रविवार, जुलाई 12, 2009

काहे तरसाए जियरा... राग कलावती पर आधारित एक सम्मोहक युगल गीत !

कुछ दिनों पहले संगीतकार रोशन और साहिर की जोड़ी द्वारा रचित दिल जो ना कह सका के बारे में बाते हुईं थीं। आज से चार दिन बाद यानि 14 जुलाई को संगीतकार रौशन का जन्म दिन है तो मेंने सोचा कि क्यूँ ना साहिर के बोलों पर उनके संगीतबद्ध इस शास्त्रीय नग्मे को आपके सामने प्रस्तुत कर उनकी याद दिलाई जाए। लता जी के साथ तो रौशन साहब ने तो कई अद्भुत गीत दिए हैं पर आज का ये गीत लता जी का नहीं बल्कि आशा भोंसले और उषा मंगेशकर का गाया युगल गीत है।



अगर हिंदी फिल्मों में शास्त्रीय युगल गीतों की बात करें तो उनमें 1964 में आई फिल्म चित्रलेखा के इस गीत का जिक्र नहीं होना आश्चर्य की बात होगी। ये गीत राग कलावती पर आधारित है जो कि मध्यरात्रि के पूर्व गाया जाने वाला राग है। खैर मैं तो मंगेशकर बहनों की इस शास्त्रीय जुगलबंदी को किसी भी वक़्त सुनता हूँ, मन मुदित हो जाया करता है। संगीतकार रौशन की खासियत यही थी को वो अपनी धुनों में लोक संगीत और शास्त्रीय संगीत के बीच ऍसा सामंजस्य स्थापित करते थे कि हृदय उनकी जादूगरी पर वाह वाह कर उठे। बेमिसाल गायिकी और संगीत के आलावा एक और बात इस गीत को अनोखा बनाती हैं वो हैं इसके बोल..

साहिर एक मक़बूल शायर तो थे ही फिल्मों के लिए उनकी लिखी हुई ग़ज़लें भी उतनी ही मशहूर हुईं। पर वही शख्स शुद्ध हिंदी में भी उसी माहिरी के साथ गीत रचना कर सकता है ये बात इस गीत के शब्दों पर गौर करने से पता चल जाती है।
चलिए अब इस गीत का मूड टटोलते हैं। सावन का महिना प्रारंभ हो चुका है। ऍसे में अगर पिया जी परदेश में हों और लौटने का नाम नहीं ले रहे और ऊपर से बारिश की ये कल्की हल्की फुहारें तन मन में और आग लगा दें तो जियरा तो तरसेगा ही !

काहे तरसाए जियरा
काहे तरसाए जियरा, जियरा...
यवन ऋतु सजन जाके न आ...ए..
काहे तरसाए जियरा, काहे तरसाए जियरा..

नित नीत जागे ना
नित नीत जा.. जागे ना, नित नीत जा.. जागे ना,
नित नीत जागे ना
सोया सिंगा...र, सोया सिंगा.......र
झनन झन झनन, नित ना बुला..ए
काहे जियरा तरसाए
काहे तरसाए जियरा, काहे तरसाए जियरा..

नित नीत आए ना
नित नीत आ.. आए ना, नित नीत आ.. आए ना,
नित नीत आए ना
तन पे निखा...र, तन पे निखा......र
पवन मन सुमन नित ना खिला..ए
काहे जियरा तरसाए
काहे तरसाए जियरा, काहे तरसाए जियरा


नित नीत बरसे ना
नित नीत बर. बरसे ना, नित नीत बर.. बरसे ना
नित नीत बरसे ना
रस की फुहार, रस की फुहा...र
सपन बन गगन, नित ना लुटा..ए
काहे जियरा तरसाए
काहे तरसाए जियरा, काहे तरसाए जियरा
जियरा...


संगीतकार रोशन ने इस गीत में विभिन्न वाद्य यात्रों में क्या कमाल बैठाया था। तबले की थाप, बाँसुरी की सुरीली गूँज और उनके बीच तार वाद्यों की झंकार। कई बार संगीत संयोजन पर हमारा ध्यान तब जाता है जब उस पेशकश को आर्केस्ट्रा के साथ देखा जाए। ऐसा ही एक प्रस्तुति मुझे नेट पर मिली। आप भी देखिए संगीत का कमाल



तो आइए सुनते हैं आशा और उषा जी की इस अद्भुत जुगलबंदी को चित्रलेखा फिल्म के इस गीत

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13 टिप्पणियाँ:

श्यामल सुमन on जुलाई 10, 2009 ने कहा…

खूब याद दिलाया आपने मनीष जी। एक अच्छे प्रयास के लिए साधुवाद।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

विनोद कुमार पांडेय on जुलाई 10, 2009 ने कहा…

purane madhur geeton ki baat hi kuch aur hai..

bahut sarthak prayas hame un madhur karnpriy geet suna kar..

badhayi..

राज भाटिय़ा on जुलाई 10, 2009 ने कहा…

मनीष जी बहुत सुंदर लगा इस गीत को सदियो बाद सुन कर, ओर साथ मे आप ने इतनी अच्छी जानकारी दी.धन्यवाद... चलिये अब गीत को दोबारा सुनते है

नीरज गोस्वामी on जुलाई 10, 2009 ने कहा…

अद्भुत गीत है ये...पूरी चित्रलेखा फिल्म ही ऐसे अद्वितीय गीतों का खजाना है...धन्यवाद आपका इस प्रस्तुतीकरण के लिए...
नीरज

जितेन्द़ भगत on जुलाई 10, 2009 ने कहा…

सुंदर गीत। काश बारि‍श भी हो जाती:(

Abhishek Ojha on जुलाई 10, 2009 ने कहा…

वाह !
लताजी और आशाजी के साथ गाये गीतों की भी कुछ जानकारी दीजिये. मुझे तो दो ही पता हैं: उत्सव का 'मन क्यों बहका' और पडोसन का 'मैं चली मैं चली'.

अमिताभ मीत on जुलाई 10, 2009 ने कहा…

Thanks Manish.

Sanjay Patel on जुलाई 10, 2009 ने कहा…

बहुत प्यारी रचना है मनीष भाई,एकदम मौसम के मूड को रिझाती

दिलीप कवठेकर on जुलाई 11, 2009 ने कहा…

बहुत ही बढिया रचना!!

मैने सुना है कि कुल मिला कर लताजी और आशाजी नें ६३ गीत गाये हैं!!!

anil on जुलाई 11, 2009 ने कहा…

सुन्दर गीत के साथ सुन्दर रचना अच्छी जानकारी दी हे आपने धन्यवाद .

eSwami on जुलाई 11, 2009 ने कहा…

गोस्वामीजी से सहमत - इस फ़िल्म के सारे गीत कर्णप्रिय हैं.

Ashish Khandelwal on जुलाई 11, 2009 ने कहा…

बहुत ही प्यारा गीत.. कई दिन बाद सुना आज.. रोशन जी की संगीत रचना का मैं भी मुरीद हूं ..आभार

बेनामी ने कहा…

ऐसी ही जानकारी से भरी सामग्री अन्य क्लासिक गीतों के बारे में भी दें । शायद आप ही इसे कर सकतें है ताकि नयी पीढी को रुचि जगे । धन्यवाद ।

 

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