शंकर एहसान लॉय की तिकड़ी के लिए पिछला साल सुरीला रहा। राजी के संगीत ने यो वाहवाही बटोरी ही। सूरमा के भी कुछ गीत प्रशंसनीय रहे। लगातार पिछले दो दशकों से उन्होंने दिखाया है कि वक़्त के साथ उनका संगीत की धार का पैनापन कम नहीं हुआ है। इस साल वो इस संगीतमाला में पहली बार प्रवेश ले रहे हैं राज़ी के विदाई गीत दिलबरो के साथ जिसे गाया है हर्षदीप कौर और विभा सर्राफ ने और लिखा गुलज़ार ने। गुलज़ार यूँ तो विशाल भारद्वाज के आलावा अन्य संगीतकारों के साथ यदा कदा ही काम करते हैं पर शंकर एहसान लॉय के साथ उनकी अच्छी निभती है।
ये सुखद संयोग ही था की इस फिल्म में एक ओर राजी का ये गीत विदाई बेला में पिता और बेटी की भावनाओं को दर्शा रहा था तो पर्दे के पीछे भी गीतकार पिता और निर्देशक बेटी की जोड़ी काम कर रही थी। शंकर बताते हैं कि मेघना गुलज़ार की इस गाने के संगीत से बस एक ही अपेक्षा थी कि वो कथानक की पृष्ठभूमि और परिवेश से बिल्कुल जुड़ा होना चाहिए।
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गुलज़ार के साथ काम करने के अपने अनुभव को लेकर शंकर कहते हैं कि गीतों को लेकर उनके साथ लंबी बातें होती रहीं। इतने बड़े गीतकार होने के बाद भी वो हमारे हर सुझाव को सुनकर वो शब्दों में बदलाव लाने को तत्पर रहते थे। इस गीत से जुड़ा एक मजेदार वाक़या एक बार उन्होंने बाँटा था..
"मैं नवी मुंबई में रहता हूँ। हर रोज़ नौ साढ़े नौ के बीच उनका एक कॉल आता था। मुझे पूछेंगे कि तुम पुल के इस पार हो या उस पार। उससे उनको समझ आ जायेगा की हम लोग कितनी लंबी बातचीत कर सकते हैं। फ़ोन पे जैसे ही उनको कोई विचार आता है बोलों के बारे में, तो वे झट से फोन करते हैं और हैलो बोलने से पहले ही गीत के लिरिक्स बोलने लगते हैं ऊँगली पकड़ के तूने, चलना सिखाया था ना..दहलीज़ ऊँची है ये पार करा दे। मुझे दो मिनट के लिए लगता है कि ये कौन से गाने का है। फिर ख़्याल आता है कि वो दिलबरो की बात कर रहे हैं। ऐसे ही गीत बनता चला जाता है।"
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शंकर एहसान लॉय की तिकड़ी के साथ गुलज़ार |
इस गीत में तो आप जानते ही हैं कि नायिका की शादी तो हो ही रही है, साथ ही उसे विवाह के बाद दूसरे मुल्क में ज़िंदगी बसर करनी है वो भी एक जासूस के रूप में। गुलज़ार ने इस गीत के मुखड़े में उस घर की ही नहीं बल्कि की दहलीज़ की ओर भी इशारा किया है जिसे नायिका को लाँघना था। गीत के मुखड़े के साथ साथ मुझे उनकी ये पंक्तियाँ भावुक कर देती है। .. फसलें जो काटी जाएँ उगती नहीं हैं.. बेटियाँ जो ब्याही जाएँ मुड़ती नहीं हैं।
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हर्षदीप कौर |
शंकर एहसान लॉय ने गीत के मुख्य भाग को गाने के लिए हर्षदीप कौर को चुना। उन्हें बुलाकार धुन गुनगुनाई। उन्हें गवाकर उनका स्केल जाँचा और गीत उनका झोली में दाल दिया । हर्षदीप ने तो ख़ैर अपना हिस्सा बखूबी निभाया पर शंकर महादेवन ने तो गीत को इतने ऊँचे सुरों तक ले जाकर उसमें एक नई जान जान ही फूँक दी।
गीत की शुरुआत में कश्मीरी लोक गीत कि कुछ पंक्तियाँ ली गयी हैं जिनका अर्थ है तुम मुझे एक सहेजी हुई गुड़िया की तरह प्यार करते हो ना? अब विदा आने का वक़्त आ गया है पर ये दूरी हमारे प्यार को कभी कम नहीं करेगी। वैसे नेट पर ये गीत अपने पूरे रूप में मौज़ूद हैं। कश्मीरी लोक संगीत में दिलचस्पी हो तो सुनिए
उंगली पकड़ के तूने, चलना सिखाया था ना
दहलीज़ ऊँची है ये पार करा दे
बाबा मैं तेरी मल्लिका, टुकड़ा हूँ तेरे दिल का
इक बार फिर से दहलीज़ पार करा दे
मुड़के ना देखो दिलबरो, दिलबरो
मुड़के ना देखो दिलबरो
फसलें जो काटी जाएँ उगती नहीं हैं
बेटियाँ जो ब्याही जाएँ मुड़ती नहीं हैं
ऐसी बिदाई हो तो, लम्बी जुदाई हो तो
दहलीज़ दर्द की भी पार करा दे
बाबा मैं ....पार करा दे
मुड़ के ना देखो दिलबरो, दिलबरो
मेरे दिलबरो, बर्फ़ें गलेंगी फिर से
मेरे दिलबरो, फसलें पकेंगी फिर से
तेरे पाँवों के तले, मेरी दुआ चले, दुआ मेरी चले
उंगली पकड़ के तूने... दिलबरो
इस गीत को फिल्माया गया है आलिया भट्ट, रजत कपूर और अन्य सह कलाकारों पर
वार्षिक संगीतमाला 2018
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता
2. जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3. ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4. आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5. मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा
6. तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7. नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़
8. एक दिल है, एक जान है
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा
21. जिया में मोरे पिया समाए
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता
2. जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3. ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4. आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5. मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा
6. तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7. नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़
8. एक दिल है, एक जान है
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा
21. जिया में मोरे पिया समाए
19 टिप्पणियाँ:
Ab Tak ki Meri sabse pasandeeda...Harshdeep ki awaaz is geet ka level Kai notches upar le jaati hai
हाँ हर्षदीप की आवाज़ इस गीत में भाती है। वैसे शंकर महादेवन मुझ पर वही असर डालते हैं जो आप पर हर्षदीप ने डाला है।
बहुत दिनों बाद शंकर महादेवन की आवाज़ सुनने को मिली! इस खूबसूरत गीत में दोनों की गायकी बहुत असरदार है।
हाँ बिल्कुल। इस साल उनकी आवाज़ फिलहाल मणिकर्णिका में गूँज रही है।
बहुत पसंद है यह गाना
जी आपने तो बताया था। :)
ये गीत इस साल के मेरे सबसे पसंदीदा गीतों में से एक है
ओह..अच्छा! प्यारा गीत तो है ही ये !
Manish Kumar Kai saal pehle SM aur Hariharan ko concert mein sunne ka mauka Mila thaa..SM is livewire on stage, spellbinding!
काश मैं कश्मीरी भाषा समझ पाती। आपने जो कश्मीरी लोकगीत डाला है ब्लॉग पर उसका एक भी शब्द नहीं समझ आया लेकिन ऐसा लग रहा था कि गीत संवेदनाओ से भरा होगा। उस भाषा को समझने वाले उस गीत को सुन कर ज़रूर रो पड़ते होंगे।
जैसे यह गीत 'मुड़ के ना देखो दिलबरों' सुन कर मैं कितनी ही बार रोई हूँ।
मेरे लिए यह वर्ष भर का सर्वश्रेष्ठ गीत है।
इसे नवीं पायदान पर रख कर कुछ लोगों ने दिल तोड़ दिया है एकदम से :(
कश्मीरी विवाह गीत का जितना हिस्सा गाने में शामिल है उसका अर्थ मैंने लिखा है पोस्ट में। पूरे गीत के मायने समझने में अगर आपकी दिलचस्पी है तो ये गीत सुनिए।
https://www.youtube.com/watch?v=mKwmkBkgN6k
और हाँ, मेरे दिल में जो गीत शिखर पर बैठा है उसकी जगह किसी दूसरे को बिठाने से मैं अपने दिल को क्या जवाब देता?
अच्छा संवेदनशील गीत है । मेरे विचार से ये गीत थोड़ी और ऊँची पायदान के योग्य था ।
मेरे लिए ये इस साल के बेहतरीन गानों में से एक है, जिसे कम-अस-कम पाँच के अंदर होना चाहिये था।
एक-इक लफ़्ज़ अपने में दो मानी लिए हुए है, घर और मुल्क़ दोनों की दहलीज़ की बात करता हुआ।
जिन संगीतकारों के संगीत का इंतज़ार रहता है उनमें से एक शंकर-अहसान-लॉय का संगीत है।
आपके सुनाये शंकर और साहब के वाक़ये से पंचम दा और गुलज़ार साहब के ऐसे ही कई वाक़ये याद आ गए।
आपकी गानों पे की गई रिसर्च कमाल की होती है।
अंकित रैंकिंग एक व्यक्तिगत मसला है। अगर गीतों की पसंद के मापदंड एक जैसे होते तो तुम लोगों की पसंद पूछते वक्त पच्चीस के बजाए डेढ़ दर्जन लोग मिलकर पचासी अलग अलग गीत क्यूँ चुनते :) ?
ये गीत मुझे भी बेहद प्रिय है इसलिए साल के दस बेहतरीन गीतों में शामिल है। पोस्ट पसंद करने के लिए आभार।
राजेश गोयल अपनी राय बताने के लिए धन्यवाद !
बेहद खूबसूरत गीत!
छोटे भाई का पसंदीदा गाना है ये, उसे सुनते सुनते मेरा भी हो गया।
शंकर एहसान लॉय, संगीत से जुड़ने के शुरुआती दिनों में मैं इन्हें एक इंसान समझता था।
'लंदन ड्रीम्स' के सारे गाने मुझे रटे हुए हैं, ऐसे ही 'मिर्ज़या' और 'लक बाय चांस' के। ये तिकड़ी वरदान है सिनेमा के लिए।
गुलज़ार साहब तो हर बार कुछ नया लिखते ही है कि बाकी लिखने वालों को लगे कि ऐसा भी लिखा जा सकता है।
हर्षदीप की आवाज़ बहुत ही अलग है। इनका 'जब तक है जान' का 'हीर'मेरा पसंदीदा है और एक 'डिअर माया' का 'सुने साये' भी
हाँ सुमित वो तो है।
मंटू शंकर एहसान लॉय के प्रति तुम्हारे प्रेम को जानकर अच्छा लगा।
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