भाइयों और बहनों होली की इस पूर्व संध्या भी एक ऍसे सुखद संयोग पर आई है जब मेरी इस संगीतमाला का सबसे मस्तमौला गीत आपको झूमने झुमाने या यों कहिए कि आपको घुमाने के लिए तैयार है। दरअसल इस साल मेरे घर पर जब-जब आमिर फिल्म का ये गीत बजा है मेरे पाँव खुद बा खुद थिरक गए हैं जबकि मुझे नाचना बिल्कुल नहीं आता :)। अगर मैं ये कहूँ कि इस साल के सारे गीतों में सबसे ज्यादा जिस गीत पर मेरे परिवार के सारे सदस्य आनंदित हुए हैं तो ये वही गीत है।
गीतकार
अमिताभ ने गीत में लफ्ज़ों का यूँ चुनाव किया है कि उसमें लोकगीतों का सा ठेठपन बरकरार रहे। दरअसल फिल्म की कहानी में ये गीत बैकग्राउंड में आता है जब नायक की जिंदगी की गाड़ी अचानक पटरी से उतर जाती है और वो इस चक्रव्यूह के दलदल में धँसता चला जाता है। अब देखिए अमिताभ का कमाल.. इस परिस्थिति को गली मोहल्ले की भाषा में कैसे व्यक्त करते हैं
अरे चलते चलते हाए हाए
हल्लू हल्लू दाएँ बाएँ हो
अरे देखो आएँ बाएँ साएँ
जिंदगी की झाँए झाँए हो
अरे निकले थे कहाँ को
और किधर को आए
कि चक्कर घुमिओ..
दूसरी ओर संगीतकार
अमित त्रिवेदी ने राजस्थानी लोक धुन के साथ ताल वाद्यों का इतना बेहतरीन संयोजन किया है कि हर इंटरल्यूड में खुद झूमने के साथ औरों को भी झुमाने का मन करता है। अमित ने खुद इस गीत को अपनी आवाज़ दी है। आमिर फिल्म के इस गीत में अमित और अमिताभ की इस जोड़ी की प्रयोगधर्मिता की जितनी तारीफ की जाए कम होगी।
पर ये जोड़ी क्या अचानक ही हिंदी फिल्म संगीत के पर्दे पर उभर कर आ गई?
नहीं ये अमित के दस वर्षों के कठिन संघर्ष का फल है जिसने फिल्म आमिर और अब डेव डी के माध्यम से उन्हें अपनी पहचान बनाने का मौका दिया है।
यूँ तो १५ वर्ष की उम्र से ही अमित को संगीत के प्रति रुचि बढ़ गई थी, पर उनका ये प्रेम तब मूर्त रूप ले सका जब कॉलेज से निकलने के बाद उन्होंने
ओम नामक संगीत बैंड बनाया। १९ - २० साल की उम्र से ही अमित ने टीवी सीरियल, नाटकों आदि के लिए पार्श्व संगीत देने से लेकर विज्ञापन की धुनें बनाई और यहाँ तक कि डांडिया शो के आर्केस्ट्रा में भी काम किया।
टाइम्स म्यूजिक ने इस समूह की प्रतिभा को पहचाना और अमित त्रिवेदी का पहला एलबम बाजार में आया। पर ठीक से प्रचार और प्रमोशन ना होने की वज़हों से उनलका ये प्रयास लोगों की नज़रों में नहीं आ पाया। खैर इनकी मित्र और नवोदित गायिका शिल्पा राव की सिफारिश से इन्हें अनुराग कश्यप ने
डेव डी के लि॓ए अनुबंधित किया पर उसका काम बीच में ही रुक गया पर अनुराग ने तब इन्हें आमिर दिलवा दी और इस पहली फिल्म में ही उन्होंने अपनी हुनर का लोहा सनसे मनवा लिया।
अब होली के इस माहौल में इस गीत से आपकी दूरी और नहीं बढ़ाऊँगा। बस प्लेयर आन कीजिए, अपनी चिंताओं को दूर झटकिए और बस घूमिए और झूमिए।
डींग डाँग डाँग डींग डाँग डाँग टिड़िंग टिंग
डींग डाँग डाँग
डींग डाँग डाँग डींग डाँग डाँग टिड़िंग टिंग
डींग डाँग डाँग
अरे चलते चलते हाए हाए
हल्लू हल्लू दाएँ बाएँ हो
अरे देखो आएँ बाएँ साएँ
जिंदगी की झाँए झाँए हो
अरे निकले थे कहाँ को
और किधर को आए
कि चक्कर घुमियो
कि चक्कर कि चक्कर कि चक्कर कि चक्कर
पल्ले कुछ पड़े ना
कोई समझाए
कि चक्कर घुमियो
कि चक्कर कि चक्कर कि चक्कर कि चक्कर
अरे घुमियो रे, हाए घुमियो, रे घुमियो चक्कर घुमियो
हाए हाए घुमियो रे घुमियो घुमियो रे घुमियो चक्कर घुमियो
ले कूटी किस्मत की फूटी मटकी
रे फूटी....
दौड़न लागी तो चिटकी
खेल कबड्डी लागा
खेल कबड्डी लागा
भूल के दुनियादारी यारा खेल कबड्डी लागा
नींद खुली तो जागा
नींद खुली जो हाए
कि चक्कर घुमियो
कि चक्कर कि चक्कर कि चक्कर कि चक्कर
पल्ले कुछ पड़े ना
कोई समझाए कि चक्कर घुमियो
अरे घुमियो रे हाए घुमियो, रे घुमियो चक्कर घुमियो
हाए हाए घुमियो घुमियो घुमियो घुमियो चक्कर घुमियो
डींग डाँग डाँग डींग डाँग डाँग टिड़िंग टिंग
चिकोटी वक़्त ने काटी ऐसी चिकोटी
खुन्नस में तेरी सटकी
छींक मारे लागा, छींक मारे लागा
झाड़ा सच को धूल उड़ी तो
छींक मारे लागा
नींद खुली तो जागा
नींद खुली जो हाए
कि चक्कर घुमियो
कि चक्कर कि चक्कर कि चक्कर कि चक्कर
पल्ले कुछ पड़े ना...............
आशा है होली की मस्ती के साथ इस गीत ने भी आप सबको आनंदित किया होगा।
एक शाम मेरे नाम के तमाम पाठकों को
होली की ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ !