शनिवार, अप्रैल 27, 2024

वार्षिक संगीतमाला 2023:Top 10 : वे कमलेया, वे कमलेया मेरे नादान दिल

वार्षिक संगीतमाला में अब सिर्फ पाँच गीतों से आपका परिचय कराना रह गया है और उनमें से आज का गीत है फिल्म रॉकी और रानी की प्रेम कहानी से। गीत का मुखड़ा शुरु होता है वे कमलेया.. से।  हिंदी फिल्म के गानों ने पिछले एक दो दशकों में आम जन को हिंदी से ज्यादा पंजाबी शब्दों से खासा रूबरू कराया है भले ही पंजाबी चरित्र फिल्म में हों या ना हों। वैसे यहाँ वो मसला नहीं है और बात रॉकी रंधावा के पागल  दिल की हो रही है। दरअसल कमलेया शब्द कमली से निकला है जिसका शाब्दिक अर्थ है पागल या जुनूनी।  

 

पिछले साल आई फिल्मों में रॉकी और रानी की प्रेम कहानी की सफलता का बहुत बड़ा श्रेय इसके संगीत को जाता है। फिल्म का संगीत रचने के पहले निर्माता करण जौहर ने दो हिदायतें दी थीं प्रीतम को। पहली ये कि गाने लंबे यानी कम से कम दो अंतरों के होने चाहिए और दूसरी कि गीतों में नब्बे के दशक की छाप होनी चाहिए। हालांकि फिल्म के संपादन में अक्सर गाने की लंबाई पर कैंची चलती है। इस फिल्म में भी यही हुआ पर उसके पहले पूरा एलबम इतना कामयाब हो चुका था कि मेरे जैसे दर्शक तो फिल्म के गाने सुनते सुनते इसे देखने पहुँच गए। अंतरों के बीच कोरस का इस्तेमाल तो पहले भी होता था और प्रीतम ने उसी खांचे को यहाँ भी फिट करने की कोशिश की है। 

जहाँ फिल्म की कथा में भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा हो तो कोई गीत तभी दिल को छूता है जब उसके शब्द के साथ आप अपने को जोड़ पाएँ।  प्रेम या विरह गीतों के साथ ये सहूलियत है कि आप उन्हें फिल्म से इतर भी सुनें तो वो उतना ही असर छोड़ते हैं क्यूँकि ये ऐसे जज़्बात है जिन्हें शायद ही किसी ने महसूस नहीं किया होगा। अमिताभ प्रेमी के बेचैन दिल की दास्तान की कितनी प्यारी शुरुवात करते हुए लिखते हैं ....दो नैनों के पेचीदा सौ गलियारे इन में खो कर तू मिलता है कहाँ?......तुझको अम्बर से पिंजरे ज्यादा प्यारे उड़ जा कहने से सुनता भी तू है कहाँ ? अमिताभ की लेखनी का कमाल दूसरे अंतरे में भी बना रहता है। प्रेम में डूबे दिल के लिए कितना सही लिखा उन्होंने..... जिनपे चल के मंजिल मिलनी आसान हो, वैसे रस्ते तू चुनता है कहाँ.?... कसती है दुनिया कस ले फ़िक़रे , ताने उँगली पे आखिर गिनता भी तू है कहाँ ?

प्रीतम की मेलोडी पर बेहतरीन पकड़ है। उनकी फिल्मों में बोल लिखने का काम ज्यादातर या तो अमिताभ के पास होता है या फिर इरशाद कामिल के पास  दोनों ही कमाल के गीतकार हैं। रही बात अरिजीत की तो वो हमेशा संगीतकार की अपेक्षा से बढ़कर कर काम करते हैं। प्रीतम, अमिताभ और अरिजीत के मन के तार कहीं और भी जा के मिलते हैं। अरिजीत और अमिताभ ने अपने कैरियर के आरंभिक दौर में प्रीतम के सहायक का काम किया था। संघर्ष के उन दिनों में इस बंगाली जोड़ी को निर्माता निर्देशकों तक पहुँचाने में प्रीतम की अहम भूमिका थी। इतना समय साथ बिताने की वज़ह से उनके बीच की आपसी समझ पुख्ता हुई है। यही वज़ह है कि ये तिकड़ी जहाँ भी एक साथ होती है कुछ अच्छा बन के ही निकलता है।

वे कमलेया वे कमलेया, वे कमलेया मेरे नादान दिल 
दो नैनों के पेचीदा सौ गलियारे 
इन में खो कर तू मिलता है कहाँ 
तुझको अम्बर से पिंजरे ज्यादा प्यारे 
उड़ जा कहने से सुनता भी तू है कहाँ 
गल सुन ले आ गल सुन ले आ 
वे कमलेया मेरे नादान दिल 

जा करना है तो प्यार कर 
ज़िद पूरी फिर इक बार कर 
कमलेया वे कमलेया 
मनमर्ज़ी कर के देख ले 
बदले में सब कुछ हार कर
कमलेया वे कमलेया 

तुझपे खुद से ज्यादा यार की चलती है 
इश्क़ है ये तेरा या तेरी गलती है 
गर सवाब है तो क्यों सज़ा मिलती है

जिनपे चल के मंजिल मिलनी आसान हो 
वैसे रस्ते तू चुनता है कहाँ. 
कसती  है दुनिया कस ले फिकरे ताने 
उँगली पे आखिर गिनता भी तू है कहाँ 
मर्ज़ी तेरी जी भर ले आ वे कमलेया मेरे नादान दिल...

अरिजीत के साथ गीत का एक छोटा सा हिस्सा श्रेया ने भी गाया है। एक साल बीत गया पर अभी भी ये गीत लोगों की जुबां पे है। तो आइए सुनें इस गीत को एक बार फिर 


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2 टिप्पणियाँ:

Smita Jaichandran on अप्रैल 28, 2024 ने कहा…

Lyrics kamaal ke hain par yeh gana ek se zyaada na suna gaya humse.Shayad parde par Alia ka munh yaad aa jata aur hum ise badal dete😂. Can't stand her.

Manish Kumar on अप्रैल 28, 2024 ने कहा…

ओह ऐसा! मुझे तो गीत सुनते वक्त ये ख्याल नहीं रहता कि पर्दे पर ये कैसा लग रहा होगा। अमिताभ के शब्द, अरिजीत की गायिकी अच्छी लगी। रही बात आलिया की तो शुरुआती दौर में उनका अभिनय कुछ खास नहीं था पर highway और राज़ी में वो बेहतर लगी थीं मुझे।

 

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