वार्षिक संगीतमाला की अगली सीढ़ी पर एक सहज पर प्यारा सा गीत है जो बस इतनी सी बात कहता है कि किसी भी शख़्स के व्यक्तित्व में ढेर सारे रंग होते हैं। उन रंगों में कुछ तो अपने मन के अनुरूप होते हैं तो कुछ ऐसे जिनका होना हमें कचोटता है। पर एक बार जब वो व्यक्ति पसंद आने लगता है तो हम उसके हर पहलू को अपनाने को तैयार हो जाते हैं। यही तो है प्रेम की ताकत!
इस गैर फिल्मी गीत को लिखा और इसकी धुन बनाई है स्वानंद किरकिरे ने और इस युगल गीत को उनके साथ आवाज़ दी है नवोदित गायिका हंसिका पारीक ने। नई आवाज़ों में हंसिका मुझे बेहद सुरीली लगती हैं। बतौर गायिका मैं उनके संगीत का पिछले दो तीन सालों से अनुसरण कर रहा हूं। अपनी मीठी आवाज़ के साथ साथ उन्हें शास्त्रीय संगीत की भी अच्छी पकड़ है। अजमेर से ताल्लुक रखने वाली 23 वर्षीय हंसिका संगीत विशारद हैं।
इंडियन आइडल जूनियर से टीवी पर हलचल मचाने के बाद उन्होंने स्वतंत्र संगीत की राह पकड़ी और फिर वो संगीतकार विशाल मिश्रा की नज़र में आईं। फिल्मों में विशाल ने ही उन्हें पहला मौका दिया। इस साल उन्होंने सय्यारा और आज़ाद फिल्म के हिट गीतों में अपना योगदान दिया है। इस संगीतमाला में उनका एकल गीत रतिया पहले ही बज चुका है।
स्वानंद की धुन सुनते ही मन इस गीत को गुनगुनाने का करने लगता है। शब्दों का उनका चयन भी इस गीत के प्रति श्रोताओं के लगाव को बढ़ाता है। ज़री वाली साड़ी की बात तो हम सभी करते हैं पर उस शब्द ज़री के जरिए किसी के स्वभाव का कितना सटीक खाका खींचा है स्वानंद ने.. वैसे नाज़ुक है ज़री सी, चुभती भी है अच्छी खासी। गीत के साथ बजते गिटार की कमान संभाली है श्रेय गुप्ता ने जो स्वानंद के कार्यक्रमों में अक्सर उनके साथ दिखाई पड़ते हैं।
पर गीत के अंतरों के बीच मेंडोलिन पर असली कमाल दिखला गए हैं तापस राय साहब जो गीत के मुखड़े की धुन बजाकर मन को आनंदित कर देते हैं। स्वानंद के शब्दों में ये गीत अपनी कमियों और अच्छाइयों को स्वीकार करने वाला प्रेम गीत है। तो आइए सुनते हैं उनकी और हंसिका के स्वरों में ये युगल गीत
उसके चलने में लचक है, पर वो सहमी है ज़रा सी
उसके भीतर एक अगन है,पर वो शीतल है हवा सी
वैसे नाज़ुक है ज़री सी, चुभती भी है अच्छी खासी
उसके भीतर एक अगन है,पर वो शीतल है हवा सी
वैसे नाज़ुक है ज़री सी, चुभती भी है अच्छी खासी
मेरी जान जान जान, मेरे दिल का ये मकान
टूटा फूटा ही सही तू, बन जा इसका मेहमान
मेरी जान जान जान, मेरे दिल का ये मकान
दर्द की एक टीस है तू, और है खुशियों की मुनादी
ज़ख्म है तू गहरा दिल का, तू ही मरहम भी है साथी
यादों वाली ख्वाबों वाली, हर गली क्यों तुझको भाती
तू ख़यालों में तो रहता, पर समझ ना तुझको पाती
मेरी जान जान जान, मेरे दिल का ये मकान
टूटा फूटा ही सही तू, बन जा इसका मेहमान
मेरी जान जान जान, मेरे दिल का ये मकान...
मेरी जान जान जान, मेरा इतना कहना मान
दो अधूरी सांसें मिलकर, कर ले ज़िंदगी आसान
कि तेरे बिन जिया नहीं जाए, कि चैना ना आए तेरे बिन
टूटा फूटा ही सही तू, बन जा इसका मेहमान
मेरी जान जान जान, मेरे दिल का ये मकान
दर्द की एक टीस है तू, और है खुशियों की मुनादी
ज़ख्म है तू गहरा दिल का, तू ही मरहम भी है साथी
यादों वाली ख्वाबों वाली, हर गली क्यों तुझको भाती
तू ख़यालों में तो रहता, पर समझ ना तुझको पाती
मेरी जान जान जान, मेरे दिल का ये मकान
टूटा फूटा ही सही तू, बन जा इसका मेहमान
मेरी जान जान जान, मेरे दिल का ये मकान...
मेरी जान जान जान, मेरा इतना कहना मान
दो अधूरी सांसें मिलकर, कर ले ज़िंदगी आसान
कि तेरे बिन जिया नहीं जाए, कि चैना ना आए तेरे बिन






















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