गुरुवार, मार्च 17, 2022

वार्षिक संगीतमाला Top Songs of 2021 थोड़े से कम अजनबी Thode Se Kam Ajnabi

पिछले साल के शानदार गीतों की शृंखला में आज बात फिल्म पगलैट के एक दिलकश गीत की जिसे पहली बार सुनते ही गीत मन में रम सा गया था। कहना मुश्किल था कि ये हिमानी की जादुई आवाज़ का असर था या अरिजीत की सुरीली बहती सी धुन का या फिर नीलेश मिश्र के शब्द जिसको महसूस करते हुए इस गीत के लिए श्रोताओं के दिल की खिड़की खोल दी थी। इस गीत का मर्म समझने के लिए आपको पगलैट फिल्म की कहानी से परिचय कराना बेहद जरूरी हैं क्यूँकि फिल्म का गीत संगीत उसी में अपनी राह बनाता हुआ चलता है। 

जैसा मैंने आपको पहले भी बताया था कि पगलैट एक ऐसी लड़की की कथा है जो शादी के चंद महीने बाद ही अपने पति को खो बैठती है। इतने कम समय में पति के साथ उसके मन के तार ठीक से जुड़ भी नहीं पाते हैं और तभी उसे पता चलता है कि जो अनायास ही ज़िंदगी से चला गया उसकी एक प्रेमिका भी थी। अपने पति के बारे में और जानने के लिए वो उसकी प्रेमिका से मिलती है और धीरे धीरे अपने पति के प्रति उसकी नाराज़गी व गलतफहमी दूर होने लगती है और इसलिए गीत के मुखड़े में नीलेश लिखते हैं थोड़े से कम अजनबी..मेरे दिल के घर में, खिड़की नयी है खुल गयी। 

मन के अंदर का चक्रवात शांत होगा तभी तो व्यक्ति सकारात्मक ढंग से भविष्य के बारे में सोच सकेगा। ज़िदगी से एक बार फिर प्यार कर सकेगा। नीलेश नायिका के मन को पढ़ते हुए इसी भाव को गीत में व्यक्त करते हैं।



अरिजीत, नीलेश और हिमानी इस गीत के साथ कैसे जुड़े ये जानना भी आपके लिए दिलचस्प होगा। फिल्म की निर्माता गुनीत मोंगा ये चाहती थीं कि फिल्म का संगीत अरिजीत दें, हालांकि इससे पहले अरिजीत ने स्वतंत्र रूप से बतौर संगीतकार कभी काम नहीं किया था। वहीं अरिजीत की शर्त थी कि कहानी पसंद आएगी तभी वे संगीत निर्देशन का काम सँभालेंगे। ज़ाहिर है उन्हें कहानी पसंद आई। 

नीलेश मिश्र पिछले कई सालों से फिल्मी गीतों को लिखना छोड़ चुके थे। उन्हें इस काम में मज़ा नहीं आ रहा था क्यूँकि जिस तरह की रचनात्मक स्वतंत्रता वो चाहते थे वो मिल नहीं रही थी।  फिल्म के पटकथा लेखक और निर्देशक उमेश बिष्ट ने उनकी ये इच्छा पगलैट में पूरी कर दी। एक बार पटकथा सुनाकर संगीतकार गीतकार की जोड़ी को बीच मझधार में छोड़ दिया ख़ुद ब ख़ुद किनारे तक पहुँचने के लिए। नीलेश और अरिजीत चाहते भी यही थे कि उन्हें अपनी नैया ख़ुद चलाने का मौका मिले। 

ये तो हम सभी जानते हैं कि अरिजीत सिंह ने गायिकी के साथ साथ प्रीतम दा के लिए सहायक के तौर पर काम किया है। प्रीतम और रहमान उनके लिए हमेशा प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। यहाँ तक कि आख़िर आख़िर तक गीत में बदलाव की आदत भी उन्हें प्रीतम से मिली है। पगलैट के संगीत के बारे में अरिजीत कहते हैं कि उन्होंने पहले से कुछ संगीतबद्ध कर नहीं रखा था। नीलेश ने गीत के बोल लिखे और उन बोलों से ही मन में धुन बनती चली गयी। कहना होगा कि नीलेश और अरिजीत दोनों ने ही संध्या के मन को कहानी की पटकथा से खूब अच्छी तरह जाँचा परखा और इसी वज़ह से फिल्म का संगीत इतना प्रभावी बन पाया।

अरिजीत ने जब गीत की धुनें बनायीं तो उनके दिमाग में नीति मोहन, हिमानी कपूर , मेघना मिश्रा, चिन्मयी श्रीपदा और झूंपा मंडल की आवाज़ें थीं। उन्होने क्या कि सारे गीत सभी गायिकाओं को भेजे। सबने हर गीत को गाया और यही वज़ह है कि एलबम में आप एक ही गीत को दो वर्जन में भी सुन पाएँगे।

हिमानी कपूर अरिजीत सिंह के साथ

हिमानी मेरी पसंदीदा गायिका हैं और उसकी खास वज़ह उनकी आवाज़ कि एक विशिष्ट बुनावट या tonal quality है जिसे सुनकर आप तुरंत पहचान लेंगे कि ये गीत हिमानी गा रही हैं। वैसे तो हिमानी ने पंजाबी रॉक से लेकर सूफी, रूमानी गीतों से लेकर ग़ज़लें भी गायी हैं पर मुझे उनकी आवाज़ संज़ीदा गीतों और ग़ज़लों के बिल्कुल मुफ़ीद लगती है। हिमानी और अरिजीत ने रियालटी शो की दुनिया से संगीत जगत में कदम रखा है। इसलिए वे एक दूसरे की गायिकी से भली भांति परिचित रहे हैं।

पिछले साल अगस्त के महीने में हिमानी के जन्मदिन पर अरिजीत ने संदेशा भिजवाया कि वो उनसे अपनी फिल्म का एक गीत गवाना चाहते हैं। हिमानी के लिए जन्मदिन का इससे प्यारा तोहफा हो ही नहीं सकता था क्यूँकि अरिजीत के साथ काम करना उनके एक सपने का पूरा होना था। हिमानी का कहना है कि अरिजीत जैसे गुणी कलाकार के साथ सहूलियत ये है कि वो गायक को पूरी छूट देते हैं अपनी समझ से गीत में बदलाव लाने के लिए। गीत सुनने के बाद आश्चर्य होता है ये जानकर कि इतना प्यारा नग्मा लॉकडाउन की वज़ह से आनलाइन मोड में ही बना।

शुरुआत और अंतरों के बीच में गिटार के बहते नोट्स और अंत में निर्मल्य डे की बजाई बाँसुरी मन को सुकून पहुँचाती है। हिमानी की आवाज़ तो मन मोहती ही है और बीच में पार्श्व से उठता अरिजीत का उठता स्वर गीत को एक विविधता प्रदान करता है। इसमें कोई शक़ नहीं कि ये फिल्मों के लिए हिमानी का गाया अब तक का सबसे बेहतरीन गीत है। तो आइए सुनें हिमानी को पगलैट के इस गीत में

थोड़े ग़म कम अभी, थोड़े से कम अजनबी

मेरे दिल के घर में, खिड़की नयी है खुल गयी
थोड़े से कम अजनबी, थोड़े से कम अजनबी..ख्वाहिशें नयी,
होठों के मुंडेरों पे छिपी है ढेरों..छोटी छोटी सी ख़ुशी
थोड़े से कम अजनबी, अच्छी सी लगे है ज़िन्दगी

दिल चिरैया हो हो चिरैया, चिरैया नयी बातें बोले हमका
मुस्कुराएँ हम क्यों बेवजह, ताका झाँकी टोका टाकी
करता जाए दिल ज़िद पे अड़ा, मैंने ना की इसने हाँ की
धूप छाँव बुनते साथ कभी
भूल भुलैया में मिल जो जाते रस्ते तेरे मेरे सभी, ख्वाहिशें नयी
होठों के.. है ज़िन्दगी

   

अब दो ही गीत बचे हैं पिछले साल के शानदार गीतों की इस संगीतमाला में। गीतों की मेरी सालाना रैंकिंग बताने का वक़्त पास आ रहा है। पर उससे पहले आप इन गीतों में अपनी पसंद का क्रम भी सजा लीजिए एक इनामी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए।

शुक्रवार, मार्च 04, 2022

वार्षिक संगीतमाला Top Songs of 2021 : तू यहीं है, आँखों के कोने में Tu Yahin Hai

वार्षिक संगीतमाला में आज जो युगल गीत है उसे गाया है अभय जोधपुरकर के साथ मधुश्री ने। दक्षिण के संगीतकार अक्सर मधुश्री को अपनी फिल्मों में गवाते रहे हैं। हिंदी फिल्मों मे उन्होंने जितने भी गीत गाए हैं उनमें सबसे बड़ा हिस्सा ए आर रहमान के साथ है। मधुश्री की आवाज़ की बनावट और मिठास एक अलग तरह की है जिसकी वज़ह से उनके गाए गीतों को सहज ही पहचाना जा सकता है। फिल्म युवा में उनका गाया कभी नीम नीम कभी शहद शहद या फिर रंग दे वसंती का तू बिन बताए भला कौन भूल सकता है।

रहमान, एम एम क्रीम के बाद इस कड़ी में नाम जुड़ा है जस्टिन प्रभाकरन का जिन्होंने मधुश्री को मौका दिया फिल्म मीनाक्षी सुंदरेश्वर में। 


मीनाक्षी सुंदरेश्वर दो ऐसे युवाओं की कथा है जिन्हें शादी के बाद अलग अलग रहना पड़ता है। पति पत्नी अलग अलग हैं फिर भी कोशिश कर रहे हैं कि उनके रिश्ते में जो प्रेम की लौ जल पड़ी है उसकी आँच को कम ना होने दें। राजशेखर की लेखनी के प्याले से हर पंक्ति में ये प्रेम छलका जाता है। मन केशर केशर में राजशेखर ने जो शब्दों के दोहराव का जो प्रयास किया था उसकी झलक इस गीत में भी दिखलाई देती है। 

राजशेखर बिहार के एक किसान परिवार से आते हैं। बचपन में वे देखा करते कि उनके पिता दिन भर की बातें माँ को शाम को इकठ्ठे बताया करते थे। ये बात वैसे खेती किसानी क्या हर कामकाजी परिवेश परिवारों के लिए ये आज भी सही है। अंतर सिर्फ इतना हो गया है कि अगर आप आमने सामने ना भी हों तो फोन कॉल या चैटिंग के ज़रिए संवाद होता रहता है। इसलिए गीत के अंतरे में उन्होंने लिखा हमें सुबह से इसका इंतज़ार है कि जल्दी जल्दी शाम हो...कि पूरे दिन के क़िस्से हम बताएँगे तसल्लियों से रात को।

राजशेखर की माहिरी तब नज़र आती है जब वो लिखते हैं..जुगनू-जुगनू बन के, साथ-साथ जागे...जादू-जादू सब ये, जादुई सा लागे...टिमटिमा के देखो, हँस रहा वो तारा...क्या सुना लतीफ़ा, उसने फिर हमारा। 

शब्दों का दोहराव और रूमानियत वाले भाव तो अपनी जगह पर टिमटिमा के देखने से लेकर तारों तक अपना लतीफा पहुँचाने की उनकी सोच मुझे तो बेहद पसंद आई। वैसे तो ये युगल गीत है पर मधुश्री की आवाज़ की छाप पूरे गीत में दिखाई देती है तो आइए पहले सुनते हैं ये गाना

  

तू यहीं है, आँखों के कोने में
जगने सोने में, यहीं है तू
तू यहीं है, हर पल रुसाने
मुझको मनाने, यहीं है तू
ये दूरी है दिल का वहम, संग मेरे है तू हरदम
दम दम दम

तू यहीं है, होने, ना होने में
ख़ुद को खोने में, यहीं है तू

हमें सुबह से इसका इंतज़ार है कि जल्दी जल्दी शाम हो
कि पूरे दिन के क़िस्से हम बताएँगे तसल्लियों से रात को
जुगनू-जुगनू बन के, साथ-साथ जागे
जादू-जादू सब ये, जादुई सा लागे
टिमटिमा के देखो, हँस रहा वो तारा
क्या सुना लतीफ़ा, उसने फिर हमारा

जहाँ मिलते हैं रात और दिन
वहीं चुपके से मिल लेंगे हम हम हम
तू यहीं है, आँखों के कोने में....यहीं है तू.
तू यहीं है, होने, ना होने में... यहीं है तू
ये दूरी है...

इस गीत को फिल्माया गया है सान्या मल्होत्रा और मैंने प्यार किया वाली भाग्यश्री के बेटे अभिमन्यु पर


गीतों की मेरी सालाना रैंकिंग बताने का वक़्त पास आ रहा है। पर उससे पहले आप इन गीतों में अपनी पसंद का क्रम भी सजा लीजिए एक इनामी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए।

रविवार, फ़रवरी 27, 2022

वार्षिक संगीतमाला Top Songs of 2021 मन भरया Man Bharryaa

लता मंगेशकर जैसे महान कलाकार के गुजर जाने की वज़ह से मैं अपनी गीतमाला को आगे बढ़ाने की स्थिति में नहीं था। रह रह कर उनके गाए गीत और उनसे जुड़ी बातें में मन में उमड़ घुमड़ रही थीं। इसलिए मैंने इस गीतमाला को ढाई हफ्तों का एक विराम दिया था। आज इस सिलसिले को फिर से आगे बढ़ा रहा हूँ। पिछले साल के पंद्रह शानदार गीतों की फेरहिस्त में दस की चर्चा आपसे पिछले महीने हो ही चुकी है।अब अब सिर्फ पाँच गीत बचे हैं। हालांकि इस बार वार्षिक संगीतमाला में किसी क्रम से नहीं बज रहे पर ये पाँचों गीत मेरे बेहद प्रिय हैं।

कुछ गीत ऐसे होते हैं जिनमें निहित भावों को हम फिल्म की कहानी के इतर भी अपने आस पास की ज़िंदगी से जोड़ लेते हैं। फिल्म शेरशाह के गीत मन भरया को आप ऐसे ही गीत की श्रेणी में रख सकते हैं। ज़िदगी के अलग अलग पड़ावों में हम सबने किसी ना किसी करीबी को खोया ही होगा। कुछ लोग तो उस दुख के साथ जीना सीख लेते हैं तो कुछ उस व्यक्ति के चले जाने से आई शून्यता को आजीवन भर नहीं पाते। इस गीत की पंक्तियाँ ऐसे ही लोगों के मन की व्यथा व्यक्त करती हैं।

ये फिल्म कैप्टन विक्रम बात्रा के जीवन पर बनी फिल्म है। मरणोपरान्त परम वीर चक्र से सम्मानित विक्रम बात्रा के कारगिल युद्ध में  पराक्रम के किस्से पढ़कर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले जब देश के लिए शहीद होते हैं तो हम सभी की आँखें नम होती हैं, सम्मान में सर झुक जाता है पर फिर हम सब भूल कर अपने काम में लग जाते हैं।  विक्रम  तो पच्चीस साल की अल्पायु में  ही शहीद  हो गए। अपने जवान बेटे या नवविवाहिता के लिए अपना पति खो देना कितना कष्टप्रद है ये शायद वही समझ सकें जिसने वो दर्द सहा हो।  

पंजाबी संगीत उद्योग में बी प्राक का नाम हमेशा सुरीले और संवेदनशील नग्मों के लिए लिया जाता रहा है। हिंदी फिल्मों में वो तेरी मिट्टी गाकर सबके चहेते बन गए। सच तो ये है कि ये गीत बी प्राक ने मूलतः शेरशाह के लिए संगीतबद्ध नहीं किया था। अपनी प्रेमिका के लिए उलाहना देते इस गीत को तब भी जानी ने ही लिखा था। मुखड़ा भी वही था पर अंतरे थोड़े अलग थे। संगीत संयोजन भी गिटार पर आधारित था। 2017 में स्पीड रिकार्डस के द्वारा रिलीज़ वो सिंगल काफी लोकप्रिय हुआ था।

धर्मा प्रोडक्शन्स के अज़ीम दयानी और करण ज़ौहर को ये गीत इतना पसंद आया कि 2019 में वो गीत उन्होंने स्पीड रिकार्ड्स से खरीद लिया। गाने के भावनात्मक असर को देखते हुए ये तय था कि इसे किसी खास फिल्म के लिए इस्तेमाल किया जाएगा जहाँ ऐसा माहौल बनाने की जरूरत होगी और दो साल के बाद जब शेरशाह अस्तित्व में आई तो ये गीत वहाँ सहज ही फिट हो गया।


शेरशाह की कहानी के अनुरूप ढालने के लिए गीत के बोलों और संगीत के मूड में बदलाव किया गया। फिर राँची से ताल्लुक रखने वाले मशहूर अरेंजर आदित्य देव की सेवाएँ ली गयीं जो कि तेरी मिट्टी का भी हिस्सा थे। बी प्राक की गहरी दमदार आवाज़ ऐसे मन को गीला करने वाले गीतों में फिट बैठती है। तेरी मिट्टी के संगीत संयोजन की तरह यहाँ भी आदित्य ने गीत की शुरुआत और मध्य में उदासी का रंग गहरा करने  के लिए तार वाद्यों का इस्तेमाल किया। तो आइये सुनते है ये गीत 


गीतों की मेरी सालाना रैंकिंग बताने का वक़्त पास आ रहा है। पर उससे पहले आप इन गीतों में अपनी पसंद का क्रम भी सजा लीजिए एक इनामी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए।

मंगलवार, फ़रवरी 08, 2022

वार्षिक संगीतमाला Top Songs of 2021 लहरा दो लहरा दो, सरकशीं का परचम लहरा दो Lehra Do

जो गीत सिनेमा की पटकथा से निकल कर आते हैं वो तभी जनता तक पहुँच पाते हैं जब फिल्म सफल होती है। 1983 विश्व कप क्रिकेट में भारत की अप्रत्याशित जीत पर बनी फिल्म 83 के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। प्रीतम का संगीत और कौसर मुनीर के लिखे गीत औसत से अच्छे थे पर उतना सुने नहीं गए जितने के वे हक़दार थे। जीतेगा जीतेगा इंडिया जीतेगा तो फिल्म की कहानी का हिस्सा नहीं बन पाया पर इसी फिल्म का अरिजीत सिंह द्वारा गाया गीत लहरा दो फिल्म में था और आज मेरी इस पिछले साल के शानदार गीतों की परेड में भी शामिल हो रहा है।


ये गीत फिल्म में तब आता है जब भारत उस प्रतियोगिता में करो और मरो वाली स्थिति में आ गया था। जितनी बात फाइनल में कपिल के पीछे भागते हुए विवियन रिचर्डस का कैच लेने की जाती है उतने ही गर्व से कपिल की उस पारी को याद किया जाता है जो उन्होंने जिम्बाब्वे के खिलाफ खेली थी। जो क्रिकेट के शौकीन नहीं हैं वो थोड़ा असमंजस में जरूर पड़ेंगे कि आख़िर जिम्बाब्वे जैसे कमज़ोर क्रिकेट खेलने वाले देश के साथ खेली गयी पारी पर इतनी वाहवाही क्यूँ? तो थोड़ा तफसील से इसकी वजह बताना चाहूँगा आपको क्यूँकि तभी आप इस गीत का और आनंद ले पाएँगे।

83 में भारत की टीम को एकदिवसीय क्रिकेट में बेहद कमज़ोर टीमों में ही शुमार किया जाता था जिसने तब तक विश्व कप कि किसी भी प्रतियोगता में सिर्फ एक मैच ही जीता था। पर उस विश्व कप में भारत पहले मैच में वेस्ट इंडीज़ जैसे देश को हराकर सनसनी फैला दी थी। वैसा ही कारनामा जिम्बाब्वे ने आस्ट्रेलिया को हरा कर रचा था। तब ग्रुप की सारी टीमें एक दूसरे से दो दो मैच खेलती थीं। दूसरे मैच में जिम्बाब्वे को हराने के बाद अपने तीसरे और चौथे मैच में भारत, आस्ट्रेलिया और वेस्ट इंडीज़ से बुरी तरह हारा था। 

कई खिलाड़ियों की चोट से जूझती भारतीय टीम जिम्बाब्वे के खिलाफ़ अपने अगले मैच में मजबूत प्रदर्शन देने के लिए उतरी थी। कपिल ने टॉस जीता और बल्लेबाजी करने का फैसला लिया और तरोताजा होने के लिए गर्म पानी से स्नान का आनंद लेने चल दिए। इधर वो नहा रहे थे उधर भारतीय बल्लेबाज धड़ाधड़ आउट होते जा रहे थे। गावस्कर, श्रीकांत और संदीप पाटिल जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने तो खाता खोलने की भी ज़हमत नहीं उठाई थी। नौ रन पर चार विकेट और फिर 17  के स्कोर पर जब पाँचवा विकेट गिरा कपिल तब भी नहाने में तल्लीन थे। बाहर से लगातार आवाज़ दी जा रही थी कि पाजी  निकल लो। कपिल हड़बड़ाकर भींगे बालों में ही निकले और उसके बाद उन्होने 175 रनों की नाबाद पारी खेल कर भारत को मैच में वापसी दिलायी।

फिल्म में ये गीत ठीक इस मैच के पहले आता है। उत्साह बढ़ाती भीड़ और लहराते झंडों के बीच अरिजीत सिंह की दमदार आवाज़ उभरती हुई जब कहती है

अपना है दिन यह आज का, दुनिया से जाके बोल दो...बोल दो
ऐसे जागो रे साथियों, दुनिया की आँखें खोल दो...खोल दो
लहरा दो लहरा दो, सरकशीं का परचम लहरा दो
गर्दिश में फिर अपनी, सरजमीं का परचम लहरा दो

तो मन रोमांचित हो जाता है।  गर्दिश में पड़ी टीम को कप्तान की आतिशी पारी उस मुहाने पर ला खड़ा करती है जहाँ से विश्व विजेता बनने का ख़्वाब आकार लेने लगता है। पूड़ी टीम कपिल की इस पारी को उस विश्व कप का टर्निंग प्वाइंट मानती है। तो आइए सुनते हैं ये गीत जिसमें प्रीतम ने अंतरों को कव्वाली जैसा रूप दिया है

हो हाथ धर के बैठने से, क्या भला कुछ होता है
हो हाथ धर के बैठने से क्या भला कुछ होता है
जा लकीरों को दिखा क्या ज़ोर बाजू होता है
हिम्मत-ए-मर्दा अगर हो संग खुदा भी होता है
जा ज़माने को दिखा दे खुद में दम क्या होता है

लहरा दो लहरा दो, सरकाशी का परचम लहरा दो
गर्दिश में फिर अपनी, सर ज़मीन का परचम लहरा दो
लहरा दो लहरा दो...परचम लहरा दो
लहरा दो लहरा दो...लहरा दो लहरा दो
लहरा दो लहरा दो...लहरा दो लहरा दो..


अगर आप सोच रहे हों कि मैंने हर साल की तरह इस गीत की रैंक क्यूँ नहीं बताई तो वो इसलिए कि इस साल परिवर्तन के तौर पर गीत किसी  क्रम में नहीं बजेंगे और गीतों की मेरी सालाना रैंकिंग सबसे अंत में बताई जाएगी। 

शुक्रवार, फ़रवरी 04, 2022

वार्षिक संगीतमाला Top Songs 2021 रत्ती रत्ती रेज़ा रेज़ा, जो है तेरा ले जाना Ratti Ratti

अतरंगी रे की ही तरह मीनाक्षी सुंदरेश्वर बतौर एलबम मुझे काफी पसंद आया और इसीलिए इस फिल्म के भी कई गीत इस वार्षिक संगीतमाला में शामिल हैं। आज इसके जिस गीत की बात मैं करने जा रहा हूँ उसे आप Long Distance Relationship पर बनी इस फिल्म का आज की शब्दावली में ब्रेक अप सॉन्ग कह सकते हैं। ये गीत है रत्ती रत्ती रेज़ा रेज़ा, जो है तेरा ले जाना.....।  

मन केसर केसर का जिक्र करते हुए मैंने आपको बताया था कि इस फिल्म के संगीतकार जस्टिक प्रभाकरन तमिल हैं और हिंदी फिल्मों में संगीत देने का ये उनका पहला मौका था। आप ही सोचिए कहाँ  हिंदी पट्टी से आने वाले खालिस बिहारी राजशेखर और कहाँ जस्टिन (जिन्हें तमिल और अंग्रेजी से आगे हिंदी का क, ख, ग भी नहीं पता) ने आपस में मिलकर इतना बेहतरीन गीत संगीत रच डाला। 


मैं इनके बीच की कड़ी ढूँढ ही रहा था कि राजशेखर का एक साक्षात्कार सुना तो पता चला कि वो सेतु थे फिल्म के युवा निर्देशक विवेक सोनी। फिल्म के गीत संगीत पर तो लॉकडाउन में काम चलता रहा पर स्थिति सुधरने के बाद ये तिकड़ी साथ साथ ही सिटिंग में बैठती रही। राजशेखर बताते हैं कि उन्हें बड़ी दिक्कत होती थी जस्टिन को  गीतों के भाव समझाने में। 

राजशेखर का हाथ अंग्रेजी में तंग था और जस्टिन अंग्रेजी के शब्दों का उच्चारण भी तमिल लहजे में करते थे। जब राजशेखर ने रत्ती रत्ती रेज़ा रेज़ा मुखड़ा रचा तो उसे सुनकर जस्टिन का मासूम सा सवाल था What ..meaning ? अब राजशेखर अगर शाब्दिक अनुवाद bits & pieces बताएँ तो शब्दों के पीछे की भावनाएँ गायब हो जाती थीं तो वे ऐसे मौकों पर चुप रह जाते। ऐसे में विवेक दुभाषिए का रोल अदा करते थे।

जस्टिन प्रभाकरन , विवेक सोनी और राजशेखर 

फिल्म के गीतों पर काम करते करते जस्टिन को राजशेखर ने हिंदी के तीन चार शब्द तो रटवा ही दिए। एक मज़ेदार बात उन्होने ये सिखाई कि जस्टिन If someone asks you about lyrics you have to just say बहुत अच्छा 😀😀।

फिल्म की कथा शादी के बाद अलग अलग रह रहे नवयुगल के जीवन से जुड़ी है। वो कहते हैं ना कि जिनसे प्यार होता है उनसे उतनी जल्दी नाराज़गी भी हो जाती है। पास रहें तो थोड़ी नोंक झोंक के बाद मामला सलट जाता है पर दूरियाँ कभी कभी कई ऐसी गलतफहमियों  को जन्म देती हैं जो नए नवेले रिश्ते की नर्म गाँठ को तार तार करने में ज्यादा वक़्त नहीं लगाती। 

एक बार मन टूट जाए फिर उस शख़्स से लड़ने की भी इच्छा नहीं होती। इसलिए राजशेखर लिखते हैं

जाना अगर है तो जा, मुझे कुछ नहीं कहना
ना यकीं हो रहा, संग हम दोनो का था 
बस इतना ही क्या
क्या ही कहें, क्या ही लड़ें
जब प्यार ही ना रहा

गीत का मुखड़ा तो क्या खूब लिखा है राजशेखर ने 

रत्ती रत्ती रेज़ा रेज़ा, जो है तेरा ले जाना
यादें बातें दिन और रातें, सब ले जा तू

और अंतरे में बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुध ले की तर्ज पर  जीवन में  move on करने की बात करते हैं।

क्या करें कि जल्दी-जल्दी, तुझे भूल जाएँ अब
साथ वाली सारी शामें, याद फिर ना आए अब 
छोटी-छोटी यादों में हम अटके रहें क्यूँ 
पीछे जाती सड़कों पे भटके रहें क्यूँ 
जो धागा-धागा उधड़ा है -क्या ही है बचा 
जो रेशा रेशा पकड़ा है - कर दे ना रिहा

रत्ती रत्ती..सब ले जा तू

जस्टिन गीत की शुरुआत एक उदास करती धुन से करते हैं। गीत में मुख्यतः बाँसुरी और गिटार का प्रयोग हुआ है। इस युगल गीत को गाया है अभय जोधपुरकर और श्रेया घोषाल की जोड़ी ने। श्रेया तो संगीतप्रेमियों के लिए किसी परिचय का मोहताज नहीं। जहाँ तक अभय का सवाल है वे  शाहरुख की फिल्म ज़ीरो के गीत मेरे नाम तू में अपनी गायिकी के लिए काफी सराहे गए थे। उस वक्त मैंने यहाँ उनके बारे में लिखा भी था। 

अगर आप सोच रहे हों कि मैंने हर साल की तरह इस गीत की रैंक क्यूँ नहीं बताई तो वो इसलिए कि इस साल परिवर्तन के तौर पर गीत किसी  क्रम में नहीं बजेंगे और गीतों की मेरी सालाना रैंकिंग सबसे अंत में बताई जाएगी। 

बुधवार, फ़रवरी 02, 2022

वार्षिक संगीतमाला Top Songs of 2021 जैसे रेत ज़रा सी Rait Zara Si

राँझणा और तनु वेड्स मनु जैसी कामयाब फिल्में बनाने वाले आनंद राय जब एक बार फिर धनुष को अपनी नयी फिल्म अतरंगी रे में सारा और अक्षय कुमार के साथ ले कर आए तो आशा बँधी कि फिल्म कुछ वैसा ही जादू दोहरा पाएगी। धनुष के शानदार अभिनय के बावज़ूद अपनी लचर पटकथा की वज़ह से फिल्म तो कोई कमाल दिखला नहीं सकी जैसी आशा थी अलबत्ता संगीतकार ए आर रहमान एलबम में अपनी छाप छोड़ने में पूरी तरह सफल हुए। यही वज़ह है कि इस फिल्म के तीन गीत पिछले साल के शानदार गीतों की इस संगीतमाला में अपनी जगह बना पाए हैं।



जहाँ तक रेत ज़रा सी का सवाल है तो यहाँ क्या मेलोडी रची है रहमान साहब ने। अगर आप दूर से भी इस गीत को सुनें तो सहज ही धुन की मधुरता आपको इसे गुनगुनाने पर मजबूर कर देगी। ज्यादातर धुनें पहले बनती हैं शब्द बाद में लिखे जाते हैं। जब भी कोई धुन बनती है तो संगीतकार या तो कच्चे बोलों से काम चलाता है या फिर अनर्गल बोलों का सहारा लेता है जिसे अंग्रेजी में Gibberish कहा जाता है। नेट पर मुझे इस गीत का ऐसा ही आडियो मिला जिसमें रहमान इस धुन को कुछ ऐसे ही बोलों से विकसित कर रहे हैं। तो सुनिए आप भी 

   

पर आकाश में सिर्फ चाँद हो तो क्या रात अपनी सारी खूबसूरती बिखेर पाएगी? नहीं ना उसे तो ढेर सारे तारों की टिमटिमाहट भी चाहिए। शब्दों की यही जगमगाहट गीतकार इरशाद कामिल लाए हैं और उस चमक को अपनी गायिकी से हम तक पहुँचाया है अरिजीत सिंह और शाशा तिरुपति की युगल जोड़ी ने।

इस गीत के मुखड़े को सुनकर  बचपन के वो दिन आ जाते हैं  जब रेत के टीले पर चढ़ते उतरते मस्ती करते हम बच्चे अपनी हथेलियों में मुट्ठी भर भर कर रेत का घर बनाने कर लिए ले जाया करते थे पर हर कदम के साथ रेत उँगलियों के कोनों से गिरती जाती और लक्ष्य तक पहुँचते हुए ज़रा सी ही रह जाती थी। 

इस फिल्म में धनुष और सारा का रिश्ता भी कुछ ऐसा ही है जो रेत की तरह दिल रूपी हथेली से कभी उड़ता तो कभी फिसलता चला जाता है। इन भावों को कितनी सरलता से कामिल कुछ यूँ व्यक्त करते हैं ...रोज़ मोहब्बत पढ़ता है, दिल ये तुमसे जुड़ता है...हवाओं में यूँ उड़ता है, हो जैसे रेत ज़रा सी....हाथ में तेरी खुशबू है, खुशबू से दिल बहला है...ये हाथों से यूँ फिसला है, हो जैसे रेत ज़रा सी


होना तेरा होना, पाना तुमको पाना
जीना है ये माना, पल भर में सदियां
है सदियों में, जीना है ये माना
हाथ में तेरी खुशबू है, खुशबू से दिल बहला है
ये हाथों से यूँ फिसला है, हो जैसे रेत ज़रा सी
रोज़ मोहब्बत पढ़ता है, दिल ये तुमसे जुड़ता है
हवाओं में यूँ उड़ता है, हो जैसे रेत ज़रा सी

ये हलचल, दिल की ये हलचल
बोले आज आस पास तू मेरे
बिखरा हूँ मैं तो, कुछ पल हवा में
तेरे भरोसे को थामे
चलना भी है बदलना भी है
तुझमें ही तो ढलना भी है

दिल थोड़ा जज़्बाती है, भर जाता है बातों से
ये फिर छलके यूँ आँखों से, हो जैसे रेत जरा सी
हाथ में तेरी खुशबू है, सच पुछो तो अब यूँ है
तू चेहरे पे मेरे ठहरा, हो जैसे रेत ज़रा सी


अरिजीत तो दर्द भरे प्रेम गीतों के बेताज बादशाह हैं ही शाशा तिरुपति ने भी दिल थोड़ा जज़्बाती है.. गाते हुए उनका बखूबी साथ दिया है। शाशा का अरिजीत के साथ गाया ये तीसरा युगल गीत हैं और वो मानती हैं कि अरिजीत के साथ उनकी आवाज़ गानों में फबती है। रहमान के बारे में उनका कहना है कि वो गीत बनाते समय ही मन में एक प्रारूप बना लेते हैं हैं कि ये गीत किससे गवाना है? रहमान ने इस गीत में ताल वाद्यों के साथ बाँसुरी और सरोद का इस्तेमाल किया है। करीम कमलाकर की बजाई बाँसुरी गीत सुनने के बाद में भी मन में बजती रहती है। रहमान का गीत है तो अंतरों के बीच कोरस का होना तो स्वाभाविक ही है।

तो आइए सुनें इनकी आवाज़ में ये मीठा सा नग्मा।

 

वार्षिक संगीतमाला 2021 में अब तक

अगर आप सोच रहे हों कि मैंने हर साल की तरह इस गीत की रैंक क्यूँ नहीं बताई तो वो इसलिए कि इस साल परिवर्तन के तौर पर गीत किसी  क्रम में नहीं बजेंगे और गीतों की मेरी सालाना रैंकिंग सबसे अंत में बताई जाएगी। 

शुक्रवार, जनवरी 28, 2022

वार्षिक संगीतमाला 2021 मन केसर-केसर महके, रेशम-रेशम लागे रे Top Songs of 2021

वार्षिक संगीतमाला में पिछले साल के बेहतरीन गीतों की इस शृंखला में दक्षिण भारतीय शादियों का माहौल बरकरार रखते हुए आज का गीत फिल्म मीनाक्षी सुंदरेश्वर से। ये गीत भले ही शादी के विधि विधानों के बीच फिल्माया गया है पर पति पत्नी के रिश्ते में बँधने के पहले दो युवा दिलों के मन में चलती प्रेमसिक्त फुलझड़ियों की झलक दिखला जाता है।


संगीतकार जस्टिन प्रभाकरन और राजशेखर ने क्या समां बाँधा है शाश्वत सिंह और आनंदी जोशी के गाए इस युगल गीत में। गीत में गायिकाओं का मधुर कोरस, गीत के बीच में द्रुत ताल वाली गायिकी, राजशेखर की काव्यात्मक बोली में निखरते नए नए शब्द और उनका प्यारा दोहराव सब आपका ध्यान आकर्षित करते हैं।

गीतों में शब्दों का दोहराव पहले भी होता आया है। याद कीजिए साहिर लुधियानवी साहब का लिखा मुझे जीने दो का शानदार नग्मा रात भी है कुछ भींगी भींगी, चाँद भी है कुछ मद्धम मद्धम जिसे गुनगुनाते आज भी आनंद आ जाता है। राजशेखर ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है इस गाने में साहिर की उस शैली की शान कायम रखने में। गीत की शुरुआत में वो लिखते हैं मन केसर-केसर महके, रेशम-रेशम लागे रे...दिल चंपई-चंपई बाँधे, सिंदूरी से धागे रे और इसी रूप को आगे बढ़ाते हुए उनका ये कहना फिर खनक-खनक गई हँसी हँसी तेरी..कनक-कनक धरा हुई अभी अभी गीत की सुंदरता में चार चाँद लगा देता है।

राज शेखर और जस्टिन प्रभाकरन 

अंतरों में भी राजशेखर की कविता का जादू खत्म नहीं होता। मन रूमानी हो उठता है जब वो कहते हैं एक कोसा-कोसा सपना, मद्धम-मद्धम जागे रे, दिन हौले-हौले धड़के, सौंधी-सौंधी शामें रे। राजशेखर ने इस गीत में कनक (सुनहरा),कोसा(रेशमी), संदली(चंदन सी) जैसे कम प्रयुक्त होने वाले शब्दों को गीतों की भाषा से जिस तरह जोड़ा है उसके लिए वो बधाई के पात्र हैं।

शादी के बंधन में बँध रही युवा जोड़ी की भावनाओं को बखूबी अपनी आवाज़ में उतारा है इलाहाबाद के शाश्वत सिंह और मुंबई की आनंदी जोशी ने। तमिल फिल्मों में संगीत देने वाले जस्टिन प्रभाकरन की तरह आनंदी और शाश्वत की आवाज़ कुछ ही हिंदी फिल्मों में गूँजी है पर ये दोनों कलाकार एक दशक से ज्यादा समय से संगीत की दुनिया  में सक्रिय हैं। 

शाश्वत सिंह और आनंदी जोशी 

शाश्वत अपना ख़ुद का संगीत रचते और गाते हैं और वो करना उन्हें सबसे अच्छा लगता है। रोज़ी रोटी और नाम के लिए बॉलीवुड तो है ही। रहमान की एकाडमी में रहकर उन्होंने संगीत के विविध पक्षों के बारे में सीखा है। आनंदी मराठी फिल्मों में बतौर गायिका सक्रिय हैं। सा रे गा मा पा में भी अपनी गायिकी का सिक्का जमा चुकी हैं। 

जस्टिन प्रभाकरन के संगीत में गिटार, नादस्वरम और ताल वाद्यों के साथ कोरस भी एक अहम भूमिका निभाता है। तो आइए सुनते हैं ये गीत जिसे देखना अभिनेत्री सान्या मल्होत्रा की बोलती आँखों की वज़ह से और आनंदमय हो गया है।

मन केसर-केसर महके, रेशम-रेशम लागे रे
दिल चंपई-चंपई बाँधे, सिंदूरी से धागे रे
सुन ओ कनमनी
सुन ओ कनमनी शहनाई सी ये बाजे रे
साँवली-साँवली तेरी आँख में,  से ख़ाब रे
खनक-खनक गई हँसी हँसी तेरी
कनक-कनक धरा हुई अभी अभी

मन केसर-केसर महके...सिंदूरी से धागे रे
दोनो नैनों में पिया बसे सारा-सारा
इन्हीं नैनों में सारा मिले प्यार
आँचल में हो पुरवा, रूनझुन तारे आँगन में
आँगन में आँगन में

एक कोसा-कोसा सपना, मद्धम-मद्धम जागे रे
दिन हौले-हौले धड़के, सौंधी-सौंधी शामें रे
हुई संदली, हुई संदली अपनी सब रातें रे
साँवली साँवली...... अभी अभी


वैसे इतना बता दूँ कि इस फिल्म का ये आख़िरी गीत नहीं है जो इस गीतमाला का हिस्सा बना है। :)

वार्षिक संगीतमाला 2021 में अब तक

अगर आप सोच रहे हों कि मैंने हर साल की तरह इस गीत की रैंक क्यूँ नहीं बताई तो वो इसलिए कि इस साल परिवर्तन के तौर पर गीत किसी  क्रम में नहीं बजेंगे और गीतों की मेरी सालाना रैंकिंग सबसे अंत में बताई जाएगी। 

बुधवार, जनवरी 26, 2022

वार्षिक संगीतमाला 2021 Top 15 छोटी सी चिरैया उड़के चली किस गाँव Chhoti Si Chiraiya

वार्षिक संगीतमाला में आज का गीत फिल्म मिमी से। फिल्म का संगीत एक बार फिर ए आर रहमान ने दिया था। इस फिल्म में कई गीत हैं। खासकर डांस नंबर पसंद करने वाले गीत परम सुंदरी पर कई बार झूम चुके होंगे। पर 2021 के 15 उल्लेखनीय गीतों की मेरी सूची में इस फिल्म का वो गाना शामिल हो रहा है जिसमें आवाज़ है कैलाश खेर की और शब्द अमिताभ भट्टाचार्य के।


पिछले साल सरोगेसी जैसे विषय पर बनी ये फिल्म काफी सराही गयी थी। जिस बच्चे को आप अपने गर्भ में नौ महीने तक पालते हैं उससे एक भावानात्मक लगाव हो जाना स्वाभाविक सा है खासकर तब जब जन्म के बाद भी उसका कुछ सालों तक लालन पालन आपने किया हो। सच्ची बात तो ये है कि शिशु के लिए तो माँ वही है जिसने उसे पाला पोसा हो। उसे क्या पता खून या गर्भ के रिश्ते के बारे में। संसार में आने के बाद जहाँ से ममता की छाँव मिली उसी को उसने माँ का सच्चा रूप मान लिया। 

नायिका मिमी की आपबीती भी कुछ ऐसी ही है। मिमी ने पैसे लेकर गर्भ धारण किया पर बच्चे के जन्म के पहले ही उसे उसके वास्तविक माता पिता ने त्याग दिया और फिर सालों बाद जब उनकी मति फिरी तो मिमी और उसके परिवार के लिए उस बच्चे को छोड़ना असहनीय हो उठा। 

परिवार की इसी पीड़ा को अमिताभ भट्टाचार्य ने इस गीत में अपने शब्द दिए हैं। गीतों के बोल और रहमान द्वारा दिया संगीत एक लोकगीत सा माहौल रचता है। कैलाश खेर की धारदार आवाज़ इस दुख को और गहरा कर देती है। कैलाश एक कमाल के गायक हैं। विगत कुछ वर्षों से निजी जीवन में अपने आचार व्यवहार की वज़ह से कई विवादों से घिरे रहे हैं। यही कारण है कि उनकी रुहानी आवाज़ श्रोताओं को पिछले एक दो सालों में कम सुनने को मिली है। 

अमिताभ वैसे गीतकारों में हैं जिन्हें साल दर साल अपने गीतों का स्तर बनाए रखा है और उनकी लेखनी फिल्म की कहानी के अनुरूप गीत के मूड को अपने बोलों से ढालने में सफल रही है। इसी गीत में देखिए कितने प्यारे बोल लिखे हैं उन्होंने ...

छोटी सी चिरैया छोटी सी चिरैया 
उड़के चली किस गाँव 
रह गया दाना रह गया पानी 
सूनी भई अमवा की छाँव 
मुनिया मोरी सूनी भई अमवा की छाँव 
छोटी सी चिरैया ... गाँव 

अजब निराली मोह की माया, समझे समझ नहीं आए 
अंगना से तोरी चहक तो जाए, तोहरी महक नहीं जाए 
नैन समंदर सात भरे पर , भरे ना करेजवा के घाव 
मुनिया मोरी भरे ना करेजवा के घाव 
छोटी सी चिरैया छोटी सी चिरैया ..

दे विदाई में तुझे क्या कीमती समान 
दे जा निंदिया रैन की सुबहों की ले मुस्कान 
भरके अपनी चोंच में ले जा हमरे प्राण आ 
छोटी सी चिरैया ...की छाँव

 
 
रहमान ने संगीत संयोजन में मुखड़े और पहले अंतरे के बीच विश्व मोहन भट्ट द्वारा बजाई मोहन वीणा पर सबसे पहले ध्यान जाता है। मुखड़े और दूसरे अंतरे में वीणा के साथ सारंगी का छोटा सा टुकड़ा भी आपको सुनने को मिलेगा। कैलाश खैर की बुलंद आवाज़ के साथ वैसे भी ज्यादा साज़ों की आवश्यकता नहीं होती। बस संगत में घटम, तबले व हारमोनियम का धीमा मधुर स्वर कानों को सहलाता चलता है। पर  ये सब  सुनने के लिए आपको गीत का ऑडियो सुनना  होगा। वीडियो वर्जन में गीत का पहला अंतरा नहीं है।

 

वार्षिक संगीतमाला 2021 में अब तक

अगर आप सोच रहे हों कि मैंने हर साल की तरह इस गीत की रैंक क्यूँ नहीं बताई तो वो इसलिए कि इस साल परिवर्तन के तौर पर गीत नीचे से ऊपर के क्रम में नहीं बजेंगे और गीतों की मेरी सालाना रैंकिंग सबसे अंत में बताई जाएगी। 

सोमवार, जनवरी 24, 2022

वार्षिक संगीतमाला 2021 Top 15 हाय चकाचक चकाचक हूँ मैं Chaka Chak

गीतकारों के लिए हर साल एक चुनौती रहती है कि कोई ऐसा शब्द गीत के मुखड़े के इर्द गिर्द बुनें जिसे सुनते ही लोगों की उत्सुकता उस गीत के प्रति बढ़ जाए। ए आर रहमान के संगीत निर्देशन में बनी फिल्म अतरंगी रे में ये काम किया चका चक वाले गीत ने जो आज पिछले साल के 15 शानदार गीतों की इस शृंखला में आज शामिल हो रहा है। इसे लिखा इरशाद कामिल ने। रिलीज़ होने के साथ कामिल का ये गीत सारा अली खाँ के लटकों झटकों और श्रेया घोषाल की गायिकी की बदौलत बड़ी आसानी से लोकप्रिय होता चला गया। 


वैसे साफ सुंदर व्यवस्थित किये हुए किसी भी अहाते और कमरे के लिए ये कहना कि भई तुमने तो आज पूरा घर चकाचक कर रखा है पर किसी लड़की के साथ विशेषण के रूप में इस लफ़्ज़ के इस्तेमाल का श्रेय तो कामिल साहब को मिलेगा ही।

शादी के समय में संगीत के कार्यक्रमों में गाना नाचना होता ही रहता है। पहले ज़माने में लोकगीत गाए जाते थे और उसकी भाषा भी बेबाक ही हुआ करती थी। मौका ऐसा रहता था कि ऐसे हँसी मजाक की छूट थी और आज भी है। फर्क इतना है कि आजकल लोक गीत की जगह फिल्मी गानों ने ले ली है। कोई अचरज नहीं कि इस गीत पर भी आप युवाओं को अगली शादी में नाचता गाता देखें।

इरशाद कामिल के इस गीत के माध्यम से नायिका अपनी चाहत का खुला इज़हार कर रही है, बिना किसी संकोच के अपनी शारीरिक और भावनात्मक इच्छाओं, खूबियों और कमियों को बताते हुए ये साबित कर देना चाह रही है कि नायक के लिए वो कितना सही चुनाव रहती।

अब इरशाद तो जो भी कहना चाह रहे हों मेरा ध्यान पहली बार पलँग टूटने से ज्यादा तपती दुपहरी, लड़की गिलहरी सी, पटना की चाट हो 16 स्वाद, माटी में मेरे प्यार की खाद जैसी मज़ेदार पंक्तियों पर पहले गया। बाकी रहमान साहब ने नादस्वरम और बाकी ताल वाद्यों से दक्षिण भारतीय शादी का ऐसा समां बाँधा है कि मन गीत के माहौल में रमता चला जाता है। श्रेया घोषाल की खनकती आवाज़ तो लुभाती ही है पर जिस मस्ती, उर्जा और उत्साह के साथ उन्होंने इस गीत को निभाया है वो काबिलेतारीफ़ है।


वैसे कोई पटना वाला बताएगा कि सोलह स्वादों वाली चाट वहाँ कहाँ नसीब होती है? ☺

वार्षिक संगीतमाला 2021 में अब तक

अगर आप सोच रहे हों कि मैंने हर साल की तरह इस गीत की रैंक क्यूँ नहीं बताई तो वो इसलिए कि इस साल परिवर्तन के तौर पर गीत नीचे से ऊपर के क्रम में नहीं बजेंगे और गीतों की मेरी सालाना रैंकिंग सबसे अंत में बताई जाएगी। 

शनिवार, जनवरी 22, 2022

वार्षिक संगीतमाला 2021 Top 15 आसान किस्तों में तू प्यार कर Kiston

जैसा मैंने पहले भी आपको बताया कि इस बार की वार्षिक संगीतमाला में गीत बिना किसी क्रम यानी रैंकिंग के बज रहे हैं। मेरी कोशिश है कि हर मूड के गीत को बारी बारी से पेश करूँ। राताँ लंबियाँ सुनकर आप जहाँ झूम उठे थे, वहीं जीतेगा जीतेगा में एक जोश पैदा करनी की ताकत थी जबकि पिछली पोस्ट दिल उड़ जा रे में नायिका के मन की मायूसी गीत में उभर कर आई थी। मायूसी के बादलों से बाहर निकलते हुए आज बारी है रूमानियत की नदी में गोते लगाने की एक प्यारी सी सोच के साथ। 



आज का गीत है फिल्म रूही से जिसकी भूत प्रेत वाली कहानी के बारे कुछ ना ही कहा जाए तो बेहतर रहेगा क्यूँकि बहुत लोगों को ये अझेल लगी थी। फिल्म का आइटम नंबर नदियों पार सजन दा थाना ही सिर्फ प्रमोट किया गया था। यही वज़ह थी कि सचिन जिगर का इतना प्यारा सा नग्मा आसान किस्तों में तू प्यार कर अनसुना ही रह गया।

बड़ा खूबसूरत संयोजन किया है सचिन जिगर ने इस गीत की शुरुआत में। पियानो के आंरंभिक नोट्स और फिर वॉयलिन की खूबसूरत बयार जो कि अमिताभ भट्टाचार्य के लिखे बेहतरीन शब्दों के साथ गीत का रोमांटिक मूड तय कर देती है।

जीवन में जब कोई चीज़ हमें बेहद पसंद आती है तो हम कोशिश करते हैं कि देर तक उसका लुत्फ उठाते रहें। अपनी कहूँ तो बचपन में जब मेहमान आते थे तभी घर में शर्बत बनता था और मैं उसे घूँट घूँट कर  पीता था ताकि जीभ पर उसका स्वाद देर तक बना रहे। अमिताभ ने वही बात प्रेम रूपी शर्बत के लिए कही है। अपने प्रियतम के लिए तो मन में ढेर सारी भावनाएँ उमड़ती घुमड़ती रहती हैं। उनको एक साथ प्रकट कर खाली हो जाएँगे तो फिर प्यार करने का क्या आनंद? प्रेम में जितना ज्यादा कहा उससे कहीं ज्यादा अनकहा रह जाता है और उसे समझने बूझने की मन की वर्जिश जीवन में रस घोलती रहती है। इसीलिए अमिताभ कहते हैं

छुप छुप के दिलबर का दीदार कर
ऐ दिल तू आहिस्ता इज़हार कर
सारा का सारा ना करना अभी से
आसान किस्तों में तू प्यार कर
 
छुप छुप के दिलबर का दीदार कर
ऐ दिल तू आहिस्ता इज़हार कर
पगले, सारा का सारा ना करना अभी से
आसान किस्तों में तू प्यार कर

पहले निभा के देखी है तूने
मँहेगी मोहब्बत विलायती
पड़ जाए जिसमें लेने का देना
घाटे का सौदा निहायती

करना अगर ही है तू प्यार करले
सस्ता स्वदेशी किफायती
पहले तू जितना लापरवाह था
उतना संभल के ही इस बार कर
पगले, सारा का सारा ना करना अभी से
आसान किस्तों में तू प्यार कर

अंतरे में सचिन जिगर वॉयलिन के साथ बाँसुरी का मधुर इस्तेमाल करते हैं पर अंतरे के बाद गीत अचानक से खत्म हो जाता है तो लगता है कि शायद गीत का एक और अंतरा होता तो कितना अच्छा होता। जुबीन नौटियाल की आवाज़ में पहली बार सुनकर ही ये गाना गुनगुनाने का मन हो आया। अगर आपको भी मुलायम रूमानी संगीत पसंद है तो इस गाने का जरूर सुनिए और अपने दिलवर को भी सुनाइए..

 

गुरुवार, जनवरी 20, 2022

वार्षिक संगीतमाला 2021 Top 15 : दिल उड़ जा रे, रस्ता दिखला रे Dil Udd Jaa Re

मुंबई फिल्म जगत में अक्सर ऐसा होता है कि बहुत सारे कलाकार बतौर गायक अपनी किस्मत आज़माने आते हैं पर परिस्थितियाँ कुछ ऐसी बनती हैं कि बन जाते हैं संगीतकार। लेकिन एक बेहद सफल गायक का संगीतकार बनना थोड़ा तो अजूबा लगता है। पर अरिजीत सिंह हैं ही इतने गुणी कि पिछले साल उन्होंने ये मुकाम भी बड़े शानदार अंदाज़ में हासिल कर लिया फिल्म पगलेट का संगीत निर्देशन कर । वैसे अपने कैरियर की शुरुआत में अरिजीत संगीतकार प्रीतम के सहायक की भूमिका निभा चुके हैं। आज इसी फिल्म का गीत दिल उड़ जा रे शामिल हो रहा है मेरी वार्षिक संगीतमाला में जिसे लिखा है नीलेश मिश्रा ने और अपनी आवाज़ दी है नीति मोहन ने। 


इस गाने की पहली खासियत इसकी शुरुआत और अंतरों के बीच बजने वाला वाद्य है जिसे सुनकर मन सुकून की एक अलग ही दुनिया में पहुँच जाता है। दिल करता है वादक तापस रॉय की उँगलियाँ साज़ पर थिरकती ही रहें। ईरान का ये वाद्य तार के नाम से जाना जाता है। तीन जोड़ी तारों से मिलकर बना हुआ वाद्य ईरान के आलावा मध्य एशिया के कई देशों में भी प्रचलित है।


पगलैट एक ऐसी लड़की की कहानी है जो शादी के चंद महीने बाद ही अपने पति को खो बैठती है। इतने कम समय में पति के साथ उसके मन के तार ठीक से जुड़ भी नहीं पाते हैं और तभी उसे पता चलता है कि जो अनायास ही ज़िंदगी से चला गया उसकी एक प्रेमिका भी थी। दुख की इस घड़ी में उसके अंदर एक वितृष्णा सी जाग उठती है।  और नीलेश मिश्रा के शब्द उसके मन के इन्हीं भावों को इस गीत में टटोलते हैं। मन अशांत है, दिमाग पहेलियों में उलझा हुआ और आगे का रास्ता बेहद धुँधला। ऐसे में नए सफ़र पर इन सबके पार चलने का हौसला दिल की कोई उड़ान ही दे सकती है इसलिए नीलेश ने लिखा

लम्हा यूँ दुखता क्यूँ
क्यूँ मैं सौ दफा, खुद से हूँ ख़फा
कैसे पूछूँ निकला क्यूँ
इतना बेवफा, खुद से हूँ ख़फा

अरमान ये गुमसुम से
चाहें ये क्या, मुझको क्या पता
इनमें जो सपने थे, क्यूँ वो लापता
मुझको क्या पता
ख्वाहिशें तो करते हैं, ज़िन्दगी से डरते हैं
डूबते उबरते हैं
टूटे जो तारे, रूठे हैं सारे
दिल तू उड़ जा रे, रस्ता दिखला रे

   

नीलेश बरसों बाद फिल्मी गीतों को रचते नज़र आए हैं। यूँ तो उनके बहुत से प्यारे गीत हैं पर बर्फी का गीत क्यूँ ना हम तुम चलें टेढ़े मेरे से रस्ते पे नंगे पाँव रे उनका लिखा मेरा सबसे पसंदीदा गीत है। नीति मोहन ने इस संवेदनशील गीत को बखूबी निभाया है। तो आँख बंद कीजिए और नायिका की मायूसी का अनुभव कीजिए इस गीत में तापस के अद्भुत तार वादन के साथ..

 

अगर आप सोच रहे हों कि मैंने हर साल की तरह इस गीत की रैंक क्यूँ नहीं बताई तो वो इसलिए कि इस साल परिवर्तन के तौर पर गीत नीचे से ऊपर के क्रम में नहीं बजेंगे और गीतों की मेरी सालाना रैंकिंग सबसे अंत में बताई जाएगी। और हाँ अगर आप सब का साथ रहा तो अंत में गीतमाला की आख़िरी लिस्ट निकलने के पहले 2019 की तरह एक प्रतियोगिता भी कराई जाएगी जिसमें अव्वल आने वालों को एक छोटा सा पुरस्कार मिलेगा। ☺☺

मंगलवार, जनवरी 18, 2022

वार्षिक संगीतमाला 2021 Top 15 : जीतेगा जीतेगा, इंडिया जीतेगा Jeetega Jeetega from 83

वार्षिक संगीतमाला की शुरुआत तो हुई राताँ लंबियाँ से। चलिए आपको आज गीतमाला की दूसरी पेशकश में प्रेम के मैदान से ले चलें खेल के मैदान में।तीन दशक से भी ज्यादा हो गए जब पहली बार भारत ने विश्व कप क्रिकेट का वो अनूठा मुकाबला इंग्लैंड के ऐतिहासिक लार्ड्स के मैदान में जीता था और उस अप्रत्याशित जीत की यादें ताज़ा करने के लिए 83 बनाई गयी। फिल्म ऐसे समय आई जब ओमिक्रान का भय लोगों के दिलों में पाँव पसार चुका था। युवा भी इस अनदेखी विजय से उस तरह से नहीं जुड़ नहीं पाए जैसा अन्य खेल आधारित फिल्मों के साथ होता रहा है। शायद यही वज़ह रही कि फिल्म के साथ साथ उसका संगीत उतना लोकप्रिय नहीं हुआ जितना हो सकता था।
 
मैं तो फिल्म देखने के पहले ही प्रीतम द्वारा संगीतबद्ध और कौसर मुनीर के लिखे गीतों से सजे इस एलबम को सुन चुका था। पर फिल्म में बहुत सारे गीत इस्तेमाल हुए ही नहीं या हुए भी तो एक आध पंक्ति तक सीमित रह गए। इसी फिल्म का ऐसा ही गीत रहा जीतेगा जीतेगा, इंडिया जीतेगा। जीतेगा...मन में संघर्ष कर जीतने की भावना जगाता ऐसा गीत है जो अरिजीत की आवाज़ पाकर जीवंत हो उठता है।


निर्देशक कबीर खान ने फिल्म में इसका पूरा उपयोग नहीं किया तो उसकी एक वज़ह थी। सच बात तो ये है कि भारत की टीम तब वहाँ जीतने के लिए गयी ही नहीं थी। वहाँ जाने के पहले हमारा रिकार्ड विश्व कप में इतना बुरा था कि उससे पहले तक हमारी एकमात्र जीत पूर्वी अफ्रीका जैसी दूसरे दर्जे की टीम के खिलाफ़ दर्ज़ थी। टीम के मन में तो ये था कि कुछ मैच जीत लें तो बहुत है। बाहर की ट्रिप्स तब लगती नहीं थी। ऐसा पेड हॉलीडे और इंग्लैंड की गोरी मेमों से मिलने का मौका मिलना कहाँ था। पूरे दौरे में दिन में टीम के कप्तान कपिल हुआ करते थे और रात में संदीप पाटिल जो अपने युवा साथियों के मनोरंजन का बीड़ा उठाते थे। टीम की ऐसी मनःस्थिति के बीच जीतेगा इंडिया जैसा गीत निर्देशक कबीर खाँ फिल्म में डालते भी तो कहाँ? ☺

भगवान की दया से उस वक़्त ना आज का सोशल मीडिया ना दिन भर जीत का हुंकार भरते टीवी चैनल। हम जैसे क्रिकेट प्रेमियों की तब उम्मीद इतनी ही थी कि भारत बस पहले से बेहतर करे। 

लेकिन इतना जरूर कहूँगा कि कौसर मुनीर का लिखा इस गीत के खेल के मैदान में देश का Winning Anthem बनने के सारे गुण मौज़ूद हैं। सहज शब्दों में भी उनकी लेखनी दिल में वो भाव भरती है जिसके लिए ये गीत लिखा गया।

आगे आगे सबसे आगे, अपना सीना तान के
आ गये मैदान में, हम साफा बांध के
आगे आगे सबसे आगे, अपना सीना तान के
आ गये मैदान में, हम झंडे गाड़ने
हो अब आ गये है, जो छा गये है़
जो दम ये ज़माना देखेगा
देखो जूनून क्या होता है, ज़िद्द क्या होती है
हमसे ज़माना सीखेगा
जीतेगा जीतेगा, इंडिया जीतेगा
है दुआ हर दिल की, है यक़ीन लाखों का
जीतेगा जीतेगा, इंडिया जीतेगा
वादा निभायें आ

सर उठा के यूँ चलेंगे आ
फिर झुका ना पाये जो ये जहाँ
डर मिटा के यूँ लड़ेंगे आ
फिर हरा ना पाये जो ये जहाँ
हो अब आ ...इंडिया जीतेगा

प्रीतम का ताल वाद्यों की मदद से ताल ठोंकता संगीत और अरिजीत की उत्साही आवाज़ उसे और असरदार बनाती है। जब जब देश की टीम किसी भी खेल में विपक्षी टीम के साथ दो हाथ करेगी ये गीत दर्शकों और खिलाडियों में जोश भरने में पीछे नहीं रहेगा। तो आइए आज सुनते हैं फिल्म 83 का ये नग्मा



अगर आप सोच रहे हों कि मैंने हर साल की तरह इस गीत की रैंक क्यूँ नहीं बताई तो वो इसलिए कि इस साल परिवर्तन के तौर पर गीत नीचे से ऊपर के क्रम में नहीं बजेंगे और गीतों की मेरी सालाना रैंकिंग सबसे अंत में बताई जाएगी। और हाँ अगर आप सब का साथ रहा तो अंत में गीतमाला की आख़िरी लिस्ट निकलने के पहले 2019 की तरह एक प्रतियोगिता भी कराई जाएगी जिसमें अव्वल आने वालों को एक छोटा सा पुरस्कार मिलेगा। ☺☺

 

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स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

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