सोमवार, जनवरी 28, 2019

वार्षिक संगीतमााला 2018 पायदान # 2 : जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू Mere Naam Tu

हिंदी फिल्म संगीत में शंकर जयकिशन की जोड़ी को ये श्रेय दिया जाता है कि उन्होंने फिल्मी गानों में आर्केस्ट्रा का वृहत पैमाने पर इस्तेमाल सिर्फ फिलर की तरह नहीं बल्कि गीत के भावों का श्रोताओं तक संप्रेषण करने मे भी किया। उनके गीतों में संगीत संयोजन की एक शैली होती थी जिसे आप सुन के पहचान सकते थे कि ये गीत शंकर जयकिशन का है। मराठी फिल्मों से अब हिंदी फिल्मों में पाँव पसारने वाले अजय अतुल नए ज़माने के संगीतकारों में एक ऐसे संगीतकार हैं जिनकी धुनों को आप उनके आर्केस्ट्रा आधारित संगीत से ही पकड़ सकते हैं। 


अजय अतुल के संगीत में दो चीजें बड़ी प्रमुखता से आती हैं एक तो पश्चिमी वाद्यों वॉयलिन का कोरस और पियानो के स्वर और दूसरे हिंदुस्तानी ताल वाद्यों की धमक के साथ बाँसुरी की सुरीली तान। इस साल उनका संगीत धड़क, ठग आफ हिंदुस्तान, तुम्बाड और ज़ीरो में सुनाई पड़ा। धड़क के गीत तो इस गीतमाला में बज ही चुके हैं। आज वार्षिक संगीतमाला की दूसरी पॉयदान पर बज रहा है उनकी फिल्म ज़ीरो का गीत।

अजय व  अतुल 
इस गीत के पीछे की जो चौकड़ी है, मुझे नहीं लगता कि पहले कभी साथ आई है। अजय अतुल ज्यादातर अमिताभ भट्टाचार्य के साथ काम करते थे पर यहाँ गीत लिखने का जिम्मा मिला इरशाद कामिल को। अभय जोधपुरकर का तो ये हिंदी फिल्मों का पहला गीत था। शाहरुख भी अक़्सर विशाल शेखर या प्रीतम जैसे बड़े नामों के साथ ज्यादा दिखे हैं पर इस बार उन्होंने अजय अतुल को चुना। इस गीत की सफलता में संगीत संयोजन, बोल और गायिकी तीनों का हाथ रहा है और यही  वज़ह है कि ये गीत मेरी गीतमाला का रनर्स अप गीत बन पाया है। 

अभय जोधपुरकर

सबसे पहले तो आपकी उत्सुकता  इस नयी आवाज़ अभय जोधपुरकर के बारे में जानने की होगी। अभय संगीत की नगरी इंदौर में पले बढ़े। चेन्नई में बॉयोटेक्नॉलजी का कोर्स करने गए और वहीं शौकिया तौर पर ए आर रहमान के संगीत विद्यालय में सीखने लगे। रहमान ने दक्षिण भारतीय भाषाओं की फिल्मों में उन्हें गाने का मौका दिया। उनका पहला सबसे सफल गीत मणिरत्नम की फिल्म कदाल से था। 27 वर्षीय अभय ने कुछ साल पहले अजय अतुल की फिल्म का एक कवर गाया जिस पर अतुल की नज़र पड़ी। उन्हें उनकी आवाज़ पसंद आई और फिर ब्रदर के गीत सपना जहाँ को गाने के लिए उन्होंने अभय को बुलाया। अभय तब तो मुंबई नहीं जा पाए पर पिछले अक्टूबर में जब अतुल ने उन्हें एक बार फिर  ज़ीरो के लिए संपर्क तो वो अगले ही दिन मुंबई जा पहुँचे।

स्टूडियो में अजय  के आलावा, इरशाद कामिल और निर्देशक आनंद एल राय पहले से ही मौज़ूद थे। अभय से कुछ पंक्तियाँ अलग अलग तरह से गवाई गयीं और फिर पूरा गीत  रिकार्ड हुआ। गीत की आधी रिकार्डिंग हो चुकी थी जब अभय और निर्देशक आनंद राय को भूख लग आई पर अजय ने विराम लेने से ये कह कर मना कर दिया  कि अभी तुम्हारी आवाज़ में जो चमक है वो खाने के बाद रहे ना रहे। नतीजा ये हुआ कि अभय को इस गीत का एक हिस्सा खाली पेट ही रिकार्ड करना पड़ा जिसमेंके ऊँचे सुरों वाला दूसरा अंतरा भी था। ये गीत जितना मधुर बना पड़ा है उससे तो अब यही कहा जा सकता है कि उन्होंने "भूखे भजन ना होए गोपाला" वाली उक्ति को गलत साबित कर दिया।😀

गीत की शुरुआत वरद कथापुरकर द्वारा बजाई बाँसुरी की मोहक धुन से होती है। उसके बाद बारी बारी से पियानो और वायलिन का आगमन होता है। इरशाद कामिल के लिखे प्यारे मुखड़े के बीच भी वॉयलिन का कोरस सिर उठाता रहता है। मेरा नाम तू आते आते ताल वाद्य भी अपनी गड़गड़ाहट से अपनी उपस्थिति दर्ज करा देते हैं। अजय अतुल के आर्केस्ट्रा में संगीत का बरबस उतार चढ़ाव दृश्य की नाटकीयता बढ़ाने में सहायक होता है। यहाँ भी इंटरल्यूड्स में वैसे ही टुकड़े हैं। खास बात ये कि गीत का दूसरा अंतरा पहले अंतरे की तरह शुरु नहीं होता और अभय की आवाज़ को ऊँचे सुरों पर जाना पड़ता है। 

गीत की रूमानियत अंतरों में भी बरक़रार रहती है। वैसे तो गीत के पूरे बोल ही मुझे पसंद हैं पर ये पंक्ति खास अच्छी लगती है जब कामिल कहते हैं टुकड़े कर चाहे ख़्वाबों के तू मेरे ..टूटेंगे भी तू रहने हैं वो तेरे। अभय की आवाज़ में येसूदास की आवाज़ का एक अक्स दिखाई पड़ा। बड़े दिल ने उन्होंने इस गीत को निभाया है। तो चलिए इसे एक बार और सुन लें अगर आपने इसे पहले ना सुना हो।

वो रंग भी क्या रंग है
मिलता ना जो तेरे होठ के रंग से हूबहू
वो खुशबू क्या खुशबू
ठहरे ना जो तेरी साँवरी जुल्फ के रूबरू
तेरे आगे ये दुनिया है फीकी सी
मेरे बिन तू ना होगी किसी की भी
अब ये ज़ाहिर सरेआम है, ऐलान है
जब तक जहां में सुबह शाम है
तब तक मेरे नाम तू
जब तक जहान में मेरा नाम है
तब तक मेरे नाम तू  

उलझन भी हूँ तेरी, उलझन का हल भी हूँ मैं
थोड़ा सा जिद्दी हूँ, थोड़ा पागल भी हूँ मैं
बरखा बिजली बादल झूठे
झूठी फूलों की सौगातें
सच्ची तू है सच्चा मैं हूँ
सच्ची अपने दिल की बातें
दस्तख़त हाथों से हाथों पे कर दे तू
ना कर आँखों पे पलकों के परदे तू
क्या ये इतना बड़ा काम है, ऐलान है
जब तक जहान ... मेरे नाम तू

मेरे ही घेरे में घूमेगी हर पल तू ऐसे
सूरज के घेरे में रहती है धरती ये जैसे
पाएगी तू खुदको ना मुझसे जुदा
तू है मेरा आधा सा हिस्सा सदा
टुकड़े कर चाहे ख़्वाबों के तू मेरे
टूटेंगे भी तू रहने हैं वो तेरे
तुझको भी तो ये इल्हाम है, ऐलान है  



वार्षिक संगीतमाला 2018  
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता 
2जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3.  ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4.  आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5.  मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा 
6.  तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7.  नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़ 
8.  एक दिल है, एक जान है 
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ 
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा  
21. जिया में मोरे पिया समाए 
24. वो हवा हो गए देखते देखते
25.  इतनी सुहानी बना हो ना पुरानी तेरी दास्तां
Related Posts with Thumbnails

14 टिप्पणियाँ:

Manish on जनवरी 28, 2019 ने कहा…

जितना खूबसूरत गीत, उतना ही अच्छा फिल्मांकन!! अभय जोधपुरकर की गायकी एस. पी. बालासुब्रमण्यम की याद दिलाती है!!

Smita Jaichandran on जनवरी 28, 2019 ने कहा…

Wow...vakai behatareen...galti phir see humari hai...SRK ke chonchle dekhne mein koi dilchaspi na hone ke Kaaran aise khoobsoorat gaane shayad humari radar pe nahi aate

पूजा सिंह on जनवरी 29, 2019 ने कहा…

क्या बात है और मैं सोच रही थी कि 2 और 1 नंबर पर कौन होगा... जब ये गाना आया था तब से 4 दिन पहले तक मेरा डॉयलर ट्यून था।

Abhay Jodhpurkar on जनवरी 29, 2019 ने कहा…

Shukriya Manish Ji

Arvind Mishra on जनवरी 29, 2019 ने कहा…

मनीष भाई जब पहली बार इस गीत को सुना था। तो मराठी फिल्म सैरात के गाने याद लाग्ले की फीलिंग आ रही थी। पर तभी ये गीत मेरी playlist में है।

मन्टू कुमार on जनवरी 30, 2019 ने कहा…

'अजय अतुल नए ज़माने के संगीतकारों में एक ऐसे संगीतकार हैं जिनकी धुनों को आप उनके आर्केस्ट्रा आधारित संगीत से ही पकड़ सकते हैं।' 👍

इस गाने की जान इसके बोल है

मुझे लगता है अजय-अतुल अपनी धुन को रिपीट करते हैं, सैराट की धुन धड़क में और फ़िर इस गाने में भी।
'अग्निपथ' का संगीत बेजोड़ दिया है इस जोड़ी ने, ख़ासकर 'ओ सैयां' गाने का।

अरविंद जी से सहमत हूँ। मनीष जी से भी, गाने का फिल्मांकन शानदार है। और आनंद एल राय की फ़िल्म होने की वज़ह से मैं इसे 1st डे 1st शो गया हूँ देखने। :)

फ़िल्म भी देखिए भईया, अच्छा लगेगा आपको।

ये मैंने ट्विटर पर लिखा था-

"बेचैन,भटके हुए,लेकिन समझदार-सुंदर दिल कब भारतीय समाज की मानसिकता में घुसपैठ कर जाता है और भारतीय समाज भी कब उन आशिक़ दिलों में खंजर लेके बैठ जाता है" ये जानना हो तो आनंद एल राय की फ़िल्मों को महसूस कीजिए।
स्क्रीनप्ले(हिमांशु शर्मा)इतना सुलझा हुआ है कि आप आगे के सीन तक इमेजिन कर सकते हैं।कभी-कभी लगता है कि के डायरेक्टर इम्तियाज़ अली है।जब-जब स्क्रीन पर अनुष्का आती है तब-तब फ़िल्म शानदार बन पड़ी है, इसका यक़ीन कीजिए।बात रही शाहरुख़ की तो वे अभी "माई नेम इज ख़ान" के क़रीब पहुँचे हैं"

Ankit Joshi on जनवरी 30, 2019 ने कहा…

ये गाना जब पहली बार tv पे देखा-सुना था तब एकदम से नहीं भाया था लेकिन जब हेडफोन लगा के पूरा गाना सुना तो मज़ा आ गया। बेहद ख़ूबसूरत गाना लगा, चाहे वो संगीत संयोजन हो या गायकी हो, या फिर इसके बोल हों।
आपने सही कहा, अजय-अतुल के संगीत को बिना इनका नाम देखे पहचाना जा सकता है, जब मैं इसे सुन रहा था, तो सैराट / धड़क की ध्वनियाँ भी आ रही थीं।

Manish Kumar on फ़रवरी 05, 2019 ने कहा…

Manish एस. पी. बालासुब्रमण्यम हाँ उनसे भी वो भी तो येसूदास की याद दिलाते थे। :) फिल्म नहीं देखी इसलिए उतनी ही क्लिप देख पाया हूँ जितनी इंटरनेट पर उपलब्ध है।

Manish Kumar on फ़रवरी 05, 2019 ने कहा…

Smita मैंने भी ये फिल्म नहीं देखी। आपकी तरह शाहरुख खान की फिल्में नहीं सुहाती मुझे :) (पर आलिया का अभिनय पसंद है :p)। संगीतमाला करने का यही फायदा है कि आप सारा अच्छा बुरा सुन लेते हैं। गीत आपको पसंद आया जानकर खुशी हुई।

Manish Kumar on फ़रवरी 05, 2019 ने कहा…

Puja Singh अच्छा :) एक बार सुनते ही पसंद आने वाला नग्मा है ये।

Manish Kumar on फ़रवरी 05, 2019 ने कहा…

Abhay Jodhpurkar आपकी आवाज़ में एक ताज़गी है और आपने इस गीत के उतार चढ़ावों को बखूबी निभाया। हिंदी फिल्मों में आपकी आवाज़ और सुनने को मिले इन्हीं शुभकामनाओं के साथ ! :)

Manish Kumar on फ़रवरी 05, 2019 ने कहा…

मंटू/अरविंद इंटल्यूड्स में वायलिन से जुड़ा जो संगीत संयोजन हैं उसमें जरूर कुछ झलक मिलती है उनके पहले के गीतों की। वैसी साम्यता तो पुराने संगीतकारों के संगीत संयोजन में भी दिखती है तभी तो वो पहचान लिये जाते थे कि ये अमुक संगीतकार की धुन होगी।
जहाँ तक मुख्य गीत की धुन और लय का सवाल है वो सर्वथा भिन्न है और बेहद मधुर लगी मुझे।

Manish Kumar on फ़रवरी 05, 2019 ने कहा…

हाँ अंकित सहमत हूँ तुम्हारे कथन से। मुझे पहली बार सुन कर ही आनंद आ गया था।

Chetan Raygor on फ़रवरी 11, 2019 ने कहा…

Very nice article. I like your writing style. I am also a blogger. I always admire you. You are my idol. I have a post of my blog can you check this : Chennai super kings team

 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
Aapka Bunti
Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
Shatranj Ke Khiladi
Bakul Katha
Raag Darbari
English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
Mahabhoj
मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
The Pakistani Bride: A Novel


Manish Kumar's favorite books »

स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

एक शाम मेरे नाम Copyright © 2009 Designed by Bie