'एक शाम मेरे नाम' की वार्षिक संगीतमाला 2012 अगले जनवरी के पहले हफ्ते से शुरु हो जाएगी। पर गुजरे साल को एक मुस्कान के साथ विदा करने के लिए साल के अंतिम दिन एक नज़र उन गीतों पर जिन पर हमारा देश साल भर थिरकता रहा।
#10. राधा....
विशाल शेखर युवाओं की नज़्ब को पकड़ने वाले संगीतकर रहे हैं खासकर हिप हॉप वाले संगीत में। वैसे इस साल उन्होंने संगीतप्रेमियों को प्रेम के एक अद्भुत रूप से परिचय करवाया। जी हाँ मै उनके इश्क़ वाले love की बात कर रहा हूँ। धन्य हैं अन्विता दत्त की लेखनी अगर यही हाल रहा तो हमें उर्दू से अंग्रेजी की डिक्शनरी खरीदने के बजाय उनके लिखे गीतों की किताब भर खरीद के रखनी होगी। इसी फिल्म यानि Student of the Year में विशाल शेखर हमें 'आज की राधा' से मिलवा रहे हैं। गीत के बोल सुनने के बाद तो यही लगता है कि अगर भगवान कृष्ण इस युग में पैदा हुए होते तो राधा के नाज़ नखरों को उठाते उठाते वो सीधे ब्रह्मा की शरण में चले गए होते।
#09. आंटी जी..आंटी जी Get up and dance
ऍसा नहीं कि सारे नचनिया इसी युग की पैदाइश हैं। नाचने वाले हर ज़माने में
थे पर वो हर महफिल में चिन्हित हुआ करते थे। ज्यादा संख्या उन लोगों की हुआ करती थी जो पीछे से बैठकर ताली बजाया करते थे। पर आज के समय में आपको ये सुख नसीब नहीं होगा। आज चाहे आप कितने भी जतन से किसी पार्टी की पिछली कुर्सी पर पैरों
में फेविकोल लगाए दुबके हों नचनिया पार्टी आपकी भद्द पिटाने में पीछे नहीं
रहेगी और अब तो बकायदा अमित त्रिवेदी का संगीतबद्ध ये गाना ही उनकी कमान में आ गया है। इसकी मार से अब
कहाँ बच पाइएगा। तो आज के युग के अंकल आँटियों थोड़ा हाथ पैर हिलाना सीख
लीजिए..
#08. माशाअल्लाह !
लटके झटके हों और सल्लू भाई पीछे रहें ये कैसे हो सकता है? पिछले साल की मुन्नी को बदनाम करने वाले सलमान इस बार शीला के चक्कर में ऐसे फँसे कि उनके साथ एक फिल्म ही कर डाली। अब शीला के रूप में उनकी प्रेमिका ही पर्दे पर हों तो उनकी on screen chemistry तो माशाअल्लाह होनी ही थी।
chinta da chita
#07. चिंता ता चिता चिता..
इस गीत पर थिरकने की महारत हासिल करनी हो तो पैरों से नहीं हाथों से काम लेना होगा। नहीं समझे तो गीत का आरंभ देखिए। वैसे हम तो यही कहेंगे कि इन झटकों मटकों से भगवान बचाए..#6. किकली कलेर दी
लव शव ते चिकेन खुराना के इस गीत को शायद आपने पहले ना सुना हो। अगर हल्के फुल्के मूड में हों तो एक बार जरूर सुनिए। प्रयोगधर्मिता अमित त्रिवेदी के संगीत की पहचान है और इस गीत का संगीत संयोजन भी उसकी एक मिसाल है। पर आप पूछेंगे कि संगीत तो ठीक है पर ये किकली कलेर दी क्या बला है ? वाज़िब सवाल है आपका। दरअसल ये पंजाब में बच्चियों द्वारा खेला जाने वाला खेल है जिसमें लड़कियाँ एक दूसरे का हाथ पकड़ गोल गोल घूमती हैं। बाकी इस खेल में गाई जाने वाली आगे की पंक्तियों को बदलकर हीर की मुश्किलें बयानात की गयी हैं कि कैसे उसका रांझा उसे चीट कर रहा है :)
किकली कलेर दी, हट गयी हीर दी
रांझा करे चीट जी, करे ना परवाह
#5.पापा तो बैंड बजाए
भाई बच्चों के लिए अक़्सर पापा ही बैंड बजाने का काम करते हैं इसलिए Houseful-2 ये गीत तो युवाओं की जुबाँ पे चढ़ना ही था। आख़िर ये सब हम सभी ने कभी ना कभी तो अपने जीवन में सुना ही हुआ है ना..
Idiot हो तुम गधे हो अभी तुम्हें knowledge नहीं है
हमसे पंगा लेने वाली अभी तुम्हारी age नहीं है
हमसे पंगा लेने वाली अभी तुम्हारी age नहीं है
वैसे एक बात और इस गीत में अभिनेताओं के कपड़ों का रंग संयोजन कमाल का है।
#4.तुम्हीं हो बंधु सखा तुम्हीं हो..
स्कूल के दिनों में सबसे ज्यादा जो प्रार्थना दोहरायी है वो थी त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधु च सखा त्वमेव। अब क्या जानते थे कि इतने दशकों बाद इस प्रार्थना की दूसरी पंक्ति को एक डान्स नम्बर की तरह गुनगुनाएँगे। वैसे वेक अप सिड के इकतारा के बाद नीरज श्रीधर के साथ कविता सेठ की गायिकी इस रूप में भी सामने आएगी ये किसने सोचा था ?
#3.चिकनी चमेली..
Item Songs से अब तक श्रेया घोषाल दूर दूर ही रहती थीं। ये उनकी मीठी आवाज़ के दायरे में नहीं आते थे। पर इस साल उन्होंने दिखा दिया कि ऐसे गीतों में जिस शोखी और चंचलता की जरूरत होती है वो उनमें है। अग्निपथ के इस गीत में कैटरीना के ठुमके तो आपने अपने टीवी सेटों पर बारहा देखे होंगे पर अगर ये नृत्य हमारे ये नन्हे मुन्हे Chipmunk करें तो कैसा रहे..
#2. प्यार की पुंगी..
लो आ गए एक बार फिर प्यार की पुंगी बजाने मीका सिंह ! क्या कहा पुंगी बजाना नहीं मालूम!अरे भई पुंगी मतलब सपेरे वाली बीन से है। अब सीधे सीधे कहते कि प्यार की बीन बजा दो तो क्या आप ध्यान देते।#1. Dreamum Wakeupum..
Dreamum wakeupum critical conditionam
Earthum quakepum hil dool sab shake upam
Earthum quakepum hil dool sab shake upam
दस गीतों की इस फेरहिस्त में सबसे आगे रखा है मेंने अइया फिल्म के इस गीत को। अमित त्रिवेदी का संगीत सुनकर सच में हिल डुल सब शेकअपम हो जाता है। गीत का वीडिओ तो मुझे नहीं रुचता पर दक्षिण की दूसरे दर्जे की फिल्मों पर किया गया ये व्यंग्य कई जगहों पर मुस्कुराने पर मजबूर करता है।
वैसे गीतकार अमिताभ भट्टाचार्य का जवाब नहीं ! शायद ये मुंबई की मायावी दुनिया में आज के गीतकार की बाजार में बने रहने की मजबूरी ही है कि इक लौ ज़िंदगी की बुझी कैसे मौला जैसे संवेदनशील गीतों को भी बड़ी सलाहियत से लिखने वाले अमिताभ आज धड़ल्ले से डान्स नम्बर, आइटम नम्बर और यहाँ तक कि द्विअर्थी गीतों पर भी अपनी कलम चला रहे हैं। इस साल अमिताभ के गीतों की गूँज आपको वार्षिक संगीतमाला में भी सुनाई देगी। वैसे ऊपर के दस गीतों में आधे से ज्यादा में अमिताभ की लेखनी चली है।
तो चलते चलते आप सबको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!उम्मीद करता हूँ कि झूमते झुमाते गीतों का ये सिलसिला आपको पसंद आया होगा। वैसे वार्षिक संगीतमाला 2012 अगले हफ्ते शुरु हो रही है जिसमें मैं बाते करूँगा साल के पच्चीस बेहतरीन गीतों के बारे में। आशा है आप उस सफ़र में मेरे साथ होंगे.. Bollywood Top 10 dancing nos. of 2012
