बुधवार, जनवरी 16, 2019

वार्षिक संगीतमाला 2018 पायदान # 13 : सरफिरी सी बात है तेरी Sarphiri

वार्षिक संगीतमाला का जो अगला गीत है वो एक बार फिर आ रहा है लैला मजनूँ से। फर्क इतना है कि इस बार जोय बरुआ की जगह संगीत का दारोमदार है नीलाद्रि कुमार पर। हिंदी फिल्म संगीत में अलग अलग काल खंडों में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के कलाकारों को जगह मिलती रही है। सितार और ज़िटार वादक नीलाद्रि कुमार इस कड़ी में एक और नया नाम हैं। नीलाद्रि ने चार वर्ष की उम्र से ही अपने पिता से सितार सीखना शुरु किया। सितार में देश विदेश में अपनी कला प्रदर्शन कर चुकने के बाद उन्होंने जिटार यानि इलेक्ट्रिक सितार को ईजाद किया। उनके वाद्य वादन से जुड़े एलबम के बाद हर साल आते रहे। बीच बीच में फिल्मी गीतों में भी उनकी धुनें बजती रहीं। हालांकि हिंदी फिल्मों में बतौर संगीतकार उनका पहला गीत फिल्म शोरगुल में तेरे बिना जी ना लगे था जो 2016 में रिलीज़ हुई थी। 


इस साल लैला मजनूँ एलबम के दस गीतों में चार उनके हिस्से में आए और इतनी खूबसूरत रचनाएँ दीं उन्होंने इस फिल्म के लिए कि  ये एलबम इस साल के सर्वश्रेष्ठ एलबम होने का प्रबल दावेदार बन गया है। लैला मजनूँ के गीतों में एक अजीब किस्म की मेलोडी है जिसका असर गीतों को सुनते सुनते और बढ़ता चला जाता है। अब सरफिरी को ही लूँ तो गीत का प्रील्यूड सुनते ही चित्त शांत होने लगता है। गीत के इंटरल्यूड में सरोद और गिटार और गीत के उतार चढ़ाव के साथ ताल वाद्यों का प्रयोग नीलाद्रि बड़ी खूबी से करते हैं। 

प्रेम में पड़ने के दौरान हमारा मन मैं कैसी उथल पुथल होती है इसकी एक झलक ये गीत दिखलाता है। दरअसल इस फिल्म में ऐसे दो गीत हैं एक "तुम " जो कि मजनूँ के मानसिक हालातों को चित्रित करता है तो दूसरी ओर "सरफिरी " जिसमें लैला अपने दिल की बात कह रही है।

इश्क़ में तर्क काम नहीं करते, दिल हमेशा दिमाग पर हावी रहता है। अपने आप पर नियंत्रण खोने लगता है। अब देखिए यहाँ लड़का सरफिरा है बेतुकी बातें करता है फिर भी लैला का दिल उस की ओर खिंचा चला जा रहा है। दिमाग हिदायतें दे रहा है कि सँभल जा अभी भी वक़्त है और दिल है कि उस हिदायत को अनुसुना कर अपने प्रेमी को अपनाने के लिए आतुर है। इरशाद कामिल बड़ी खूबी से इन भावनाओं को शब्द देते हुए कहते हैं सरफिरी सी, बात है तेरी, आएगी ना, ये समझ मेरी.. है ये फिर भी डर मुझको मैं ना कह दूँ, हाँ तुझको। अंतरे में कितना प्यारा है उनका ये अंदाज़ जब वो कहते हैं तेरी बातें, सोचती हूँ मैं, तेरी सोचें, ओढ़ती हूँ मैं, मुझे ख़ुद में, उलझा कर...किया घर में, ही बेघर भई वाह इरशाद कामिल साहब! आपकी लेखनी यूँ ही अपना कमाल दिखलाती रहे।




इस मुश्किल से गीत को गाया है श्रेया घोषाल और बाबुल सुप्रियो ने। हिंदी फिल्म संगीत के इस दौर में एक बात जो देखने को मिल रही है वो ये दौर बेहतरीन गायकों के लिए भी इतना आसान नहीं है। इंटरनेट के इस दौर में अपनी आवाज़ को आम जनता या फिर फिल्म उद्योग तक पहुँचाना पहले से ज्यादा आसान हुआ है। इस सहूलियत ने लेकिन गायकों और गायिकाओं की एक फौज खड़ी कर दी है और संगीतकारों को एक गीत गवाने कि लिए दर्जनों विकल्प है। एक एक गाने को कई लोगों से गवाया जा रहा है। इतनी कठिन प्रतिस्पर्धा की वजह से नए गायक मुफ्त में भी गाने का तैयार है अगर उनका नाम एक अच्छे बैनर से जुड़ जाए। ऐसी हालत में  सोनू निगम और श्रेया घोषाल जैसे गायकों को भी जितना काम उनके हुनर के हिसाब से मिलना चाहिए वो नहीं मिल रहा है। आने वाला दौर उन संगीतकारों का होगा जो गायक का भी काम करेंगे और ऐसा मैं लगभग हर दूसरी फिल्म में देख भी रहा हूँ। 

अब श्रेया को ही देखिए पिछले साल कर हर मैदान फतह, धड़क के शीर्षक गीत और पल एक पल जैसे गीतों में उन्हें मात्र दो तीन पंक्तियाँ गाने को मिली। उनकी आवाज़ का अगर ढंग से इस्तेमाल हुआ तो वो पद्मावत के गीत घूमर और लैला मजनूँ के इस गीत सरफिरी में। जहाँ तक मेरा मत है सरफिरी उनका पिछले साल का गाया सबसे बेहतरीन गीत है। इस गीत के उतार चढ़ावों को अपनी सधी आवाज़ से जिस तरह वो निभाती हैं वो काबिलेतारीफ है। बाबुल सुप्रियो भी बहुत दिनों बाद फिल्मों में वापस लौटे हैं। आशा है उनको हम आगे भी लगातार सुन पाएँगे। तो आइए सुनें इस गीत को..

सरफिरी सी, बात है तेरी
आएगी ना, ये समझ मेरी
है ये फिर भी डर मुझको 
मैं ना कह दूँ, हाँ तुझको
सरफिरी सी, बात…

भूली मैं, बीती...ऐसे हूँ, जीती
आँखों से, मैं तेरी...ख़्वाबों को, पीती हुई
सरफिरी सी, बात है मेरी
आएगी ना, ये समझ तेरी

चलो बातों में बातें घोलें, 
आओ थोड़ा सा खुद को खोलें
जो ना थे हम, जो होंगे नहीं
आजा दोनों, वो हो लें

तेरी बातें, सोचती हूँ मैं
तेरी सोचें, ओढ़ती हूँ मैं
मुझे ख़ुद में, उलझा कर
किया घर में, ही बेघर
सरफिरी सी बात है मेरी
सरफिरी सी बात है तेरी 




वार्षिक संगीतमाला 2018  
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता 
2जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3.  ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4.  आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5.  मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा 
6.  तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7.  नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़ 
8.  एक दिल है, एक जान है 
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ 
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा  
21. जिया में मोरे पिया समाए 
24. वो हवा हो गए देखते देखते
25.  इतनी सुहानी बना हो ना पुरानी तेरी दास्तां
Related Posts with Thumbnails

4 टिप्पणियाँ:

Sumit on जनवरी 18, 2019 ने कहा…

आपने बिल्कुल सही कहा की श्रेया जैसी कलाकार को भी उतना काम नही मिल रहा है जितना मिलना चाहिए. लेक़िन ये भी सच है की कई नई प्रतिभाओ को सुनने का मौका मिल रहा है. श्रोता कम्प्लेन नही कर रहा. इरशाद कामिल के क्या कहने. ये बाबुल सुप्रिओ कहाँ से आ गये आवाज़ भी पहचाननी मुश्किल हो गई. शायद चुनाव का समय आ गया फिर. एक और अनजाना मोती.

Kanchan Singh Chouhan on जनवरी 19, 2019 ने कहा…

श्रेया घोषाल ने सुरीला बना दिया है या गीत को। बोल भी ठीक है ।

Manish Kumar on जनवरी 22, 2019 ने कहा…

सुमित अत्याधुनिक तकनीक के आ जाने की वज़ह से अब थोड़े कमतर गायक की आवाज़ को मशीन से ठीक किया जा सकता है और ये हो भी रहा है। इसलिए कई बार जिन्हें हम प्रतिभाशाली समझते हैं वे उतने मँजे गायक होते नहीं। सिनेमा भी माँग और आपूर्ति के सिद्धान्त पर चलता है। गाना एक और गायक दर्जनों हैं। मुख्य गायकों को छोड़ दो तो इन नई प्रतिभाओं को जिनमें बहुतों ने रियालटी शो में अपने झंडे गाड़े होते हैं को साल में एक या दो ढंग के गीत मिल पाते हैं। शान, केके, शिल्पा राव, कक्कड़ बहनों जैसे स्थापित कलाकारों का गुजारा अब कन्सर्ट से ही होता है। नए कलाकार भी मुफ्त में इसलिए गा रहे हैं कि गाने होंगे तब तो कन्सर्ट में भाग ले के पैसे मिलेंगे।

Manish Kumar on जनवरी 22, 2019 ने कहा…

कंचन हाँ..इस साल के गाए बेहतरीन महिला एकल गीतों में से एक। नीलाद्रि कुमार की धुन भी लीक से हटकर लगी मुझे।

 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
Aapka Bunti
Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
Shatranj Ke Khiladi
Bakul Katha
Raag Darbari
English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
Mahabhoj
मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
The Pakistani Bride: A Novel


Manish Kumar's favorite books »

स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

एक शाम मेरे नाम Copyright © 2009 Designed by Bie