मंगलवार, जनवरी 05, 2016

वार्षिक संगीतमाला 2015 पायदान #24 : मूँछ बनानी हो कि मूँछ कटानी है, पतली गली आना Patli Gali Aana

वार्षिक संगीतमाला 2015 की पिछली पायदान पर अपने हवाईज़ादे तुर्रम खाँ की मस्तियों का आनंद जरूर उठाया होगा। अगली पॉयदान पे जो गीत है उसमें मस्ती के वो तेवर बरक़रार हैं पर इन अगर आप सिर्फ इस अटपटे से गीत के बाहरी स्वरूप तक अपने आप को सीमित रखेंगे तो उस पतली गली तक बिल्कुल नहीं पहुँच पाएँगे जहाँ ये गीत आपको ले जाना चाहता है। दरअसल फिल्म तलवार के लिए गुलज़ार का लिखा ये गीत सहज शब्दों के बीच ढेर सारे  ऐसे प्रतीकों को समेटे हुए है जो हमारे आस पास के समाज का हिस्सा हैं। 

आरुषि तलवार केस की बुनियाद पर बनाई फिल्म तलवार में संगीत के लिए अलग से जगह नहीं थी। फिल्म के सारे गीत पार्श्व से ही उठते हैं पात्रों की आंतरिक व्यथा को व्यक्त करने के लिए। पर फिल्म के गंभीर गीतों के बीच गुलज़ार को एक जगह मिली अपने व्यंग्यात्मक तीर चलाने के लिए। आरुषि तलवार के केस में शुरुआती जाँच में पुलिस और उसकी सहयोगी संस्थाओं से जो गफ़लत हुई उसको अपने निशाने पे लेते हुए गुलज़ार साहब ने व्यंग्य की धार पर इस गीत को कसा और विशाल भारद्वाज के संगीत और सुखविंदर की गायिकी ने उन शब्दों में जैसे जान सी डाल दी।


फिल्म देखने के बाद मुझे तो यही लगा कि जिस पतली गली की बात गुलज़ार कर रहे हैं उसका अभिप्राय एक आम आदमी के पुलिस, कोर्ट कचहरी व मीडिया के चक्कर में फँसने से है। इसीलिए इस पतली गली में आकर आपकी मूँछ यानि इज्ज़त बन भी सकती है या उसका पलीदा भी निकल सकता है। अगर आप पाक साफ भी हो तो सिस्टम के अंदर की काई और फिसलन के सामने आपका  दामन शायद ही बदरंग होने से बच पाए। इस गली में आना है तो रसूख़दार मामुओं की रस्सियाँ खरीदनी होगी। बिना अपने काम की समझ रखने वालों के हाथों अपने भविष्य को गिरवी रखना होगा।

गुलज़ार ने आख़िरी अंतरे में एक ही पंक्ति में जिस तरह 'आम' शब्द का प्रयोग उसके दोनों अर्थों यानि साधारण जन व एक फल के रूप में किया है वो काबिलेतारीफ़ है। आप भी ज़रा गौर फ़रमाएँ

गुठली से रह जाते हैं, जो पूरे आते हैं
आम लोग इस गली में, अक्सर चूस लिये जाते हैं

इस तरह के बिना एक मीटर के गीत को निभा पाना बेहद कठिन है पर विशाल भारद्वाज जानते हैं कि जब तक सुखविंदर हैं उन्हें इसकी चिंता नहीं करनी है। विशाल भारद्वाज ने ताल वाद्यों और हारमोनियम की मदद से जो गीत की लय बनाई है वो श्रोताओं को सहज अपनी ओर खी्च लेती हें। हाँ इंटरल्यूड्स कुछ और  बेहतर हो सकते थे।

तो अब और देर करना ठीक नहीं चलते हैं पतली गली के इस सफ़र पर..

 

धार लगानी, तलवार चलानी
हो कि चक्की पिसानी हो
पतली गली आना
मूँछ बनानी हो कि मूँछ कटानी है
दुकान पुरानी  अरे पतली गली आना

पतली गली में फिसलन है, अरे काई भरी है सीलन है
हो ज़रा पैंचे उठा के आना, आना जी ज़रा पैंचे उठा के आना...
आना जी ज़रा पैंचे उठा के आना ओ ज़रा पैंचे उठा के आना
पतली गली आना..

पतली गली में सारे गंजे, कंघियाँ बेच रहे हैं
अरे फाँसी गले में डाल के मामू, रस्सियाँ बेच रहे हैं
गंजे कंघियाँ बेच रहे हैं, मामू रस्सियाँ बेच रहे
गर्म हवा का झोंका, गली में कोई भौंका
है भौंका ज़रा, दुम दबा के आना...
मूँछ बनानी हो ..पतली गली आना...

गुठली से रह जाते हैं, जो पूरे आते हैं
आम लोग इस गली में, अक्सर  चूस लिये जाते हैं
बासी हो या ताज़ा
बाअदब बामुलाहिज़ा
पतली गली आना


संगीतमाला का अगला गीत भी थोड़ा बोलों के मामले में अटपटा है और मुझे यकीन है कि पिछले साल उसे आप सबने सुना होगा तो इंतज़ार कीजिए कल तक का संगीतमाला की अगली पॉयदान पर चढ़ने के लिए।

वार्षिक संगीतमाला 2015

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5 टिप्पणियाँ:

Archana Chaoji on जनवरी 05, 2016 ने कहा…

मजेदार !

Kumar Nayansingh on जनवरी 05, 2016 ने कहा…

यकीन है कि बहुत लोगों ने, जिनमें मैं भी शामिल हूँ, इस गाने पर ध्यान ही नहीं दिया होगा। मगर मान गए जनाब, आप उसी जौहरी की तरह हैं जो बगुलों में छिपे हंस को बखूबी पहचान कर बाहर ला रहे हैं। साधुवाद। कल और अधिक बेसब्री से प्रतीक्षा करूँगा। आभार।

Manish Kumar on जनवरी 05, 2016 ने कहा…

शुक्रिया नयन फिल्म देखते हुए कई बार गीत के बोलों पर ध्यान कम जा पाता है। बहरहाल अगला नग्मा तो बेहद लोकप्रिय है सो उसे पहले से सुने होने का संजोग ज्यादा है।

Kumar Nayansingh on जनवरी 05, 2016 ने कहा…

सुना होने का संयोग ज्यादा है भैया मगर ध्यान देने वाला संयोग कम हो सकता है।

मन्टू कुमार on जनवरी 06, 2016 ने कहा…

गुलज़ार साहब ने ऐसे ही व्यंग्यात्मक तीर "चला मुस्सद्दी ऑफिस-ऑफिस" में आम आदमी और चला मुस्सद्दी गाने में चलाये हैं वहाँ भी सुखविन्दर जी हैं पर विशाल की जगह साजिद-वाजिद की तर्ज़ पर।
गाने के बोल ही दोनों जगह मायने रखते हैं,ऐसा ही है ना ?

ख़ैर,अब माना जाये कि बाकि के बचे पायदानों में "इंसाफ होगा" गाने का नंबर नहीं आयेगा ?

 

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