मंगलवार, जनवरी 03, 2017

वार्षिक संगीतमाला 2016 पायदान # 24 : माया ठगनी नाच नचावे Maya Thagni Nach Nachave

वार्षिक संगीतमाला की साल के बेहतरीन पच्चीस गीतों की अगली कड़ी में है फिल्म जय गंगाजल का गीत। संगीतकार सलीम सुलेमान और गीतकार मनोज मुन्तशिर तो हिंदी फिल्म संगीत में किसी परिचय के मुहताज नहीं पर इस गीत के यहाँ होने का सेहरा बँधता है इस गीत के गायक प्रवेश मलिक के सिर। खासकर इसलिए भी कि ये गीत हिंदी फिल्मों में गाया उनका पहला गीत है।

प्रकाश झा की फिल्में हमेशा से हमारे आस पास के समाज से जुड़ी होती हैं। समाज की अच्छाइयों बुराइयों का यथार्थ चित्रण करने का हुनर उनकी फिल्मों में दिखता रहा है। पर अगर फिल्म के गीत भी समाज का आइना दिखलाएँ तो उसका आनंद ही कुछ अलग होता है। वार्षिक संगीतमाला की 24 वीं पॉयदान के गीत का चरित्र भी कुछ ऐसा ही है। समाज के तौर तरीकों पर व्यंग्य के तीर कसते गीत कम ही सही पर पिछले सालों में भी बने हैं और एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमालाओं का हिस्सा रहे हैं। मूँछ मुड़ानी हो तो पतली गली आना...... , पैर अनाड़ी ढूँढे कुल्हाड़ी....., सत्ता की ये भूख विकट आदि है ना अंत है...... जैसे गीत इसी कोटि के थे।


इस फिल्म का संगीत रचते समय सलीम सुलेमान को निर्देशक प्रकाश झा से एक विशेष चुनौती मिली। चुनौती ये थी कि फिल्म के नाटकीय दृश्यों पर अमूमन  दिये जाने वाले  पार्श्व संगीत के बदले उसे चित्रित करता हुआ गीत लिखा जाएगा। माया ठगनी भी इसी प्रकृति का गीत है जो फिल्म के आरंभ  में आता है और  दर्शकों को कथानक की पृष्ठभूमि से रूबरू कराता है। वैसे जीवन दर्शन से रूबरू कराते इसी फिल्म के गीत सब धन माटी में मनोज की शब्द रचना भी बेहतरीन है।

गीतकार मनोज मुन्तशिर ने गीत के बोलों में जिसकी लाठी उसकी भैंस के सिद्धांत पर चलते इस समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी पर अपने व्यंग्य बाण कसे हैं।  ये उल्टी पुल्टी व्यवस्था  एक डर भी जगाती है और साथ चेहरे पर एक विद्रूप मुस्कान भी खींच देती है । 

संगीतकार व निर्देशक को इस गीत के लिए ऐसे गायक की जरूरत थी जो लोकसंगीत में अच्छी तरह घुला मिला हो और प्रवेश ने उनकी वो जरूरत बखूबी पूरी कर दी। लोकधुन और पश्चिमी संगीत के फ्यूज़न में रचे बसे इस गीत को अगर प्रवेश ने अपनी देशी आवाज़ की ठसक नहीं दी होती तो ये गीत इस रूप में खिल नहीं पाता।

प्रवेश मलिक
नेपाल के जनकपुर धाम के एक मैथिल परिवार में जन्मे प्रवेश मलिक को अपने पिता से कविता और भाइयों से लोकगीत गायिकी का माहौल बचपन से मिला। बिहार और नेपाल में संगीत की शुरुआती शिक्षा के बाद प्रवेश ने दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में परास्नातक की डिग्री भी हासिल की। अनेक गैर फिल्मी एलबमों में संगीत संयोजन से लेकर गायिकी तक करने वाले प्रवीण सूफी रॉक बैंड सानिध्य से भी जुड़े रहे हैं। माया ठगनी में बाँसुरी की धुन के साथ जब प्रवीण की आवाज़ ए य ऐ .. ए य ऐ. करती हुई लहराती है तो मन बस उस सोंधी मिठास में झूम उठता है।

 इस ज्यूकबॉक्स का पहला गीत ही माया ठगनी है। यहाँ आप पूरा गीत सुन पाएँगे।

 

माया ठगनी नाच नचावे , माया ठगनी नाच नचावे
इहे ज़माना चाले रे. अब इहे ज़माना चाले रे
डर लागे और हँसी आवे, अब इहे ज़माना चाले रे

डंका उसका बोलेगा,, डंडा जिसके हाथ में
घेर के पहले मारेंगे,बात करेंगे बाद में
हवा बदन में सेंध लगावे......, हवा बदन में सेंध लगावे
इहे ज़माना चाले रे, अब इहे ज़माना चाले रे
डर लागे और हँसी आवे, अब इहे ज़माना चाले रे

कोयल हुई रिटायर, कौवे गायें दरबारी
कौवे गाये दरबारी, कौवे गायें  दरबारी
आ…., दरबारी
कोयल हुई रिटायर, कौवे गायें  दरबारी

बिल्ली करती है भैया, यहाँ दूध की चौकीदारी
यहाँ दूध की चौकीदारी, यहाँ दूध की चौकीदारी
भोले का डमरू मदारी बजावे....., भोले का डमरू मदारी बजावे
इहे ज़माना चाले रे, अब इहे ज़माना चाले रे
डर लागे और हँसी आवे, अब इहे ज़माना चाले रे


और ये है गीत का संक्षिप्त वीडियो वर्सन

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6 टिप्पणियाँ:

Kapil Choudhary on जनवरी 03, 2017 ने कहा…

बहुत सुन्दर लगा इस गीत के बारे मे जानकर ।

Manish Kumar on जनवरी 03, 2017 ने कहा…

बिहार यूपी की मिट्टी का रंग है इस गीत में। :)

Kapil Choudhary on जनवरी 04, 2017 ने कहा…

इस प्रकार का जमीन लगाव वाले गीत बहुत कम मिलता है । वो भी फिल्मो मे एकाध मिल जाये तो प्रकाश झा जैसे शख्स के कारण। और आपकी प्रस्तुति हमलोग जैसे को इन गीत - संगीत के जड़ तक पहुँचाते है।

कंचन सिंह चौहान on जनवरी 06, 2017 ने कहा…

पता ही होगा कि लोकगीत के टच वाले गीत पसन्द आते हैं तो ये गीत भी पसन्द आया। यद्यपि पहली बार सुना।

Manish Kumar on जनवरी 06, 2017 ने कहा…

शब्दों के लिहाज से इसी फिल्म का एक और गीत सब धन माटी भी बेहतरीन है। पर लोकगीत और प्रवेश मलिक की गायिकी मुझे भा गयी।

Unknown on जनवरी 12, 2017 ने कहा…

Ek sambhawna se bhari talent Se bhari ye awaz kal Hindustan Ki aawaj banne ka samartha rakhta hai.

 

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