

मैंने पुस्तक भी पढ़ी और फिल्म भी देखी, मेरे विचार से इसमें कोई शक नहीं कि यह इसी पुस्तक पर बनाई गयी है - कोई माने या न माने।

सच बात तो यह है कि इस फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी इसके कलाकार हैं वे कहीं से विद्यार्थी नहीं लगते। यदि यह फिल्म आमिर खान को न लेकर, नवयूवक कलाकार को लेकर बनायी गयी होती तो बेहतर रहता।

सच यह है कि केवल यह इसकी कमी नहीं है। इसमें कुछ और भी कमियां हैं टीचर और दूसरे विद्यार्थियों पर हास्य।

Udan Tashtari on जनवरी 02, 2010 ने कहा…

सटीक प्रश्न किया है आपने.तथ्यपरक!!

बहुत सही!!

राजीव तनेजा on जनवरी 02, 2010 ने कहा…

दुख हुआ जानकर कि एक लेखक को उसकी कृति का श्रेय नहीं दिया जा रहा है ....

राजीव तनेजा on जनवरी 02, 2010 ने कहा…

हमारी एक पोस्ट कोई चोरी कर के अपने नाम से छाप लेता है तो हमें कितना दुख होता है...इसी बात से हम अन्दाज़ा लगा सकते हैँ कि चेतन भगत पर क्या बीत रही होगी?

संजय बेंगाणी on जनवरी 02, 2010 ने कहा…

मैने किताब भी पढ़ी है और फिल्म भी देख ली है. फिल्म 5 पोइंट सम वन ही है.
मुझे लगता है दोनो ही पक्षों की मिली भगत है.

Nitish Raj on जनवरी 02, 2010 ने कहा…

मैंने ना तो किताब पढ़ी और ना ही अभी फिल्म देख पाया हूं तो कुछ कमेंट नहीं कर सकता। पर ये जरूर कहूंगा कि यदि आप किसी की कोई चीज लेते हैं तो क्रेडिट भी देना चाहिए। अब असलियत क्या है उस पर कमेंट कर पाना कठिन है पर आप ने प्वाइंट सही उठाए हैं।

PD on जनवरी 02, 2010 ने कहा…

"Today I am going to watch this movie, after that only I’ll be the right person to comment on this.. But one thing is sure, i.e. I’m going to loose one of my Hero.. Either Amir Khan or CB.. Lets see!"

The same thing I commented on CB's blog also.. you can find it here..

rashmi ravija on जनवरी 02, 2010 ने कहा…

आमिर खान ने कहा और सबने मान लिया कि उन्होंने ये किताब नहीं पढ़ी.इतने भोले हैं सब?...ये साजिश क्यूँ है बस ये समझ नहीं आया...अगर बोल्ड अक्षरों में चेतन भगत का नाम दे देते तब भी कोई फर्क नहीं पड़ता...उस स्क्रिप्ट राइटर का नाम तो किसी को वैसे भी नहीं याद रहने वाला जिसकी इतनी वकालत आमिर कर रहें हैं...३,४, बार पढ़ रखा है,फिर भी अभिजित के आगे कुछ याद नहीं...और ये बेकार सी तर्क है कि 'चेतन भगत' स्टार हैं इसलिए उन्हें क्रेडिट कि क्या जरूरत...आमिर भी स्टार हैं...जरा उनका नाम सबसे अंत में असिस्टेंट की भीड़ के बीच डाल कर देखें.
मुझे तो ये सब सोची समझी चाल लगती है,उन्हें पता है..ऐसा करने पर १००% कंट्रोवर्सी होनी ही है.मुझे बस ये आश्चर्य है कि ये सब तो दूसरे दिन ही शुरू हो जाना था..चेतन भगत ने इतना समय क्यूँ लिया...पर चलो...फिल्म तो वैसे भी हिट होनी थी...हिंदी समाचारों में भी चेतन छा गए...अब तो सब जान गए उन्हें.
और आमिर कलाकार बड़े अच्छे हैं..सामाजिक विषयों पर भी खुल कर बोलते हैं...पर अपने कुत्ते का नाम शाहरुख रखने वाला अच्छे इंसान की कसौटी पर हमेशा मात खा जाता है.

कुश on जनवरी 02, 2010 ने कहा…

जब चेतन भगत ने अपने ब्लॉग पर लोगो से पुछा फिल्म कैसी थी तो उस पर मिले जुले जवाब आये... ये टिप्पणिया सिर्फ चेतन के फैन्स ने लिखी थी.. चेतन भगत का मैं बहुत पहले से फैन रहा हूँ.. जितना आमिर का भी नहीं.. पर कल दोपहर ऑफिस में डिस्कस करते हुए मैंने भी इसे चेतन का पब्लिसिटी स्टंट ही बताया था..लेकिन दोनों का ही.. जिन्होंने सिर्फ फिल्म देखी है वे अब किताब भी पढेंगे और जिन्होंने सिर्फ किताब पढ़ी है वे फिल्म देखेंगे..

टिप्पणिया इस लिंक पर देखिये..
http://www.chetanbhagat.com/blog/general/did-you-see

rashmi ravija on जनवरी 02, 2010 ने कहा…

लगे हाथ इसका जिक्र भी कर दूँ...ऐसा हमेशा से होता आया है....गुलज़ार की सब पूजा करते हैं..पर जब उन्होंने खुशबू फिल्म बनायी थी...बिलकुल छोटे अक्षरों में 'शरतचंद्र' लिखा था....और अपना नाम पूरी स्क्रीन पर.

प्रिया on जनवरी 02, 2010 ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
प्रिया on जनवरी 02, 2010 ने कहा…

Priya said...
ham bhi aapi baat se 200% ittefaq rakhte hai....chori karna bollywood ka chalan hai....aur fir chetan ka concept churaya .....jinhe na sirf bharat mein balki videsho mein bhi youth ka pyaar mil raha hai.... I believe chetan will knock the door of court and he should do... ab Anu mallik aur Pritam ko hi le ligiye ......angreji dhuno se hi inspire hote hai......A. R. RAhmaan ka muqabla nahi kar sakte ye........ye to wahi ho gaya "CHORI AUR SEENA JORI"

Priyank Jain on जनवरी 02, 2010 ने कहा…

Manishji,vartman me mai bhi ek rashtriya sansthan me takniki ka chatr hoon,jin batoon ka zikr 'Fivepoint Someone' me kiya gaya hai unse hum bhi rubru hote hain, aur Chetan Bhagat ke lekhan ki sarahna karte hain.Ye pehli bar tha jab kisi ne itne pratishthit sansthanoon par itni manoranjak aur sateek tippni ki.AAPKI BAT KA MAI PURZOR SAMARTHAN KARTA HOON AUR SABHI KA DHYAN IS AUR CHATA HOON KI JITNI SAFALTA PRADARSHIT CINEMA KO ISKE cHETAN KI KITAB PAR AADHARIT HONE PAR MILI HAI UTNI SHAYAD YUN NA MILTI AUE AAPNE THIK KAHA SHAYAD AISI FILM HI NA BAN PATI.COLLEGE KE STUDENTS ITNI AASANI SE KISI FILM KE LIYE POORA MULTIPLEX BOOK NAHI KARWATE.

shikha varshney on जनवरी 02, 2010 ने कहा…

are ye kaun si nai baat hai esa vyavhaar to har non filmi writer ke saath hota hi raha hai ...joki bahut hi afsos janak baat hai...film dekhkar lagta hai ki vo based hi nahi balki poori tarah se usi kitab ki hi den hai..varna vo punch to kabhi amir khan soch hi nahi sakte the or har darshak jisne bhi vo pustak padhi hai sabhi ke dimag main ye baat aai ki iske lekhak ko credit kyon nahi dia gaya? bahut shukriya aapki saarthak post ka.

सहसपुरिया on जनवरी 02, 2010 ने कहा…

अमा यार फिल्म देखो और मज़ा लो , कहे को इन लोगो के चक्कर मैं पड़ते हो ? सब पब्लिसिटी के लिए है,

ab inconvinienti on जनवरी 02, 2010 ने कहा…

तो तुम भी और तुमसे सहमत होने वाले सभी लोग आ ही गए आमिर के पब्लिसिटी स्टंट में. भाई महाबुद्धिमान यह आमिर का पहले से सोचा समझा विवाद पैदा करने स्टंट है जिसके सहारे वे दूसरे हफ्ते भी भीड़ और चर्चा कायम रखने की कोशिश कर रहे हैं. यूँ ही आमिर को परफेक्शनिस्ट नहीं कहा जाता. यह आपके खुले ख़त और इस प्रकरण की हर तरफ हो रही चर्चा ने साबित कर दिया है.

कंचन सिंह चौहान on जनवरी 02, 2010 ने कहा…

इधर कुछ दिनो से आमिर खान का अपना एक फैन ग्रुप बन गया है, जो उनके सीमित और उत्कृष्ट चयन के कारण उन्हे शाहरुख और अमिताभ से भी सुपर समझता है और एक अभिनेता के साथ एक बौद्धिक और जिम्मेदार भारतीय नागरिक का दर्जा उन्हे देता है।

ये प्रकरण आमिर जी द्वारा पब्लिसिटी स्टंट था या उनके असल उद्गार दोनो ही तरह से ये उनके चाहने वालों के भीतर बैठे उनके प्रति सम्मान को कम करता है। इस प्रकरण से आपके साथ मैं भी आहत हूँ और विरोध में स्वर मिलाती हूँ।

डॉ .अनुराग on जनवरी 02, 2010 ने कहा…

आमिर से ज्यादा उम्मीदे थी .....थोड़ी अब भी है .....पर चोपड़ा से न तब थी ओर ना आगे है ..
मै चेतन के इस पॉइंट पर उनके साथ हूँ के ये फिल्म उनके नोवल का अड़ोपटेड वर्ज़न कहकर नहीं आई है ... यानी फिल्म की शुरुआत में ये कही नहीं आता के ये नोवल का अड़ोपटेड वर्ज़न है...जैसा की ओमकारा में आया था ....ओथेलो का नाम लेकर ....जाहिर है वहां इसका क्रेडिट उन्हें मिलना चाहिए ...वे नीयत की बात करते है ...वे सच कहते है ..पर अब शायद विधु ने इसे इगो की लड़ाई बना ली है .उनके पास कानूनी रूप से कोंत्रेक्ट है .जिसके मुताबिक प्रोड्यूसर किसी भी तरीके से कहानी का इस्तेमाल कर सकता है ....क़ानूनी तौर पे चोपड़ा का पक्ष मजबूत है ..इससे राइटर को सबक मिलता है कब कहाँ कैसे ....कोंत्रेक्ट करे...
वैसे चेतन को परेशान होने की जरुरत नहीं है ...सब जानते है फिल्म में मूल कहानी उन्ही के आईडिया को आगे बढाकर ली गयी है ....आईडिया को जरूर राजू ओर जोशी ने बढाया है .पर मुझे समझ नहीं आता .के "मूल आईडिया "अगर वे चेतन को क्रेडिट कर भी दे तो उससे उनका क्या बिगड़ता है ....
उलटा अगर वे कर देते है तो इससे उनकी रेस्पेक्ट बढ़ेगी ....के देखो मूल आईडिया ये था .हमने फ़िल्मी एडोपटेशन करके ऐसा किया..

Kedar on जनवरी 03, 2010 ने कहा…

यहाँ पर तीन तार्किक तारण निकल सकते है ....
१) ये एक पूरा पब्लिसिटी स्टंट है की जिससे फिल्म के दूसरे सप्ताह की बिक्री भी बढे और साथ ही साथ चेतन भगत की एक मोनोटोनस सी चल रही नोवेल्स पे लोगो की घटी हुई दिलचस्पी फिर से बढे..( यहाँ पर कहना चाहूँगा की चेतन भगत की हाल ही में पब्लिश हुई नोवेल " २ स्टेट्स..." पाठको के सामने खरी नहीं उतर पायी है.. और बात रही आमिर खान की... तो आमिर एक बेहतरीन अदाकार तो है ही पर उतने ही अच्छे व्यापारी है... अपनी चीज़ को वो हर हाल में बेचेंगे और यह इश्यु भी उसी मार्केटिंग का एक ज़रिया है.. so, its a pure win-win situation for both the parties...)
२) दूसरा तारण विधु विनोद चोपरा और आमिर के पक्ष में जाता है क्योकि इन्हों ने चेतन से बुक के राइट्स खरीद लिए थे और पैसे भी चुका दिए गए थे तो अब यह सवाल उठाता ही नहीं की यह फिल्म, बुक से कितने प्रतिशत inspired है... चाहे तो विधु और उनकी टीम पूरा फिल्म उसी बुक पर से बनाय या तो पूरी फिल्म नयी बनाए.. इस में चेतन को कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए...
३) तीसरा तारण चेतन के पक्ष में जाता है... बात है लेखक की क्रेडिट की... तो यहाँ पर नैतिकता का पहलू आता है, और उस वजह से यह कहा जा सकता है के चेतन के प्रति अन्याय हुआ है...और उस वजह से हंगामा होना लाज़मी है क्योकि फिल्म बेहतरीन है और बहोत बड़ी हीट है, यदि यह फिल्म फ्लॉप रही होती तो कोई कुछ भी न बोलता और यह इश्यु भी न होता...

Unknown on जनवरी 03, 2010 ने कहा…

The original writer must be given due credit.

दिलीप कवठेकर on जनवरी 04, 2010 ने कहा…

क्षमा करें, मैं सेहमत नहीं हूं.

शायद इस विषय को ठीक से समझा जाये तो अपनी जानकारी अनुसार मैं यही कहूंगा कि-

अ. चेतन भगत के उपन्यास से ये फ़िल्म प्रेरित है. इसके लिये उन्हे १०-११ लाख दे दिये गये हैं और बाकायदा कॊंट्रेक्ट किया गया है.

ब. इसके बारे में दुनिया जानती है कि यह फ़िल्म इस उपन्यास पर आधारित है. मगर फ़िल्म में स्क्रोलिंग क्रेडित दिया गया है, अंत में.

स. जिन्होने यह किताब नहीं पढी है, उन्हे इससे कोई फ़र्क नहीं पडता. वैसे भी मूल उपन्यास से फ़िल्म का कथानक अलग है.

द. चेतन भगत को फ़िल्म की पब्लिसिटी से ज़्यादह फ़ायदा है, मगर फ़िल्म को भी कंट्रोवर्सी से अधिक फ़ायदा है B और C Class के शहरों से.

द. फ़िल्म भी एक माध्यम है, जिसमें अनेक विधाओं का समावेश हो कर फ़िल्म का अंतिम स्वरूप बनता है, और इसमें निर्देशक को पूर्ण क्रेडिट दिया जाना चाहिये कि वह फ़िल्म कैसी बनी है.

फ़िल्म कोई बहुत extra Ordinary नहीं है, मगर मनोरंजन की मेरी ज़रूरत पूरी करता है, और मेरे इस विचार को संबल प्रदान करता है, कि प्रतिभा और परिक्षा का रिज़ल्ट अलग अलग चीज़ें हैं.

Manish Kumar on जनवरी 04, 2010 ने कहा…

दिलीप जी कांट्रेक्ट के बारे में आपने जो बातें लिखी हैं वो तथ्य सही हैं । मूल कथानक कितना मिलता है या नहीं मिलता इस विवाद में मेरा जाने का कोई इरादा नहीं है। बस इतना फिर दोहराना चाहूँगा कि फाइव प्वायंट समवन (Five Point Someone) नहीं लिखी गई होती तो थ्री इडियट्स (Three Idiots) की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
ये पोस्ट इस बात के लिए नहीं है कि कानूनी रूप से फिल्म निर्माता सही थे या गलत। विधु विशु्द्ध व्यापारी हैं उन्होंने कांट्रेक्ट काफी सोच समझ कर बनाया होगा।

चूंकि आमिर नैतिक मूल्यों के साथ हमेशा अपने आप को जोड़ते रहे हैं इसलिए उनका इस इश्यू को पब्लिसिटी स्टंट बोलना मुझे गलत लगा। वो बिना कुछ बोले इस मसले को चेतन और निर्माता निर्देशक की जोड़ी पर छोड़ सकते थे। रही बात निर्माता निर्देशकों की अगर वे स्टोरी के क्रेडिट में अन्य लेखकों के साथ चेतन का नाम दे देते तो एक स्वस्थ संकेत होता गाँधीगिरी को बढ़ावा देने का दावा करने वाले निर्माता निर्देशकों से। वैसे सारा देश प्रेस कांफ्रेंस में उनका एक चेहरा देख ही चुका है।


आप सभी पाठकों को मैं धन्यवाद देना चाहूँगा कि आप सब ने अपनी भावनाएँ बिना लाग लपेट के यहाँ प्रस्तुत कीं जिससे इस प्रकरण के तमाम बिंदु हम सब के सामने आए।

Dr. Zakir Ali Rajnish on जनवरी 07, 2010 ने कहा…

इतना तो वहां चलता है।

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क्या सुरक्षा के लिए इज्जत को तार तार करना जरूरी है?

सुशील छौक्कर on जनवरी 07, 2010 ने कहा…

बडे लोगो की इस खींचतान में हम क्या कहें। पर इतना जरुर कहूँगा लोग इंसानियत बेचकर पैसा कमाना तो चाहते पर इंसानियत दिखाना नही चाहते खैर मामला खत्म हो गया है अब।

Anita kumar on मार्च 28, 2010 ने कहा…

आप से पूरे सहमत

 

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