पिछले हफ्ते एक शाम मेरे नाम के हिंदी संस्करण ने अपने तीन साल पूरे कर लिये। वैसे जब ब्लागिंग के बारे में मुझे आज से चार साल पहले पता चला तब हिंदी का टंकण ज्ञान नहीं था पर ये विधा मुझे इतनी अच्छी लगी कि मैंने रोमन में ही हिंदी लिखकर अपना पहला ब्लॉग अप्रैल २००५ में बनाया । फिर साथियों द्वारा दिये तकनीकी ज्ञान से मार्च २००६ के आखिर में अपने इस हिंदी चिट्ठे की शुरुआत भी कर दी। हाँ ये जरूर है कि जितना रोमांच इस चिट्ठे की पहली वर्षगाँठ मनाने का था उतना उसके बाद नहीं रहा। शायद पहले के बाद दसवीं वर्षगांठ ही वो रोमांचक अनुभव रहे।
पिछले तीन सालों में जिन विषयों को मैंने अपने लेखन का विषय बनाया था, उनमें से एक सफ़रनामा अब मेरे नए यात्रा चिट्ठे मुसाफ़िर हूँ यारों पर चला गया है। विषय की एकरूपता को ध्यान में रखते हुए अब इस चिट्ठे पर सिर्फ गीत ग़ज़ल, कविताओं, किताबों की बातें ही हुआ करेंगी। अब तक के लेखन में मेरी ये कोशिश रही हे कि जिस विषय पर लिखूँ उसे इस तरह आपके सामने पेश करूँ जिससे उस विषय पर मेरे नज़रिए के आलावा कुछ नई जानकारी आप तक पहुँचे। इस में मैं कहाँ तक सफल हुआ हूँ ये तो आप ही बता सकते हैं। वैसे आंकड़ों की बात करूँ तो इस साल नई बात ये हुई कि इस जनवरी में इस चिट्ठे ने एक लाख पेजलोड्स का मुकाम पूरा किया । पिछले तीन सालों में इस चिट्ठे पर ३२० पोस्ट लिखी गई हैं और उन पर अब तक १११७६२ पेज लोड्स यानि प्रति पोस्ट ३५० की औसत से पढ़ी गई है।
ये आँकड़ा इसलिए महत्त्वपूर्ण है कि ये हम चिट्ठाकारों को इंगित करता है कि एग्रीगेटर की नज़रों से गुजरने के बाद विषय वस्तु के आधार पर कितने लोग उस पोस्ट तक पहुँचे। इस चिट्ठे के चौथे साल में इस औसत को बरकरार रख पाया या इसमें वृद्धि कर पाया तो अपना प्रयास सार्थक समझूँगा।
पाठकों की सुविधा के लिए एक जगह लिंक सहित गीतों , ग़जलों, कविताओं की लिंकित सूची तो बना ही दी थी। अब इस क्रम में पुस्तकों, चिट्ठाकारी और अपने अन्य लेखों की सूची बनाने और पुरानी सूचियाँ अपडेट करने का काम चलता रहेगा। इस चिट्ठे को ई-मेल से प्राप्त करने वाले पाठकों मुझे मेल के द्वारा अपने सुझाव या प्रतिक्रियाएँ भेज सकते हैं। आशा है चौथे साल में भी आपका स्नेह और आशीर्वाद इस चिट्ठे के साथ बना रहेगा।
कुन्नूर : धुंध से उठती धुन
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सेना के कुछ अधिकारी वहां 1834 के करीब पहुंचे। चंद कोठियां भी बनी, वहां तक
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5 माह पहले
25 टिप्पणियाँ:
ब्लाग की तीसरी वर्षगाँठ पर बधाई।
मधुर , मनोहर , अतीव सुन्दर चिट्ठे और चिट्ठेकार का चौथे साल और आगे का सफ़र यूँ ही सुरम्य होगा । डाक से चिट्ठे पढ़ने वालों का आँकड़ा भी दीजिए , प्रेरणा के लिए ।
सप्रेम बधाई ।
ब्लॉग की तीसरी सालगिरह मुबारक हो ।
teesari saalgirah mubaraq aur.. 10vi kipratiksha...!
बधाई स्वाकारें, जारी रखें
badhayi ho bhai jaan
बहुत बहुत बधाई तीसरा साल पूरा करने पर...इसी तरह लिखते रहिये...हम पढने वाले आपके साथ है...एक लाख हिट्स भी कोई छोटा मोटा कीर्तिमान नहीं है...बल्कि हिंदी ब्लोगर्स में इस कीर्तिमान तक पहुँचने वाले बिरले ही होंगे...
नीरज
बधाई और अनंत शुभकामनाये.....ऐसे ही लिखते रहें.....!!!
बहुत बहुत बधाई यूँ ही लिखते रहे आप
तो एक आध चोकलेट भी मिल जाती तो .....
शीतल मंद बयार संग बहता मीठा दरिया! यूँ ही बहता रहे।
बधाई और शुभकामनायें.
बधाई, आप यूं ही लिखते रहें।
Manish ji,
Haardik badhai..
Aise hee aage bhi saath bana rahe,
बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं आपको ...
वाह,वाह। बधाई हो। आगे तमाम साल पूरे हों।
बधाई!! हमें आपके ब्लॉग के १०० वें साल की पोस्ट में भी टिप्पणी करने मौका मिले ऐसी कामना है
एक मेहनती और समर्पित ब्लॉगर को सफलतापूर्वक तीन साल पूर्ण करने के लिए बधाई.. जैसा मैं हमेशा से कहता हू आप वाकई बहुत मेहनत करते है
3 saal ke sangeetmay blog ko pyaar aur aashirvaad... janmdin par sangeet bhi hota to chaar chaand lag jaate...koyee baat nahi ham aapaki doosri posts ke geet sunkar aanand le lete hain
sirf candles :( kamse kam cake dikhana to chahiye tha...ham dekh ke hi sochte ki kha liya hai :D
hardik badhai
अरे वाह आपके ब्लॊग का जन्मदिन तो एक खास दिन पर है! :)
खूब सारी बधाई और शुभकामनाएं!
मनीष भाई,
आपका ब्लोग सँगीतमय ब्लोग मेँ सदा रुचिकर रहा है यात्रा वर्णन भी बेहतरीन बधाई और ४ थे वर्ष मेँ और सफलताएँ मिलेँ ये शुभकामना भी "अँतराष्ट्रीय नोर्थ अमरिकी त्रैमासिक पत्रिका "विश्वा" मेँ मैँने आपके ब्लोग का नाम भी दिया है (मेरे आलेख मेँ)
- लावण्या
bahoot bahoot badhai aapko .......
आप सबकी शुभकामनाओं का बहुत बहुत धन्यवाद !
देर से सही लेकिन अपने इस चिट्ठे के जन्म दिन की बधाई । तुम्हें पढना अच्छा लगता है ।
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