शनिवार, मार्च 25, 2017

अनारकली आरा वाली .. नारी अस्मिता को उभारती एक सशक्त फिल्म Anaarkali of Arrah

आरा से मेरा छोटा सा ही सही, एक रिश्ता जरूर है। मेरे पिता वहाँ  तीन सालों तक पदस्थापित रहे। पहली बार इंटर में अकेले रेल यात्रा मैंने पटना से आरा तक ही की थी । आरा के महाराजा कॉलेज में संयोगवश भौतिकी की प्रयोगशाला में जाने का अवसर मिला तो पता चला कि भोजपुरी में विज्ञान कैसे पढ़ाया जाता है। आज अविनाश दास की फिल्म अनारकली आफ आरा ने इस शहर से पुराने तार फिर जोड़ दिए।   बिहारी मिट्टी की खुशबू लिए एक कसी हुई, संवेदनशील फिल्म बनाने के लिए  निर्देशक अविनाश दास हार्दिक बधाई के पात्र हैं।



अनारकली आरा वाली, भ्रष्ट पुलिस, रसूखदार व रँगीले उप कुलपति और मौकापरस्त नौटंकी मालिक के बीच पिसती एक नाचनेवाली की सहज सी कहानी है जो  बिना किसी लाग लपेट या भाषणबाजी के साथ कही गयी है । ये अविनाश की काबिलियत है कि द्विअर्थी गीत गाने वाली अनारकली पर फिल्म बनाते हुए भी अश्लीलता परोसने के लालच में बिना फँसे हुए उन्होंने विषय पर अपनी ईमानदारी बनाए रखी है। अविनाश इस लिए भी बधाई के पात्र हैं कि जो कलाकार उन्होंने इस फिल्म के विभिन्न किरदारों के लिए चुने हैं उन्होंने कमाल का काम किया है।

स्वरा भास्कर ने तनु वेड्स मनु के दोनों संस्करणों में अपने अभिनय की छाप छोड़ी थी। निल बटे सन्नाटा में उनका काम सराहा गया था पर यहाँ तो उन्होंने अनारकली के किरदार को पूरी तरह जी लिया है। इतना तो तय है कि ये फिल्म बतौर अभिनेत्री उनके कैरियर में मील का पत्थर साबित होगी। स्वरा के साथ जो किरदार छोटे समय में भी दिल को गुदगुदाते हुए भिंगो कर चला जाता है वो है हीरामन तिवारी का। सच, इस छोटे से रोल में इस्तियाक खाँ के अभिनय की जितनी तारीफ़ की जाए कम है। संजय मिश्रा और पंकज त्रिपाठी की अभिनय क्षमता से हम सभी पहले से ही वाकिफ़ हैं। इस फिल्म में भी उन्होंने अपना यश कायम रखा है।

रही बात गीत संगीत की तो इस फिल्म में वो कहानी का एक हिस्सा है। बिहार की पान दुकानों से लेकर बस के अंदर तक, मेलों से लेकर ठेलों तक दोहरे अर्थों वाला भौंड़ा भोजपुरी संगीत वहाँ के किस बाशिंदे ने नहीं सुना होगा। फिल्म के संगीतकार रोहित शर्मा और गीतकारों के लिए चुनौती थी कि उस पूरे माहौल को फिल्मी पर्दे पर उतार दें। रोहित ने वो तो किया ही है साथ ही कुछ ऐसे संवेदनशील गीतों को भी इस फिल्म का हिस्सा बनाया है जो दिल में एक घुटन और दर्द का अहसास जगाते हैं। रेखा भारद्वाज का गाया बदनाम जिया दे गारी और सोनू निगम का मन बेक़ैद हुआ कुछ ऐसा ही गीत  हैं।

औरत चाहे जो भी काम करे उसके चरित्र को ना उसके काम से आँका जा सकता है और ना ही उसकी ना का वज़न उसके काम से छोटा हो जाता है। अविनाश इस फिल्म के माध्यम से ये  संदेश देने में सफल हुए हैं। फिल्म का संपादन चुस्त है। फिल्म अपनी बिहारीपनती से हँसाती भी है और अनारकली की पीड़ा से कोरों को गीला भी करती है। अब "भकुआ" के का देख रहे हैं? गर्दवा ऐसे थोड़ी उड़ेगा। जाइए जल्दी फिलिम देख आइए। 😉

चलते चलते सोनू निगम की आवाज़ में प्रशांत इंगोले का लिखा इस फिल्म का लिखा गीत  सुन लीजिए। इसमें आपको स्वरा भास्कर के साथ दिखेंगे इस्तियाक खाँ !
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10 टिप्पणियाँ:

Sumit on मार्च 26, 2017 ने कहा…

Wah! Dekhna padega.

Manish Kumar on मार्च 26, 2017 ने कहा…

हाँ जरूर !

Ashish Kumar on मार्च 26, 2017 ने कहा…

Ara ko aise bhi bhoolna mushkil hai agar aapne magadh express se Dilli ki yatra ki Ho. Hamare zamaane mein sleeper class Ho ya ac aapko ek ara wala aapki seat pe pehle se baitha nazar aayega. Waise is film ki kahani ka title bhojpuri anarkali zyada satik hota kyonki ara, buxar, balia, chapra, deoria, etc sare jagah ki kahani lagti.

Manish Kumar on मार्च 26, 2017 ने कहा…

हाँ आशीष आख़िर ऐसे ही कहावत नहीं चल पड़ी कि आरा जिला घर बा तो कौन बात के डर बा ! लंबी दूरी की ट्रेनों में आरा के डेली पैसेन्जर्स से हमेशा साबका पड़ता रहता था। चूंकि कहानी सत्य घटना से प्रेरित है इसलिए निर्माताओं ने शायद फिल्म का नामकरण यूँ किया हो। पर देखना इसे तुम्हें पसंद आएगी।

Rashmi Sharma on मार्च 26, 2017 ने कहा…

जाने की इच्छा तो पहले ही थी। जरूर देखूँगी।

Manish Kumar on मार्च 26, 2017 ने कहा…

जी बिल्कुल! !

Sumit Prakash on मार्च 26, 2017 ने कहा…

Aapko films ka reviews likhna chahiye har hafte.

Manish Kumar on मार्च 26, 2017 ने कहा…

@Sumit Prakash जरूर, बस पाठकों से उम्मीद है कि वे टिकट भेज दिया करेंगे 😜

Manoj on अप्रैल 04, 2017 ने कहा…


nic post


http://pradhanmantrivikasyojana.in/

Mukesh Kumar Giri on अप्रैल 07, 2017 ने कहा…

अतिउत्तम

 

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