रविवार, जनवरी 09, 2011

वार्षिक संगीतमाला 2010 - पॉयदान संख्या 23 : यादों के नाज़ुक परों पे चला आया प्यार...

वार्षिक संगीतमाला की 23 वीं पॉयदान पर है एक प्यारा सा मीठा सा रोमांटिक नग्मा जिसे गाया है मोहित चौहान ने। फिल्म 'आशाएँ' के इस गीत को संगीत से सँवारा हैं सलीम सुलेमान की जोड़ी ने। सलीम सुलेमान ने अपने संगीतबद्ध इस गीत में मन को शांत कर देने वाला संगीत रचा है। गीत की शुरुआत पिआनो की धुन से होती है। पूरे गीत में संगीतकार द्वय ने वेस्टर्न फील बनाए रखा है जो उनके संगीत की पहचान रहा है। भारतीयता का पुट भरने के लिए तबले का बीच बीच में अच्छा इस्तेमाल हुआ है।

पर इस गीत का सबसे मजबूत पहलू है मोहित चौहान की गायिकी और मीर अली हुसैन के बोल। मीर अली हुसैन एक गीतकार के रूप में बेहद चर्चित नाम तो नहीं पर चार साल पहले वो तब पहली बार सुर्खियों में आए थे जब फिल्म डोर का गीत संगीत खूब सराहा गया था। हुसैन को ज्यादा मौके सलीम सुलेमान ने ही दिये हैं और उन्होंने मिले इन चंद मौकों पर अपने हुनर का परिचय दिया है। सहज शब्दों में हुसैन आम संगीत प्रेमी के दिलों को छूने का माद्दा रखते हैं। मिसाल के तौर पर ये पंक्तियाँ मोहब्बत का दरिया अजूबा निराला..जो बेख़ौफ़ डूबा वही तो पहुँच पाया पार  या फिर कभी जीत उसकी है सब कुछ गया हो जो हार तुरंत ही सुनने में अच्छी लगने लगती हैं।

और जब मोहित डूबते उतराते से यादों के नाजुक परों पर उड़ते हुए हमारे कानों में प्रेम के मंत्र फूकते हैं तो बरबस होठों से गीत फूट ही पड़ता है। तो आइए सुनें और मन ही मन गुनें मोहित चौहान के साथ इस गीत को




ख़्वाबों की लहरें, खुशियों के साये
खुशबू की किरणें, धीमे से गाये
यही तो है हमदम, वो  साथी, वो  दिलबर, वो यार
यादों के नाज़ुक परों पे चला आया प्यार
चला आया प्यार, चला आया प्यार

मोहब्बत का दरिया अजूबा निराला
जो ठहरा, वो पाया कभी ना किनारा
जो बेख़ौफ़ डूबा वही तो पहुँच पाया पार
यादों के नाज़ुक परों पे चला आया प्यार
चला आया प्यार, चला आया प्यार

कभी ज़िन्दगी को सँवारे सजाये
कभी मौत को भी गले से लगाये
कभी जीत उसकी है सब कुछ गया हो जो हार
यादों के नाज़ुक परों  पे चला आया प्यार
चला  आया  प्यार, चला  आया  प्यार

ख़्वाबों की लहरें, खुशियों के साए.....

फिल्म में इस गीत को जान अब्राहम पर फिल्माया गया है



वार्षिक संगीतमाला 2010 से जुड़ी प्रविष्टियो को अब आप फेसबुक पर बनाए गए एक शाम मेरे नाम के पेज पर यहाँ भी देख सकते हैं।
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11 टिप्पणियाँ:

ZEAL on जनवरी 09, 2011 ने कहा…

badhiya.

राज भाटिय़ा on जनवरी 09, 2011 ने कहा…

बहुत सुंदर जी. धन्यवाद

Archana Chaoji on जनवरी 09, 2011 ने कहा…

बहुत ही मधुर लगा.... आँख बन्द कर सुनने पर अपने साथ बहा ले जाता है गीत...आभार...

निर्मला कपिला on जनवरी 10, 2011 ने कहा…

शानदार प्रस्तुति। धन्यवाद।

Neeraj Rohilla on जनवरी 11, 2011 ने कहा…

मधुर गीत, सुनकर बहुत अच्छा लगा ।

सुशील छौक्कर on जनवरी 11, 2011 ने कहा…

अच्छा गीत

Mrityunjay Kumar Rai on जनवरी 11, 2011 ने कहा…

very soothing song

Manishjee i am avid reader of all of ur blog. in this blog u have mentioned several singer/composers/music directors, but one you have ignored one Maestro who is Kumar Shanu. Why u have naot mentioned Kumar Sano songs in this Blog?
it is surprising?
why?

Priyank Jain on जनवरी 11, 2011 ने कहा…

maaf kijiyega, thodi deri ho gai..! ! ! !
geet-sangeet ki is chir-parichit mehfil ko punah aakaar dene ke liye dhanyawaad evan badhai.
prastut pravishti bahut sundar hai evam geet man ko shant karne wala.

har ek paydaan ke liye utsuk
aapka ek nausikhiya paathak
Priyank

Manish Kumar on जनवरी 11, 2011 ने कहा…

मृत्युंजय जी दरअसल नए गीत इस चिट्ठे पर वार्षिक संगीतमालाओं के दौरान ही प्रस्तुत किए जाते हैं। पिछले छः सालों से ये सिलसिला ज़ारी है। अगर आप ध्यान दें तो इस अंतराल में कुमार शानू फिल्म जगत से लगभग गायब ही रहे। नब्बे के दशक के कई
लुभावने गीतों को कुमार शानू ने अपनी आवाज़ से सजाया है। आशिकी, फिर तेरी कहानी याद आई, १९४२ लव स्टोरी, साजन और ऐसी ही कई और फिल्मों में गाए उनके गीत मुझे बेहद पसंद हैं। जब भी नब्बे के दशक के संगीत की चर्चा करने का अवसर आएगा आपकी ये ज़ायज शिकायत जरूर दूर की जाएगी।

जयकृष्ण राय तुषार on जनवरी 14, 2011 ने कहा…

nice

रंजना on जनवरी 19, 2011 ने कहा…

पहली बार सुना इस गीत को...वाकई कर्णप्रिय कोमल धुन है और गीत भी बेजोड़...

आप न बताते तो ध्यान ही न आ पता और एक अच्छे गीत को सुनने का अवसर न मिलता...सो बहुत बहुत आभार आपका...

 

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