रविवार, मार्च 29, 2015

एक शाम मेरे नाम ने पूरे किए अपने नौ साल ! Ninth Blog Anniversary of Ek Shaam Mere Naam (2006-2015)

करीब दस साल पहले याने अप्रैल 2005 में पहली बार जाना था कि ब्लॉगिंग किस चिड़िया का नाम है। हिंदी में टाइपिंग तब नहीं आती थी सीखने में एक साल का वक़्त लग गया। तब तक  रोमन हिंदी और अंग्रेजी में ही कुछ कारगुजारी चलती रही । मार्च 2006 के आख़िर से हिंदी में लिखने का जो सिलसिला शुरु हुआ उसके पिछले हफ्ते नौ साल पूरे हो गए। इससे पहले कि ये ब्लॉग अपने दसवें साल में प्रवेश करे पिछले एक साल के आलेखों को आप सबने किस नज़रिए से देखा उसकी एक झलक आप को दिखाना चाहूँगा। 



पिछले साल पुराने गीतों की बात करते हुए खास तौर पर संगीतकार मदनमोहन की चर्चा हुई। तुम्हारी जुल्फ के साये ....के बहाने कैफ़ी आज़मी के आरंभिक दिनों के बारे में बताने का मौका मिला। फिर लता जी के साथ उनके जुड़ाव की चर्चा हुई जब मैंने सपनों में अगर मेरे आ जाओ तो अच्छा है ...पर लिखा।  संदीप द्विवेदी का कहना था
"मदन जी ऐसे जौहरी थे जो संगीत के पत्थरों को भी तराश कर कोहेनूर बना देते थे। लता जी आज जो भी हैं उसमें मदन जी का महती योगदान है।"

अगर कैफ़ी की यादों को मदनमोहन के जिक्र के साथ बाँटा गया तो वही सचिन दा के काम करने के तरीके को मज़रूह की यादों के सामने आपके सामने प्रस्तुत किया। गीत ऐसे तो ना देखो पर डा. महेंद्र नाग का कहना था
"मजरूह साहब ने हर मूड के आले दर्जे के गाने लिखे यह उनकी खासियत है और इसीलिए हिंदी उर्दू शायरी के दीपक माने जाते हैं "

वहीं यूँ ही बेख्याल हो के पर साथी चिट्ठाकार नम्रता का ख्याल था
"सच कहा है आपने कि इन साधारण और आम सी लगने वाली बातों को जिसकी अनुभूति हम सब ने शायद की होगी.उन्हें क्या खूबसूरत रूप दिया गया है। वाह ! "

सत्तर से ले के नब्बे के दशक तक के गीतों से जुड़ी पोस्ट में आप सब ने बीती ना बिताई रैना...., समझो ना नैनों की भाषा पिया.... और इक लड़की को देखा... को खूब सराहा। बीती ना बिताई रैना के बारे में इंजीनियर व गायक दिलीप कवठेकर का कहना था

"अमूमन अभी भी मैं कई पुराने गीतों को मात्र उनके धुनों के चमत्कार के कारण पहचानता हूं. यह गीत भी ऐसा ही है, जिसकी इतनी अच्छी लिखाई और उसके पीछे के भावार्थ अभी अभी पूरी तरह से पढे और समझ के दाद दिये बगैर नहीं रह सका....."

ग़ज़लों से मुझे शुरु से बेपनाह मोहब्बत रही है और जब भी कोई मधुर ग़ज़ल कानों में पड़ती है तो उसे उसकी भावनाओं के साथ आप तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। रात खामोश है, गुलों में रंग भरेइक खलिश को हासिल.., यूँ ना मिल मुझ से ख़फ़ा ..की बातें इसी सिलसिले के तहत आपके साथ हुई। इब्न ए इंशा की नज़्म ये सराय है यहाँ किसका ठिकाना लोगों.. पर शायरा लोरी अली का कहना था

"अदब की दुनिया में जीने वालों के लिए जन्नत है आपका ब्लॉग इन्शाँ जी की याद दिला कर शाम खुशनुमा डाली आपने"

अनूप जलोटा की ग़ज़ल हमसफ़र गम में मोहब्बत  की जब बात हुई तो आकाशवाणी से जुड़ी अन्नपूर्णा जी ने उनसे जुड़ी ये रोचक जानकारी सामने रखी।

"मुझे अवसर मिला था अनूप जी से हैदराबाद दूरदर्शन के लिए बातचीत का, उस समय भी वो हैदराबाद मन्दिर के एक महोत्सव के कार्यक्रम के लिए आए थे, अपनी बातचीत में उन्होने बताया था कि शास्त्रीय संगीत और सुगम संगीत गाना चाहते थे और शुरूवात ग़ज़ल, गैर फिल्मी गीत और भजनों से की थी। चूँकि उस समय भजन गायक बहुत ही कम थे, इसीसे जब भी किसी महोत्सव या मन्दिर निर्माण, आदि अवसरो के कार्यक्रम होते तो अनूप जी को आमन्त्रित किया जाता था, इन कार्यक्रमों में टिकट भी नहीं होता है जिससे भीङ बढ़ने लगी और कार्यक्रम लोकप्रिय होने लगे, साथ ही भजनों के रिकार्ड भी इसी लोकप्रियता के चलते निकाले जाने लगे जिससे अनायास ही भजन के क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता बढ़ गई।"

कुछ मँजे हुए लेखकों राजेंद्र यादव, कृष्ण बलदेव वैद्य, ख़ालिद हौसैनी के साथ नए उभरते लेखकों की किताबों पर भी चर्चा हुई। सबसे ज्यादा सराहना एक नौकरानी की डॉयरी  की पर लिखी समीक्षा को मिली। पल्लवी त्रिवेदी का कहना था
"सच बात .. हम व्यक्ति के श्रम को मान नहीं देते ! कम पैसे वाला आदमी हमारे समाज की द्रष्टि मे छोटा आदमी होता है! व्यक्ति को आंकने का नजरिया बहुत अमानवीय है हमारे समाज में !"

साल का अंत हुआ और वार्षिक संगीतमाला का दसवाँ संस्करण आपके सामने था। अलग अलग गीतों पर कभी सहमति तो कभी असहमति में आपकी राय पढ़ने को मिली। आपके कुछ बयान यहाँ दर्ज कर रहा हूँ

ग़ज़लकार अंकित जोशी गुलों में रंग भरे पर...जब पहली दफ़ा हैदर में अरिजित द्वारा गाई ये ग़ज़ल सुनी तो अरिजित की आवाज़ बहुत कच्ची लगी, वो लगती भी क्यों न, आखिरकार जिस ग़ज़ल को मेहंदी हसन साहब की आवाज़ में कई मर्तबा सुना हो उसे दूसरी किसी आवाज़ में सुनना शुरुआत में थोड़ा अटपटा तो लगेगा ही। लेकिन जब रिवाइंड कर कुछ एक बार सुना तो ठीक लगने लगी। हालाँकि मुझे ऐसा लगता है कि अगर स्वयं विशाल अपनी आवाज़ इस ग़ज़ल को देते तो शायद असर कुछ और बढ़ता। बहरहाल जो भी हो, फैज़ की मक़बूल ग़ज़ल को फिर से सुनना अच्छा ही लगा। गुज़रा साल अरिजित का था और उसमें उन्हें वाकई अलग अलग रंग के गीत मिले।

राजेश गोयल मैं तैनूँ समझावाँ पर...इस गीत के बारे में सिर्फ एक ही बात कही जा सकती है और वो है "जादुई"। ये गीत सबसे पहले मेरे कानों में आज से लगभग दो तीन साल पहले पड़ा था और उसके बाद जब तक मैंने यू ट्यूब में सर्च करके पूरा गीत सुन नहीं लिया मुझे चैन नहीं आया था । उसके बाद पिछले साल इस गीत के नए संस्करण सुनने को मिले और वो सब भी बहुत ही अच्छे लगे क्योंकि इस गीत की जो मूल धुन है उसके साथ ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की गयी ।

अमेरिका में रह रहे कवि व हिंदी प्रेमी अनूप भार्गव सरताज गीत पापा पर ..देश से दूर रहने के कारण संगीत में रूचि रखते हुए भी अक्सर बड़ी, लोकप्रिय फ़िल्मों के गीत ही सुनने को मिलते हैं और इस कारण कुछ अच्छे गीत हाथ से निकल जाते हैं । Manish आप इस दिशा में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं , हर वर्ष बड़ी मेहनत से 25 गीतों का चयन करते हैं जिस में कुछ ऐसे अनूठे गीत भी होते हैं जो अक्सर फिल्म के लोकप्रिय न होने के कारण सामने नहीं आ पाते

तो आपने देखा कि किस तरह आपकी कही गई बातें इन प्रविष्टियों को एक नया नज़रिया दे गयीं। आपलोगों के इसी प्यार का परिणाम रहा कि हिंदी दिवस के अवसर पर मुझे राष्ट्रीय चैनल स्टार न्यूज़ पर साक्षात्कार देने का मौका मिला। नौ साल के इस सफ़र में मैं कभी थका नहीं क्यूँकि मुझे मालूम है कि आपका स्नेह मेरे साथ है और वो रह रह कर मुझसे किसी ना किसी रूप में प्रकट होता रहा है जैसा आस्ट्रेलिया में रह रहे मेरे अग्रज प्रभात गुप्ता ने अपनी पाती में लिखा..

"प्यारे मनीष भाई - आपकी साइट  पे जाके मानो मैं अपनी ज़िन्दगी के कई गुमशुदा पल जो थे उनको पा गया।आँखों में आनंद अश्रु थे और छाती में हल्का सा दर्द और शायद पूरे बदन में एक अजीब सी कंप कंपी । "

लेख ज्यादा वृहत ना हो जाए इस लिए मैं आप सब के विचार जो उतने ही उल्लेखनीय थे यहाँ समेट नहीं पाया इसका मुझे ख़ेद है। आपकी मोहब्बत इस ब्लॉग के लिए इसी तरह बरक़रार रहेगी ऐसी उम्मीद रखता हूँ।
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66 टिप्पणियाँ:

Upendra Prasad Singh on मार्च 29, 2015 ने कहा…

बहुत बहुत बधाई मनीष। आप अपने मनमोहक लेखन शैली से ऐसे ही अपने प्रशंसकों का मन मोहते रहें। सफलता के नए नए आयाम स्थापित करें और बुलंदियों की नयी ऊंचाई छुएं। आपकी इस यात्रा के लिए प्रसाद की ये पंक्तियाँ कहना चाहूंगा .

इस पथ का उद्देश्य नहीं है श्रांत भवन में टिक रहना,
किंतु पहुंचना उस सीमा पर जिसके आगे राह नहीं।”

Parmeshwari Choudhary on मार्च 29, 2015 ने कहा…

I came to know of Hindi blogging through your blog that I stumped in accidentally.Congrats and thanx

Amal Awasthi on मार्च 29, 2015 ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत।बहुत सारी शुभकामनाये 10वे साल मे प्रवेश के लिए।आशा है आपकी ये खूबसूरत यात्रा और सुखद सुरीली बनते जाये।माँ सरस्वती का आशीर्वाद आप पे बना रहे।हम लोग भी गीत की हर पहलु को जानने का एक मौका आपके कारन मिला।बहुत धन्यबाद आपके खूब सूरत पेशकश

Manish Kumar on मार्च 29, 2015 ने कहा…

Upendra सर आपके इन प्रेरक शब्दों का हार्दिक आभार ! कोशिश रहेगी की आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतरूँ !

Manish Kumar on मार्च 29, 2015 ने कहा…

Parmeshwari Choudhary परमेश्वरी जी जानकर खुशी हुई कि आपके जैसे बुद्धिजीवी के ब्लॉगर बनने में मेरा छोटा सा योगदान रहा। आपकी अमेरिका के यात्रा विवरणों का काफी लुत्फ उठाया है मैंने। :)

Manish Kumar on मार्च 29, 2015 ने कहा…

Amal Awasthi आपकी वाणी में घी शक्कर ! बस यूँ ही स्नेह बनाएँ रखें।

Naresh Khattar on मार्च 29, 2015 ने कहा…

Saraahneey....badhayi sweekaren

Reshav Singh on मार्च 29, 2015 ने कहा…

Manish aapko koti koti badhaiyan

Roshan Mehboobani on मार्च 29, 2015 ने कहा…

Lage raho professor....humari taraf se hazaro shubkamnaye

Manish Kumar on मार्च 29, 2015 ने कहा…

धन्यवाद नरेश, रेशव व रोशन आप सबकी शुभकामनाओं का ! :)

Prashant Suhano on मार्च 29, 2015 ने कहा…

हार्दिक शुभकामनाएं, मनीष सर..!

Prasad Np on मार्च 29, 2015 ने कहा…

Awesome, congratulations. Manish jee

Manish Kumar on मार्च 29, 2015 ने कहा…

शुक्रिया प्रशांत व प्रसाद ! :)

Deepika Pokharna on मार्च 29, 2015 ने कहा…

बहुत-२ बधाई,मनीष जी !

Manish Kumar on मार्च 29, 2015 ने कहा…

शुक्रिया दीपिका !

Mamta Swaroop on मार्च 29, 2015 ने कहा…

ढेरों बधाईयाँ मनीषाजी .सफलता आपके कदम चूमे ,आप हमेशा आगे बढते रहें .

Vimal Verma on मार्च 29, 2015 ने कहा…

मनीष जी आपको हार्दिक शुभकामनाएं !!

बी एस पाबला on मार्च 30, 2015 ने कहा…

बधाई शुभकामनाएं मनीष जी

Yaad safar ki on मार्च 30, 2015 ने कहा…

हार्दिक बधाईयाँ मनीष जी !

Vivek Somani on मार्च 30, 2015 ने कहा…

Manish...bahut acha. Aise he lage raho.

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

हार्दिक शुभकामनाएं ...

गिरिजा कुलश्रेष्ठ on मार्च 30, 2015 ने कहा…

इस सुहाने संगीतमय इतने सफर की हार्दिक बधाई. अभी इसे सुदूर तक जाना है .

Deepak Amembal on मार्च 30, 2015 ने कहा…

Happy Blogversary!!

Shrish Benjwal Sharma on मार्च 30, 2015 ने कहा…

बधाई जी

Ritesh Gupta on मार्च 30, 2015 ने कहा…

हार्दिक शुभकामनाएं ...

Ravindra Nath Arora on मार्च 30, 2015 ने कहा…

हार्दिक शुभकामनाएं ..

Deepika Rani on मार्च 30, 2015 ने कहा…

हिंदी के बेहतरीन ब्लॉगों में से एक, जिसमें आपकी मेहनत साफ दिखाई देती है। बधाई।

Suresh Chiplunkar on मार्च 30, 2015 ने कहा…

जबरदस्त.. शानदार... जानदार... वाकई आप तो Nostalgia में ले गए सभी हिन्दी ब्लॉगर्स को..

Nisha Jha on मार्च 30, 2015 ने कहा…

Congratulations!

अर्चना चावजी on मार्च 30, 2015 ने कहा…

आपकी लगन को सलाम ,लगातार प्रगती पथ पर अग्रसर हों

Rashmi Ravija on मार्च 30, 2015 ने कहा…

बहुत बहुत बधाई एवम् शुभकामनाएं ।लंबा सफर तय किया आपने...सफर अनवरत चलता रहे

Anuradha Goyal on मार्च 30, 2015 ने कहा…

Bahut Bahut Badhai aur shubhkaamnayen...

Kusum Kushwaha on मार्च 30, 2015 ने कहा…

Congrats Manish ji

Puja Upadhyay on मार्च 30, 2015 ने कहा…

Congrats. I always remember that you were the first to comment on my blog the happiness on seeing those words haven't faded even after all these years. Your blog has come a long long way. Some posts are my favourites. Like the one in which a girl has chosen the fountain of love from amongst three fountains. So much nostalgia. Ahhhh. Congrats again

Rituparna Mudra Rakshasa on मार्च 30, 2015 ने कहा…

बहोत मुबारक !

Kundan Shrivastava on मार्च 30, 2015 ने कहा…

बहुत बहुत बधाई और मुबारक़बाद मनीष . . .

Kanchan Singh Chauhan on मार्च 30, 2015 ने कहा…

हम जैसों के लिए ब्लॉग्गिंग की एक खिड़की खोल एक नई दूनियाँ से परिचय करवाने का पूरा श्रेय भी आपको ही है।

Priyankar Paliwal on मार्च 30, 2015 ने कहा…

क्या बात ! बहुत-बहुत बधाई ! आपके ब्लॉग पर तब संगीत के लिए विशेष रूप से जाया जाता था .

Ghughuti Basuti on मार्च 30, 2015 ने कहा…

badhai.

Anulata Raj Nair on मार्च 30, 2015 ने कहा…

वाह...कमाल की बात है ये तो.....बधाई.....सिलसिला जारी रहे !!

Ashutosh Singh on मार्च 30, 2015 ने कहा…

बधाई।शुभकामनाएँ।

Manish Kumar on मार्च 30, 2015 ने कहा…

Deepika मेहनत तो इसीलिए हो पा रही है कि आप सब का साथ मिला।

Suresh Chiplunkar हर मील के पत्थर पर ठहर कर सोचना अच्छा तो लगता है कि ये साल कैसे गुजरे !

अर्चना चावजी आप जैसे अग्रजों का आशीर्वाद रहा तो ये सफ़र जारी रहेगा यूँ ही।


Rashmi Ravija जरूर चलता रहेगा आपकी कहानियों और Anulata Raj Nair की कविताओं की तरह :)


Puja Upadhyay सच मुझे ख्याल नहीं था कि वो पहली टिप्पणी मेरी थी। अब तो यही कहेंगे कि आपने याद दिलाया तो मुझे याद आया। शुक्रिया पुराने लेखों से जुड़ी यादों को बाँटने का। लेखिका बनने की हार्दिक बधाई :)


Kanchan Singh Chouhan कंचन ब्लॉग तक की राह तो मैंने जरूर दिखलाई पर तुम में प्रतिभा ना होती तो क्या तुम्हारा लिखा इतना पसंद किया जाता। कहानियों का सफ़र यूँ ही ज़ारी रहे।


Priyankar Paliwal हाँ प्रियंकर जी याद है जब आपके सारगर्भित विचारों से लेखों को एक अलग सा नज़रिया मिल जाया करता था।

Manish Kumar on मार्च 30, 2015 ने कहा…

Vimal Verma, Bs Pabla, Vivek Somani, महेन्द्र मिश्र, Shrish Benjwal Sharma, Ritesh Gupta, Ravindra Nath Arora, Nisha Jha, Ashutosh Singh, Rakesh Bhartiya, Ghughuti Basuti, Kundan Shrivastava, Rituparna Mudra Rakshasa, Kusum Kushwaha, Anuradha Goyal, Deepak Amembal आप सब की शुभकामनाओं का तहेदिल से शुक्रगुजार हूँ। :)

Kanchan Singh Chouhan on मार्च 30, 2015 ने कहा…

सारी प्रतिभाओं का दम घुट जाता है मनीष जी सही दिशा के आभाव में। एक बहुत बड़े फ़लक के रीति रिवाज़ से परिचित हुई आपके माध्यम से।

PN Subramanian on मार्च 30, 2015 ने कहा…

शुभकामनाएँ

Neha Verma on मार्च 30, 2015 ने कहा…

Congratulations Bhaiya...n wishing many more years of ur beautiful writing

Swati Gupta on मार्च 30, 2015 ने कहा…

Bahut bahut badayi apko... apki kalam yu hi chalti rahe...

Smita Rajan on मार्च 30, 2015 ने कहा…

Many congratulations

Unknown on मार्च 31, 2015 ने कहा…

Hearty Congratulations Manish ji.

Radha Chamoli on मार्च 31, 2015 ने कहा…

Badhai ho Manish Kumar ji

Manish Kumar on मार्च 31, 2015 ने कहा…

शुक्रिया Neha, Swati, Radha, Smita jee Sunita jee इन प्यारी शुभकामनाओं का !

Ankit Joshi on मार्च 31, 2015 ने कहा…

मैंने जब पहली दफ़ा आपका ब्लॉग पढ़ा था तो लगा उफ़्फ़ जैसे इक खज़ाना हाथ लग गया हो। एक बार में ही न जाने कितनी पोस्ट पढ़ गया था। उस वक़्त हर समय इंटरनेट नहीं रहता था इसलिए एक साथ कई कई पोस्ट को पेन ड्राइव पर सेव कर लैपटॉप पे पढ़ा है। मेरे ब्लॉग की दुनिया का एक अहम पड़ाव है आपका ब्लॉग, क्योंकि मुझे मेरे सारे इंटरेस्ट यहाँ मिल जाते हैं चाहे वो ग़ज़ल हो, या फ़िल्म गीत संगीत हो या कुछ और। आपका शुक्रिया मुझे पढ़ने का एक ख़ूबसूरत एहसास देनेके लिए।

Puja Upadhyay on मार्च 31, 2015 ने कहा…

Thanks Manish hamare liye to bhoolne layak baat hi nahin thi and thanks...sab lekhak banna blog ka hi asar hai aur aap jaise kuch logon ke protsahan ka

Puneet Sharma on मार्च 31, 2015 ने कहा…

Awesome Manish... Your post reminded me of my blog days it's awesome that you carried on with your passion for writing and music ... Kudos

Mamta Prasad on मार्च 31, 2015 ने कहा…

Congratulations ! I do remember when I landed first time to ur blog....just loved it ....can not remember how many time I visited afterwards to find JS ji's ghazals....ur presentation is very impressive...keep writing and stay blessed.

गौतम राजरिशी on मार्च 31, 2015 ने कहा…

Wowwww....its been an awesome journey Manish Ji.... Kya din the wo bhi... Yaad hai kaise geetmala ke ek ek sopaan ko follow kiya karta tha. Jaane kitne geeto aur ghazalo ke peechhe ki chhupi kahaaniya aap se maaloom hua... Badhaayee ! Ye Silsila yu hi chaltaa rahe ....

Sonroopaa Vishal on मार्च 31, 2015 ने कहा…

बहुत बहुत बधाई मनीष जी।आपकी कितनी पोस्ट पढ़कर मुझे लगा कि मैंने आज कितना बेहतर पढ़ा।

Annapurna Gayhee on मार्च 31, 2015 ने कहा…

शुक्रिया मनीष जी, आपकी यह शैली अच्छी लगी जिससे अन्यों के विचार भी एक स्थान पर पढ़ने को मिले

Manish Kumar on मार्च 31, 2015 ने कहा…

Ankit Joshi अंकित सुबह सुबह तुम्हारी टिप्पणी पढ़ी तो लगा लिखना सार्थक हुआ। सच ब्लॉगिंग के माध्यम से अपने जैसी रुचियों रखने वाली एक बड़ी जमात को अपने मित्र के रूप इर्द गिर्द पाया है। एक बार फिर दिल से शुक्रिया तुम्हारे इन नेह भरे शब्दों का।

Puneet Sharma हाँ पुनीत ब्लॉगिंग के उस शुरुआती दौर में हमारा एक पूरा समूह था। अंग्रेजी के ब्लॉगरों के साथ बिताये वो आत्मीयता के क्षण मुझे हमेशा याद रहे हैं और रहेंगे ।

Mamta Prasad आशा है आपकी ग़ज़लों की खोज में मेरा ब्लॉग आगे भी मदद करता रहे ।


Gautam Rajrishi गौतम राजरिशी मुझे आपका ख्याल आते ही पटना की वो चाय की दुकान याद आ जाती है जहाँ खत्म ना होती बातचीत के बीच कितने सारे प्याले हमने गटकाए थे। अंत में दुकान वाला भी आजिज़ आ के बोल ही उठा था और कैसे ना बोलता वैलंटाइन डे जो था। बहरहाल आपकी किताब की ग़ज़लें धीरे धीरे पढ़ रहा हूँ शादी तक की कहानी तो सुन चुका हूँ शायद आगे के लिए कोई clue मिले :p

Sonroopa Vishal और क्या कहूँ आपके उदार शब्दों के लिए शुक्रिया

Pavan Jha on अप्रैल 02, 2015 ने कहा…

Waah! Mubaarak ho!

Mritunjay Kumar Rai on अप्रैल 02, 2015 ने कहा…

Congratulations for such awesome blog journey. Keep entertaining us with your creative quotient. Thanx

Prabin Khetwal on अप्रैल 02, 2015 ने कहा…

You really have passion for it. That is why u can find time for blogging (because it requires lot of time and patience) even after so much of office load. I have passion for trekking but can only do it once or twice a year . U fulfil your passion every day. Congratulation and keep it up. I am thinking to start my blog of trekking for last 10 years, hope one day I will be able to start it. Can u please give me a push.

Manish Kumar on अप्रैल 02, 2015 ने कहा…

Thx a lot Pavan , Mrityunjay for ur lovely wishes.


Prabin Khetwal हाँ सर ब्लॉग लिखिए या फिर फेसबुक पर ही लिखना शुरु कीजिए। किसी भी तरह की तकनीकी समस्या के निवारण के लिए बंदा हाज़िर है। पर लिखने के लिए तो इच्छाशक्ति अंदर से ही जगानी होगी और वो तभी होगा जब आप उस प्रक्रिया के दौरान आनंद का अनुभव करें। बाकी push करने की बात है तो चलिए साथ किसी पहाड़ पर

संदीप द्विवेदी on अप्रैल 03, 2015 ने कहा…

आदरणीय मनीष भाई,
आपसे जब फ़ेसबुक पर जुड़ा और आपकी रुचियों से वाक़िफ़ हुआ तो जाना की मेरा भी दिल आप ही की तरह गीत-संगीत और घुमक्कड़ी में रमता है। संगीत में गहन रूचि के फलीभूत इतने बेहतरीन ब्लॉग्स पढ़ने को मिले। आपका विस्तृत और व्यापक शोध ही है जो हर बार आपके ब्लॉग तक खींच लाता है वरना ब्लॉग लिखने-पढ़ने से कई वर्ष पहले ही नाता टूट सा चुका है। आपने अपने ब्लॉग में उस नाचीज़ का भी उल्लेख किया इसके लिए आपका हार्दिक आभारी हूँ। हमारी यह ब्लॉग यात्रा इसी प्रकार अनवरत जारी रहे इसी शुभकामना के साथ,
आपका
संदीप द्विवेदी "वाहिद काशीवासी"

Sumit on अप्रैल 05, 2015 ने कहा…

Manish Ji,

Bahut Bahut Badhai!!!

I have been reading each of your posts. It is entertaining, soothing and inspiring at the same time.
Keep the good work.

Regards and Love
Sumit

Lovelorn MS on अप्रैल 06, 2015 ने कहा…

बहुत बहुत शुभकामनाएं |

 

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