सोमवार, फ़रवरी 26, 2024

अलविदा पंकज उधास.. भुला ना पाएँगे आपकी लोकप्रियता का वो दशक...

अस्सी का दशक मेरे लिए हमेशा नोस्टाल्जिया जगाता रहा है।  फिल्म संगीत के उस पराभव काल ने ग़ज़लों को जिस तरह लोकप्रिय संगीत का हिस्सा बना दिया वो अपने आप में एक अनूठी बात थी। उस दौर की सुनी ग़ज़लें जब अचानक ही ज़ेहन में उभरती हैं तो मन आज भी एकदम से तीस चालीस साल पीछे चला जाता है। बहुत कुछ था उस समय दिल में महसूस करने के लिए, पर साथ ही बड़े कम विकल्प थे मन की भावनाओं को शब्द देने के लिए।


फिल्मी गीतों को हमने सुनना छोड़ दिया था। जगजीत व चित्रा हमारे दिलों पर पहले से ही राज कर रहे थे। उनके साथ गुलाम अली, मेहदी हसन, राजकुमार रिज़वी, और राजेंद्र मेहता की आवाज़ें भी दिल को भाने लगी थीं।

पर इनके साथ साथ एक और चौकड़ी तेजी से लोकप्रियता बटोर रही थी। ये चौकड़ी थी पंकज उधास, अनूप जलोटा, तलत अजीज़ और पीनाज मसानी की। चंदन दास भी इस सूची में आगे जुड़ गए। 

अनूप साहब तो बाद में भजन सम्राट कहे जाने लगे पर पंकज जी की गाई ग़ज़लों को चाहने वाले भी कम न थे। उस दशक में पंकज जी की लोकप्रियता का आलम ये था कि उनके गाए गीत व ग़ज़लें मिसाल के तौर पर 'चाँदी जैसा रंग है तेरा', 'इक तरफ तेरा घर इक तरफ मैकदा..', 'घुँघरू टूट गए..' गली नुक्कड़ों पर ऐसे बजा करते थे जैसे आज के हिट फिल्मी गीत। उनके कितने ही एल्बम की उस ज़माने में प्लेटिनम डिस्क कटी।

इतना होते हुए भी पंकज उधास मेरे पसंदीदा ग़ज़ल गायक कभी नहीं रहे। पर इस नापसंदगी का वास्ता मुझे उनकी आवाज़ से नहीं पर उनके द्वारा चुनी हुई ग़ज़लों से ज्यादा रहा है। पंकज उधास ने ग़ज़लों के चुनाव से अपनी एक ऐसी छवि बना ली जिससे उनकी गाई हर ग़ज़ल में 'शराब' का जिक्र होना लाज़िमी हो गया। ऐसी ग़ज़लें खूब बजीं भी मसलन थोड़ी थोड़ी पिया करो, सबको मालूम है मैं शराबी नहीं, शराब चीज़ ही ऐसी है वगैरह वगैरह पर उनके जैसी प्यारी आवाज़ का उम्दा शायरी से दूर होना मुझे खलता रहा।

पर किशोरावस्था में उनकी कुछ ग़ज़लें ऐसी रहीं जिन्हें गुनगुनाना हमेशा मन को सुकून देता रहा। जैसे ...दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है..हम भी पागल हो जायेंगे, ऐसा लगता है/कितने दिनों के प्यासे होंगे यारों सोचो तो...शबनम का कतरा भी जिनको दरिया लगता है

उनकी गायी मेरी सबसे पसंदीदा ग़ज़ल थी.. तुम न मानो मगर हक़ीक़त है ...इश्क़ इंसान की ज़रूरत है/ उस की महफ़िल में बैठ कर देखो... ज़िंदगी कितनी ख़ूबसूरत है जिसे जनाब क़ाबिल अजमेरी ने लिखा था। इसे तब और आज भी गुनगुनाना मुझे बेहद प्रिय है। 

अस्सी के उत्तरार्ध में फिल्म नाम के लिए.. चिट्ठी आई है आई है ..गा कर उन्होंने पूरे भारत का दिल जीत लिया था। उसके बाद वो जहां भी जाते उनसे इस गीत की फरमाइश जरूर की जाती। उनके गाए फिल्मी गीत उनकी अलग सी आवाज़ के लिए हमेशा लोगों द्वारा पसंद किए जाते रहे।

उनके जितने भी साक्षात्कार सुने उनमें वे मृदुभाषी और विनम्रता से भरे दिखे। पिछले कुछ सालों से वे नए ग़ज़ल गायकों को बढ़ावा देने वाले सालाना कार्यक्रम खज़ाना में अनूप जलोटा जी के साथ मिलकर सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। अभी पिछले साल यहां एक वीडियो शेयर किया था जिसमें पापोन की गायिकी को उनकी भरपूर दाद मिल रही थी। नए गायकों को प्रोत्साहित करने में वे कभी पीछे नहीं रहे।

शायद तब उन्हें भी नहीं पता होगा कि वो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की गिरफ्त में हैं। आज उनका जाना ग़ज़ल प्रेमियों और ग़ज़ल गायकों के लिए एक कठोर आघात की तरह है। 

बस उनकी अचानक हुई रूखसती से उनकी गाई ये पंक्तियां याद आ रही हैं कि 

किसे ने भी तो न देखा निगाह भर के मुझे

गया फिर आज का दिन भी उदास कर के मुझे😞


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17 टिप्पणियाँ:

अर्चना चावजी on फ़रवरी 26, 2024 ने कहा…

मैने बहुत सुनी इनकी गाई गजलें, पिनाज मसानी और पंकज उधास को रात दस बजे के बाद धीमी आवाज में अकेले सुनना .... आह

Manish Kumar on फ़रवरी 26, 2024 ने कहा…

अर्चना जी मैं यही काम जगजीत जी की ग़ज़लों के साथ करता रहा। पर उस दौर में सुकून के कुछ पल इन्हीं गायकों ने पैदा किए।

Harendra Srivastava on फ़रवरी 26, 2024 ने कहा…

सूनी हो गई शहर की गलियां.... भावपूर्ण श्रद्धांजलि। उनकी ग़ज़लों से ज्यादा मुझे उनके रोमांटिक गीत ज्यादा अच्छे लगते हैं। "आज फिर तुमपे प्यार आया है...... "ना कजरे की धार"...आदि। आपने बहुत संवेदनशील तरीके से पंकज उधास जैसी महान शख्सियत को श्रद्धांजलि दी है। ॐ शांति!

Manish Kumar on फ़रवरी 26, 2024 ने कहा…

@Harendra हां बिल्कुल मुझे भी उनके गाए ये दोनों गीत अच्छे लगते हैं।

Swati Gupta on फ़रवरी 26, 2024 ने कहा…

मुझे पंकज उदास उनकी आवाज के कारण पसंद थे जगजीत सिंह जी के बाद यही दूसरे ऐसे गजल गायक थे जिनके नाम से मैं उस समय वाकिफ थी... उनकी कुछ गजलें और गीत वाकई कमाल के हैं। ऐसे महान गायक को श्रद्धांजलि

Manish Kumar on फ़रवरी 26, 2024 ने कहा…

@Swati उनकी कुछ ग़ज़लें और ढेर सारे गीत मुझे भी पसंद हैं। अपने कैरियर की शुरुआत दौर में जब उनकी प्रसिद्धि शिखर पर थी तब उन्होंने ग़ज़लों के चुनाव में वो सतर्कता नहीं बरती। बाद में अपनी इस गलती को दुरुस्त करने की कोशिश की पर तब तक फिल्म संगीत वापस अपनी लय में आ चुका था।

Manish on फ़रवरी 27, 2024 ने कहा…

जगजीत सिंह के बाद भारतीय गजल गायकी के सबसे बड़े पुरोधा! जैसे जगजीत सिंह शॉक कर के गये थे, ये भी अचानक से चले गए, अभी भी भरोसा नहीं हो रहा, सादर नमन

Manish Kumar on फ़रवरी 27, 2024 ने कहा…

@Manish बीमारी ऐसी थी कि उबर नहीं पाए।

Mridul Tare on फ़रवरी 27, 2024 ने कहा…

आपकी लेखनी दिल से गुज़र गई।

Manish Kumar on फ़रवरी 27, 2024 ने कहा…

@Mridul धन्यवाद

Suresh Yadav on फ़रवरी 27, 2024 ने कहा…

सच मे इनका जाना कई लोगो को रुला गया होगा, गजल गायकी को मशहूर करने मे जगजीत सिंह और पकंज जी का नाम सदियों तक याद किया जायेगा।

Manish Kumar on फ़रवरी 27, 2024 ने कहा…

@Suresh Yadav जी सही कहा।

Pammi singh'tripti' on फ़रवरी 27, 2024 ने कहा…

दिल को छूती हुई लेखन..

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 28 फरवरी 2024को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

Manish Kumar on फ़रवरी 27, 2024 ने कहा…

धन्यवाद 🙏

Rashmi Sharma on फ़रवरी 28, 2024 ने कहा…

उनके गाए कुछ गजल बहुत पसंद हैं। वह अजीज़ इसलिए भी हैं कि उनको सुनकर ही गजलों से मुहब्बत हुई थी मुझे।

Manish Kumar on फ़रवरी 28, 2024 ने कहा…

@Rashmi Sharma उनकी मखमली आवाज़ का जादू और उनके सुगम संगीत की तरह ग़ज़ल गाने का लहजा सहज ही आकर्षित कर लेता था इक आम संगीत प्रेमी को।

सुशील कुमार जोशी on फ़रवरी 28, 2024 ने कहा…

नमन

 

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