तो आइए एक नज़र डालें पिछले चार साल की संगीतमालाओं की तरफ। मैंने अपनी पहली संगीतमाला की शुरुआत 2004 के दस बेहतरीन गानों से की जिसे 2005 में 25 गानों तक कर दिया। 2006 में जब खालिस हिंदी ब्लागिंग में उतरा तो ये सिलसिला इस ब्लॉग पर भी चालू किया जो कि आज अपने चौथे साल में है।
वार्षिक संगीतमाला 2004 में मेरी गीतमाला के सरताज गीत का सेहरा मिला था फिर मिलेंगे में प्रसून जोशी के लिखे और शंकर अहसान लॉए के संगीतबद्ध गीत "खुल के मुस्कुरा ले तू" को जबकि दूसरे स्थान पर भी इसी फिल्म का गीत रहा था कुछ खशबुएँ यादों के जंगल से बह चलीं। ये वही साल था जब कल हो ना हो, रोग, हम तुम, मीनाक्षी और पाप जैसी फिल्मों से कुछ अच्छे गीत सुनने को मिले थे।
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वार्षिक संगीतमाला 2005 में बाजी मारी स्वानंद किरकिरे और शान्तनु मोइत्रा की जोड़ी ने जब परिणिता फिल्म का गीत 'रात हमारी तो चाँद की सहेली' है और हजारों ख्वाहिशें ऍसी के गीत 'बावरा मन देखने चला एक सपना' क्रमशः प्रथम और द्वितीय स्थान पर रहे थे।
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वार्षिक संगीतमाला 2007 में एक बार फिर प्रसून जोशी के लिखे और शंकर अहसान लॉए के संगीतबद्ध, 'तारे जमीं पर' के गीतों के बीच ही प्रथम और द्वितीय स्थानों की जद्दोजहद होती रही। पर माँ...जैसे नग्मे की बराबरी भला कौन गीत कर सकता था
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वार्षिक संगीतमाला 2008 का सरताज गीत बना आमिर फिल्म का संवेदनशील नग्मा इक लौ इस तरह क्यूँ बुझी मेरे मौला ने।
इसकी मुख्य वज़ह थी इस गीत में संगीत, बोल और गायिकी का अद्भुत समनव्यन। ये कमाल था संगीतकार अमित त्रिवेदी, गायिका शिल्पा राव और गीतकार अमिताभ की बेमिसाल तिकड़ी का।
आमिर फिल्म के जबरदस्त संगीत की बदौलत गर अमित त्रिवेदी ने विजेता का आसन सँभाला तो रनर्स अप गीत कहने को जश्न-ऐ-बहारा है की मदद से संगीतकार ए आर रहमान ने पिछले साल की संगीतमाला पर अपनी बादशाहत कायम रखी।
जोधा अकबर, युवराज, जाने तू या जाने ना, गज़नी की बदौलत २००८ की वार्षिक संगीतमाला में उनके गीत दस बार बजे। रहमान के आलावा इस साल के अन्य सफल संगीतकारों में विशाल शेखर, सलीम सुलेमान और अमित त्रिवेदी का नाम लिया जा सकता है।
वार्षिक संगीतमाला 2008 में अमिताभ वर्मा, जयदीप साहनी, अशोक मिश्रा, इरफ़ान सिद्दकी, मयूर सूरी, कौसर मुनीर,अब्बास टॉयरवाला और अन्विता दत्त गुप्तन जैसे नए गीतकारों ने पहली बार अपनी जगह बनाई। इतने सारे प्रतिभाशाली गीतकारों का उभरना फिल्म संगीत के लिए शुभ संकेत है। वहीं गायक गायिकाओं में विजय प्रकाश, जावेद अली, राशिद अली, श्रीनिवास और शिल्पा राव जैसे नामों ने पहली बार संगीत प्रेमी जनता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
इस साल हिंदी फिल्म संगीत में पिछले साल की अपेक्षा फीके पकवान ही परोसे गए हैं। फिर भी मेरी कोशिश रहेगी कि इस शोर के बीच उन सुरीले गीतों को आपके सामने लाऊँ जो शायद आपकी नज़रों से गुजरे बिना निकल गए हों। हमेशा मित्र ये प्रश्न करते रहे हैं कि गीतमाला में कोई गीत मैंने इतनी ऊपर या नीचे क्यूँ रखा?
अब ये स्पष्ट कर दूँ कि इस गीतमाला का सीधे सीधे पॉपुलरटी से लेना देना नहीं है। गायिकी, संगीत, बोल और इनके सम्मिलित प्रभाव इन सभी आधारों को बराबर वज़न दे कर मैं अपनी पसंद के गीतों का क्रम तैयार करता हूँ। कई बार ये स्कोर्स लगभग बराबर होते हैं और तब गीतों को ऊपर नीचे करना बड़ा दुरुह होता है। हाँ, गीत से जुड़ी पोस्ट में मेरी पसंद के कारणों का जिक्र आप हमेशा की तरह पढ़ेंगे। प्रस्तुत गीत के बारे में पाठकों की राय भिन्न हो सकती है और उस बारे में आप अपना मंतव्य बेहिचक दें।
सवाल ये है कि वर्ष 2009 की इस संगीतमाला में क्या कोई नया सितारा सामने आएगा या फिर पुराने दिग्गज ही छाए रहेंगे? ये तो आप तभी जान पाएँगे जब आप अगले 2 महिनों तक संगीत के इस सफ़र में मेरे साथ होंगे। संगीतमाला में आप गीत तो सुनेंगे ही। साथ ही हर साल की तरह मेरी कोशिश रहेगी उन नए उभरते कलाकारों से आपको रूबरू कराने की जो इस साल के संगीत पटल पर तेजी से उभरे हैं। तो तैयार है ना आप हिंदी ब्लागिंग की सबसे पुरानी गीतमाला की उलटी गिनती यानि 25 वीं सीढ़ी से लेकर पहली सीढ़ी तक चढ़ने के लिए...
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