वार्षिक संगीतमाला की इक्कीसवीं पायदान का गीत वो जिसमें छत्तीसगढ़ी लोक गीत की मिठास है। इस गीत को गाया है रोमी ने लिखा और धुन बनाई अमित प्रधान ने। चमनबहार के इस गीत को सुनना मेरे लिए एक सुखद आश्चर्य रहा क्यूँकि बहुत दिनों बाद मुखड़े के पहले हारमोनियम की मधुर धुन सुनाई दी इस गीत में। वैसे भी ताल वाद्यों के साथ हारमोनियम हमारे लोकगीतों की जान होता आया है।
चमनबहार इस साल नेटफ्लिक्स पर जून में रिलीज़ हुई। ये फिल्म एक छोटे शहर में पान की दुकान चलाने वाली बिल्लू की कहानी है। बिल्लू जी वनप्रहरी की नौकरी पर लात मात कर अपना ड्रीम जॉब पान की दुकान खोल लेते हैं। दुकान खुल तो जाती है पर चलती नहीं और बिल्लू बेचारे अपनी नीरस चलती ज़िदगी से अनमने से हो जाते हैं कि अचानक उनकी तक़दीर का दरवाजा खुलता है और दुकान के सामने के घर में आ जाती है एक किशोर कन्या जिसपर बिल्लू क्या पूरा शहर ही फिदा हो जाता है। मतलब एक ओर तो बिल्लू की दुकान सामने लगने वाली अड्डेबाजी की वज़ह से चकाचक चलने लगती है तो दूसरी ओर उन दिल भी फकफकाने लगता है।
सपना मा जब गोरिया आए रे
सुंदरी भंवरा जैसे मन हर घुमरे
आंकी चांकी सब लागे रे
बाजे दिल धुन धुन
दिल धुन धुन धुन धुन बाजे रे
दिल धुन धुन धुन धुन धुन
धुन धुन धुन धुन धुन धुन धुन बाजे रे
ओ..सतरंगी सपना, सतरंगी सपना आ
सतरंगी सपना जब आँखी में आए
रंगी रंगी सब लागे रे
जेठ महीना फागुन जस लागे
धुन धुन धुन धुन मांदर बाजे रे
सतरंगी सपना जब आँखी में आए
रंगी रंगी सब लागे रे
परसा के पेड़ से टेसु हा झड़ते
जादू जादू सब लागे रे
धिन धिन फक फक
धिन धिन फक फक
भाग हर मोर बोले रे
दिल धुन धुन धुन धुन बाजे रे
बिल्लू की इसी मनोदशा को संगीतकार और गीतकार की दोहरी भूमिका निभाते हुए अमित प्रधान ने निर्देशक अपूर्वा धर बडगायन के साथ (जो कि ख़ुद छत्तीसगढ़ के हैं) इस गीत में उतारने की कोशिश की है। गीत में इकतरफे प्रेम का उल्लास फूट फूट पड़ता है। इसीलिए नायक को पूस के जाड़े में भी आम फले दिखते हैं और परसा के पेड़ से टेसू की बहार आई लगती है। 😀
आज के इस पाश्चात्य माहौल में संगीत के सोंधेपन के साथ जब देशी बोली की छौंक सुनने को मिलती है तो आनंद दुगना हो जाता है। प्रदीप पंडित ने पूरे गीत में हारमोनियम पर अपना कमाल दिखलाया ही है पर गीत की शुरुआत में उनकी बजाई धुन कानों को मस्ती भरे गीत वाले मूड के लिए तैयार कर देती है।
बतौर गायक रोमी की गायिकी का मैं उनके फिल्लौरी के लिए गाए गीत साहिबा से मुरीद हो चुका हूँ। यहाँ भी उन्होंने अपनी छवि पर दाग नहीं लगने दिया है। तो आइए आज आपको सुनाते हैं ये गीत इसके बोलों के साथ। मेरा यकीं है कि इसे सुन कर आपका दिल भी धुन धुनाने लगेगा।
6 टिप्पणियाँ:
2-3 दिन पहले ही फ़िल्म देखे हैं। एक सोनू निगम का भी गीत है, जिसमे उनका पुराना अंदाज़ सुनने को मिल रहा है!��
ये गाना फिल्माया नहीं गया शायद पर एल्बम में है।
Nice post.. lagta he film dekhni padegi ��
Swati मैंने भी देखी नहीं है पर जैसा पढ़ा सुना है फिल्म में नायक का काम जबरदस्त है पर मुख्य शिकायत यही है कि कहानी सिर्फ Male perspective से लिखी गई है। ऐसे सड़क छाप मजनुओं की वज़ह से एक लड़की कितना असहज महसूस कर सकती है वो कोण सामने नहीं आ पाता।
वाह! मजेदार है यह
शुक्रिया दिनेश कुमार पाण्डेय जी।
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