शुक्रवार, फ़रवरी 27, 2015

वार्षिक संगीतमाला 2014 पायदान # 3 : काफी नहीं है चाँद हमारे लिए अभी Kaafi nahin hai chaand

वार्षिक संगीतमाला 2014 की गाड़ी धीरे धीरे ऊपर सरकती हुई जा पहुँची है शीर्ष की तीन पायदानों तक और तीसरी पॉयदान पर जो नग्मा है उसमें थोड़ी सी शोखी, थोड़ा सा नटखटपन और ढेर सारे प्यार का खूबसूरत मिश्रण है। यही नहीं इस गीत के संगीतकार और गीतकार भले ही अनजाने हों पर इसे गाया ऐसी गायिका ने हैं जिसे देश का बच्चा बच्चा जानता है। जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ फिल्म रिवाल्वर रानी के गीत काफी नहीं है चाँद की जिसे गाया है आशा भोसले ने, धुन बनाई संजीव श्रीवास्तव ने और जिसे लिखा शाहीन इकबाल ने।


तो इससे पहले कि मैं इस गीत की बात करूँ, गीत के संगीतकार संजीव के सफ़र से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्यों से आपका परिचय करा दूँ। संजीव श्रीवास्तव कॉलेज के ज़माने से गायिकी का शौक़ रखते थे। उस दौरान बतौर गायक उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और विजयी भी रहे। संजीव पंचम के संगीत के अनन्य भक्त थे। इसी भक्ति ने उनके मन में पंचम से मिलने की इच्छा जगा दी। कहीं से उन्होंने पंचम का नंबर जुगाड़ा और फोन घुमा दिया। फोन उनके रसोइये ने उठाया और आश्चर्य ये कि उन्हें मिलने का समय तुरंत ही मिल गया। अब संजीव के पास तो अपनी कोई सीडी वैगेरह तो थी नहीं तो उन्होंने पंचम को वहीं कुछ सुनाने की इच्छा ज़ाहिर की। फिर दीये जलते हैं फूल खिलते हैं ...सुनाया। पंचम को अच्छा तो लगा पर उन्होंने साफगोई से कहा कि अभी मेरे  पास ज्यादा काम नहीं है तुम दूसरे संगीतकारों के पास जाओ। तब पंचम 1942 A love story पर काम कर रहे थे। संजीव फिर भी अड़े रहे कि कितना छोटा ही सही उन्हें तो पंचम दा से ही पहला ब्रेक चाहिए। उनके और पंचम के बीच कुछ मुलाकातों का सिलसिला चला । फिर अचानक ही ख़बर आई कि वो नहीं रहे। 


संजीव ने संगीत जगत का हिस्सा बनने का ख्याल छोड़ ही दिया था कि चार साल बाद पृथ्वी थियेटर में उनकी मुलाकात अनुराग कश्यप से हुई। फिर नाटकों , टीवी शो और गैर फिल्मी एलबमों में इक्का दुक्का प्रस्ताव उनकी झोली में गिरते रहे। कई फिल्मों में संगीतकार बनने के प्रस्ताव आए। गाने भी बन गए पर फिल्में आगे नहीं बढ़ीं। संगीत जगत में घुसने के बीस साल बाद उन्हें बतौर संगीतकार रिवाल्वर रानी का संगीत रचने को कहा गया और वे निर्माता निर्देशक के विश्वास पर ख़रे उतरे।

आशा भोसले से इस गीत को गवाने में उन्हें हिचकिचाहट जरूर थी कि पता नहीं आशा ताई उनके प्रस्ताव को स्वीकारेंगी या नहीं। आशा जी ने कहा कि तुम्हारी धुन तो मौलिक है पर ये एस डी बर्मन के गीत रात अकेली है जैसा मूड रच देती है। संजीव को आशा जी की स्वीकृति के साथ आशीर्वाद भी मिला और साथ ही तारीफ़  भी कि बहुत सालों के बाद किसी संगीतकार ने उन्हें इतना मधुर गीत गाने का मौका दिया है।

सच इस गीत को सुन कर एकबारगी मन संगीत के उस सुनहरे दौर में लौट जाता है। इस गीत में एक नशा है..., इक मादकता है जिसकी मस्ती हारमोनियम और बाँसुरी से सजे इंटरल्यूड्स से और बढ़ सी जाती है। आशा जी की उम्र भले अस्सी पार कर गई हो पर उनकी आवाज़ में आज भी एक अल्हड़ किशोरी की सी चंचलता है। तो आइए देखें कि शाहीन इकबाल के शब्द कहना क्या चाहते हैं..

काफी नहीं है चाँद हमारे लिए अभी
आँखें तरस रही हैं तुम्हारे लिए अभी
हम तनहा बेक़रार नहीं इंतजार में.. इंतजार में
ये रात भी रुकी है तुम्हारे लिए अभी

जागे सोए सोए जागे मंजर हैं सब ये ख़्वाब के
हो पूछो आ के मुस्कुरा के
दिल में हूँ क्या क्या दाब के
बदमाशियाँ बेहिसाब, अगड़ाइयाँ बेहिज़ाब
बेबाक जज़्बात है सारे...
हम तनहा बेक़रार नहीं इंतजार में.. इंतजार में
बेचैन हर कोई है तुम्हारे लिए अभी
काफी नहीं है चाँद हमारे लिए अभी

 
चाँद की खूबसूरती पर किसने प्रश्न किया है? पर रात की वीरानियों में ऊपर उस चमकते हुए चाँद की चाँदनी तब और स्निग्ध महसूस होती है जब आपका अपना चंदा यानि हमसफ़र साथ में मौज़ूद हो। उनके बिना मुआ ये चाँद कैसे इस बेकरारी को थाम पाएगा। वैसे भी उनके लिए तो मैं अपनी सारी अदाएँ, अंदर ही अंदर बेकाबू होती भावनाओं और सारी बदमाशियों को छिपाए बैठी हूँ। पर क्या मैं अकेली हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा में...रात भी तो जाने का नाम नहीं ले रही


साँसे मेरी, अब हैं तेरी, मदहोशियों की क़ैद में
हाँ...है जो तारी, बेक़रारी जाने कहाँ जा के थमे
शोलों पे कर के सफ़र, खुशबू से हो तरबतर
फूलों में लिपटे हैं शरारे, अहा ओहो..
हम तनहा बेक़रार नहीं इंतज़ार में.. इंतजार में
बदमस्त वक़्त भी है तुम्हारे लिए अभी
काफी नहीं है चाँद हमारे लिए अभी


अब तो मेरी हर साँस पर तुम्हारा इख्तियार है। तुम्हारी निकटता की कल्पना करते तन बदन में एक नशा सा तारी हो रहा है.. ऐसा लगता है कि मैं अंगारों पर चल रही हूँ, तुम्हारी खुशबुओं में भींग रही हूँ एक ऐसे फूल की तरह जो चिंगारियों से लिपटा हो.

तो आइए डूबते है आज की रात्रि बेला में इस गीत की ख़ुमारी में..


वार्षिक संगीतमाला 2014
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4 टिप्पणियाँ:

Unknown on फ़रवरी 28, 2015 ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति।

Manish Kumar on फ़रवरी 28, 2015 ने कहा…

धन्यवाद सुनीता जी

Sanjeev Srivastava on फ़रवरी 28, 2015 ने कहा…

Dhanyawaad

Manish Kumar on फ़रवरी 28, 2015 ने कहा…

ड़ी प्यारी धुन बनाई है आपने संजीव.. ऊपर से आशा जी की शोखी शाहीन के मचलते शब्द.. भविष्य में आप इसी तरह हम संगीतप्रेमियों को आनंदित करते रहें..

 

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