संगीतमाला की आज की कड़ी में है अनु मलिक द्वारा संगीत निर्देशित सुरीला युगल गीत चाव लागा जो इस साल इतना बजा और सराहा गया है कि आप इससे भली भांति परिचित होंगे। इसके पहले जब शरद कटारिया, अनु मलिक, वरुण ग्रोवर, पापोन की चौकड़ी दम लगा के हइसा में साथ आई थी तो मोह मोह के धागे सा यादगार गीत बना था।
मोह मोह के धागे एकल गीत था जिसे पापोन और मोनाली ठाकुर ने अलग अलग गाया था जबकि इस बार अनु मलिक ने सुई धागा के इस गीत को पापोन और रोंकिनी के युगल स्वर में गवाया। रोंकिनी की सधी हुई गायिकी तो आपने 2017 में रफ़ू और पिछले साल तू ही अहम में सुनी ही होगी। पापोन तो ख़ैर इस संगीतमाला में दो बार पहली बार बर्फी के गीत क्यूँ ना हम तुम और दूसरी बार मोह मोह के धागे के लिए सरताज गीत का गौरव प्राप्त कर ही चुके हैं।
मोह मोह के धागे एकल गीत था जिसे पापोन और मोनाली ठाकुर ने अलग अलग गाया था जबकि इस बार अनु मलिक ने सुई धागा के इस गीत को पापोन और रोंकिनी के युगल स्वर में गवाया। रोंकिनी की सधी हुई गायिकी तो आपने 2017 में रफ़ू और पिछले साल तू ही अहम में सुनी ही होगी। पापोन तो ख़ैर इस संगीतमाला में दो बार पहली बार बर्फी के गीत क्यूँ ना हम तुम और दूसरी बार मोह मोह के धागे के लिए सरताज गीत का गौरव प्राप्त कर ही चुके हैं।
सुई धागा की कथा एक निम्म मध्यम वर्गीय परिवार की है जिसका चिराग यानि नायक कोई नौकरी करने के बजाए हुनर के बलबूते पर अपने लिए एक अलग मुकाम बनाना चाहता है। उसकी ज़िंदगी तब खुशनुमा रंग ले लेती है जब उसकी नई नवेली पत्नी पूरे जोशो खरोश से उसके सपने को अपना लेती है।
पति पत्नी के पनप रहे इस नए रिश्ते में कभी खराशें आती हैं तो कभी मुलायमियत के पल और इसी को ध्यान में रखते हुए वरुण ग्रोवर ने गीत का मुखड़ा लिखा कभी शीत लागा कभी ताप लागा तेरे साथ का है जो श्राप लागा.. तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा।
गीत में शीत और ताप.. चाव और घाव.. नींद और जाग की उनकी जुगलबंदी तो कमाल की थी। एक दूसरे को समझते बूझते ये साथी इन प्यार भरी राहों में हल्के हल्के कदम भरना चाहते हैं और इसीलिए कह उठते हैं रास्ते आस्ते चल ज़रा।
पति पत्नी के पनप रहे इस नए रिश्ते में कभी खराशें आती हैं तो कभी मुलायमियत के पल और इसी को ध्यान में रखते हुए वरुण ग्रोवर ने गीत का मुखड़ा लिखा कभी शीत लागा कभी ताप लागा तेरे साथ का है जो श्राप लागा.. तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा।
गीत में शीत और ताप.. चाव और घाव.. नींद और जाग की उनकी जुगलबंदी तो कमाल की थी। एक दूसरे को समझते बूझते ये साथी इन प्यार भरी राहों में हल्के हल्के कदम भरना चाहते हैं और इसीलिए कह उठते हैं रास्ते आस्ते चल ज़रा।
वैसे मुखड़े में "साथ का श्राप" थोड़ी ज़्यादा तीखी अभिव्यक्ति हो गयी ऐसा मुझे महसूस हुआ। इसी तरह शहर बिगाड़ने वाली पंक्तियाँ भी उतनी प्रभावी नहीं लगीं। इसीलिए मुझे गीत के दो अंतरों में दूसरा वाला अंतरा ज्यादा बेहतर लगा। वैसे क्या आपको पता है कि वरुण ने इस गीत के लिए एक तीसरा अंतरा भी रचा था। पहले अंतरे की जगह अगर वो इस्तेमाल हो जाता तो ये गीत और निखर उठता। देखिए कितना प्यारा लिखा था वरुण ने
इकटक तुझपे, मन ये टिका है
बाँध ले चाहे, खुल जाने दे
आज मिलावट, थोड़ी कर के
ख़ुद में मुझको घुल जाने दे
तुझपे ही खेला दाँव रे, दाँव रे
तेरा चाव लागा, जैसे कोई घाव लागा
रोकिनी व पापोन |
गिटार की टुनटुनाहट के बीच रोंकिनी के मधुर आलाप से गीत का आगाज़ होता है और फिर गीत पापोन की मुलायम और रोंकिनी के शास्त्रीय रंग में रँगी आवाज़ों में घुलता मिलता आगे बढ़ जाता है। जब मैंने पहली बार ये गीत सुना था तो रोंकिनी जब रास्ते... आस्ते चले ज़रा गाती हैं तो किशोर कुमार का गाया एक गीत जेहन में कौंध उठा था जिसे मैं याद नहीं कर पा रहा था। बाद में मैंने जब रोंकिनी से ये प्रश्न किया तो उन्होंने बताया कि वो हिस्सा उन्हें भी मैं शायर बदनाम की याद दिलाता है।
अनु मलिक के संगीत संयोजन में गिटार और बाँसुरी इस गीत में प्रमुखता से बजती है। पहले इंटरल्यूड में गिटार पर अंकुर मुखर्जी की धुन सुनकर मन झूम उठता है वहीं दूसरे में बाँसुरी पर नवीन कुमार की बजाई धुन कानों में मिश्री घोलती है। अचरज ना होगा गर इस गीत की लोकप्रियता इसे फिल्मफेयर एवार्ड के गलियारों तक पहुँचा दे।
कभी शीत लागा कभी ताप लागा
तेरे साथ का है जो श्राप लागा
मनवा बौराया..
तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
रह जाएँ चल यहीं घर हम तुम ना लौटें
ढूँढें कोई ना आज रे
तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
रास्ते, आस्ते चले ज़रा , रास्ते..., आस्ते चले ज़रा
तेरा चाव लागा ....
संग में तेरे लागे नया सा
काम पुराना लोभ पुराने
दिन में ही आ जा शहर बिगाड़ें
जो भी सोचे लोग पुराने
तू नीदें तू ही जाग रे जाग रे
तेरा चाव लागा ...
देख लिहाज़ की चारदीवारी
फाँद ली तेरे एक इशारे
प्रीत की चादर, छोटी मैली
हमने उस में पैर पसारे
काफी है तेरा साथ रे साथ रे..
वार्षिक संगीतमाला 2018
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता
2. जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3. ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4. आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5. मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा
6. तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7. नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़
8. एक दिल है, एक जान है
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा
21. जिया में मोरे पिया समाए
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता
2. जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3. ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4. आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5. मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा
6. तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7. नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़
8. एक दिल है, एक जान है
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा
21. जिया में मोरे पिया समाए
8 टिप्पणियाँ:
Papon ki awaaz humein kissi purane gayak ki yaad dilati hai (shayad bhupinder? Pata nahi)..Ronkiniji ki madhur awaaz mishri gholti hai...I m absolutely in love with this song..sondhi si mehak hai issme!
Smita Jaichandran हाँ, वो भूपिंदर वाला अक़्स तो है पापोन की आवाज़ में। मुझे अनु मलिक का संगीत और दोनों गायकों की गायिकी का अलग अलग रंग भाया। :)
वरुण से मुझे हमेशा ज्यादा की उम्मीद रहती है इसीलिए लगा कि वो अंतरों को और बेहतर लिख सकते थे।
अनु मालिक भले कम सक्रिय हो, पर मुझे पहले से कहीं बेहतर लगने लगे हैं। ये गीत भी बहुत प्यारा लगा।
Manish हाँ, उनके गीतों में मेलोडी लौट आई है।
बहुत ही प्यारा गाना है, ख़ासकर रोंकिनी की आवाज़।
रोंकिनी, जेबुनिसा, हमिश्का अय्यर, नंदिनी सिरकार, पामेला जैन इनकी आवाज़ एक जैसी लगती है और मुझे अच्छी लगती है। इनका इतना नाम नहीं लिया जाता, पर अच्छा गाती हैं ये।
वरुण ग्रोवर तो मेरे पसंदीदा है। 'मसान' के बाद।
अनु मलिक, मुझे लगता है लोगों ने मेरे दिमाग में भर दिया है कि वो तो सब कॉपी करते हैं दूसरों की धुन से। तो अनु मलिक का कोई गाना सुनता हूँ तो ज़ेहन में यही बात आती है कि 'कॉपी किया होगा'
पता नहीं इससे बाहर कब निकलूंगा।
अनु मलिक अपनी दूसरी पारी में अच्छा संगीत दे रहे हैं। दम लगा के हइसा के बाद सुई धागा का एलबम अच्छा था। रोंकिनी की आवाज़ में रफू सुना था ना? बेहद मेहनती शास्त्रीय गायिका हैं।
🎶🎶 बहुत ही मेलोडियस है ये ♥️
हाँ पूजा, वो तो है। इसी फिल्म का एक भजन भी है प्यारा सा।
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