रविवार, जनवरी 20, 2019

वार्षिक संगीतमाला 2018 पायदान 10 :" पानियों सा" जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण ! Paniyon Sa

वार्षिक संगीतमाला का ये सफ़र अब जा पहुँचा है साल 2018 की दस शीर्ष पायदानों की ओर। दसवीं पायदान पर गाना वो जिसे इस साल का Love  Anthem  भी कहा जा सकता है। ये गाना है सत्यमेव जयते का पानियों सा। डॉक्टर और इंजीनियरों को तो आपने संगीतकार बनते देखा ही है अब रोचक ने अपने गीतों से ये साबित कर दिया है कि वकील भी रूमानियत भरी धुनें बना सकते हैं। :) 

रोचक कोहली एक ऐसे संगीतकार हैं जो लंबे चौड़े आर्केस्ट्रा आधारित संगीत संयोजन के बजाय मधुर धुनों पर ज्यादा विश्वास करते हैं। देखते देखते, तेरा यार हूँ मैं, लै डूबा, नैन ना जोड़ी और पानियों सा जैसे गीत रचने के बाद उन्हें पिछले साल का मेलोडी का बादशाह कहना अनुचित नहीं होगा। उनकी इन मधुर धुनों को मनोज मुन्तशिर और कुमार जैसे गीतकार और आतिफ असलम, अरिजीत व सुनिधि जैसे कलाकारों को साथ मिला जो उनकी रचनाओं को एक अलग मुकाम पर ले जाने में सफल हुए।


सत्यमेव जयते के रिलीज़ होने के कुछ दिनों पहले जब मैंने ये गीत सुना तो इसकी मधुरता और बोलों ने मुझे कुछ ही क्षणों में अपनी गिरफ्त में ले लिया। इस साल की संगीतमाला में सबसे पहले शामिल होने वाले कुछ गीतों में पानियों सा भी था। साल के अगर सबसे रोमंटिक गीतों में अगर पानियों सा का नाम आ रहा है तो उसके लिए गीतकार कुमार यानि कुमार राकेश भी बधाई के पात्र हैं, भले ही उसके लिए उन्हें हिंदी व्याकरण के नियमों से छेड़छाड़ करनी पड़ी हो। वैसे कुमार के लिए भाषा का तोड़ना मरोड़ना कोई नई बात नहीं है। इस बारे में उनकी एक सीधी सी फिलासफी है जिसे उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया था जब बात चल रही थी उनके हिट गीत चिट्टियाँ कलाइयाँ वे..रिक्वेस्टाँ पाइयाँ वे के बारे में
"मुझे request को plural बनाना था। Requests हो सकता है ये भी मुझे पता नहीं था। तो मैंने उसे रिक्वेस्टाँ कर दिया। भूषण जी ने मुझसे कहा ऐसा कोई शब्द नहीं होता। मैंने उनसे कहा कोई मापदंड थोड़े ही है लफ़्जों का। एक डिक्शनरी बनी होगी उसके पहले खाली होगी। उसके बाद परमीशनाँ भी आ गया। मेरे को पब्लिक ने आज़ादी दे दी। भाई तू कर ले। मैं तो कहता हूँ कि आप किसी चीज (गलत शब्द) को कैसे कनेक्ट करते हो ये महत्त्वपूर्ण है।"
रोचक कोहली व  कुमार 
2017 में  उनका एक गीत आया था रंगदारी। रंगदारी का मतलब वो नहीं जानते थे पर गाते गाते ये शब्द  एक धुन में फिट हो गया। बाद में उन्हें पता चला कि इसका मतलब तो टैक्स देना होता है तो उन्होंने कहा कि अब शब्द तो यही रखेंगे बोलों को थोड़ा घुमा लेते हैं और गीत बना ज़िन्दगी तेरे रंगों से रंगदारी ना हो पायी लम्हा लम्हा कोशिश की पर यारी ना हो पायी।

अब देखिए पानियों सा में उन्होंने में कितनी प्यारी पंक्तियाँ लिखीं कि संग तेरे पानियों सा पानियों सा बहता रहूँ..तू सुनती रहे में कहानियाँ सी कहता रहूँ। ....  दो दिलों के बीच का प्यार पानी की तरह तरल रहे, जीवन पर्यन्त बहता रहे और आपस में संवाद बरक़रार रहे  तो इससे ज्यादा खुशनुमा और क्या हो सकता है? अब भले ही हिंदी के जानकार कहें कि भाई द्रव्यसूचक संज्ञा जैसे पानी, तेल, घी, दूध  तो एकवचन में ही इस्तेमाल होती हैं , तुमने ये "पानियों सा" कहाँ से ईजाद  कर लिया? मेरे ख़्याल से कुमार फिर वही जवाब होगा मेरे को पब्लिक ने आज़ादी दे दी। भाई तू कर ले। वैसे भी बोलों को गीत के मीटर में लाने के लिए गीतकार ऐसा करते ही रहे हैं।सही बताऊँ तो कुमार ने गलत लिखते हुए भी गीत की भावनाओं से क्या पूरे देश का कनेक्शन बना दिया। 

कुमार पंजाब के जालंधर से हैं। आजकल फिल्मों में  हिंदी मिश्रित पंजाबी गीतों का जो चलन है उसने उन्हें खूब काम और यश दिलाया है। माँ का लाडला, बेबी डॉल, इश्क़ तेरा तड़पाए और चिट्टियाँ कलाइयाँ जैसे गीतों ने उनकी लोकप्रियता युवाओं में तो खासी बढ़ा दी। मुझे ये खिचड़ी उतनी पसंद नहीं आती थी तो मैं उन्हें एक कामचलाऊ गीतकार ही मानता था जो दिल से कम और बाजार की माँग के अनुरूप ज्यादा लिखता है। फिर उन्होंने जब जो माँगी थी दुआ और मै तो नहीं हूँ इंसानों में  जैसे दिल छूते गीत लिखे तो मुझे समझ आया कि बंदे में दम है। 

जो तेरे संग लागी प्रीत मोहे 
रूह बार बार तेरा नाम ले 
कि रब से है माँगी ये ही दुआ 
तू हाथों की लकीरें थाम ले

चुप हैं बातें, दिल कैसे बयां में करूँ 
तू ही कह दे, वो जो बात मैं कह न सकूँ
कि संग तेरे पानियों सा पानियों सा
पानियों सा बहता रहूँ 
तू सुनती रहे मैं कहानियाँ सी कहता रहूँ 
कि संग तेरे बादलों सा बादलों सा 
बादलों सा उड़ता रहूँ 
तेरे एक इशारे पे तेरी और मुड़ता रहूँ 

आधी ज़मीं आधा आसमां था 
आधी मंजिलें आधा रास्ता था 
इक तेरे आने से मुकम्मल हुआ सब ये 
बिन तेरे जहां भी बेवज़ह था 
तेरा दिल बन के में साथ तेरे धड़कूँ 
खुद को तुझसे अब दूर न जाने दूँ 
कि संग तेरे ...मुड़ता रहूँ


इस गीत को गाया है आतिफ असलम और तुलसी कुमार ने। ज़ाहिर है टी सीरिज़ वाले तुलसी कुमार को प्रमोट करने का मौका नहीं छोड़ते भले ही उनसे लाख गुना बेहतर गायिकाएँ फिल्म उद्योग में मौज़ूद हैं। आतिफ जैसा एक अच्छा गायक गीत को कहाँ ले जाता है वो आप तुलसी के सोलो वर्सन को यहाँ सुन कर महसूस कर सकते हैं। 



वार्षिक संगीतमाला 2018  
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता 
2जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3.  ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4.  आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5.  मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा 
6.  तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7.  नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़ 
8.  एक दिल है, एक जान है 
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ 
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा  
21. जिया में मोरे पिया समाए 
24. वो हवा हो गए देखते देखते
25.  इतनी सुहानी बना हो ना पुरानी तेरी दास्तां
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17 टिप्पणियाँ:

Arvind Mishra on जनवरी 20, 2019 ने कहा…

Saal Bhar jo geet sunta hun. Playlist mein aate rahate hai par saal khatm hote hote main wo list delete kar deta hun. Jante ho kyu...
Kyuki aap ki list mein aane vale gane ki nai playlist banane ke liye.

Manish Kumar on जनवरी 20, 2019 ने कहा…

अरविंद जानकर अच्छा लगा कि हर साल आप मेरी इस संगीतमाला का इंतजार करते हैं। लेकिन आज आपने अपनी प्रतिक्रिया दी तो पता लगा कि आप यहाँ आते रहते हैं। इस बार तो मैंने एक प्रतियोगिता भी आयोजित की थी जिसमें आप सब की पसंद के बारे में पूछा था। एक छोटा सा तोहफा भी था पसंद मिलने पर। अगली बार आप भी शामिल होंगे ऐसी आशा है।

अभिषेक मिश्र on जनवरी 20, 2019 ने कहा…

तभी तो कहते हैं- भावनाओं को समझो।
वो सही जगह, सही तरीके से पहुंचनी चाहिए

Manish Kumar on जनवरी 20, 2019 ने कहा…

हाँ वो बात तो सोलह आने सही है। यहाँ तो गीत के मीटर का सवाल था। वैसे कोशिश ये होनी चाहिए कि भाषा का भी मान रहे और बात भी लोगों तक पहुँच जाए। :)

Arvind Mishra on जनवरी 20, 2019 ने कहा…

जी जरूर। जी मैंने पढ़ी थी वो पोस्ट पर किन्हीं कारणों से शामिल न हो सका।

Smita Jaichandran on जनवरी 20, 2019 ने कहा…

Wah...yeh toh Meri list mein shamil hai Bhai!

Manish Kumar on जनवरी 20, 2019 ने कहा…

Smita तो ऐसे ही आपको 4/5 आपको थोड़े ही मिले थे।

Saurabh Arya on जनवरी 20, 2019 ने कहा…

क्या खूब लिखा है आपने 👌

Manish Kumar on जनवरी 20, 2019 ने कहा…

धन्यवाद सौरभ !

Manish on जनवरी 20, 2019 ने कहा…

इस गीत में तुलसी कुमार से कहीं अधिक आतिफ़ असलम की आवाज फबती है।

Manish Kumar on जनवरी 20, 2019 ने कहा…

बिल्कुल, तुलसी कुमार टी सीरीज घराने की हैं इसलिए इस गीत में हैं वर्ना उनसे बेहतर गायिकाएँ इंडस्ट्री में मौजूद हैं।

Ankit on जनवरी 22, 2019 ने कहा…

ये गीत इसके संगीत संयोजन के कारण पसंद आता है। कुमार के लिखे गानों को सुनकर ये समझ आता है कि वो लफ़्ज़ों से जो भी खिलंदड़ी करें, उन्हें लफ़्ज़ों के साउंड की अच्छी पकड़ है, इसी कारन व्याकरण को ताक पे रख देते हैं।

Manish Kumar on जनवरी 23, 2019 ने कहा…

हाँ अंकित ये बात तो है।

पूजा सिंह on जनवरी 29, 2019 ने कहा…

एक और पसन्दीदा। ! हालांकि जिम में सिर्फ अंग्रेजी या फिर पंजाबी गाने बजते हैं, पर एक दिन ये बजा और मुझे इसको गुनगुनाता देखकर जिम ट्रेनर अब लगभग रोज ही बजा देता है

Manish Kumar on जनवरी 29, 2019 ने कहा…

वाह पूजा ! ट्रेनर हो तो ऐसा :)

Pavan on फ़रवरी 01, 2019 ने कहा…

पानियों का प्रयोग नया नहीं है पहले भी कुछ गानों में आ चुका है.. सबसे पहले गुलजार साब का गीत याद आता है ओ मांंझी रे खुशबू का जिसमें उन्होंने लिखा था 'पानियों में बह रहे हैं कई किनारे टूटे हुए'

Manish Kumar on फ़रवरी 01, 2019 ने कहा…

सही कहा। शुक्रिया पवन याद दिलाने के लिए।

 

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