शनिवार, जनवरी 23, 2010

वार्षिक संगीतमाला 2009 : पॉयदान संख्या 19 - शंकर की मस्ती और प्रसून का जादू मन को अति भावे..

तो हो जाइए थिरकने को तैयार क्यूँकि आ रहा है वार्षिक संगीतमाला की 19 वीं पॉयदान पर एक ऐसा गीत जो ना केवल आपको झूमने पर विवश करेगा बल्कि साथ ही हिंदी के उस रूप की भी आपको याद दिला दे जाएगा जिसे आज के हिंग्लिश माहौल में लगभग आप भूल चुके हैं।


लंदन ड्रीम्स के इस रोमांटिक गीत में परस्थिति ये है कि नायक मस्ती में भावविहृल हो उठे हैं और अपने प्रेम के इस जुनून को शब्दों में व्यक्त करना चाहते हैं। जब फिल्म के निर्देशक गीतकार प्रसून जोशी के पास इस परिस्थिति को ले कर गए तो प्रसून को गीत के स्वरूप को ढालने में तीन चार दिनों का वक़्त लगा। प्रसून को लगा कि हिंदी के आलावा बृज भाषा के लहज़े को भी गीत में आत्मसात किया जाए। ज़ाहिर सी बात है कि प्रसून यह दिखाना चाहते थे कि जब भी हम भावातिरेक में होते हैं तो कुछ वैसे शब्दों का इस्तेमाल जरूर करते हैं जो कि हमारी आंचलिक भाषा से जुड़े हों.

पर आंचलिक शब्दों का सहारा प्रसून ने मुख्यतः मुखड़े में लिया है। गीत के पहले अंतरे से ही वो विशुद्ध हिंदी शब्दों का प्रयोग करते हैं। दरअसल ये गीत इस बात को सामने लाता है कि आज के हिंदी गीतकारों ने किस तरह अपने आप को उन्हीं रटे रटाये चंद जुमलों में संकुचित कर लिया है। आज की खिचड़ी भाषाई संस्कृति से जुड़ते युवा वर्ग के लिए प्रसून का ये प्रयोग वाकई काबिल-ए-तारीफ़ है। युवा वर्ग में इस गीत की लोकप्रियता इस बात को साबित करती है कि अगर सलीके से तत्सम शब्दों का प्रयोग किया जाए तो उसका भी एक अलग आनंद होता है। अपने इस गीत के बारे में बनाए गए वीडिओ में प्रसून कहते हैं...

इस गीत को रचते समय मेरे मन में सलमान खाँ का वो रूप आया जिसे मैं पसंद करता हूँ। गीत की भावनाओं में प्रेम का जुनून उन्हीं को ध्यान में रख कर आया है। इस गीत में हिंदी के ऍसे शब्दों का हुज़ूम है जो कि आपको आनंदित कर देगा। मैंने कोशिश की है कि इस गीत में वैसे शब्दों का प्रयोग करूँ जो खड़ी बोली या संस्कृत से आए हैं। ये वैसे शब्द हैं जिन्हें लोगों ने सालों साल नहीं सुना होगा या उन्हें अपनी स्कूल की हिंदी पुस्तकों में पढ़ा होगा।
शंकर अहसान लॉए की तिकड़ी द्वारा संगीतबद्ध लंदन ड्रीम्स के इस गीत की प्रकृति इस एलबम के अन्य गीत जो कि कॉनसर्ट के माहौल में गाए से सर्वथा भिन्न है। इस गीत को गाने में जिस मस्ती और जिस पागलपन की जरूरत थी उसे शंकर महादेवन ने बखूबी पूरा किया है। तो गीत का प्ले बटन दबाने के पहले ज़रा खड़े हो जाइए और गीत के अनुरूप शरीर में ऐसी लोच पैदा कीजिए कि धरती कंपित हो उठे..



मन को अति भावे सैयाँ करे ताता थैया,
मन गाए रे हाए रे हाए रे हाए रे हाए रे
हम प्रियतम हृदय बसैयाँ पागल हो गइयाँ
मन गाए रे हाए रे हाए रे हाए रे हाए रे
जो मारी नैन कंकरिया तो छलकी प्रेम गगरिया
और भीगी सारी नगरिया, सब नृत्य करे संग संग
तोरे बान लगे नस नस में, नहीं प्राण मोरे अब बस में
मन डूबा प्रेम के रस में, हुआ प्रेम मगन कण कण
हो बेबे बेबे सौंपा तुझको तन मन

मन को अति भावे सैयाँ करे ताता थैया,
मन गाए रे हाए रे

क्या उथल पुथल बावरा सा पल, साँसों पे सरगम का त्योहार है
बनके मैं पवन चूम लूँ गगन, हो ॠतुओं पे अब मेरा अधिकार है
संकेत किया प्रियतम ने आदेश दिया धड़कन ने
सब वार दिया फिर हमने, हुआ सफल सफल जीवन
अधरों से वो मुस्काई काया से वो सकुचाई
फिर थोड़ा निकट वो आई था कैसा अद्भुत क्षण
ओ बेबे बेबे मैं हूँ संपूर्ण मगन
मन को अति भावे.... हाए रे...

हो पुष्प आ गए, खिलखिला गए उत्सव मनाता है सारा चमन
चंद्रमा झुका सूर्य भी रुका, दिशाएँ मुझे कर रही हैं नमन
तूने जो थामी बैयाँ सबने ली मेरी बलैयाँ
सुध बुध मेरी खो गइयाँ हुआ रोम रोम उपवन
जब बीच फसल लहराई, धरती ने ली अँगड़ाई
और मिलन बदरिया छाई, कसके बरसा सावन
ओ बेबे बेबे सब हुआ तेरे कारण
मन को अति भावे.... हाए रे...

लंदन ड्रीम्स का ये गीत फिल्म में सलमान और असिन पर फिल्माया गया है।


और हाँ आपकी पसंद जानने के लिए साइड बार में एक वोटिंग भी चालू कर दी गई है। उसमें हिस्सा लें ताकि आप सब की पसंद का पता लग सके।
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9 टिप्पणियाँ:

रंजना on जनवरी 23, 2010 ने कहा…

Waah...Waah ...Waah....

Man khush ho gaya....hindi ke in shabdo ka prayog geeton me karne me bhi aaj ke geetkaar sangeetkaar abhiruchi rakhte hain,yah atishay harshoochak hai....

Cinema ek aisa sashakt maadhyam hai,jiska anusaran karna bahutayat janta chahtee hai..is manch par yadi hindi ko sthaan mile to asambhav nahi ki hindi vyapak varg me punarpratishthit hogee...

Manish Kumar on जनवरी 23, 2010 ने कहा…

रंजना जी इस पोस्ट को लिखते समय आपकी वो बात याद आ रही थी कि कुछ लोग तो हों जो हिन्दी के शुद्ध कलेवर को भी सामने रखें। पर अगर फिल्मी गीतों में ये प्रयोग होने लगे तो वो भाषा के इस रूप को जनता से सीधे जोड़ सकते हैं। ज़ावेद और गुलज़ार ने जिस तरह आम जन में उर्दू भाषा के प्रति लोगों का रुझान बढ़ाया है वही काम प्रसून हिंदी के लिए कर रहे हैं।

राज भाटिय़ा on जनवरी 24, 2010 ने कहा…

बहुत सुंदर गीत बहुत अच्छा लगा
धन्यवाद

Abhishek Ojha on जनवरी 24, 2010 ने कहा…

कल किसी रेडियो चैनल पर 'कवि की कल्पना' में इस गाने पर कमेन्ट सुना... पता नहीं किस चैनल पर आता है. शायद रेड एफएम पर. फिल्म तो बेकार लगी पर ये गाना अच्छा है.

Himanshu Pandey on जनवरी 24, 2010 ने कहा…

सही कहा आपने । कुछ जुमलों में संकुचित हिन्दी फिल्मी गीत ।
प्रसून जी का यह प्रयास काबिलेतारीफ है । आपकी इस श्रृंखला का मुरीद हूँ तो एक कारण यह भी है कि गीतों में छुपी इस प्रकार की सूक्ष्म विशेषतायें आप सामने लाते हैं ।

एक बात और । चलन को देखते हुए जिस तत्सम शब्दावली को इस गीत का अवगुण बताया जा सकता था (बताया जा रहा होगा भी अन्यत्र), उसी को इसकी विशेषता सिद्ध कर देना - प्रशंसनीय है यह कार्य !
आभार ।

Manish Kumar on जनवरी 24, 2010 ने कहा…

हिमांशु आप की तारीफ़ का तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ। दरअसल इस गीत में बड़े छोटे छोटे सहज किंतु हिंदी गीतों के लिए अप्रचलित शब्दों का प्रयोग हुआ है। मिसाल के तौर पर नृत्य,कण , क्षण, मगन, संपूर्ण,संकेत,उत्सव,आदेश,निकट आदि ऍसे शब्द हैं जिनकी गणना किसी भी दृष्टि से क्लिष्ट शब्दों में नहीं की जा सकती। पर जब आप अंतरजाल में इस गीत पर हो रही चर्चा पढ़ेंगे तो पाएँगे कि आज के युवा इन शब्दों के एक दूसरे से अर्थ पूछ रहे हैं। यह निश्चय ही हिंदी के लिए और इस देश में हिंदी का प्रचार प्रसार करने वालों के लिए क्षोभ की बात है।

हमारी आंचलिक भाषाओं के बारे में लोगों की अनिभिज्ञता का ये आलम है कि अंग्रेजी के नामी संगीत समीक्षक ने इस गीत में भोजपुरी शब्दों की प्रचुरता का उल्लेख किया जबकि गीत में सिर्फ शुद्ध हिंदी और कुछ ब्रृजभाषी शब्दों का समावेश है।

आशा की किरण बस यही है कि प्रसून ने कम से कम बच्चों में ये उत्सुकता तो जगाई है इसलिए वे निश्चय ही बधाई के पात्र हैं।

गौतम राजऋषि on जनवरी 24, 2010 ने कहा…

आपकी मेहनत को सलाम मनीष जी...गानों के साथ इतनी रोचक जानकारियां मुहैया कराते हैं आप कि मजा आ जाता है। टिप्पणियों ने मजा दुगुना कर दिया...

और उधर साइड-बार में सब ठो भोटिया दिये हैं...

श्रद्धा जैन on जनवरी 26, 2010 ने कहा…

Waah waah Manish ji
bahut achcha laga
gana sun kar

jaankari bhi dene ke liye shukriya

Manish Kumar on जनवरी 30, 2010 ने कहा…

गौतम और श्रृद्धा जी इस प्रविष्टि को पसंद करने का शुक्रिया।

 

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