गुरुवार, जुलाई 23, 2009

जान वे जान ले , हाल ए दिल : सुनिए विशाल भारद्वाज, मुन्ना धीमन और राहत की इस अद्भुत रचना को

हिंदी फिल्म संगीत की त्रासदी यही है कि अगर फिल्म नहीं चली तो कई बार फिल्म का संगीत अच्छा होने के बावजूद आम जनता से दूर रह जाया करता है। पिछले साल ऍसी ही एक फिल्म आई थी हाल-ए-दिल जिसमें कई नामी संगीतकार विशाल भारद्वाज, आनंद राज आनंद, प्रीतम आदि ने फिल्म के विभिन्न गीतों की धुनें तैयार की थीं। अजय देवगन के भाई अनिल देवगन की ये फिल्म बॉक्स आफिस पर बुरी तरह पिटी जिसका खामियाज़ा इसके गीतों को उठाना पड़ा था।


इस फिल्म में विशाल भारद्वाज ने मुन्ना धीमन के लिखें शब्दों पर एक बेहतरीन कम्पोजीशन बनाई थी जो राहत फतेह अली खाँ की गायिकी से और निखर गई थी। विशाल भारद्वाज यूँ तो अक्सर गुलज़ार के बोलों पे अपना हुनर दिखलाते रहे हैं पर मुन्ना धीमन के साथ भी उनकी जुगलबंदी खूब बैठती है। याद है ना २००७ में निशब्द फिल्म के गीत जिसमें पहली बार मुन्ना धीमन की चर्चा इस चिट्ठे पर हुई थी। फिर पिछले साल 'यू मी और हम' में भी ये जोड़ी कुछ हद तक सफल हुई थी पर दिल का हाल कहते हुए इस नग्मे को अपने बोलों, सुंदर संगीत संयोजन और राहत फतेह अली खाँ की बेमिसाल गायिकी की वज़ह से मैं इस जोड़ी द्वारा रची गई अब तक की सबसे नायाब कम्पोसीशन मानता हूँ।



दरअसल मुन्ना इस गीत की रूमानी पंक्तियों में एक ऍसी गहराई लाते हैं जो इस गीत का स्तर एक दूसरे धरातल पर ले जाता है। मिसाल के तौर पर इन पंक्तियों को देखें..

आजा तेरी आँखों से ख्वाब ख्वाब गुजरूँ मैं..
आजा तुझे हाथों पे किस्मतों सा लिख लूँ वे..
आजा तेरे होठों से बात बात निकलूँ मैं..

आजा तेरे कोहरे में धूप बन के खो जाऊँ..

और फिर कितना अद्भुत है विशाल भारद्वाज का संगीत संयोजन ! मुखड़े के ठीक पहले ताल वाद्यों की थाप से मन झूम ही रहा होता है कि राहत फतेह अली खाँ का रुहानी स्वर उभरता है और मन गीत में रम सा जाता है। विशाल गीत के पीछे की बीट्स को बिना किसी ज्यादा छेड़ छाड़ के चलते रहने देते हैं। फिर इंटरल्यूड में गिटार का उनका प्रयोग ध्यान खींचता है। वैसे भी राहत का सूफ़ी अंदाज़ हमेशा से दिल को छूता रहा है। तो आइए पहले सुनें राहत को..



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जान वे जान ले , हाल ए दिल
जान वे बोल दे , हाल ए दिल
आजा तेरे सीने में साँस साँस पिघलूँ मैं
आजा तेरे होठों से बात बात निकलूँ मैं
तू मेरी आग से रौशनी छाँट ले
ये जमीं आसमां जो भी है बाँट ले
जान वे जान ले , हाल ए दिल
जान वे बोल दे , हाल ए दिल
आजा माहिया आ जा...आजा माहिया आ जा...
बेबसियाँ आ जा...आजा माहिया आ जा...
दिन जोगी राताँ, सब डसियाँ आ जा
तेरी झोलियाँ पाऊँ घर गलियाँ आ जा
आजा माहिया आ जा...आजा माहिया आ जा...
आजा तेरे माथे पे चाँद बन के उतरूँ मैं
आजा तेरी आँखों से ख्वाब ख्वाब गुजरूँ मैं
रग रग पे हैं तेरे साये वे, रग रग पे हैं तेरे साये
रंग तेरा चढ़ चढ़ आए वे रंग तेरा चढ़ चढ़ आए
जान वे जान ले , हाल ए दिल...

आजा तुझे हाथों पे किस्मतों सा लिख लूँ मैं
आजा तेरे कान्धे पे उम्र भर को टिक लूँ मैं
तेरी अँखियों के दो गहने वे तेरी अँखियों के दो गहने
फिरते हैं पहने पहने वे फिरते हैं पहने पहने
जान वे जान ले , हाल ए दिल...
आजा माहिया आ जा...आजा माहिया आ जा...
आजा तेरे सीने में साँस साँस पिघलूँ मैं....


रेखा भारद्वाज ने भी इस गीत का दूसरा वर्सन गाया है जिसमें अंतरे थोड़ी तब्दीली के साथ गाए गए हैं। मुन्ना धीमन एक बार फिर उसी फार्म में हैं। विशाल की पार्श्व बीट्स यहाँ अपेक्षाकृत तेज हैं। इंटरल्यूड में गिटार की जगह बाँसुरी बजती सुनाई देती है। रेखा जी की गायिकी का अनूठा अंदाज तो हमेशा से मन को सोहता है पर कुल मिलाकर राहत फतेह अली खाँ वाला वर्सन ज्यादा असर छोड़ता है। तो सुनिए रेखा जी को इसी गीत में..


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आ जा रख ले
उड़ तक ले आजा रख ले
मन वे.. हाए.. कुछ कह दे
कुछ सुन ले जान वे
जान वे जान ले , हाल ए दिल...
आजा तेरे कोहरे में धूप बन के खो जाऊँ
तेरे भेष तेरे ही रूप जैसी हो जाऊँ
रग रग पे हैं तेरे साये वे, रग रग पे हैं तेरे साये
रंग तेरा चढ़ चढ़ आए वे रंग तेरा चढ़ चढ़ आए
जान वे जान ले , हाल ए दिल...
तू ही मेरी नींदों में जागता है सोता है
तू ही मेरे आँखों के पानियों में होता है
तेरी अँखियों के दो गहने वे तेरी अँखियों के दो गहने
फिरते हैं पहने पहने वे फिरते हैं पहने पहने
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9 टिप्पणियाँ:

Archana Chaoji on जुलाई 23, 2009 ने कहा…

बहुत मधुर संगीत.......राहत जी की आवाज मे तो .......मस्त........

डॉ .अनुराग on जुलाई 23, 2009 ने कहा…

ये कैसे छूट गया हमसे वाकई नायब गीत है....रहत ओर विशाल का कोम्बीनेशन .vaah!!

दिलीप कवठेकर on जुलाई 23, 2009 ने कहा…

गीत किसी भी मिट्टी का बना हुआ है, राहत जी की कशिश भरी सूफ़ियाना आवाज़ में उसका हर शब्द पिघल जाता है, और एक मुजस्सिम बुत की शक्ल अख्तियार कर लेता , जिसमें भावों के संप्रेषण भी स्पंदित होते हुए मेहसूस होते है.

गिटार के पीस, दिल के हर तार के टूटने की आवाज़ नश्र कर रहे है.

रेखाजी उतनी ही सुरीली है, और दिल के तडप की कशिश को भी बखूबी स्वरों में ढाला है.उनके वर्शन में बांसुरी को स्त्री सुलभ मखमली भावों का परिचायक बनाया गया है, जो माफ़िक है.

शुक्रिया इस गीत को सुनवाने का. हर नया गीत खराब ही होता है यह कतई ज़रूरी नहीं.

eSwami on जुलाई 23, 2009 ने कहा…

आपका बहुत शुक्रिया मनीष.. आपने यदि यह पोस्यट ना की होती तो यह गीत सचमुच मिस्स हो ही गया था!

संगीता पुरी on जुलाई 23, 2009 ने कहा…

बहुत बढिया गीत .. अभी सुन ही रही हूं .. धन्‍यवाद !!

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` on जुलाई 24, 2009 ने कहा…

Great Melody, Grreat Voices & great Composition - Thanx 4 posting Manish bhai
[ sorry to post my comment in Eng. I'm away from my PC ]

जीवन सफ़र on जुलाई 24, 2009 ने कहा…

शुक्रिया वाकई गीत मनभावन है!

Unknown on अक्तूबर 19, 2009 ने कहा…

thanx very much yaar....
mai music k liye pagal hoo.. aur rahat saab ka to bahot hi bada fan hoo.. lekin pata nahi ye gana kaise choot gaya tha...
thank u very much...
mujhe lagta hai aapki aur humari kafi jamegi...

Manish Kumar on अक्तूबर 21, 2009 ने कहा…

इस गीत को पसंद करने के लिए आप सब का शुक्रिया. यश आते रहें यहां महफिलें जमती रहेगी।

 

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