रविवार, मई 07, 2017

मरीज़-ए-इश्क़ का क्या है, जिया जिया ना जिया .. है एक साँस का झगड़ा, लिया लिया ना लिया

नब्बे के दशक में हरिहरण फिल्म संगीत और ग़ज़ल गायिकी में एक सितारे की तरह चमके थे। इस दौरान उनकी ग़ज़लों के कई एलबम आए  जिनमें से एक था 1992 में रिलीज़ हुआ हाज़िर। इस एलबम की पहली ग़ज़ल (जो सबसे लोकप्रिय हुई थी) का मतला कुछ यूँ था मरीज़-ए-इश्क़ का क्या है, जिया जिया ना जिया ..है एक साँस का झगड़ा, लिया लिया ना लिया

ये उन दिनों की बात थी जब इंजीनियरिंग कॉलेज के चार साल पूरे होने आए थे और इश्क़ था कि हमारी ज़िदगानी से मुँह छुपाए घूम रहा था। ऐसे में इस ग़ज़ल के मतले को मन ही मन मैं कुछ यूँ गुनगुनाने को मज़बूर हो गया था।
मरीज़-ए-इश्क़ का क्या है, किया किया ना किया
है तो ये रोज़ का लफड़ा, लिया लिया ना लिया 😁


सच तो ये था कि उन दिनों भी कहकशाँ व गालिब जैसे जगजीत के एलबमों का जादू मेरे सिर चढ़ कर बोल रहा था। हरिहरण की गायिकी लुभाती तो थी पर जगजीत की आवाज़ का मैं कुछ ज्यादा ही मुरीद था। उस वक्त दूरदर्शन पर भी नियमित रूप से हरिहरण के कार्यक्रम आया करते थे। मुझे याद है कि ऐसे ही एक महफिल में उन्होंने एक प्यारे से गीत को अपनी आवाज़ दी थी जिसके बोल थे मेरी साँसों में बसी है, तेरे दामन की महक, जैसे फूलों में उतर आई हो उपवन की महक। कभी इस गीत की रिकार्डिंग हाँ लगी तो जरूर आपसे साझा करूँगा।

प्रियंका बार्वे
तो फिर अचानक ही इतने सालों बाद मुझे हरिहरण की याद कहाँ से आ गयी। हुआ यूँ कि कुछ दिनों पहले मराठी फिल्मों की प्रतिभावान गायिका प्रियंका बार्वे की आवाज़ में ये ग़ज़ल सुनने को मिल गयी। प्रियंका ने बिना किसी संगीत के शुरुआत के तीन अशआर गा कर मन में मिठास सी घोल दी। सच तो ये है कि कुछ ग़ज़लें बिना संगीत के आभूषण के सुनी जाएँ तो ज्यादा आनंद देती हैं और मेरे ख़्याल से ये एक ऐसी ही ग़ज़ल है।


पुणे के संगीतज्ञों के परिवार से ताल्लुक रखने वाली प्रियंका ने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा अपनी दादी मालती पांडे बार्वे से ली। फिलहाल प्रियंका का इरादा गायिकी के साथ साथ अभिनय के क्षेत्र में उतरने का भी है। पिछले साल वे फिरोज़ खान द्वारा निर्देशित नाटक मुगल ए आज़म में अनारकली के रूप में नज़र आयीं। प्रियंका की इस प्रस्तुति को सुन कर ऐसा लगा कि उन्हें मराठी के आलावा हिंदी फिल्मों और ग़ज़लों में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरना चाहिए।

इस ग़ज़ल को लिखा है ब्रिटेन में रहने वाले उर्दू के नामचीन शायर डा. सफ़ी हसन ने। आपको जान कर अचरज होगा कि पाकिस्तान से ताल्लुक रखने वाले और फिलहाल बर्मिंघम में बसे सफ़ी साहब पेशे से एक वैज्ञानिक हैं। कितना खूबसूरत मतला लिखा था सफ़ी साहब ने। जिसे इश्क़ का रोग लग गया उसकी तो हर साँस ही गिरवी हो जाती है। फिर उसका जीना क्या और मरना क्या?

मरीज़-ए-इश्क़ का क्या है, जिया जिया ना जिया
है एक साँस का झगड़ा, लिया लिया ना लिया 

सफ़ी साहब आगे फर्माते हैं कि अगर दर्द से पूरा शरीर ही छलनी हो तो दिल को रफ़ू कर के कौन सी ठंडक मिलने वाली है?

बदन ही आज अगर तार-तार है मेरा
तो एक चाक-ए-ग़रेबाँ, सिया सिया ना सिया

और इसकी तो बात ही क्या ! पसंदीदा शेर है मेरा इस ग़ज़ल का। जनाब सफ़ी हसन यहाँ कहते हैं की भले ही उनका नाम मेरे होठों पर नहीं आया पर क्या कभी उन्हें अपने ख्यालों से दूर  कर पाया हूँ?

ये और बात के तू हर रह-ए-ख़याल मे है
कि तेरा नाम जुबाँ से, लिया लिया ना लिया

मेरे ही नाम पे आया है जाम महफ़िल मे
ये और बात के मै ने, पिया पिया ना पिया

ये हाल-ए-दिल है 'सफ़ी' मैं तो सोचता ही नही
कि क्यों किसी ने सहारा, दिया दिया ना दिया

वैसे चलते चलते हरिहरण की आवाज़ में पूरी ग़ज़ल भी सुनते जाइए। तबले पे हरिहरण जी का साथ दे रहे हैं मशहूर वादक ज़ाकिर हुसैन ।

Related Posts with Thumbnails

16 टिप्पणियाँ:

Alok Mallik on मई 07, 2017 ने कहा…

Nice, Do you remember - "Maikade band kare laakh zamane wale" or "Mujhe phir wahi yaad aane lage hai"??

Manish Kumar on मई 07, 2017 ने कहा…

याद आने लगे हैं तो याद थी पर मैक़दे बंद करके बिल्कुल ज़हन से उतर गयी थी। अभी फिर सुना इसे..आनंद आ गया।

Kanchan Bisht Khetwal on मई 07, 2017 ने कहा…

बेहद खूबसूरत ग़जल । बिना इश्क किए इंजिनियरिंग कैसे कर ली? :p :p

Manish Kumar on मई 07, 2017 ने कहा…

चलिए इससे एक तो राज़ खुला आपके बारे में.. :)

Smita Jaichandran on मई 07, 2017 ने कहा…

Wow..kya kehne!!! Waise, I always wonder...malayalees have this fascination for ghazals..I have no idea why!! You can see Priyanka singing "Wadiyon mein" on a mallu channel!!

Manish Kumar on मई 07, 2017 ने कहा…

अरे वाह ऐसा है क्या ! मेरी मित्र मंडली में मैंने सबसे ज्यादा आँध्र के लोगों को ग़ज़ल प्रेमी पाया है। वैसे वादियों में हम मिले थे जैसे की परछाइयाँ.. सुनते हुए उसी कार्यक्रम में हरिहरण साहब की एक और बेहतरीन ग़ज़ल सुनने को मिली झूम ले हँस बोल ले प्यारी अगर है ज़िंदगी..साँस के बस एक झोंके का सफर है ज़िंदगी ..सच, प्रियंका ने आज का दिन ग़ज़लमय कर दिया।

Gautam Rajrishi on मई 07, 2017 ने कहा…

Shukriya Manish ji...aaj ka sunday priyanka ke naam

Manish Kumar on मई 07, 2017 ने कहा…

बिल्कुल गौतम, मैं भी सुबह से उनकी गायी ग़ज़लें सुन रहा हूँ :)

Priyanka Barve on मई 07, 2017 ने कहा…

Thank you so much Manish ji :)

Manish Kumar on मई 07, 2017 ने कहा…

धन्यवाद तो आपका Priyanka कि ग़ज़लों से विमुख होती इस नयी पीढ़ी को आप अपनी सुरीली आवाज़ की बदौलत इस खूबसूरत विधा से वापस जोड़ रही हैं। बहुत प्यारा गाया है आपने..आशा है आगे भी आपकी आवाज़ में कुछ और ग़ज़लें सुनने को मिलेंगी।

kumar gulshan on मई 07, 2017 ने कहा…

वाह ! मजा आ गया सुन के और आपका लफड़ा तो कमाल था जरुर मजेदार दिन रहे होंगे

Manish Kumar on मई 09, 2017 ने कहा…

दोस्तों का साथ था, हॉस्टल लाइफ की शैतानियाँ थी पर साथ ज़िदगी में एक अदद अकेलापन भी था जो ग़ज़लों और गीतों के साथ घुलता रहता था।

yadunath on मई 20, 2017 ने कहा…

ye gazal to pahle bhi suni thi. Lekin aaj tumhara blog padhne ke baad sunne par behad pasand aayee.ANTAR SAMJHA APNE AAP LESSON PADHNE AUR TEACHER KE PADHANE KA.Gayk, GAZAL aur tumhara blog teenon bahut hi kubsoorat hain.Bahut sundar. Keep it up. Thanks.





















Manish Kumar on मई 22, 2017 ने कहा…

यदुनाथ जी जानकर खुशी हुई कि इस ग़ज़ल के भावों को जैसा मैंने समझा वो आपको पसंद आया।

pushpendra dwivedi on मई 23, 2017 ने कहा…

bahut badhiya collection hai apke blog par nagmon aur gazalon ko pdhkar prashannta huyee umeed hai aage bhi apke blog ke naveentam update milte rahege dhanyawaad

Manish Kumar on मई 28, 2017 ने कहा…

गीतों व ग़ज़लों की इस महफिल में आपका स्वागत है पुष्पेंद्र ! आप यहाँ आते रहें आपको कुछ ना कुछ मधुर तो मैं सुनवाता ही रहूँगा।

 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
Aapka Bunti
Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
Shatranj Ke Khiladi
Bakul Katha
Raag Darbari
English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
Mahabhoj
मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
The Pakistani Bride: A Novel


Manish Kumar's favorite books »

स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

एक शाम मेरे नाम Copyright © 2009 Designed by Bie