बुधवार, जनवरी 03, 2007

गीत # 23 : चाँद हो तुम ,चाँदनी से भीगा जाए मन..

लीजिए कितनी देर से इंतजार कर रहे थे कि वे आएँ जल्द ही आ जाएँ, आखिर क्यों नहीं आ रहे ?.. कहीं भटक तो नहीं गए...और जब सचमुच आ गए तो ये सुनिए...मैं ना कहती थी वो जरूर आएँगे..प्यार का ये भी तो एक रूप है ना ।

साजन के आने का इस्तकबाल करता २३ वी पायदान का ये गीत प्रेम के मनोभावों से ओतप्रोत है । इसे अपनी मीठी आवाज से संवारा है श्रेया घोषाल और सोनू निगम की युगल जोड़ी ने । इसके बोल लिखे और धुन बनाई आनंद राज आनंद ने ।

सजन घर आना था
सजन घर आए तुम
पिया मन भाना था
पिया मन भाए तुम
हर खुशी है अब तुम्हारी
मुझे दे दो गम, जानेमन.. जानेमन..

जिंदगी में आये तुम चाहतों के रस्ते
काश ये रस्ते सनम कट जाए हँसते-हँसते
सोने दिलदारा तेरे प्यार तो मैं वारियां
मेरिया दुआवां तैनू लग जाण सारियां
चाँद हो तुम ,चाँदनी से भीगा जाए मन

जानेमन..जानेमन...




गीत के पूरे बोल आप
यहाँ देख सकते हैं ।
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3 टिप्पणियाँ:

Udan Tashtari on जनवरी 04, 2007 ने कहा…

बढ़ियां रहा तीसरा भाग भी कुल २५ में से. :)

अनुराग श्रीवास्तव on जनवरी 05, 2007 ने कहा…

मनीष,

आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें. आपके लेख पढना हमेशा से एक सुखद अनुभव रहा है.

Manish Kumar on जनवरी 07, 2007 ने कहा…

समीर जी और अनुराग शुक्रिया !

 

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