बुधवार, मार्च 30, 2016

दस साल लगातार : एक शाम मेरे नाम ने पूरा किया हिंदी ब्लागिंग का एक दशक (2006-2016) !

पिछले हफ्ते यानि 26 मार्च को एक शाम मेरे नाम का दसवाँ जन्मदिन था यानि मुझे हिंदी ब्लॉगिंग में कदम रखे एक दशक गुजर गया। दस सालों के इस सफ़र को एक पोस्ट में समेट पाना निहायत ही मुश्किल काम है और मैं इसकी कोशिश भी  नहीं करूँगा। फिर भी कुछ बातें जो जरूरी हैं इस सफ़र की कड़ियाँ पिरोने के लिए, उनका जिक्र आज इस पोस्ट के माध्यम से करना चाहता हूँ।


वर्ष 2006 में जब अंग्रेजी से हिंदी ब्लॉगिंग में कदम रखा था तो मुश्किल से सौ के करीब ब्लॉग रहे होंगे जो क्रियाशील थे। ब्लॉगिंग तब हिंदी में लिखने वालों के लिए एक नई चीज़ थी। हिंदी में लिखने पढ़ने की चाह रखने वालों के लिए ये एक नया ज़रिया था आभासी मेल जोल बढ़ाने का। एक दूसरे की पोस्ट को पढ़ने के लिए एग्रग्रेटर बनाने का प्रचलन नारद से तभी शुरु हुआ। बाद में इसकी जगह ब्लॉगवाणी ने ले ली। इन शुरुआती सालों में हिंदी ब्लॉग में वैसे लोग ज्यादा आए जिनका सीधे सीधे हिंदी लेखन से कोई सरोकार नहीं था। लोग कम थे। ज्यादातर आभासी रूप में एक दूसरे से परिचित थे और एक दूसरे के ब्लॉगों पर आना जाना था। कविताएँ लिखने वालों की तादाद इनमें सबसे ज्यादा थी। 

पर बहुत से लोग ये समझ नहीं पाए कि ब्लॉगरों ये आवाजाही हमेशा नहीं रहेगी और उन्हें अपनी विषयवस्तु को ऐसा रखना होगा जिसे हिंदी में रुचि रखने वाला गूगल जैसे सर्च इंजन से खोज कर भी पहुँच सके। हुआ भी वही  जब सैकड़ों से हिंदी ब्लॉगों की संख्या हजार तक पहुँची तो ये संभव ही नहीं रहा कि ब्लॉगर सारे अन्य ब्लॉगरों को पढ़ सकें। ज्यादा संख्या हुई तो ढेर सारे गुट भी बन गए। एक दूसरे पर  छींटाकशी कुछ ब्लागों का शगल बन गया। पर वहीं कुछ ब्लॉग्स इन सब से दूर लेखन के इस वैकल्पिक  मार्ग को हिंदी ब्लॉग लेखन के परिदृश्य को विस्तृत करते रहे। कविता व कहानियों के इतर भी इतिहास, टेक्नॉलजी, व्यंग्य, समाज, भाषा, संगीत, सिनेमा, किताबों,  यात्रा पर अच्छे ब्लॉग्स बनें जो आज तक क्रियाशील हैं और जिनके पाठक वर्ग में कोईकमी नहीं आई है।

फिर एक दौर वो आया जिसमें बड़ी संख्या में पत्रकारों और मीडिया से जुड़े लोगों ने ब्लॉग की शक्ति को पहचाना और बड़े पैमाने पर लिखना शुरु किया। वक़्त के साथ हिंदी ब्लॉगिंग में वही लोग ठहर पाए जिन्होंने अपने ब्लॉग को एक विशिष्ट पहचान दी और अपनी विषय वस्तु मैं नवीनता लाते रहे। साहित्य में पैठ रखने वाले बहुत से लोगों ने ब्लागिंग को किताब लिखने के लिए एक सीढ़ी का इस्तेमाल किया और इसमें सफल भी रहे। एक बार साहित्यिक फलक तक पहुँचने के बाद ब्लागिंग के प्रति उनकी प्रतिबद्धता में कमी आई। वैसे भी फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के आने के बाद लोगों को अपनी बातों को एक बड़े वर्ग तक पहुँचाने का हल्का फुल्का ही सही पर व्यापक माध्यम मिल गया  था। जिन लोगों ने अपने ब्लॉग को बतकही का माध्यम बना रखा था वो फेसबुक पर ही अड्डा जमाने लगे।

ये तो हुई हिंदी ब्लॉगिंग के इतिहास की बात। अपनी बात करूँ तो मुझे शुरु से इस बात का इल्म था कि अगर मुझे अपने ब्लॉगिंग की लय बनाई रखनी है तो उसके लिए अपने कांटेंट को सुधारने के लिए लगातार मेहनत करनी होगी। दूसरे ये कि मेरे ब्लॉग विषय आधारित ब्लॉग होंगे। इसी वज़ह से 2008 में मैंने अपने यात्रा लेखों को एक शाम मेरे नाम पर लिखना बंद कर मुसाफ़िर हूँ यारों नाम से यात्रा आधारित ब्लॉग की शुरुआत की। मुझे इस बात का फक्र है कि मुसाफ़िर हूँ यारों ने भारत भर के हिंदी व अंग्रेजी यात्रा ब्लॉगों के बीच अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। 

वहीं एक शाम मेरे नाम पर लगातार मैं गीतों, ग़ज़लों  व किताबों के बारे में लिखता रहा और जब जब अपनी आवाज़ में कुछ पढ़ने का मन किया तो पॉडकास्ट भी  किया। मेरी अक्सर ये कोशिश रही है कि जिन गीतों व ग़ज़लों को मैं आप तक पहुँचाऊँ तो उनके भावों के साथ बनने या लिखने के क्रम में हुई रोचक घटनाओं को भी आपके साथ साझा करूँ। संगीत में नए व पुराने का फर्क मैंने नहीं रखा। हिंदी फिल्म संगीत के स्वर्णिम काल के दिग्गज गीतकार , संगीतकार व गायकों के मधुर गीत भी आपसे बाँटे तो वहीं पिछले ग्यारह सालों से नए फिल्म संगीत में लीक से हटकर जो हो रहा है उसे अपनी वार्षिक संगीतमालाओं में जगह दी। 

सोशल मीडिया के इस दौर से मैं भी अछूता नहीं रहा और मैंने भी फेसबुक का इस्तेमाल अपने लेखों को साझा करने के लिए लगातार किया। बाद में फेसबुक पर अपने दोनों ब्लॉगों एक शाम मेरे नाममुसाफ़िर हूँ यारों के दो पृष्ठ भी बनाए ताकि जो लोग वहाँ मेरी मित्र मंडली में नहीं हैं वो भी ब्लॉग से जुड़ सकें। अब ब्लाग्स की नई प्रविष्टियों से आप गूगल प्लस व ट्विटर पर भी मुखातिब हो सकते हैं।

एक साथ दो ब्लॉगों पर लिखना और उसके बीच आठ घंटों की नौकरी करना कभी आसान नहीं रहा। पर ये मै कर सका तो इसलिए कि संगीत और यात्रा पर लिखते हुए मुझे अन्दर से खुशी मिलती है जो शब्दों से बयाँ नहीं की जा सकती। यही खुशी मुझमें उर्जा भरती है हर  रोज़ ब्लॉगिंग के लिए कुछ घंटे निकालने  के लिए। 

इस दस साल के सफ़र में तमाम पाठकों से मुखातिब रहा। कुछ से साथ छूटा तो कुछ नए साथ आकर जुड़ गए और ये कारवाँ मुझसे कभी अलग नहीं हुआ। यही वज़ह है कि बिना किसी विराम के दस साल का ये सफ़र निर्बाध, लगातार चलता रहा।

ब्लॉगिंग ने  ही संगीत व यात्रा से जुड़ी नामी हस्तियों से भी बातचीत करने का अवसर दिया। मैं इस विधा का शुक्रगुजार हूँ क्यूँकि इसकी वजह से ही मैंने कई बार अख़बार के पन्नों पर सुर्खियाँ बटोरीं,  रेडियो जापान पर बोलने का अवसर मिला, ABP News पर इंटरव्यू देने का मौका मिला पर इससे भी कहीं ज्यादा खुशी इस बात की है ब्लॉगिंग ने मुझे कुछ ऐसे मित्र दिए जो मेरी ज़िंदगी का अहम हिस्सा हैं और रहेंगे।  मुझे यकीं है कि आप सब का प्यार आगे भी एक शाम मेरे नाम मुसाफ़िर हूँ यारों को मिलता रहेगा और मेरी भी कोशिश रहेगी कि मैं आप सबकी की उम्मीद पर आगे भी खरा उतरूँ।
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72 टिप्पणियाँ:

Rajesh Goyal on मार्च 30, 2016 ने कहा…

मनीष जी, बहुत सारी बधाईयाँ आपकी ब्लाग यात्रा का पहला दशक पूर्ण होने पर और ढेर सारी शुभकामनाएँ आने वाले अनेकों दशकों के लिये।

Sumit on मार्च 30, 2016 ने कहा…

Congratulations Manish ji!! Keep it up!!

Ankit on मार्च 30, 2016 ने कहा…

बहुत बहुत बधाई मनीष जी।
आपके ब्लॉग की हर पोस्ट ज़िन्दगी में ख़ामोश बैठी कई धुनें छेड़ जाती है।

इसी बहाने, इस ब्लॉग के नाम 'एक शाम मेरे नाम' से जुड़ी कोई कहानी हो तो बताइए, आखिर किन-किन नामों से गुज़रकर ये नाम तय हुआ।

रवि रतलामी on मार्च 30, 2016 ने कहा…

बधाई व अगले 10 वर्षों, रजत जयंती ब्लॉग वर्ष के लिए शुभकामनाएँ.

आपका कहना सही है - ब्लॉग ने पहचान दी है. मुझे भी दी है. परंतु ये भी सही है कि ब्लॉग की शक्ति को लोग पहचानें, तभी ब्लॉग उन्हें पहचान देगा. :)

Parmeshwari Choudhary on मार्च 30, 2016 ने कहा…

बहुत सारी बधाईयाँ और ढेर सारी शुभकामनाएँ :)

Archana Chaoji on मार्च 30, 2016 ने कहा…

बहुत -बहुत बधाई ...दस साल .... बीस साल .....तीस साल पूरे हों .... आपसे नियमित होने की प्रेरणा मिलती है ....

महेन्द्र मिश्र on मार्च 30, 2016 ने कहा…

Badhai shubhakamanayen ,,,

Disha Bhatnagar on मार्च 30, 2016 ने कहा…

और आप दूसरों के लिए भी प्रेरणास्रोत हैं

शिखा on मार्च 30, 2016 ने कहा…

बहुत-बहुत बधाई आपको और शुभकामनाएँ ..

बेनामी ने कहा…

बधाई मनीष जी । ढेरों शुभ कामनाएँ।
पिछले दो साल से आप की कोई पोस्ट मिस नहीं की।

सुरेन्द्र प्रताप सिंह

Kumar Nayansingh on मार्च 30, 2016 ने कहा…

छोटा मुँह बड़ी बात लेकिन फिर से वही बात कहना चाहूँगा सर कि आपकी सफलता का ये सफ़र जारी रहे क्योंकि" सफलता एक सफ़र है मंजिल नहीं"। आपको तो ऐसी अनगिनत मंजिलों के पार जाना है। साभार।

Unknown on मार्च 31, 2016 ने कहा…

"एक शाम मेरे नाम" को अपना दसवाँ जन्मदिन मुबारक हो.... युँ तो इस ब्लॉग की हर बात ही बहुत ख़ास हे.. पर मुझे जो सबसे अच्छा लगता हे वो इसका नाम हे....मुझे ख़ुशी हे की मैं इस ब्लॉग से जुडी....

मनीष जी आपके लेखन को सलाम.... आपके ब्लॉग को दस साल पूरे होने पर बहुत बहुत बधाई... दुआ हे की ये सफर और ये काफिला युँ ही बढ़ता रहे...

डॉ. अजीत कुमार on मार्च 31, 2016 ने कहा…

दसवीं सालगिरह मुबारक हो मनीष जी.

Usha Dawn on मार्च 31, 2016 ने कहा…

Good to see you reaching this far... I remember those days when I used to tell you start writing Congratulations !

Ashish Kumar on मार्च 31, 2016 ने कहा…

Bahut Bahut badhai dost.

Swaraj Karun on मार्च 31, 2016 ने कहा…

बहुत -बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं ।

Pavan Jha on मार्च 31, 2016 ने कहा…

Mubaarak ho!

Asha Kiran on मार्च 31, 2016 ने कहा…

Bahut-Bahut Badhai ..mai 9 saalon sy " ek shaam..mere naam" ky sath hun

Harendra Dharra on मार्च 31, 2016 ने कहा…

अभी तो पता नहीं कितने दस आने हैं ! शुभकामनाएँ !

Ram Dhall on मार्च 31, 2016 ने कहा…

Heartiest congratulations Manish and loads of God's blessings

Manish Kumar on अप्रैल 01, 2016 ने कहा…

राजेश गोयल, सुमित,परमेश्वरी जी, अर्चना जी, महेंद्र मिश्र जी, शिखा, आशीष,स्वराज, राम ढल जी, हरेंद्र, डा. अजित व पवन आप सब की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद !

Manish Kumar on अप्रैल 01, 2016 ने कहा…

अंकित शाम से मेरा रिश्ता पुराना है और इस ब्लॉग का बस यही एक नाम सोचा था दूसरे का सवाल ही नहीं था। शाम से जुड़ा जब भी कोई गीत आता है तो मैं इस बात का जिक्र करता हूँ।

मसलन अपनी किशौर गीतमाला की आखिरी कड़ी में जब वो शाम कुछ अजीब थी के बारे में बात करते हुए मैंने बताया था...

विधाता ने कितने ही मोहक रंगों को समाहित कर ये प्रकृति बनाई। भोर से अर्धरात्रि तक फिज़ा के कितने रूप आते हैं और अपनी उपस्थिति से हमारा मन मोह लेते हैं। ऍसा ही एक रूप है शाम का जिससे बचपन से ही मेंने सबसे ज्यादा प्रीति कर ली है। जीवन के कितने यादगार पल इसी बेला में घटित हुए हैं और यही वज़ह हे कि मेरे चिट्ठे के नाम में भी शाम का जिक़्र है। फिर आप ही बताइए कि मेरा सर्वाधिक प्रिय गीत शाम से जुदा कैसे हो सकता है ?

Manish Kumar on अप्रैल 01, 2016 ने कहा…

रविशंकर जी ब्लॉगिंग के प्रति हमारा नज़रिया एक सा है। विषयवस्तु पर ध्यान देने की बात आप भी शुरु से करते रहै और मैं भी समय समय पर यही कहता रहा।

तकनीक और साहित्य में ब्लॉग के माध्यम से जो योगदान आप कर रहे हैं वो सतत करते रहें ये मेरी शुभकामनाा है।

Manish Kumar on अप्रैल 01, 2016 ने कहा…

दिशा भटनागर ऐसा क्या ! चलिए जानकर अच्छा लगा।

Usha Yes those were the times when Ek Shaam Mere Naam wore the Roman Hindi avtaar while I wrote in English on An Indian Spirit .


आशा जी अच्छा.जान कर खुशी हुई..आशा है ये साथ आगे भी बना रहेगा।

Manish Kumar on अप्रैल 01, 2016 ने कहा…

Kumar Nayan Singh मंजिल कहाँ ये तो मील का एक पत्थर है। लंबे सफ़र में चलते हुए बीच बीच में रुक कर बीते हुए रास्तों, बिछुड़े साथियों और आज कदम से कदम मिलाकर चल रहे लोगों को याद करना जरूरी होता है क्यूँकि उनका साथ ही तो शक्ति देता है इस यात्रा को सतत बनाए रखने का ! :)

Manish Kumar on अप्रैल 01, 2016 ने कहा…

स्वाति मेरे किशोर जीवन में इस शाम ने मेरे लिए कुछ खास ही मायने दे दिए सो जब ब्लॉग को नाम देने का प्रश्न आया तो बस यही स्वाभाविक रूप से ज़ेहन में आया।

आप जैसे संगीतप्रेमी यूँ ही जुड़े रहें इस ब्लॉग से आगे भी यही उम्मीद करता हूँ।

Kundan Shrivastava on अप्रैल 01, 2016 ने कहा…

great ! mubaraq ho MANISH . .

Rashmi Ravija on अप्रैल 01, 2016 ने कहा…

बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं !!

Roshan Mehboobani on अप्रैल 01, 2016 ने कहा…

Congratulations Professor
Humari to yeh manokamna hai ki tum blogging ki silver jubilee aur Ho sake to Golden Jubilee bhi manao

Ashutosh Gupta on अप्रैल 01, 2016 ने कहा…

many congratulations n best wishes.

Prabin Khetwal on अप्रैल 01, 2016 ने कहा…

Congrats, keep it up, our best wishes.

Prasad Np on अप्रैल 01, 2016 ने कहा…

Badhai ho .... or aap aisay hee likthe rahen ...

Yunus Khan on अप्रैल 01, 2016 ने कहा…

मुबारक हो मनीष। तुम्हारे बाद हम भी उतर गए थे ब्लॉगिंग में। एक प्रेरणा तुम भी रहे। अभी भी हो। क्योंकि हम तुम्हारी तरह नियमित नहीं हैं। फिर से मुबारक।

Neeraj Goswamy on अप्रैल 01, 2016 ने कहा…

Bahut Bahut Badhai Manish...Agle saal hamen bhi 10 Saal ho jayenge

SeemaSingh on अप्रैल 02, 2016 ने कहा…

बहुत बहुत बधाई मनीष जी आशा है आप ऐसे ही लिखते रहेंगे और हमें नयी नयी कविता गज़ल गीत पढ़ने को मिलेंगे बहुत शुभकामनाएँ !

Manish Kumar on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

यूनुस हाँ मुझे याद है कि आप सइद कादरी को खोजते खोजते पहली बार मेरे ब्लॉग पर पहुँचे थे और एक लंबा सा ई मेल दागा था। IIT मुंबई की वो रात भी शुरुआती ब्लॉगिंग के यादगार दिनों की मिठास आज भी छोड़ती है।

Manish Kumar on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

हाँ नीरज जी किताबों पर आपका तबसरा यूँ ही चलता रहे :)


रश्मि जी, सीमा जी, प्रसाद, आशुतोष, खेतवाल सर, कुंदन आप सब की शुभकामानाओं का तहे दिल से शुक्रिया !

रोशन बुढापे तक लिखवाते ही रहोगे क्या :p

Zafar Qabil Ajmeri on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

Buhot mubark ho aak sham ko dus baras honay per.

Meri aak furmaish hai k ghazal hairaton ke silsilay per bhi aap likhan sari ghazin youtube per hain maray channal per bhi.shukriya

Manish Kumar on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

Thx Zafar Sahab for ur wishes !

Jahan tak mujhe yaad hai ye request aapne pehle bhi ki thi aur tab bhi maine kaha tha ki aap Qabil Azmeri sahab ke bare mein aur ye ghazal jab unhone likhi us daur ke halaaton ke bare mein mujhe kuch jaankari dein toh main us par ek post kar paaonga.

Manish Kaushal on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

दस साल के शानदार सफर की अनेक बधाइयाँ सर जी.. हमें भी कुछ टिप्स दीजिये.. ब्लॉगिंग शुरू करने का बड़ा मन कर रहा है.. आपके मागदर्शन से जैसे-तैसे सीख ही जाऊंगा.

Manish Kumar on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

धन्यवाद ! क्या टिप्स चाहिए ? :)

गौतम राजरिशी on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

दशक मुबारक मनीष जी ! दुआ है कि ब्लोगिंग अर्ध-शतक और शतक तक जारी रहे !!

Manish Kumar on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

Gautam आपकी दुआ से दुआ की गंभीरता का पता लग गया। :p अब परलोक से ब्लॉगिंग तो होने से रही :)

Puja Upadhyay on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

मुझे हमेशा ये याद रहता है कि ब्लौग पर पहला कमेंट आपका था. सफर यूँ ही चलता रहे...सुहाना...खूबसूरत

Manish Kumar on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

Puja तुमने इस बात को दोहरा कर अब तो मुझे भी याद करा दिया है कि तुम्हारे ब्लॉग पर पहली टिप्पणी मेरी थी। :p धन्यवाद इन प्यारी शुभकामनाओं के लिए ! :)

Pooja Singh on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

मुबारकां

Poonam Misra on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

Bahut badhai.itna niyamit hona aasan nahin

Harshita Joshi on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

Conngratulations

Ragini Puri on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

Many congratulations :)

Premlata Pandey on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

शुभकामनाएँ!

Sagar Nahar on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

शुभकामनाएं मनीष जी

Rachana Bajaj on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

Hardik badhaii aur anek shubhkaamnae !

Dipanshu Goyal on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

बधाई हो..

Swati Jain on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

Congrats Manish ji

Sharon Pratima on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

बहुत बहुत बधाई मनीष जी !

Manish Kumar on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

Pooja, Poonam jee, Sharon, Swati, Dipanshu, Rachna Jee, Sagar, Premlata jee, Ragini, Harshita आप सब की शुभकामनाओं का बहुत बहुत शुक्रिया !

Rashmi Sharma on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

आपको बहुत-बहुत बधाई हो। आपकी यात्रा यूं ही चलती रहे...शुभकामनाएं

Manish Kumar on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

आपकी शुभकामनाओं का बहुत बहुत शुक्रिया !

Kanchan Bisht Khetwal on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

Congrats on achieving significant milestone of your blog journey. This is due to your sheer dedication and hard work in nurturing your baby (blog). Wishing many more such fulfilling milestones in your journey ahead....

Surendra Kumar on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

Congratulations Manish, your dedication and perseverance, along with your talent and sensitivity, is quite motivating . keep it up

Manish Kumar on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

Kanchan Khetwal आपकी इन प्यारी शुभकामनाओं के लिए कोटिशः धन्यवाद !

Manish Kumar on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

Surendra jee Thanks a lot for these encouraging words !

Radha Chamoli on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

bahut bahut badhai Manish jee

Rakesh Bhartiya on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

कीर्तिमय - मंगलमय शुभकामनायें !!

Manish Kumar on अप्रैल 03, 2016 ने कहा…

धन्यवाद राकेश जी , राधा आपकी शुभेच्छा के लिए !

इलाहाबादी रचना साहित्य सम्मेलन on अप्रैल 04, 2016 ने कहा…

धन्यवाद जी

kavitapraja. blogspot.com

B K Pandey on अप्रैल 05, 2016 ने कहा…

Keep going...

Namrata Kumari on अप्रैल 05, 2016 ने कहा…

बहुत बहुत बधाई..

Nayan Singh on अप्रैल 05, 2016 ने कहा…

Bahut bahut badhai Manish g. Aasha h ki aage bhi aapke Behtarin lekh padhne ko milte rahe get.

रश्मि शर्मा on अप्रैल 05, 2016 ने कहा…

बहुत-बहुत बधाई मनीष जी। मैं भी आपका ब्‍लॉग पढ़ती हूं। बहुत ही दि‍लचस्‍प, खासकर मुसाफि‍र हूं यारों मुझे बहुत पसंद है।

Manish Kumar on अप्रैल 07, 2016 ने कहा…

पांडे सर, नम्रता शुक्रिया इन शुभकामनाओं के लिए।
नयन जरूर, कोशिश रहेगी आपकी उम्मीदों पर ख़रा उतरने की।
रश्मि धन्यवाद ! जानकर खुशी हुई कि यात्रा से जुड़े लेख आपको दिलचस्प लगे।

Renuka Walter on अप्रैल 08, 2016 ने कहा…

Congrats! A big achievement indeed!

 

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